Hyderabad: एकसाथ 9 विपक्षी दलों ने पीएम मोदी को क्यों लिखी खास चिट्ठी ?

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calendar26 Nov 2025 06:31 PM
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Hyderabad News : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, के चंद्रशेखर राव समेत नौ विपक्षी दलों के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संयुक्त रूप से एक पत्र लिखकर विपक्ष के सदस्यों के खिलाफ विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों का ‘खुल्लम खुल्ला दुरुपयोग’ किए जाने का आरोप लगाया है।

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इस पत्र पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, नेशनल कांफ्रेंस (जम्मू-कश्मीर) के नेता फारूक अब्दुल्ला, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता उद्धव ठाकरे और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने हस्ताक्षर किए हैं।

पत्र में कहा गया कि विपक्ष के सदस्यों के खिलाफ विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों का खुल्लम-खुल्ला दुरुपयोग यह दर्शाता है कि हम लोकतंत्र से निरंकुशता में आ गए हैं ... चुनावी मैदान के बाहर बदला लेने के लिए केंद्रीय एजेंसी और राज्यपाल जैसे संवैधानिक पदों का दुरुपयोग घोर निंदनीय है क्योंकि यह हमारे लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है।

दिल्ली आबकारी नीति में अनियमितताओं को लेकर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किए जाने का जिक्र करते हुए इन नेताओं ने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) के नेता के खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह निराधार और एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा हैं।

उन्होंने दावा किया कि सिसोदिया की गिरफ्तारी से पूरे देश में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में स्कूली शिक्षा को बदलने के लिए सिसोदिया को वैश्विक स्तर पर पहचाना जाता है।

इन नेताओं ने कहा कि सिसोदिया की गिरफ्तारी को दुनिया भर में राजनीतिक प्रतिशोध के एक उदाहरण के रूप में उद्धृत किया जाएगा और इस घटना से दुनिया के इस संदेह की पुष्ट होती है कि भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को निरंकुश भाजपा शासन में खतरा है।

तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना के राज्यपालों और दिल्ली के उपराज्यपाल की ओर इशारा करते हुए इन नेताओं ने इन कार्यालयों पर संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करने और अक्सर राज्य के शासन में बाधा डालने का आरोप लगाया।

उन्होंने असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा और तृणमूल कांग्रेस के पूर्व नेताओं शुभेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय का उदाहरण देते हुए दावा किया कि जांच एजेंसी भाजपा में शामिल हुए पूर्व विपक्षी नेताओं के खिलाफ मामलों में धीमी गति से काम करती हैं।

Gujrat : जमीन आवंटन के मामले में पूर्व IAS अधिकारी प्रदीप शर्मा गिरफ्तार

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Gujrat : जमीन आवंटन के मामले में पूर्व IAS अधिकारी प्रदीप शर्मा गिरफ्तार

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locationभारत
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calendar27 Nov 2025 11:17 AM
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Gujrat News: भुज (गुजरात)। गुजरात पुलिस के अपराध जांच विभाग (CID) ने पूर्व आईएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा को कच्छ जिले के जिलाधिकारी के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान 2004-05 में कम मूल्य पर भूमि आवंटित करके सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार किया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

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पुलिस उपाधीक्षक (सीआईडी अपराध) वी. के. नेई ने कहा कि 1984 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी शर्मा और दो अन्य के खिलाफ शनिवार को कच्छ जिले के भुज में सीआईडी (अपराध) सीमा क्षेत्र पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई।

उन्होंने कहा, ‘‘शर्मा को गांधीनगर से हिरासत में लिया गया और रविवार की सुबह गिरफ्तार किया गया।’’ गिरफ्तारी के समय शर्मा पिछले मामलों में जमानत पर बाहर थे।

शर्मा ने पूर्व में दावा किया था कि उन्हें गुजरात की तत्कालीन नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा प्रताड़ित किया गया था। शर्मा के खिलाफ कच्छ जिले के गांधीधाम तालुका के चुडवा गांव में जमीन के आवंटन के इस नये मामले में आपराधिक विश्वासघात और आपराधिक साजिश के आरोप में मामला दर्ज किया गया था।

