बुजुर्गों के साथ हो रहे अत्याचार के मामले में यूपी अव्वल

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar24 Nov 2025 11:53 PM
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राष्ट्रीय ब्यूरो। रामराज्य की परिकल्पना वाला सूबा उत्तरप्रदेश बुजुर्गों के साथ अत्याचार के मामले  में पूरे देश में अव्वल है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा साझा किए गए आंकड़े बताते हैं कि बीते मई माह से सरकारी हेल्पलाइन सुविधा ‘एल्डरलाइन’  के जरिए मदद मांगने के लिए उत्तरप्रदेश से 79  हजार से ज्यादा फोन कॉल आए।

टाटा ट्रस्ट के सहयोग से बुजुर्ग लोगों की सहायता के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा शुरू की गई राष्ट्रीय हेल्पलाइन के आंकड़े बताते हैं कि मई माह से कुल 3.39 लाख से अधिक फोन आए। जिसमें 79 हजार से अधिक फोन कॉल अकेले उत्तरप्रदेश से रहे। वहीं दूसरे स्थान पर पड़ोसी राज्य उत्तराखंड रहा जहां 54,432 फोन कॉल आए। इसके अलावा तेलंगाना से 42,610,तमिलनाडु से 27,708 और कर्नाटक से 22,711 कॉल आए। आंकड़ो के मुताबिक महिलाओं की तुलना में पुरुषों ने ज्यादा मदद मांगी। मंत्रालय के मुताबिक जिन कारणों से बुजुर्गों ने हेल्पलाइन के जरिए संपर्क किया,उनमें कोविड सहायता 13,496,पेंशन 8,952,दुर्व्यवहार1,890, स्वास्थ्य संबंधी सहायता 1,202,बचाव 423 और वृद्धाश्रमों से जुड़े 623 मामले मामले शामिल रहे। हालांकि मंत्रालय ने कहाकि जो भी कॉल आए  उनमें से 3,02,195 कॉल सेवा योग्य नहीं थी।

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डेंगू और मलेरिया के कहर से कराह रहा देश

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Ghaziabad News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar04 Oct 2021 10:51 AM
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नई दिल्ली। जैसे-जैसे कोरोना का कहर थम रहा है वैसे-वैसे डेंगू और मलेरिया पांव पसारता जा रहा है। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश, बंगाल से डेंगू और मलेरिया के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। यूपी के ज्यादातर जिलों में लगभग हर दिन मामले दर्ज किए जा रहे हैं। जिला प्रशासन इसके लिए लगातार प्रभावी कदम उठा रहा है। इसके लिए प्रशासन आस-पास के इलाकों में गंदे नालों की साफ-सफाई करवा रहा है ताकि मच्छर ना पनप पाएं। उत्तर प्रदेश के मथुरा और फिरोजाबाद के अलावा बरेली, कानपुर, प्रयागराज और गाजियाबाद से भी इस तरह के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। प्रदेश में पिछले एक महीने के दौरान डेंगू के चलते कई लोग अपनी जांन गवां चुके हैं जिनमें बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।

बरेली में डेंगू और मलेरिया का कहर : पिछले एक सप्ताह के दौरान बरेली में डेंगू के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। शनिवार को यहां डेंगू के पांच मरीज मिले हैं। इसके साथ ही मरीजों का कुल आंकड़ा 64 तक पहुंच गया है, वहीं तीन मरीजों की इलाज के दौरान मौत हो गई है। इसके अलावा मलेरिया के केस भी बढ़ रहे हैं। शनिवार को 487 लोगों की जांच की गई, जिसमें से छह में मलेरिया की पुष्टि हुई। मलेरिया और वायरल फीवर की चपेट में फतेहाबाद भी : फतेहाबाद में भी डेंगू और मलेरिया के मामलों में लगातार तेजी देखी जा रही है। नागरिक अस्पतालों और निजी अस्पतालों दोनों जगह मरीजों की संख्या बढ़ रही है। शनिवार देर शाम को यहां डेंगू के दो नए मरीज मिले हैं। जिले में अब डेंगू के इस साल 26 केस, मलेरिया के 2 व चिकनगुनियां के 5 केस आए हैं।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ : विशेषज्ञों का कहना है कि डेंगू ऐसी बीमारी है जो किसी को भी हो सकती है। लेकिन इस बार इससे बच्चे ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं। कारण यह है कि बच्चों का प्रतिरक्षा तंत्र वयस्कों के मुकाबले कमजोर होता है। उनका मानना है कि लॉकडाउन खुलने के बाद बड़ी संख्या में बच्चे बाहर आ रहे हैं और बाहर का दूषित खाना और गंदा पानी पी रहे हैं। यही कारण है कि उनमें संक्रमण का खतरा भी सबसे ज्यादा है।

मानसून के बाद तेजी से फैलता है वायरल फीवर : विशेषज्ञों का मनना है कि मानसून के बाद कई जगहों पर पानी का जमाव हो जाता है। ऐसे में डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया जैसे रोग तेजी से फैलते हैं। इससे बचने के लिए घर पर पानी का जमाव न होने दें और जहां पर भी पानी जमा जमा होता है उसे हर रोज बदलते रहें। क्या हैं लक्षण : तेज बुखार के साथ शरीर और पेट दर्द होना ये लक्षण डेंगू या अन्य मच्छर जनित बीमारियां होने की संभावना की ओर इशारा करते हैं। इसके अलावा भूख न लगना, शरीर पर चकत्ते पड़ना भी इसके संकेत हैं।

