क्या Asperger's Syndrome ने बनाया बिल गेट्स को जीनियस? जानिए इस रहस्यमयी सिंड्रोम के बारे में!

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calendar01 Dec 2025 09:08 PM
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अंतर्राष्ट्रीय न्यूज: दुनिया के सबसे सफल उद्यमियों में से एक, माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स को लेकर हाल ही में एक बड़ा खुलासा हुआ है। उनकी बेटी फोएबी गेट्स ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि उनके पिता को Asperger’s Syndrome है — एक ऐसी न्यूरोलॉजिकल स्थिति, जो आम सोच से अलग तरीकों से सोचने और व्यवहार करने से जुड़ी होती है। फोएबी ने पॉडकास्ट 'Call Her Daddy' में बातचीत के दौरान कहा कि बिल गेट्स का सामाजिक व्यवहार सामान्य से थोड़ा अलग है, लेकिन यही बात उन्हें खास भी बनाती है। उन्होंने बताया कि कई बार उनके बॉयफ्रेंड्स को बिल गेट्स से मिलना थोड़ा डरावना लगता था, लेकिन वह इसे एक मज़ेदार अनुभव मानती हैं।

खुद बिल गेट्स भी कर चुके हैं इशारा:

बिल गेट्स ने अपनी हालिया किताब "Source Code: My Beginnings" में खुद लिखा है कि अगर वह आज के दौर में बड़े हो रहे होते, तो संभवतः उन्हें ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) के अंतर्गत Asperger's Syndrome का निदान मिलता। उन्होंने बताया कि बचपन में उन्हें सामाजिक संकेतों को समझने में कठिनाई होती थी और वह विशेष विषयों में अत्यधिक रुचि लेते थे, जो इस सिंड्रोम के प्रमुख लक्षणों में आते हैं।

क्या होता है Asperger’s Syndrome?

Asperger’s Syndrome, जिसे अब अक्सर Autism Spectrum Disorder (ASD) का हिस्सा माना जाता है, एक न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर है। यह मस्तिष्क के विकास से जुड़ी वह स्थिति है, जिसमें व्यक्ति की सोचने, समझने और सामाजिक रूप से संवाद करने की शैली सामान्य से भिन्न होती है।

Asperger’s Syndrome के मुख्य लक्षण:

सोशली इंवॉल्व होने में दिक्कत भावनात्मक संकेतों को समझने में परेशानी सीमित और दोहराव वाली रुचियां या गतिविधियां किसी एक विषय पर सामान्य से अधिक फोकस  भाषा का औपचारिक या असामान्य प्रयोग

क्यों खास हैं Asperger’s Syndrome से ग्रसित लोग?

Asperger’s से पीड़ित व्यक्ति आमतौर पर औसत या उससे अधिक IQ के होते हैं और किसी खास क्षेत्र में असाधारण विशेषज्ञता विकसित कर सकते हैं। कई वैज्ञानिक, गणितज्ञ, और तकनीकी विशेषज्ञ इस स्पेक्ट्रम का हिस्सा रहे हैं। यही कारण है कि कई लोग मानते हैं कि इस सिंड्रोम ने बिल गेट्स की सोचने की क्षमता को एक नई दिशा दी।

समाज में सोच बदलने की ज़रूरत

बिल गेट्स जैसे प्रभावशाली शख्स का इस स्थिति के बारे में खुलकर बात करना समाज में न्यूरोडाइवर्सिटी को समझने और स्वीकारने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि असामान्य व्यवहार जरूरी नहीं कि कमजोरी हो — वह किसी की सबसे बड़ी ताकत भी बन सकती है। बिल गेट्स की सफलता के पीछे उनका अलग तरह से सोचना और दुनिया को देखने का विशेष नजरिया भी एक कारण हो सकता है। Asperger's Syndrome को केवल एक बीमारी न मानकर, अगर उसे समझा जाए तो यह हमें कई असाधारण दिमागों को पहचानने और सहयोग देने का अवसर दे सकता है। America : जेडी वेंस का संदेश : आतंक के जवाब में भारत रखे संयम
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अमेरिका छोड़ सकता है NATO का साथ, UN से भी हो रहा मोहभंग

Nato
America's Displeasure
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calendar04 Mar 2025 09:25 PM
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America's Displeasure : अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति ट्रंप चुनाव जीतने के पहले भी NATO और UN को छोड़ने की बात करते रहे हैं। अब जब NATO में शामिल उनके सहयोगी देश उनकी यूक्रेन से नाराजगी के वक्त उनका साथ नहीं दे रहे तब ये लगभग निश्चित है कि अमेरिका NATO का साथ छोड़ सकता है। अब उनकी NATO छोड़ने की बात का एलन मस्क भी समर्थन कर रहे हैं। कुल मिलाकर, अमेरिका के NATO और UN से हटने का असर न केवल यूरोप और संयुक्त राष्ट्र पर पड़ेगा, बल्कि खुद अमेरिका के वैश्विक प्रभुत्व को भी कमजोर करेगा। यहां मूल रूप से तीन बड़े प्रभाव सामने आते हैं जिनकी पड़ताल हम कर रहे हैं।

