Agriculture Tips: खेती और किसान: किसानों को मालामाल बनाएगी आधुनिक तकनीक से सूरजमुखी की खेती

Surajmookhi
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calendar01 Dec 2025 02:17 PM
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Agriculture Tips: फलों की बात करें तो वर्तमान समय में यूं तो सभी तरह के फूलों को पसंद किया जाता है। लेकिन एक फूल ऐसा भी है, जिसकी पैदावार करके किसान अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकते हैं। सूरजमुखी एक सक्षम तिलहन फसल है। इसमें मृदा और मौसम के लिए बड़े पैमाने पर अनुकूल क्षमता होती है। यह 90-105 दिनों की अल्प अवधि में उच्च गुणवत्तायुक्त खाद्य तेल प्रदान करती है। भारत में यह 2.43 लाख हैक्टर से अधिक क्षेत्र में उगायी जाती है और 2.17 लाख टन का उत्पादन होता है। कुल सूरजमुखी क्षेत्र का लगभग 48 प्रतिशत, रबी सूरजमुखी खेती के अधीन रहा है।

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तेलंगाना राज्य में निजामाबाद जिला और काबुली चने की बहुत कम पैदावार चावल की एकल फसल के लिए प्रबल के कारण किसानों की मकई की खेती में उपजाऊ ख़ुदा और जाल संसाधन सम्पन्न एवं रुचि कम हो रही है। सूरजमुखी की फसल गहन खेती के लिए बेहतर माना गया है। इस अपनी उच्च उत्पादकता क्षमता के कारण जिले में मकई, काबुली चना और सूरजमुखी सबसे सफल वैकल्पिक फसल है, जब आदि रवी/ग्रीष्मकालीन प्रतिस्पर्धायुक्त यह सर्वोत्तम प्रबंधन आचरण (बीएमपी) फसलें उगाई जाती हैं। फॉल आमधर्म के तहत उगायी जाती है। (आक्रामक रूप से पाया जाने वाला कीट) और काबुली चने की बहुत कम पैदावार के कारण किसानों को मकई की खेती में रुचि कम हो रही है। सूरजमुखी की फसल अपनी उच्च उत्पादकता क्षमता के कारण सबसे सफल वैकल्पिक फसल है, जब यह सर्वोत्तम प्रबंधन आचरण के तहत उगायी जाती है।

सर्वोत्तम प्रबंधन आचरण

इस क्षेत्र में सूरजमुखी की क्षमता की पहचान करते हुए, भाकृअनुप-भारतीय तिलहन अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद ने निजामाबाद जिले के हेगडोली गांव में वर्ष 2017 से 2019 में रबी मौसम के दौरान अग्रिम मोर्चे के कर्मचारी समूह के माध्यम से विस्तार प्रदर्शनियों के जरिये कृषि विज्ञान केन्द्र तथा राज्य कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ सर्वोत्तम प्रबंधन आचरण का प्रदर्शन(बीएमपी) किया। इसमें मृदा स्वास्थ्य कार्ड इस क्षेत्र में सूरजमुखी की क्षमता तथा कौशल विकास प्रशिक्षण की अन्य वर्तमान योजनाओं का कार्यान्वयन किया गया। मृदा उत्पादकता के मूल्यांकन के आधार पर, यह पाया गया कि गंधक छोड़कर गहन चावल की खेती के बाद सूरजमुखी के पोषक तत्वों की आवश्यकता में कमी हुई है। उपलब्ध अपशिष्ट उपजाऊ और नमी को निम्न बीज दर (5 कि.ग्रा. बनाम पारंपरिक 10-12 कि.ग्रा./हैक्टर) के साथ सूरजमुखी की शून्य या न्यूनतम खेत की जुताई के तहत प्रभावी ढंग से एकीकृत किया गया। इस क्रम में इष्टतम पौधों की संख्या को बनाए रखना जरूरी होता है, जो सूरजमुखी की समय पर बुआई के लिए मार्ग सुगम करता है। इससे खेती की लागत में भी उल्लेखनीय कमी आती है। एसएसपी के माध्यम से आवश्यक फॉस्फोरस की आपूर्ति और प्रारंभिक स्तर पर निर्देशित स्प्रे रे फ्लोरेट खोलने के चरण में बोरॉन 0.2 प्रतिशत का, महत्वपूर्ण चरणों में सिंचाई (मकई के लिए 2 से 3 बनाम 6 से 8), न्यूनतम या आवश्यकता पर आधारित पौधा संरक्षण के परिणामस्वरूप 2500 से 3000 कि.ग्रा./हैक्टर की उच्च बीज उपज प्राप्त हुई। इससे कृषि क्रियाओं में 16-24 प्रतिशत सुधार हुआ है।

