Job Update- जम्मू कश्मीर पुलिस विभाग में निकली 800 पदों पर भर्तियां, ऐसे करें आवेदन

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locationभारत
userसुप्रिया श्रीवास्तव
calendar02 Dec 2025 02:04 AM
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JK Police Recruitment- जम्मू-कश्मीर सेवा चयन बोर्ड (JKSSB) की तरफ से जम्मू एंड कश्मीर पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर के 800 पदों पर भर्ती संबंधित नोटिफिकेशन जारी किया गया है। इच्छुक उम्मीदवार जारी किए गए पदों पर 10 दिसंबर तक आवेदन कर सकते हैं। जारी किए गए पदों पर आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन माध्यम से पूरी की जाएगी।

JKSSB Recruitment- जारी किए गए पदों का पूर्ण विवरण - सब इंस्पेक्टर (Sub inspector)- 800 पद नोट:- जारी किए गए पदों की संख्या अलग-अलग कैटेगरी में अलग-अलग निर्धारित की गई है।

शैक्षिक एवं शारीरिक योग्यता - 1. जारी किए गए पदों पर आवेदन हेतु उम्मीदवार के पास किसी मान्यता प्राप्त संस्थान अथवा विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री होना आवश्यक है। 2. शारीरिक योग्यता (पुरुष वर्ग)- ऊंचाई - 5'6 न्यूनतम छाती - 32"

महिला वर्ग - ऊंचाई - 5'2 न्यूनतम

आयुसीमा - जारी किए गए पदों पर आवेदन हेतु उम्मीदवार की आयु 18 से 28 वर्ष के बीच होनी चाहिए।

JKSSB Recruitment- आवेदन संबंधित महत्वपूर्ण तिथियां - ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया आरंभ होने की तिथि - 10 नवंबर 2021 ऑनलाइन आवेदन करने की आखिरी तिथि - 10 दिसंबर 2021

चयन प्रक्रिया - जारी किए गए पदों पर चयन लिखित परीक्षा, शारीरिक मानक परीक्षण एवं शारीरिक सहनशक्ति परीक्षण के आधार पर किया जाएगा।

कैसे करें आवेदन - जम्मू-कश्मीर सेवा चयन बोर्ड (JKSSB) की तरफ से आमंत्रित किए गए पदों पर आवेदन हेतु इच्छुक उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट jkssb.nic.in पर विजिट करें। यहां आवेदन संबंधित संपूर्ण जानकारी उपलब्ध है।

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locationभारत
userसुप्रिया श्रीवास्तव
calendar29 Nov 2025 04:17 PM
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Punjab DHE Recruitment- पंजाब में डिपार्टमेंट ऑफ हायर एजुकेशन (DHE) की तरफ से असिस्टेंट प्रोफेसर व लाइब्रेरियन के विभिन्न पदों पर भर्ती संबंधित नोटिफिकेशन जारी किया गया है। भर्ती संबंधी यह अधिसूचना डिपार्टमेंट ऑफ हायर एजुकेशन की आधिकारिक वेबसाइट educationrecruitmentboard.com पर जारी किया गया है। इच्छुक उम्मीदवार जारी किए गए पदों पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

जारी किए गए पदों संबंधित पूर्ण विवरण- 1. असिस्टेंट प्रोफेसर (Assistant professor)- 1091 पद शैक्षिक योग्यता- मान्यता प्राप्त संस्थान से संबंधित विषय में 55% अंकों के साथ मास्टर डिग्री एवं 10वीं तक पंजाबी भाषा अनिवार्य विषय के रूप में। 2. लाइब्रेरियन (Librarian)- 67 पद

नोट:- असिस्टेंट प्रोफेसर की पदों की संख्या अलग-अलग विषयों के लिए अलग-अलग निर्धारित की गई है। आयु सीमा- जारी किए गए पदों पर आवेदन हेतु उम्मीदवार की आयु 18 से 37 वर्ष के बीच होनी चाहिए। आवेदन शुल्क- सामान्य वर्ग- ₹1500/- एससी/एसटी/पंजाबी बीसी - ₹750/- ईडब्ल्यूएस/पीडब्ल्यूडी/पूर्व सैनिक - ₹500/-