शरीर में पानी की न होने दें कमी डॉक्टरों का कहना है कि अगर किसी में डेंगू के लक्षण दिखते हैं तो उसे पानी ज्यादा पीना चाहिए। शरीर में पानी की कमी होने से समस्या बढ़ सकती है। हालांकि, अगर किसी में ज्यादा लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो उसे सीधे डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

दिसंबर तक और बढ़ सकता है डेंगू का खतरा  आम तौर पर डेंगू या मच्छर जनित बीमारी जुलाई और नंवबर के बीच फैलती हैं। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार मानसून के देर से विदा होने की संभावना के बीच बीमारी का खतरा भी दिसंबर तक यह बढ़ सकता है।

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'स्वच्छ भारत' का सपना हो सकता है साकार

Swachhta Abhiyan
locationभारत
userचेतना मंच
calendar04 Oct 2021 10:38 AM
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विनय संकोची

'स्वच्छ भारत अभियान' के तहत भारत कितना साफ हुआ, यह जानने की जिज्ञासा प्रत्येक जागरूक और सफाई पसंद भारतीय को रहती है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस महत्वाकांक्षी अभियान के तहत बहुत काम हुआ है, लेकिन अभी बहुत कम होना बाकी है। ...और बाकी सब कामों से ज्यादा जरूरी है नागरिकों में जागरूकता लाना। होर्डिंग, पोस्टर, अखबारी विज्ञापनों से लोगों में जागरूकता का भाव तो आता है, लेकिन यह भाव जब तक आदत में शामिल ना हो जाए तब तक सुधार की संभावना कम ही रहती है।

स्वच्छ भारत अभियान में काम भी हुआ, काम का प्रचार भी हुआ और इसी के साथ भ्रष्टाचार भी हुआ। उदाहरण के तौर पर पूरे देश से इस तरह की लाखों शिकायतें आईं कि गांव-गांव शौचालय बनवाने में खूब भ्रष्टाचार हुआ। खाली गड्ढे खोदकर उन्हें पूर्ण शौचालय के खाते में चढ़ा दिया गया। कुछ झूठ सरकारी स्तर पर भी परोसा गया, जिन ग्रामों को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया गया, उनमें से या तो हर घर में शौचालय बने ही नहीं थे या फिर शौचालय बने थे तो तमाम ग्रामीण उनका इस्तेमाल ही नहीं कर रहे थे।

आम आदमी जब अपने आसपास बजबजाते सीवर, सड़कों पर उतरा भरे हुए नालों के बदबूदार पानी, यहां वहां सड़कों के किनारे गलियों और सर्विस लेन में पड़ा कूड़ा करकट, पान और गुटखा थूकते लोग देखता है तो उसे लगता नहीं है कि स्वच्छता अभियान चल भी रहा है या नहीं। सार्वजनिक शौचालयों में आदमी नाक बंद करके भी भयंकर बदबू महसूस करता है और जब सरकार बताती है कि शौचालयों की रोजाना सफाई होती है तो कोई मुक्तभोगी यकीन कैसे कर सकता है।

इस अभियान में कोई कमी नहीं है। सरकार की अभियान के प्रति गंभीरता को लेकर भी कोई प्रश्न नहीं है। फिर कमी कहां है, यह खोज और जांच का विषय है। अभियान जारी है और अधिकारी काम करने के साथ आंकड़ों से भी सफाई का काम कर रहे हैं। लोग सफाई के बारे में बातें करते हैं और सभी को साफ सुथरी जगह पर रहना पसंद होता है। लोगों को उन कुछ देशों के बारे में बताकर जागरूकता लाई जा सकती है जो दुनिया में सबसे ज्यादा साफ माने जाते हैं।

आइसलैंड दुनिया का सबसे ज्यादा साफ देश है यहां वायु प्रदूषण न के बराबर है। आइसलैंड के बाद स्वीडन का नंबर आता है। जहां हरियाली बढ़ाकर पर्यावरण को साफ किया गया है। स्विट्जरलैंड सबसे साफ सुथरे देशों में तीसरे नंबर पर है। नार्वे इस लिस्ट में चौथे नंबर पर जरूर है लेकिन यह दुनिया का इकलौता देश है जिसमें वनों की कटाई पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा है और जिसने 2025 तक पेट्रोल डीजल कारों पर पूरी तरह पाबंदी का लक्ष्य बनाया हुआ है। इसके बाद मॉरिशस आता है, यह पर्यावरण की रक्षा को लेकर बेहद समर्पित है। छठे पायदान पर कोस्टारिका है। सातवें नंबर पर फ्रांस का नाम आता है। यहां के लोग साफ सफाई के प्रति बेहद जागरूक हैं और पर्यावरण संरक्षण के लिए पूरी तरह समर्पित हैं। इस लिस्ट में ऑस्ट्रिया आठवें स्थान पर है। क्यूबा का नाम नौवें नंबर पर होना यह जाहिर करता है कि सफाई और पर्यावरण के संरक्षण के लिए विकसित अर्थव्यवस्था कतई अनिवार्य नहीं है।

सरकारी तंत्र की भ्रष्टाचार मुक्त इच्छाशक्ति और हर भारतीय की सफाई और पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता व गंभीरता भारत को दुनिया के स्वच्छतम देशों की लिस्ट में ला सकती है, इसमें संदेह का कोई कारण नहीं है।