Uttarakhand Budget : सरकार ने पेश किया 77,407.08 करोड़ रुपये का बजट




Badrinath Yatra : गोपेश्वर। इस साल बदरीनाथ जाने वाले व्यवसायिक हेलिकॉप्टरों से ईको- विकास शुल्क लिया जायेगा। यह शुल्क बदरीनाथ नगर पंचायत हेलिकॉप्टर के हर फेरे से वसूल करेगी। बदरीनाथ नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी सुनील पुरोहित ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि इसके लिए नियमों को संशोधित किया जा रहा है।
इसके साथ ही वाहन से आने वाले यात्रियों को अपना कूड़ा साथ में वापस लाने के लिए 'गार्बेज बैग' भी उपलब्ध कराए जाएंगे । जो वाहन इन ‘गार्बेज बैगों’ को नगर पंचायत को लौटाएंगे, उन्हें शुल्क के लिए काटे गए धन से बीस रुपये वापस किए जाएंगे।
पुरोहित ने बताया कि बदरीनाथ जाने वाले हेलिकॉप्टरों से हर व्यावसायिक फेरे से एक हजार रुपये की राशि ईको विकास शुल्क के रूप में ली जाएगी। इसके लिए नगर पंचायत ने अपने नियमों को संशोधित करने की कार्रवाई शुरू कर दी है ।
उन्होंने बताया कि बदरीनाथ नगर पंचायत की ओर से ईको विकास शुल्क का संग्रह तीन साल पहले 2020 में शुरू किया गया था जिसके तहत बदरीनाथ जाने वाले यात्रियों के वाहनों से अलग अलग श्रेणी में ईको शुल्क लिया जा रहा था।
पुरोहित ने बताया कि इस साल से जहां सड़क मार्ग से आने वाले यात्रियों के वाहनों से पूर्व में लिए जा रहे ईको शुल्क में 20 रुपये की बढोत्तरी कर दी गयी है वहीं हेलीकॉप्टरों से भी एक हजार रुपए शुल्क लेने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने बताया कि वाहनों से अतिरिक्त रूप से लिए जाने वाले यह बीस रुपए रिफंडेबल होंगे जो वापसी में चैक पोस्ट पर कूड़े का बैग लौटाने पर यात्रियों को वापस कर दिए जाएंगे।
अधिकारी ने बताया कि गार्बेज बैग देने का मकसद वाहनों के कारण बद्रीनाथ में फैलने वाली गंदगी को नियंत्रित करना और कूड़ा फैलाने की प्रवृत्ति पर रोक लगाना है।
Badrinath Yatra : गोपेश्वर। इस साल बदरीनाथ जाने वाले व्यवसायिक हेलिकॉप्टरों से ईको- विकास शुल्क लिया जायेगा। यह शुल्क बदरीनाथ नगर पंचायत हेलिकॉप्टर के हर फेरे से वसूल करेगी। बदरीनाथ नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी सुनील पुरोहित ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि इसके लिए नियमों को संशोधित किया जा रहा है।
इसके साथ ही वाहन से आने वाले यात्रियों को अपना कूड़ा साथ में वापस लाने के लिए 'गार्बेज बैग' भी उपलब्ध कराए जाएंगे । जो वाहन इन ‘गार्बेज बैगों’ को नगर पंचायत को लौटाएंगे, उन्हें शुल्क के लिए काटे गए धन से बीस रुपये वापस किए जाएंगे।
पुरोहित ने बताया कि बदरीनाथ जाने वाले हेलिकॉप्टरों से हर व्यावसायिक फेरे से एक हजार रुपये की राशि ईको विकास शुल्क के रूप में ली जाएगी। इसके लिए नगर पंचायत ने अपने नियमों को संशोधित करने की कार्रवाई शुरू कर दी है ।
उन्होंने बताया कि बदरीनाथ नगर पंचायत की ओर से ईको विकास शुल्क का संग्रह तीन साल पहले 2020 में शुरू किया गया था जिसके तहत बदरीनाथ जाने वाले यात्रियों के वाहनों से अलग अलग श्रेणी में ईको शुल्क लिया जा रहा था।