चयन प्रक्रिया- जारी किए गए पदों पर चयन प्रक्रिया लिखित परीक्षा के परिणाम व काउंसलिंग के आधार पर किया जाएगा।

आवेदन संबंधित महत्वपूर्ण तिथियां - जारी किए गए पदों पर ऑनलाइन आवेदन करने की आखिरी तिथि 8 नवंबर 2021 है।

कैसे करे आवेदन - डिपार्टमेंट ऑफ हायर एजुकेशन की तरफ से जारी किए गए विभिन्न पदों पर आवेदन हेतु इच्छुक उम्मीदवार जो आवश्यक शैक्षिक योग्यता रखते हैं डिपार्टमेंट ऑफ हायर एजुकेशन की आधिकारिक वेबसाइट educationrecruitmentboard.comeservices.gndu.ac.in/govtrecruitment पर जाकर ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं। वेबसाइट पर आवेदन संबंधित संपूर्ण जानकारी उपलब्ध है।

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आर्यन खान और अरुण वाल्मीकि में कॉमन है एक बात, क्या जानते हैं आप!

Aryan khan arrest
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locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 01:21 PM
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आर्यन खान (ARYAN KHAN) और अरुण वाल्मीकि (ARUN VALMIKI) में एक बात कॉमन है। वह कॉमन चीज क्या है, यह जानने से पहले इस सवाल का जवाब जरूरी है कि क्या क्रूज ड्रग्स केस में गिरफ्तारी के बहाने शाहरुख खान (SHAHRUKH KHAN) को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है? क्या रसूखदार का धर्म जानना जरूरी है? आर्यन खान से पहले संजय दत्त, सलमान खान, शाइनी आहूजा से लेकर रिया चक्रवर्ती तक न जाने कितने फिल्मी सितारे गिरफ्तार हुए हैं और जेल भी गए हैं। आर्यन खान की गिरफ्तारी के बाद बॉलीवुड से जुड़ी नामचीन हस्तियों, नेताओं और कुछ पत्रकारों ने एनसीबी (Narcotics Control Bureau) पर आर्यन खान को जानबूझकर निशाना बनाने का आरोप लगाया है। जबकि, आर्यन को जिस क्रूज से गिरफ्तार किया गया उसमें से प्रतिबंधित ड्रग्स बरामद हुई है। एनसीबी को शक है कि इस मामले के तार नशे का अवैध व्यापार करने वाले अंतरराष्ट्रीय सरगनाओं से जुड़े हैं। तो क्या इतने गंभीर अपराध के मामले में कार्यवाही करते समय पुलिस या जांच एजेंसियों को रसूखदार व्यक्ति या उसके परिवार पर हाथ नहीं डालना चाहिए? आरोप लगाने वाले केवल पुलिस या जांच एजेंसी तक ही नहीं रुकते। वह कोर्ट को भी शक के दायरे में लपेट लेते हैं। जांच एजेंसी और कोर्ट पर सवाल उठाने वाले मानते हैं कि आर्यन के खिलाफ कार्यवाही की वजह उनका धर्म है। तेजी से बढ़ रहा है यह ट्रेंड पिछले कुछ सालों में यह ट्रेंड तेजी से बढ़ा है कि किसी घटना, पुलिस, सुरक्षा या जांच एजेंसियों की किसी भी कार्यवाही को धर्म, जाति या विचारधारा से जोड़ कर दिखाने की कोशिश की जाती है। कोर्ट का फैसला आने से पहले ही यह प्रचारित किया जाता है कि इसका मकसद जाति, धर्म या विचारधारा विशेष को प्रताड़ित करना है। यूपी में कुख्यात अपराधी विकास दूबे या मुन्ना बजरंगी की मौत बाद योगी सरकार पर ब्राह्मणों को निशाना बनाने का आरोप लगाया गया। अतीक अहदम, अफजल अंसारी के अवैध कब्जों पर कार्यवाही को मुसलमानों