स्मृति ईरानी के कमबैक से पहले की पूरी कहानी

Smriti Irani
Smriti Irani
locationभारत
userचेतना मंच
calendar25 Jul 2025 10:32 PM
bookmark
Smriti Irani: स्मृति जुबिन ईरानी, सास भी कभी बहू थी सीरियल की हीरोइन स्मृति ईरानी, भाजपा नेता स्मृति ईरानी, भाजपा सांसद स्मृति ईरानी, केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, रायबरेली की जॉयट किलर स्मृति ईरानी यह सारे नाम तथा उपनाम एक ही महिला के हैं। इस महिला स्मृति ईरानी (Smriti Irani) की इन दिनों खूब चर्चा हो रही है। इस चर्चा का कारण है कि स्मृति ईरानी टीवी के पर्दे पर वापसी करने वाली हैं। उनका प्रसिद्ध टीवी सीरियल कहानी घर-घर की जल्दी ही शुरू हो रहा है।

बस आने ही वाला है कहानी घर-घर की का दूसरा सीजन

एकता कपूर के सीरियल कहानी घर-घर की के कारण स्मृति ईरानी प्रसिद्ध हुई थी। वह प्रसिद्धी उन्हें भारत सरकार के मंत्री जैसे बड़े पद तक ले जा चुकी है। राजनीति से ठकुरा दिए जाने के बाद स्मृति ईरानी ने एक बार फिर टीवी के पर्दे की तरफ रूख कर लिया है। उनका प्रसिद्ध टीवी सीरियल कहानी घर-घर की 29 जुलाई 2025 से स्टार प्लस टीवी चैनल पर दिखाया जाएगा। सीरियल में टेलीकॉस्ट का समय 29 जुलाई से रात 10.30 रखा गया है। बड़ी बात यह है कि यह सीरियल जियो हॉट स्टार के OTT प्लेटफार्म पर भी दिखाया जाएगा। स्मृति ईरानी का टीवी की दुनिया में कमबैक कैसा होगा? यह सवाल तो भविष्य के गर्त में छिपा हुआ है। इतना तय है कि स्मृति ईरानी का  पूरा जीवन किसी फिल्म अथवा टीवी सीरियल की तरह से ही बहुत रोचक रहा है।

बेहद गरीबी में पली बढ़ी हैं स्मृति ईरानी

स्मृति ईरानी ने अपने जीवन में बड़ी गरीबी देखी है। हाल ही में एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में स्मृति ईरानी ने अपनी गरीबी की पूरी कहानी बताई है। इंटरव्यू में स्मृति ईरानी ने बताया कि वें दिल्ली में स्थित आरके पुरम के फ्लैट नम्बर-1246 में रहती थी। इस घर में अभी उनके जानने वाले रहते हैं। फ्लैट में उनकी मां, तीन बेटियां, नाना-नानी, दो मासियां और एक मामा रहा करते थे। एक कमरे का घर था, सब उसी में रहते थे। यहां से चलते-चलते हर दिन सेक्टर 12, आरके पुरम जाती थी। वहां पर स्वंयसेवकों का बनाया एक छोटा सा स्कूल था, टेंट वाला वहां पढ़ती थी। सामने एक पक्की दीवार वाला कॉन्वेंट स्कूल होता था, मेरी बड़ी इच्छा होती थी कि वहां पढ़ूं। लेकिन मां ने कहा था कि पैसे नहीं हैं वहां नहीं पढ़ सकती। स्मृति ने आगे बताया कि मां दिल्ली के ताज मानसिंह होटल में हाउस कीपर का काम करती थीं। ताज में एक टाटा ग्रुप में सुविधा दी थी कि जो लोग उनके यहां काम करते हैं, उनके बच्चें अगर 60 प्रतिशत लाते हैं, यानी फर्स्ट डिविजन तो उनकी स्कूली फीस दी जाती थी। तो मैंने मेरी मां से कहा था कि अगर मैं फर्स्ट डिविजन लाऊं तो आपको नहीं मिलेगी मेरी फीस। तो उन्होंने कहा कि वहां आपको एडमिशन मिलेगा कैसे? तो मैं हर दिन जाकर स्कूल के बाहर खड़ी हो जाती थी। तो वहां की नन्स परेशान हो गई थीं और मुझसे कहा कि क्या है तुम हर दिन यहां आकर खड़ी हो जाती हो। मैंने कहा कि मुझे स्कूल में दाखिला कैसे मिलेगा? तो उन्होंने कहा कि एग्जाम देना पड़ेगा। तो मैंने दिया, पास हुई और एडमिशन लिया।