फसल क्षेत्र विस्तार

सूरजमुखी की खेती ने आगामी मौसम में चावल की उच्चतर उपज की प्राप्ति में भी योगदान दिया है। संभवतः यह गंधक एवं संतुलित पोषण के प्रभाव के कारण संभव हो पाया है। अतएव जिले में सूरजमुखी के अंतर्गत आने वाला क्षेत्र वर्ष 2016 के दौरान 400 हैक्टर की तुलना में वर्ष 2019-20 में 3200 हेक्टर हुआ है। परिणामतः गुणवत्तायुक्त बीज की मांग में भी बढ़ोतरी हुई है। 2016 के दौरान 400 हैक्टर की तुलना वर्ष 2019-20 में 3200 हैक्टर हुआ है। परिणामतः गुणवत्तायुक्त बीज की मांग में भी बढ़ोतरी हुई है।

निजामाबाद जिले में सूरजमुखी क्षेत्र में विस्तार के साथ विपणन के बेहतर अवसर स्थापित हुए हैं। तेलंगाना सरकार ने भारत राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन लिमिटेड (एनएएफईडी) के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल की अधिप्राप्ति के लिए आगे अपना समर्थन भी प्रदान किया है। इससे उच्च उत्पादकता तथा सूरजमुखी से पारिश्रमिक मूल्य, 100-105 दिनों में अपने उच्चतम स्तर पर 45,000-60,000 रुपये प्रति एकड़ रहा। इससे सिंचाई जल की भी बचत हुई है और बिजली के व्यय में भी कमी हुई है।

शहद को तीन सप्ताह के बाद निकाला गया तथा मधुमक्खी के छत्तों को आसपास के क्षेत्रों में स्थानांतरित किया गया, जहां सूरजमुखी की फसल खिलने के स्तर पर थी। कुल मिलाकर 5200 कि.ग्रा. शुद्ध सूरजमुखी शहद की प्राप्ति हुई। सम्पूर्ण शहद मौके पर ही बिक गया और इसकी लोकप्रियता का प्रसार भाकृअनुप-भारतीय तिलहन अनुसंधान संस्थान के समर्थन से हुआ। नियत स्थान पर निकाला गया सुनहरा पीला, चमकदार, शुद्ध और पौष्टिक शहद मामूली बिक्री मूल्य पर रुपये 300/कि.ग्रा. में 0.50 कि.ग्रा. और 1.0 कि.ग्रा. क्षमता की पीईटी बोतलों में 'हनी नेचुरल' ब्रांड के रूप में बेचा गया। इससे दो महीने की अवधि में ही 15.6 लाख रुपये सकल आय की प्राप्ति हुई। इसके अतिरिक्त तीन महीने की अवधि के लिए रुपये 6222/प्रतिदिन आमदनी प्राप्त हुई।

साधारणतः इस प्रकरण में प्रति एकड़ फसल क्षेत्र के लिए दो मधुमक्खी के बक्सों की संस्तुति की गई। मधुमक्खियों के आहार प्राप्त करने की दूरी को ध्यान में रखते हुए इन बक्सों को समूह दृष्टिकोण के तहत लगभग 2.0 कि.ग्रा. मीटर की दूरी पर लगाया गया। इसके परिणामस्वरूप परिवहन, संस्थापना, अनुरक्षण एवं श्रमिक लागत में बचत हुई।

इसका अनुकरण चावल बोये जाने वाले आंध्र प्रदेश, असोम, बिहार, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश एवं पश्चिम बंगाल और अन्य पारंपरिक रूप से सूरजमुखी उगाने वाले कर्नाटक के क्षेत्रों में सूरजमुखी फसल की उत्पादकता तथा किसानों की आय में वृद्धि और मधुमक्खी के पालन एवं शहद उत्पादन के माध्यम से कृषि उद्यमीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए भी किया जा सकता है। इस व्यवस्था को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाने के लिए, राज्य बीज उत्पादन अभिकरणों, निजी बीज कंपनियों/ उत्पादकों और भाकृअनुप- भारतीय तिलहन अनुसंधान संस्थान के सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से किसानों के लिए गुणवत्तायुक्त बीज समय पर पहुंचाया जाना सुनिश्चित करना आवश्यक है।