के खिलाफ बदले की कार्यवाही बताया गया। उन्नाव रेप कांड या आगरा में सफाई कर्मी की पुलिस कस्टडी में मौत को दलित विरोधी कार्यवाही बताया गया। ऐसे ही, लखीमपुर खीरी में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत को समुदाय विशेष से जोड़ कर दिखाने का प्रयास किया गया। धार्मिक या जातीय रंग देने का नतीजा इसमें कोई दो राय नहीं कि किसी घटना, अपराध या कार्यवाही को धार्मिक या जातीय रंग देने से मुख्य मुद्दा दब जाता है और राजनीति हावी हो जाती है। इससे सुरक्षा एजेंसियों, पुलिस और जांच एजेंसियों के मनोबल पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। इन मामलों में अदालतों को भी सुविधानुसार राजनीति का शिकार बनाने का चलन बढ़ा है। अयोध्या मामले पर फैसला आते ही सुप्रीम कोर्ट को कटघरे में खड़ा कर दिया जाता है। जबकि, वही सुप्रीम कोर्ट लखीमपुर खीरी मामले में यूपी सरकार और यूपी पुलिस को जमकर लताड़ लगाती है और कार्यवाही करने के लिए मजबूर करती है। किसे हो रहा फायदा? हर छोटी-बड़ी घटना को जातीय या धार्मिक रंग देकर राजनीतिक फायदा उठाने का यह तरीका बेहद पुराना हो चुका है। इस तरह की राजनीति से अलगाव और असंतोष बढ़ता है और तुष्टिकरण करने वाले दलों को फायदा होता है। भारत में तुष्टिकरण की राजनीति का पुराना इतिहास रहा है। कभी धर्म, तो कभी जातियों के नाम पर यह तुष्टिकरण किया जाता रहा है। किसी जाति या धर्म से जुड़े लोगों की असुरक्षा या असंतोष की भावना को भड़काकर अपना राजनीतिक स्वार्थ साधने की कोशिश हमेशा से होती रही है। इस मामले में कोई भी राजनीतिक दल अपवाद नहीं है। मजबूत नेता को हराने का एक ही तरीका आमतौर पर ऐसा तब होता है जब कोई राजनीतिक दल बेहद मजबूत हो जाता है और विरोधी दलों के लिए उसे हराना मुश्किल हो जाता है। फिलहाल, बीजेपी ऐसी पार्टी बन गई है जिसे मात देना लगभग असंभव हो गया है। पिछले दो लोकसभा चुनावों में हर तरह के हथकंडे अपनाने के बावजूद विपक्ष को फायदे की जगह नुकसान ही ज्यादा हुआ है। ऐसे में सत्तारूढ़ दल के पक्ष में खड़े उन मतदाताओं को बांटना जरूरी है जो किसी जाति या धर्म से जुड़ा होने के बावजूद एक ही नेता के पक्ष में बार-बार वोट डाल रहे हैं। यह तब ही संभव है जब मतदाताओं को यह दिखाने की कोशिश की जाए कि देश में होने वाली हर अप्रिय घटना का मकसद समुदाय विशेष को प्रताड़ित करना है और इसमें सत्तारूढ़ दल शामिल है। आर्यन और अरुण में क्या है कॉमन आर्यन खान से लेकर अरुण वाल्मीकि तक के मामले में विपक्ष लगातार यही दिखाने में लगा हुआ है कि वर्तमान सरकार, जाति या धर्म विशेष को निशाना बना रही है। अगले साल यूपी, पंजाब, उत्तराखंड सहित गुजरात में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। राजनीति में सत्ता पाने के ​लिए साम, दाम, दंड, भेद का इस्तेमाल कोई नई बात नहीं है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या मतदाता भी ऐसा ही सोचता है या नहीं। इसका पता तो चुनाव नतीजों के बाद ही लगा पाएगा, लेकिन तब तक यह खेल जारी रहेगा। - संजीव श्रीवास्तव