अपने नाना जी का गहरा प्रभाव है स्मृति ईरानी के जीवन पर

स्मृति ने बताया कि वह आरके पुरम के उस घर में वो 6-7 साल रहीं। स्मृति बोलीं- मैं यहां से तब गई जब 13-14 साल की थी। मेरे नानाजी का देहांत हो गया था, तब मैं यहां से शिफ्ट हो गई थी। मुझे इस घर को देखकर मेरे नाना याद आते हैं। यहां से हर दिन चलकर वो सेक्टर-6 शाखा में जाते थे। स्मृति ने बताया कि उनके जीवन में नाना का बहुत इंफ्लुएंस रहा है। जहां नाना शाखा के लिए जाया करते थे आज वहां विश्व हिंदू परिषद का हेड क्वार्टर है। उन्होंने बताया कि उनके घर में कहा जाता था कि आपको सामाजिक सेवा करनी है तो संघ में कीजिए, राजनीति में जाने की क्या जरूरत है। मेरी शुरू से सोच थी कि पॉलिसी निर्धारित करने में भूमिका निभानी है। इसलिए मैंने भारतीय जनता पार्टी जॉइन की थी। स्मृति ईरानी ने इंटरव्यू में बताया कि 40 साल पहले उनके पड़ोसी के पास टेलीविजन होता था।  हमारे घर में टीवी होने की कल्पना तक नहीं थी। उन्हीं दिनों पड़ोसी की खिड़की में से टीवी देखा करती थी। उन्होंने आगे कहा कि आप सोचिए, एक वक्त होता था कि गली में एक के घर टीवी हो, तो सब देखते थे। स्मृति ने कहा कि आप पूछते हैं टेलीविजन क्यों, टीवी कितने लोगों के जीवन में क्या-क्या कर देता है। एक सीरियल आता था उड़ान, कविता चौधरी में उसमें पुलिस अफसर बनती थीं। मुझे भी रुचि थी कि मैं IPS ऑफिसर बनूंगी। लेकिन मेरे पिताजी ने कहा कि तुम्हारी फितरत नहीं है ऑर्डर लेने की। मैंने कहा ठीक है लेने की नहीं है देने वाले बन जाते हैं तो राजनीति में चली गई।

राहुल गांधी को आज भी हरा सकती हूं

एक दूसरे इंटरव्यू में स्मृति ईरानी ने दावा किया कि वे कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को आज भी हरा सकती हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि अगर राहुल गांधी 2024 में भी उनके खिलाफ कांग्रेस के उम्मीदवार होते तो वह निश्चित रूप से राहुल गांधी को हरा देती। उन्होंने कहा कि कोई समझदार उस सीट से नहीं लडऩा चाहता है जहां से हार निश्चित हो। इसीलिए राहुल अमेठी से चुनाव नहीं लड़े। राहुल गांधी पर अब आक्रामक पर क्यों नहीं रहती हैं। इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने 2024 में मेरे खिलाफ लड़ने से इनकार कर दिया था। यह भी कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर हमला करना अब उनकी जिम्मेदारी नहीं है। इस कारण वें राहुल गांधी पर कोई बात नहीं करती हैं।  
अगली खबर पढ़ें

मासूमों की मौत का जिम्मेदार कौन? बच्चों के इत्तिला करने पर भी पोहे में व्यस्त थे मास्टरजी

Jhalawar 1
Jhalawar
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 07:25 AM
bookmark
Jhalawar: राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय की छत गिरने से 7 मासूमों की दर्दनाक मौत और 27 बच्चों के घायल होने के बाद राज्य सरकार अब एक्शन मोड में आ गई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा गुरुवार दोपहर 3:30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एक आपात उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक करने जा रहे हैं। इस बैठक में राज्य के सभी जिला कलेक्टर, संभागीय आयुक्त, शिक्षा विभाग, पीडब्ल्यूडी और महिला एवं बाल विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहेंगे।

सुस्त कार्रवाई पर खड़े हुए सवाल

सूत्रों के मुताबिक बैठक में सीएम भजनलाल शर्मा जमीनी स्तर पर लापरवाही बरतने वाले अफसरों की जवाबदेही तय कर सकते हैं। यह भी संभव है कि कई अधिकारियों पर सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई हो। सरकार पूरे राज्य में सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों की बिल्डिंग्स का व्यापक ऑडिट कराने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। शिक्षा विभाग पहले ही जिलों से जर्जर भवनों की रिपोर्ट मांग चुका है लेकिन अब तक की सुस्त कार्रवाई पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

"सर पोहा खा रहे थे डांटकर क्लास में भेज दिया..."

घटनास्थल से सामने आई जानकारी दिल दहला देने वाली है। स्कूल की एक आठवीं कक्षा की छात्रा ने बताया कि हादसे से कुछ देर पहले ही क्लास की छत से कंकड़-पत्थर गिरने लगे थे। बच्चे घबराकर क्लास से बाहर आए और इकलौते मौजूद शिक्षक को इसकी जानकारी दी, लेकिन उस वक्त शिक्षक स्कूल परिसर में बाहर नाश्ता कर रहे थे। छात्रा के मुताबिक, "हमने सर को बताया तो उन्होंने डांटकर हमें वापस क्लास में भेज दिया। इसके दो-तीन मिनट बाद ही पूरी छत ढह गई।"

हादसे का जवाबदेह कौन?