मधुमक्खी पालकों, किसानों, ग्रामीण युवाओं, कृषि विभाग के कर्मचारियों और मधुमक्खी पालन पर अखिल भारतीय समन्वय अनुसंधान परियोजनाएं (एआई.सी. आरपी) वैज्ञानिकों का क्षमता निर्माण भाकृअनुप- भारतीय तिलहन अनुसंधान संस्थान द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान (एनआईआरडी), हैदराबाद के सहयोग से किया जाना प्रस्तावित है।

सूरजमुखी के साथ अन्य फसल विविधता

न्यूनतम जुताई या बिना जुताई की स्थिति में सूरजमुखी में सर्वोत्तम प्रबंधन कार्यकलापों को अपनाने से किसानों की फसल की उपज और आर्थिक दशा में सुधार होगा। सर्वोत्तम प्रबंधन प्रणालियां अपनाए जाने के अतिरिक्त मधुमक्खियों के साथ सूरजमुखी की फसल की उपज में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि और ग्रामीण युवाओं के लिए लाभकारी रोजगार की स्थिति पैदा होगी। इसके अलावा, अध्ययन ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया कि शुद्ध, पौष्टिक और स्वस्थ शहद स्थानीय स्तर पर मामूली कीमत पर उपलब्ध हो सकता है, जो ग्रामीण समुदायों के लिए फायदेमंद है। इस व्यवस्था को टिकाऊ फसल विविधता के लिए चावल-बुआई और चावल, चावल फसल प्रणालियों में इसका अनुकरण किया जा सकता है।

निजामाबाद, हेगडोली गांव में मधुमक्खीशालाओं की आर्थिकी

परिचालन व्यय/बक्सा - 1250 रुपये 800 बक्सों के लिए कुल व्यय -  10,00,000 रुपये शहद की उपज / बक्सा (कि.ग्रा.) -  6 से 7 कुल शहद की उपज (कि.ग्रा.) - 5200 शहद का विक्रय मूल्य/कि.ग्रा. - 300 रुपये सकल आय  - 15,60,000 रुपये कुल आय  - 5,60,000 रुपये कुल आय / प्रतिदिन - 6222 रुपये

प्रति बक्सों की तय लागत 7,500 रुपये है। इसमें लकड़ी के बक्से, रानी मधुमक्खी (कोमक्वीन बी), श्रमिक मधुमक्खी (वर्कर बी) चिमटे व अन्य आवश्यक वस्तुएं शामिल हैं। 10 प्रतिशत मूल्य ह्रास (750 रुपये प्रति वर्ष ) यह मानकर कि बॉक्स की जीवन अवधि 10 वर्ष की है और रखरखाव लागत 500 रुपये परिवहन, संस्थापना, शहद निष्कर्षण (निकालना), तीन-चरण भौतिक निस्पंदन (फिल्टर) के लिए है। मधुमक्खीशाला, सूरजमुखी किसानों तथा ग्राम स्तर के उद्यमियों के लिए लाभ का सौदा होता है। इससे किसानों को मधुमक्खी गतिविधि के कारण सूरजमुखी की उपज में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई और स्थानीय उद्यमी को अतिरिक्त कीमती शहद के साथ एक स्थायी आजीविका प्राप्त हुई।

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Vaishno devi Yatra: बिना rfid कार्ड के यात्रा नहीं कर सकेंगे श्रद्धालु, देना होगा निर्धारित जुर्माना

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calendar01 Dec 2025 09:24 PM
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आगामी नववर्ष पर अधिकतर लोग माता vaishno devi yatra को प्रारम्भ करने और माता के दर्शन प्राप्त कर नये साल की शुरूआत करने का मनोयोग बनाते हैं और इसी कारण वहां भारी संख्या में लोगों की तादाद देखने को मिलती हैं। ऐसे में कोई अप्रिय घटना न घटे इसके पुख्ता इंतजाम की तैयारी प्रशासन ने शुरू कर दी है।

क्या हैं प्रशासन के सुरक्षा इंतजाम?