1. नाटो (NATO) के लिए अमेरिका का बाहर होना

- यूरोप की सुरक्षा पर गहरा असर पड़ेगा, क्योंकि अमेरिका NATO के कुल रक्षा खर्च का दो-तिहाई योगदान देता है। - अमेरिका की परमाणु सुरक्षा छत्रछाया खत्म हो जाएगी, जिससे यूरोप को अपने रक्षा खर्च को बढ़ाना पड़ेगा। - रूस की बढ़ती आक्रामकता के सामने यूरोप कमजोर हो सकता है, खासकर अगर अमेरिका यूक्रेन को समर्थन देना बंद कर दे। - अमेरिकी सैनिकों की वापसी के कारण यूरोप को अपनी सुरक्षा रणनीति बदलनी पड़ेगी।

2. संयुक्त राष्ट्र (UN) के लिए असर

- अमेरिका UN का सबसे बड़ा योगदानकर्ता है। उसके हटने से यूएन की कई एजेंसियां वित्तीय संकट में आ जाएंगी। - सुरक्षा परिषद में अमेरिका की गैरमौजूदगी चीन को मजबूत कर सकती है, जिससे वैश्विक राजनीति में चीन का प्रभाव बढ़ेगा। - अमेरिका का अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक प्रभाव घट सकता है और वैश्विक निर्णयों पर उसका नियंत्रण कमजोर पड़ सकता है।

3. अमेरिका को खुद क्या नुकसान होगा

- यूरोप में अपने सैन्य अड्डों की पहुंच खो सकता है, जिससे उसकी वैश्विक सैन्य शक्ति पर असर पड़ेगा। - उसकी विदेश नीति का प्रभाव सीमित हो जाएगा, जिससे चीन और रूस जैसी ताकतों को दुनिया में बढ़त मिल सकती है। - कई अफ्रीकी और पश्चिम एशियाई देश अमेरिका की जगह चीन और रूस के करीब आ सकते हैं, जिससे अमेरिका की भू-राजनीतिक स्थिति कमजोर हो सकती है।

इजराइल ने कहा-भारत, हमास को आतंकी संगठन घोषित करने पर विचार करे

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अमेरिका तक पहुंचा अरविंद केजरीवाल का मामला, आया अमेरिका का बयान

Kejariwal
USA News
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calendar26 Mar 2024 08:20 PM
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USA News : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है । अब अरविंद केजरीवाल का मामला अमेरिका USA तक पहुंच गया है । अमेरिका की सरकार ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर बाकायदा आधिकारिक बयान जारी किया है।  सबको पता है कि भारत की राजनीति में अमेरिका की हमेशा दिलचस्पी रही है। अमेरिका में अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की खूब चर्चा हो रही है।  अमेरिका से पहले जर्मनी से भी अरविंद केजरीवाल के मामले में प्रतिक्रिया आ चुकी है।

 अमेरिका से आई प्रतिक्रिया:

दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अमेरिका USA की आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने आई है । अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि हम मुख्यमंत्री केजरीवाल के निष्पक्ष, पारदर्शी और समयबद्ध कानूनी प्रक्रिया की उम्मीद करते हैं. दरअसल केजरीवाल की गिरफ्तारी पर जर्मनी के बयान के बाद भारत ने जर्मनी के राजदूत को तलब कर कड़ी नाराजगी जताई थी. इस घटनाक्रम के बाद ही अमेरिका की इस मामले पर प्रतिक्रिया आई है. केजरीवाल की गिरफ्तारी पर जर्मनी के विरोध पर भारत की आपत्ति के बारे में पूछने पर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि इसके लिए आपको जर्मनी के विदेश मंत्रालय से बात करनी होगी कि उनकी भारत सरकार के साथ क्या बातचीत रही.

 जर्मनी ने भी दी प्रतिक्रिया

USA News शराब घोटाले में केजरीवाल की गिरफ्तारी पर जर्मनी ने कहा था कि इस मामले में पूरी कार्रवाई निष्पक्ष होनी चाहिए और सीएम केजरीवाल को बिना किसी प्रतिबंध के कानूनी रास्ते अपनाने का हक मिलना चाहिए. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कानून के शासन और मूलभूत सिद्धांत पर भी जोर दिया था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सेबेस्टियन फिशर से जब केजरीवाल के मामले के पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि हमने संज्ञान लिया है. भारत एक लोकतांत्रिक देश है. हम मानते हैं और उम्मीद करते हैं कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और बुनियादी लोकतांत्रिक सिद्धांतों से संबंधित मानक इस मामले में भी लागू किए जाएंगे. केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर किए गए जर्मनी के कमेंट पर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया था. भारत ने जर्मनी के राजदूत को तलब करते हुए अपनी कड़ी नाराजगी व्यक्त की थी. जर्मन मिशन के डिप्टी चीफ जॉर्ज एनजवीलर को बुलाकर अपना कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए कहा था कि जर्मनी की टिप्पणी भारत के आंतरिक मामले में अनुचित हस्तक्षेप है।USA News

केजरीवाल ने जारी किया दूसरा निर्देश, जेल के अंदर से ही चला रहे सरकार