हादसे ने प्रदेश में सरकारी स्कूलों की जर्जर स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या जिलों ने समय रहते रिपोर्ट दी थी? क्या शिक्षा विभाग ने कोई ठोस कदम उठाया? और आखिर इतने बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ करने के लिए कौन जिम्मेदार है? अब सबकी निगाहें मुख्यमंत्री की बैठक पर टिकी हैं जिसमें न केवल जिम्मेदारी तय होगी बल्कि भविष्य में ऐसे हादसों से बचाव के लिए पुख्ता रणनीति बनाई जा सकती है।
अगली खबर पढ़ें

पूरी तरह से कंगाल हो गया है अनिल अंबानी

Ambani 1
Anil Ambani
locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Nov 2025 04:59 PM
bookmark
Anil Ambani: अनिल अंबानी कोई छोटा मोटा नाम नहीं है। अनिल अंबानी (Anil Ambani) भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति स्व. धीरूभाई अंबानी के बेटे तथा दुनिया के टॉप-10 उद्योगपतियों में शामिल मुकेश अंबानी के भाई हैं। इतना शानदार बैकग्राउंड होने के बावजूद अनिल अंबानी पूरी तरह से कंगाल हो चुके हैं। अनिल अंबानी को भारत के प्रतिष्ठित बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने फ्रॉड उद्योगपति बताकर उसके फ्रॉड की शिकायत CBI से कर दी है।

 अर्श से फर्श पर आ गए हैं अनिल अंबानी

भारत में प्रसिद्ध मुहावरा है- ‘‘अर्श से फर्श पर’’ भारत का यह प्रसिद्ध मुहावरा अनिल अंबानी के ऊपर सटीक बैठ रहा है। इस मुहावरे का अर्थ है आसमान की ऊंचाई से जमीन पर आ जाना। यही स्थिति अनिल अंबानी के साथ हो गई है। ज्यादा पुरानी बात नहीं है वर्ष-2002 तक अनिल अंबानी का नाम भारत के टॉप उद्योगपतियों में गिना जाता था। वर्तमान में अनिल अंबानी खुद ही NCLT में जाकर बता रहे हैं कि वें दिवालिया (कंगाल) हो चुके हैं। इस बात में अब कोई शक नहीं बचा है कि अनिल अंबानी पूरी तरह से कंगाल हो चुके हैं। यह अलग बात है कि ‘‘बड़े वर्तन की खुरचन भी बड़ी होती है’’ वाली कहावत भी अनिल अंबानी के ऊपर सटीक साबित हो रही है। इस कहावत का मतलब है कि जब कोई बड़ा व्यक्ति कंगाल होता है तो उसके पास इतना धन तो बच ही जाता है जितना धन आम आदमी के पास नहीं होता है।

 मात्र 17 साल पहले 42 बिलियन डॉलर थी अनिल अंबानी की नेटवर्थ

यह ज्यादा पुरानी बात नहीं है जब अनिल अंबानी भारत के टॉप-10 अमीरों में गिने जाते थे। वर्ष-2008 की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2008 में अनिल अंबानी की नेटवर्थ 42 बिलियन डॉलर से भी अधिक की थी। वर्ष-2025 आते-आते अनिल अंबानी कंगाल हो गए हैं। कुछ दिन पहले तक अनिल अंबानी उद्योग जगत में कम बैक की कोशिश कर रहे थे। लगता है कि अब अनिल अंबानी  का कम बैक करने का सपना समाप्त हो गया है। ED ने जिस प्रकार अनिल अंबानी को चारों तरफ से घेरा उससे तो लगता है कि अनिल अंबानी का आगे का जीवन कंगाली में ही गुजरने वाला है।

बहुत दिलचस्प है अनिल अंबानी के अर्श तक जाने की यात्रा

बात अनिल अंबानी के इतिहास की करें तो बिजनस की दुनिया में अनिल अंबानी उभार 1980 के दशक में शुरू हुआ, जब उनके पिता धीरूभाई अंबानी को 1986 में स्ट्रोक हुआ था। अनिल ने रिलायंस के वित्तीय लेन-देन के डे-टु-डे मैनेजमेंट को संभाला। साल 2002 में धीरूभाई की मृत्यु के बाद अनिल और उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी ने संयुक्त रूप से रिलायंस का नेतृत्व किया। हालांकि 2005 में कंट्रोल को लेकर विवादों के कारण भाइयों के बीच विभाजन हो गया। मुकेश के हिस्से में तेल और पेट्रोकेमिकल बिजनस आया जबकि अनिल को टेलिकॉम, पावर और फाइनेंशियल सर्विसेज जैसे नए वेंचर मिले। अनिल अंबानी के इन्फ्रा, रक्षा और मनोरंजन सहित विभिन्न क्षेत्रों में एंट्री मारी लेकिन उन्हें सीमित सफलता मिली। फिर आया वह समय जब अनिल अंबानी फर्श की तरफ गिरते चले गए। उनको फर्श पर गिराने का सबसे बड़ा श्रेय उत्तर प्रदेश के दादरी में लगाए जाने वाले उनके पॉवर प्रोजेक्ट को जाता है। यहां आप विस्तार से पढ़ सकते हैं कि कैसे बर्बाद हुए अनिल अंबानी।

उत्तर प्रदेश के दादरी से शुरू हुई अनिल अंबानी की बर्बादी