Political News : भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने महाराष्ट्र के राज्यपाल से मुलाकात की

Swami
BJP leader Subramanian Swamy met the Governor of Maharashtra
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 04:26 PM
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मुंबई। राज्यसभा के पूर्व सदस्य और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने रविवार को यहां राजभवन में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की। राजभवन ने एक बयान में कहा कि यह शिष्टाचार मुलाकात थी।

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इस मुलाकात से एक दिन पहले विपक्षी महाविकास आघाड़ी (एमवीए) के घटक दलों और अन्य दलों ने छत्रपति शिवाजी महाराज तथा समाज सुधारक महात्मा फुले एवं सावित्रिबाई फुले का ‘अपमान’ करने को लेकर कोश्यारी को पद से हटाने की मांग करते हुए एकनाथ शिंदे-भाजपा सरकार के खिलाफ मुंबई में ‘हल्ला बोल’ मार्च निकाला था। एमवीए में शिवसेना (उद्धव ठाकरे समूह), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस शामिल है।

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यह बैठक इसलिए मायने रखती है कि स्वामी ने पहले सोलापुर जिले की मंदिर नगरी पंढरपुर में एक गलियारा (कॉरिडोर) बनाने की महाराष्ट्र सरकार की योजना का कथित रूप से विरोध किया था। सरकार ने काशी विश्वनाथ परियोजना की तर्ज पर विठ्ठल और रुक्मिणी मंदिर के आसपास कॉरिडोर निर्मित करने का प्रस्ताव किया है। हालांकि, इस परियोजना के लिए शहर में कुछ धार्मिक व आवासीय ढांचों को ध्वस्त करने की जरूरत है, जिसका कुछ वर्ग विरोध कर रहा है।

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पंढरपुर मंदिर में सालाना लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं, जिसके चलते सरकारी मशीनरी और पुलिस बल पर काफी दबाव पड़ता है। कॉरीडोर का उद्देश्य श्रद्धालुओं को सुविधा उपलब्ध कराना है।
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MP Political News : कांग्रेस ने एमपी में सत्ता में आने पर कृषि ऋण माफी योजना को फिर से लाने का वादा किया

Kamalnath
कमलनाथ की छुट्टी हुई
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 02:14 AM
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भोपाल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने वादा किया है कि पार्टी अगर राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज कर सत्ता में लौटती है तो वह कृषि ऋण माफी योजना को फिर से शुरू करेगी, जिसे उसने 2018 में सरकार गठन के बाद लागू किया था। पार्टी की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि अगर उनकी पार्टी की सरकार होती तो राज्य के हर किसान का कृषि ऋण अब तक चुका दिया गया होता।

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पिछले विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पार्टी के सत्ता में आने पर राज्य में कृषि ऋण माफी योजना लागू करने का वादा किया था। पार्टी ने अपना वादा पूरा भी किया था, क्योंकि कमलनाथ ने दिसंबर 2018 में मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के तुरंत बाद दो लाख रुपये तक के ऋण माफ करने की फाइल पर हस्ताक्षर किए थे। माना जाता है कि पार्टी की जीत के प्रमुख कारणों में कृषि ऋण माफी का वादा भी शामिल था।

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कमलनाथ ने जिस दिन (17 दिसंबर 2018) मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, उसी दिन जारी ऋण माफी योजना के आदेश को साझा करते हुए उन्होंने ट्वीट किया था, ‘इस दिन (17 दिसंबर) राज्य के किसानों की कर्जमाफी का आदेश जारी किया गया था। अगर अभी लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई कांग्रेस सरकार होती तो अब तक राज्य के एक-एक किसान का कर्ज माफ हो गया होता।’ कमलनाथ ने आश्वासन दिया कि राज्य में कांग्रेस की वापसी होने पर किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है। अगले साल कांग्रेस की सरकार बनते ही यह आदेश दोबारा लागू होगा और एक-एक किसान भाई का कर्ज माफ किया जाएगा।

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कमलनाथ के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस घोषणा को ‘धोखाधड़ी’ करार दिया। मिश्रा मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के प्रवक्ता भी हैं। उन्होंने कहा कि एक भी किसान को दो लाख रुपये तक की कृषि ऋण माफी का लाभ नहीं मिला, जैसा कि (कमननाथ द्वारा पोस्ट) आदेश में कहा गया है। यह धोखा है। यह ट्वीट किसानों के घावों पर नमक छिड़क रहा है, जो इस वादे के कारण ‘डिफॉल्टर’ हो गए हैं।

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पंद्रह साल तक सत्ता में रहने के बाद भाजपा मध्य प्रदेश में 2018 का विधानसभा चुनाव हार गई थी। इसके बाद कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस ने निर्दलीय, समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायकों की मदद से राज्य में सरकार बनाई थी। हालांकि, ज्योतिरादित्य सिंधिया के वफादार दो दर्जन कांग्रेस विधायकों के विद्रोह करने और कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने से मार्च 2020 में कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई थी। इसके बाद राज्य में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में एक बार फिर भाजपा की सरकार बनी थी।
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Political News : एससी-एसटी आरक्षण अध्यादेश की जगह लेने के लिए विधेयक विस में पेश किया जाएगा : बोम्मई

Bomai
Bill to replace SC-ST reservation ordinance to be introduced in Vidhan Sabha: Bommai
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 01:22 AM
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हुब्बली (कर्नाटक)। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि अनुसूचित जाति (एससी) एवं अनुसूचित जनजाति (एसटी) आरक्षण अध्यादेश का स्थान लेने के लिए एक विधेयक को सोमवार से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा। बोम्मई ने रविवार को कहा कि बेलगावी के सवर्ण विधान सौद में होने वाले विधानसभा सत्र में अन्य विधेयक भी पेश किए जाएंगे।

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मुख्यमंत्री ने यहां संवाददाताओं से कहा कि सत्र के दौरान उत्तरी कर्नाटक से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी। राज्य सरकार ने पहले अध्यादेश के जरिए अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 17 फीसदी और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण तीन प्रतिशत से बढ़ाकर सात फीसदी कर दिया था।

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राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने इस अध्यादेश को मंजूरी दे दी थी। अब, राज्य सरकार अपने फैसले को अधिक वैधता देने के लिए विधेयक पेश करना चाहती है।

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मंगलुरु कुकर विस्फोट को लेकर विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धरमैया द्वारा दिए गए बयान के संबंध में बोम्मई ने कहा कि विपक्ष के नेता को कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी के शिवकुमार के बयान को पढ़ना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे (कांग्रेस नेता) बहुत स्पष्ट रूप से कहते रहे हैं कि प्रेशर कुकर विस्फोट महज एक दुर्घटना थी। मैं सिद्धरमैया से कहना चाहता हूं कि उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार का पूरा बयान पढ़ना चाहिए और फिर इस तरह से प्रतिक्रिया दें जो उनकी गरिमा के अनुरूप हो।

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बेलगावी में सीमा विवाद पर महाराष्ट्र एकीकरण समिति (एमईएस) के आंदोलन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि संगठन पिछले 50 वर्षों से इस तरह की चीजों में शामिल है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जानती है कि समूह को कैसे नियंत्रित करना है और वह वही कर रही है। एमईएस मराठी भाषा बेलगावी का महाराष्ट्र में विलय करने के लिए आंदोलन चलाने वाला एक दवाब समूह है।