पुरोहित ने बताया कि इस साल से जहां सड़क मार्ग से आने वाले यात्रियों के वाहनों से पूर्व में लिए जा रहे ईको शुल्क में 20 रुपये की बढोत्तरी कर दी गयी है वहीं हेलीकॉप्टरों से भी एक हजार रुपए शुल्क लेने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने बताया कि वाहनों से अतिरिक्त रूप से लिए जाने वाले यह बीस रुपए रिफंडेबल होंगे जो वापसी में चैक पोस्ट पर कूड़े का बैग लौटाने पर यात्रियों को वापस कर दिए जाएंगे।
अधिकारी ने बताया कि गार्बेज बैग देने का मकसद वाहनों के कारण बद्रीनाथ में फैलने वाली गंदगी को नियंत्रित करना और कूड़ा फैलाने की प्रवृत्ति पर रोक लगाना है।

Uttrakhand News: अल्मोडा (उत्तराखंड): कहते हैं कि बेटियां पिता की लाडली होती है। ऐसे में अगर वही बेटियां अपने पिता की अर्थी को कंधा दे तो आसमां भी रो पड़ता है। लेकिन ऐसा हुआ है। वर्षों से चली आ रही रूढ़िवादी परपंरा को तोड़ते हुए उत्तराखंड के अल्मोड़ा में तीन बेटियों ने अपने पिता की अर्थी को कंधा देकर सबको रूला दिया। इसके बाद बाद श्मशान घाट पर चिता को मुखाग्नि भी दी। पूरा नजारा देख हर किसी की आंख नम हो गई।
जानकारी के अनुसार, अल्मोड़ा के रानीधारा निवासी एसबीआई से प्रबंधक पद से रिटायर्ड हुए बसंत बल्लभ पांडे की 85 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था। बताया जा रहा है कि उनके पुत्र अधिवक्ता और पत्रकार दिनेश पांडे का कुछ समय पहले निधन हो गया था। ऐसे में कंधा देने और चिता का मुखाग्नि देने की बात आयी तो उनकी तीनों बेटियां सुनीता, भावना और भारती आगे आयी। तीनों बहनों ने अपने दिवंगत पिता की अर्थी को कंधा दिया।
शव यात्रा के साथ तीनों बहनें विश्वनाथ श्मशान घाट पहुंचीं और पिता की चिता को मुखाग्नि दी। इन बेटियों वर्षों से चली आ रही रूढ़िवादी सोच को तोड़ा है। सुनीता पांडे ने कहा कि बेटियां भी किसी से कम नहीं होती हैं। उन्होंने अपने पिता का अंतिम संस्कार कर फर्ज निभाया है। बेटियों के आगे आने से समाज की रूढ़िवादी सोच आने वाले समय में खत्म होगी।
Uttrakhand News: अल्मोडा (उत्तराखंड): कहते हैं कि बेटियां पिता की लाडली होती है। ऐसे में अगर वही बेटियां अपने पिता की अर्थी को कंधा दे तो आसमां भी रो पड़ता है। लेकिन ऐसा हुआ है। वर्षों से चली आ रही रूढ़िवादी परपंरा को तोड़ते हुए उत्तराखंड के अल्मोड़ा में तीन बेटियों ने अपने पिता की अर्थी को कंधा देकर सबको रूला दिया। इसके बाद बाद श्मशान घाट पर चिता को मुखाग्नि भी दी। पूरा नजारा देख हर किसी की आंख नम हो गई।
जानकारी के अनुसार, अल्मोड़ा के रानीधारा निवासी एसबीआई से प्रबंधक पद से रिटायर्ड हुए बसंत बल्लभ पांडे की 85 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था। बताया जा रहा है कि उनके पुत्र अधिवक्ता और पत्रकार दिनेश पांडे का कुछ समय पहले निधन हो गया था। ऐसे में कंधा देने और चिता का मुखाग्नि देने की बात आयी तो उनकी तीनों बेटियां सुनीता, भावना और भारती आगे आयी। तीनों बहनों ने अपने दिवंगत पिता की अर्थी को कंधा दिया।
शव यात्रा के साथ तीनों बहनें विश्वनाथ श्मशान घाट पहुंचीं और पिता की चिता को मुखाग्नि दी। इन बेटियों वर्षों से चली आ रही रूढ़िवादी सोच को तोड़ा है। सुनीता पांडे ने कहा कि बेटियां भी किसी से कम नहीं होती हैं। उन्होंने अपने पिता का अंतिम संस्कार कर फर्ज निभाया है। बेटियों के आगे आने से समाज की रूढ़िवादी सोच आने वाले समय में खत्म होगी।