National News : छत्तीसगढ़ : शिकारियों के बिछाए बिजली तारों की चपेट में आने से हाथी की मौत

Hathi
Chhattisgarh : Elephant dies after coming in contact with electric wires laid by poachers
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userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 11:33 PM
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महासमुंद (छत्तीसगढ़)। शिकारियों द्वारा बिछाए गए बिजली के तारों की चपेट में आने से एक हाथी की मौत हो गई है। वन विभाग के एक अधिकारी ने रविवार को इसकी जानकारी दी।

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संभागीय वन अधिकारी (महासमुंद) पंकज राजपूत ने बताया कि महासमुंद के जंगलों में कोडार बांध के पास यह घटना शनिवार रात को हुई। उस दौरान दो हाथी एमई-1 और एमई-5 इलाके में विचरण कर रहे थे। उन्होंने बताया कि दोनों हाथी पड़ोसी गरियाबंद जिले से छह जनवरी को महासमुंद आए और सिरपुर की ओर जा रहे थे।

Ayodhya Ram Mandir इस साल की सबसे बड़ी खुशखबरी, 10 जनवरी से खुलेंगे अयोध्या राम ​मंदिर से दरवाजे

अधिकारी ने बताया कि रास्ते में कोडार बांध के पास एमई-5 शिकारियों द्वारा बिछाए गए बिजली तारों की चपेट में आ गया और करंट लगने से उसकी मौत हो गई। उन्होंने बताया कि बिजली की तार 11 किलोवाट की लाइन से जुड़ी थी।

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अधिकारी के मुताबिक सूचना मिलते ही वन अधिकारी मौके पर पहुंचे और हाथी के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। उन्होंने बताया कि तार बिछाने वालों की पहचान के लिए स्वान दस्ते की मदद ली जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ में पिछले पांच वर्षों में विभिन्न कारणों से 70 से ज्यादा हाथियों की मौत हुई है। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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Ayodhya Ram Mandir इस साल की सबसे बड़ी खुशखबरी, 10 जनवरी से खुलेंगे अयोध्या राम ​मंदिर से दरवाजे

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Ayodhya Ram Mandir Opening Date
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userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 08:25 PM
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Ayodhya Ram Mandir : पिछले काफी समय से अयोध्या में रामलला (Ayodhya Ram Mandir) के दर्शन के आतुर रामभक्तों के लिए इस साल की सबसे बड़ी खुशखबरी सामने आई है। खुशखबरी यह है कि आगामी 10 दस जनवरी 2024 से अयोध्या के राम मंदिर के दरवाजे राम भक्तों के लिए खुलने जा रहे हैं। श्रीराम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) के कपाट भक्तों के खोलने के लिए मंदिर ट्रस्ट द्वारा तैयारियां भी शुरु कर दी गई हैं।

Ayodhya Ram Mandir Opening Date

राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन गर्भगृह में रामलला की मूर्ति की स्थापना होगी। उन्होंने कहा कि मंदिर भूकंप प्रतिरोधी और 1000 से अधिक वर्षों तक बने रहने के लिए पर्याप्ततौर पर मजबूत होगा।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 392 खंभों और 12 दरवाजों वाले इस मंदिर का निर्माण बिना लोहे की छड़ों के किया जा रहा है। पत्थरों को जोड़ने के लिए लोहे के बजाय तांबे के चिप्स (कॉपर चिप्स) का इस्तेमाल किया जा रहा है।

चंपत राय ने कहा कि मुख्य मंदिर का आयाम 350x250 फीट होगा। पीएम नरेंद्र मोदी के सुझाव पर मंदिर के खुलने के बाद उसके आसपास के पांच किलोमीटर के क्षेत्र में लोगों के आने-जाने के असर का आकलन करने के लिए अध्ययन किया जा रहा है। मंदिर का निर्माण 1800 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है। राय ने कहा कि निर्माण का 50 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि हम काम की गति और गुणवत्ता से संतुष्ट हैं।

गर्भगृह में 160 और पहली मंजिल में 82 स्तंभ होंगे। कुल मिलाकर, मंदिर में सागौन की लकड़ी से बने 12 प्रवेश द्वार होंगे, जबकि एक मुख्य प्रवेश द्वार- 'सिंह द्वार' पहली मंजिल पर होगा। 2.7 एकड़ क्षेत्र में फैले इस मंदिर के निर्माण में राजस्थान से लाए गए ग्रेनाइट पत्थरों का उपयोग किया जा रहा है। परियोजना प्रबंधक जगदीश अपाले ने कहा कि गर्भगृह का निर्माण इस तरह किया गया है कि राम नवमी पर सूर्य की किरणें राम लला की प्रतिमा पर पड़े।

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National News : कर्नाटक से अधिक मध्य प्रदेश में हुई बाघों की मौत