खबर के मुताबिक तय संख्या में ही लोग अब प्रतिदिन दर्शन प्राप्त कर सकेंगे और इसके लिए उन्हें rfid कार्ड अपने साथ रखना होगा। इस व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए श्राइन बोर्ड ने प्रवेश द्वार दर्शनी ड्योढ़ी के साथ-साथ नए ताराकोट मार्ग के प्रवेश द्वार, कटरा हेलीपैड, श्री माता वैष्णो देवी रेलवे स्टेशन आदि पर सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की है जो कि श्रद्धालुओं के पास rfid कार्ड की उपस्थिति सुनिश्चित करेंगे। पिछले वर्ष Vaishno devi yatra के दौरान लोगों में भगदड़ की स्थिति देखने को मिली थी जिसके कारण इस वर्ष पहले से ही सारी तैयारियां पूरी की जा रही हैं। बताया जा रहा है कि लोगों को यह rfid कार्ड vaishno devi yatra के दौरान अपने साथ रखना होगा और वापसी के समय इसे निर्धारित स्थान या काउंटर पर वापस करना होगा। बिना कार्ड के यात्रा करने और कार्ड के वापस न करने, दोनों ही स्थितियों में श्रद्धालुओं को जुर्माने के तौर पर एक निश्चित राशि जमा करनी पड़ेगी। एवं इस कारण से उनकी यात्रा भी रद्द की जा सकती है। यह जुर्माना राशि इस समय के लिए 100 रुपये निर्धारित की गयी है। श्राइन बोर्ड प्रशासन के प्रमुख अंशुल गर्ग ने बताया कि यह व्यवस्था तत्काल प्रभाव के साथ शुरू कर दी गयी है ताकि vaishno devi yatra के दौरान कोई भी घटना न घटित हो। Rfid कार्ड के होने से भीड़ को नियंत्रित करने में आसानी होती है और भगदड़ आदि की संभावना भी कम हो जाती है जिससे श्रद्धालु बिना किसी दिक्क़त के मां वैष्णो देवी के दर्शन कर सकेंगे।
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Assam News : असम के नागांव में कड़ी सुरक्षा के बीच अतिक्रमण रोधी अभियान शुरू

Assam
Anti-encroachment drive begins amid tight security in Nagaon, Assam
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calendar19 Dec 2022 05:08 PM
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बटद्रवा (असम)। असम के नागांव जिले में वैष्णव संत श्रीमंत शंकरदेव के जन्म स्थल के समीप कड़ी सुरक्षा के बीच अतिक्रमण हटाने का सबसे बड़ा अभियान सोमवार को शुरू हुआ।

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नागांव की पुलिस अधीक्षक लीना डोले ने पत्रकारों को बताया कि संतीजन बाजार इलाके में सुबह अतिक्रमण रोधी अभियान शुरू किया गया। यह अभी तक शांतिपूर्ण रहा है। इस अभियान के लिए 600 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। एसपी ने बताया कि सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को हटाने के लिए चार गांवों में अभियान चलाया जा रहा है।

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डोले ने कहा कि संतीजन बाजार के बाद हम हैदुबी इलाके में अतिक्रमण हटाएंगे और वहां लगने वाले वक्त के अनुसार हम बाकी के दो गांवों में अभियान चलाने पर फैसला लेंगे। ढिंग राजस्व मंडल के तहत आने वाले इलाकों में अगले कुछ दिनों में 1,200 बीघा से अधिक जमीन पर कथित अतिक्रमण को हटाने का अभियान चलाया जाएगा।

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एसपी ने बताया कि इलाके में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। वरिष्ठ अधिकारियों की अगुवाई में पुलिस बल 13 दिसंबर से यहां डेरा डाले हुआ है। उन्होंने तब से यहां फ्लैग मार्च निकाले हैं। उन्होंने कहा के लोग हमारे साथ सहयोग कर रहे हैं।

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इलाके में 80 प्रतिशत से अधिक लोगों ने अपने घर, दुकानें तथा अन्य ढांचे हटा दिए हैं और यहां से चले गए हैं। जिला प्रशासन ने जमीन खाली कराने के लिए अक्टूबर में 1,000 से अधिक परिवारों नोटिस भेजे थे। प्रभावित लोगों ने सरकार से उन्हें वैकल्पिक जगह मुहैया कराने की अपील की है। पिछले विधानसभा चुनाव में यहां अतिक्रमण हटाना भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का प्रमुख चुनावी मुद्दा था।