प्राथमिकी में कहा गया है कि उन्होंने जिलाधिकारी के रूप में अपनी शक्ति का दुरुपयोग करके और मूल्यांकन के निर्धारण संबंधी सरकार के प्रावधानों की अनदेखी करके सरकारी जमीन को कथित तौर पर बहुत कम कीमत पर आवंटित किया, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ।

मामला नवंबर 2004 से मई 2005 के बीच हुए जमीन आवंटन से जुड़ा है।

इसमें कहा गया है कि शर्मा ने तत्कालीन स्थानीय उपजिलाधिकारी और भुज नगर नियोजक के साथ एक आपराधिक साजिश रची, जिन्हें मामले में आरोपी के रूप में नामजद किया गया है।

गौरतलब है कि शर्मा 2003 और 2006 के बीच कच्छ के जिलाधिकारी थे। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मामले दर्ज हैं, और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा धनशोधन मामले में भी उन्हें गिरफ्तार किया गया था।

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Economic : ‘हिन्दू वृद्धि दर’ के बेहद करीब पहुंच चुका है भारत : राजन

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locationभारत
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calendar06 Mar 2023 12:51 AM
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Economic News: नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने निजी क्षेत्र के निवेश में कमी, उच्च ब्याज दरों और वैश्विक वृद्धि की सुस्त पड़ती रफ्तार को देखते हुए कहा है कि भारत निम्न वृद्धि वाली ‘हिन्दू वृद्धि दर’ के बेहद करीब पहुंच गया है। भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 1950 से लेकर 1980 के दशक तक चार प्रतिशत के निम्न स्तर पर रही थी जिसे ‘हिन्दू वृद्धि दर’ भी कहा जाता है। धीमी वृद्धि के लिए ‘हिन्दू वृद्धि दर’ शब्दावली का इस्तेमाल 1978 में भारतीय अर्थशास्त्री राज कृष्ण ने किया था।

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राजन के मुताबिक, राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) ने पिछले महीने राष्ट्रीय आय के जो अनुमान जारी किए हैं उनसे तिमाही वृद्धि में क्रमिक नरमी के संकेत मिलते हैं जो चिंता की बात है।

एनएसओ के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर 4.4 फीसदी रह गयी जो दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 6.3 फीसदी और पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 13.2 फीसदी थी।

पिछले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में वृद्धि दर 5.2 फीसदी रही थी।

राजन ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘आशावादी निश्चित ही पिछले जीडीपी आंकड़ों में किए गए सुधार की बात करेंगे लेकिन मैं क्रमिक नरमी को लेकर चिंतित हूं। निजी क्षेत्र निवेश करने के लिए इच्छुक नहीं है, आरबीआई ब्याज दरें बढ़ाता जा रहा है और वैश्विक वृद्धि के आने वाले समय में और धीमा पड़ने के आसार हैं। ऐसे में मुझे नहीं मालूम कि वृद्धि किस तरह रफ्तार पकड़ेगी।’’

आगामी वित्त वर्ष (2023-24) में भारत की वृद्धि दर के बारे में पूछे गए एक सवाल पर पूर्व आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘‘पांच फीसदी की वृद्धि भी हासिल हो जाए तो यह हमारी खुशनसीबी होगी। अक्टूबर-दिसंबर के जीडीपी आंकड़े बताते हैं कि साल की पहली छमाही में वृद्धि कमजोर पड़ेगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मेरी आशंकाएं बेवजह नहीं हैं। आरबीआई ने तो चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में और भी कम 4.2 फीसदी की वृद्धि दर का अनुमान जताया है। इस समय, अक्टूबर-दिसंबर तिमाही की औसत वार्षिक वृद्धि तीन साल पहले की तुलना में 3.7 फीसदी है। यह पुरानी हिन्दू वृद्धि दर के बहुत करीब है और यह डराने वाली बात है। हमें इससे बेहतर करना होगा।’’

हालांकि उन्होंने यह माना कि सरकार ढांचागत निवेश के मोर्चे पर काम कर रही है लेकिन विनिर्माण पर जोर दिए जाने का असर दिखना अभी बाकी है। उन्होंने सेवा क्षेत्र के प्रदर्शन को चमकीला पक्ष बताते हुए कहा कि इसमें सरकार की भूमिका कुछ खास नहीं है।

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