Tiger
Madhya Pradesh killed more tigers than Karnataka
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userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 02:47 AM
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National News : भोपाल। भारत के ‘बाघों के प्रदेश’ का दर्जा बनाए रखने की चुनौती का सामना कर रहे मध्य प्रदेश में साल 2022 की गणना के अनुसार 34 बाघों की मौत हुई है। देश में बाघों की आबादी के मामले में कर्नाटक दूसरे स्थान पर है। गणना के अनुसार यहां 15 बाघों की मौत हुई है। आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।

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देश की बाघ गणना के लिए सर्वेक्षण वर्ष में बाघों की मौत की सूचना दी गई है, जिसके परिणाम 2023 में घोषित किए जाएंगे। वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह एक रहस्य है कि क्यों मध्य प्रदेश में बाघों की मौत कर्नाटक की तुलना में अधिक दर्ज की गई है। हालांकि दोनों राज्यों में 2018 की गणना के अनुसार बाघों की संख्या लगभग समान थी। वर्ष 2018 की गणना के अनुसार कर्नाटक में 524 बाघ थे, जिसकी भारत के ‘बाघ प्रदेश’ के दर्जे के लिए मध्य प्रदेश (526) के साथ प्रतिस्पर्धा है।

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अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय बाघ गणना हर चार साल में एक बार की जाती है। उन्होंने कहा कि हाल में अखिल भारतीय बाघ आकलन (एआईटीई) 2022 में किया गया था और इसकी रिपोर्ट इस साल जारी होने वाली है। देश चार साल की गणना के निष्कर्षों का उत्सुकता से इंतजार कर रहा है। यह जानने के लिए कि बाघों की आबादी के मामले में कौन सा राज्य कहां खड़ा है और इस बात का आंकड़ा अब उपलब्ध है कि भारत ने कितने बाघों को खो दिया है।

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राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की वेबसाइट पर अपलोड किए गए आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश ने 2022 में 34 बाघों को गंवा दिया, जबकि ‘बाघ प्रदेश’ की स्थिति के लिए इसके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कर्नाटक राज्य में 15 बाघों की मौत हुई। इन मौतों के कारणों का उल्लेख नहीं किया गया था। बाघ संरक्षण को मजबूत करने के लिए वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत गठित एनटीसीए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है। एनटीसीए की वेबसाइट के अनुसार, पिछले वर्ष भारत में कुल 117 बाघों की मौत हुई थी। इन दो राज्यों में बाघों की मौत के आंकड़ों में अत्यधिक अंतर के बारे में पूछे जाने पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) जेएस चौहान ने बताया कि हमारे यहां (मध्य प्रदेश में) बाघों की संख्या अधिक है। यह हमारे लिए एक रहस्य है कि वहां (कर्नाटक) बाघों की कम मौत की सूचना क्यों दी गई जबकि दोनों राज्यों में बाघों की संख्या लगभग समान है। उन्होंने कहा कि बाघों की औसत उम्र 12 से 18 साल होती है।

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उन्होंने कहा कि अगर अधिकतम उम्र के मानदंड को ध्यान में रखा जाए तो सालाना लगभग 40 मौतों को प्राकृतिक माना जाना चाहिए क्योंकि राज्य में 2018 में किए गए अंतिम अनुमान में 526 बाघों की मौजूदगी दर्ज की गई थी। वर्ष 2021 में मध्य प्रदेश में उस वर्ष देश में दर्ज 127 बाघों में से 42 बाघों की मौत हुई थी। उन्होंने कहा कि मैं अन्य राज्यों के बारे में नहीं जानता, लेकिन मध्य प्रदेश में हर बाघ की मौत की सूचना दर्ज की जाती है। हम बाघ की मौत के हर मामले की जांच करते हैं और कुछ संदिग्ध पाए जाने पर कानूनी कदम उठाते हैं। चौहान ने कहा कि कभी-कभी बाघ प्राकृतिक रूप से जंगलों और गुफाओं के अंदर मर जाते हैं जिनकी पहचान नहीं हो पाती है। बाघों के जन्म दर के बारे में पूछे जाने पर वन अधिकारी ने कहा कि मध्य प्रदेश में सालाना लगभग 250 शावक पैदा होते हैं, जहां छह बाघ अभयारण्य- कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, सतपुड़ा, पन्ना और संजय-डुबरी हैं। एनटीसीए वेबसाइट के अनुसार, 2022 के दौरान मध्य प्रदेश में दर्ज 34 बाघों में से सबसे अधिक बाघों की मौत बांधवगढ़ बाघ अभयारण्य में इुई, जहां 12 महीने की अवधि में नौ बाघों की मौत हुई, इसके बाद पेंच (पांच) और कान्हा (चार) का स्थान रहा। मध्य प्रदेश में बाघों की मौत की अत्यधिक संख्या के बारे में पूछे जाने पर वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे ने कहा कि राज्य में पिछले एक दशक से बाघों की प्राकृतिक और अप्राकृतिक मौत के मामले सबसे अधिक रहे हैं। वेबसाइट के अनुसार, 2012 से जुलाई 2022 की अवधि के दौरान देश में बाघों की मौत की सबसे अधिक संख्या बांधवगढ़ (66) और कान्हा (55) में दर्ज की गई थी।