आन-बान-शान की प्रतीक हैं राजस्थान की पगड़ी, दुनिया भर में प्रसिद्ध

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 Rajasthani turban
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 May 2024 10:31 PM
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 Rajasthani turban : भारत के राजस्थान (Rajasthan) प्रदेश का नाम सबने सुना है। साथ ही यह भी सब जानते हैं कि भारत का राजस्थान प्रदेश अन्य मामलों के साथ-साथ अपनी पगड़ी के लिए भी प्रसिद्ध है। भारत के Rajasthan की पगड़ी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यूं तो पूरे भारत में ही पगड़ी पहनी जाती है, किन्तु राजस्थान की पगड़ी की बात ही अलग है। आज हम भारत में आन-बान-शान की प्रतीक पगड़ी के विषय में आपको खास जानकारी दे रहे हैं।

रंग बदलती पगड़ी का कारण

आपने भारत के राजस्थान (Rajasthan) प्रदेश के लोगों को अक्सर अपने सिर पर मौसम के हिसाब से पगड़ी बांधे हुए देखा होगा। कई बार आपके दिमाग में ये सवाल भी आया होगा कि आखिर ये बदलते मौसम के साथ अपने पगड़ी का रंग भी क्यों बदल देते हैं। राजस्थान के अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग जाति के लोग रहते हैं और अलग-अलग कलर की पगड़ी पहनते हैं। पगड़ी राजस्थान के राजपूतों की पहचान है इसलिए पगड़ी को आन-बान-शान माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि पगड़ी में मौजूद अलग-अलग रंगों की लहरें राजपूतों के शौर्य और वीरता का प्रतीक है। राजस्थान में पुराने समय से ही साफा और पगड़ी बांधने की परंपरा चली आ रही है। पगड़ी के बगैर शादी तथा दूसरे समारोह फीके और अधूरे लगते हैं। आसान शब्दों में कहा जाए तो पगड़ी धारण करने के बाद हर समारोह में चार चांद लग जाते हैं। क्या आप जानते हैं Rajasthan की शान के नाम से पुकारे जाने वाली पगड़ी हीटवेव और लू से बचाने में मददगार साबित होती है। राजस्थान में जगह के मुताबिक पगड़ी का तरीका बदल जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि उदयपुर में अमरशाही, डूंगरपुर में उदयशाही, बूंदी में बूंदीशाही, जोधपुर में विजयशाही या साफा और जयपुर मे मानसाही पगड़ी पहनने का प्रचलन है। जो लोग शाही खानदान से ताल्लुक रखते हैं वो अपनी पगडिय़ों पर सोने-चांदी का तुरा, सरपेच, बालाबंदी, गोशपेच और लटकन जैसी चीजों का इस्तेमाल करते हैं। आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि पगड़ी हीटवेव (Heatwave) से बचाने का काम करती है। गर्मी की चिलचिलाती धूप से बचने के लिए राजस्थान के लोग सिर पर साफा या पगड़ी बांधते हैं। इतना ही नहीं राजस्थान में बदलते मौसम के अनुसार पगड़ी का रंग भी बदल दिया जाता है। राजस्थान के लोग गर्मी में केसरिया रंग की पगड़ी पहनते हैं ताकि गर्मी से बचा जा सके। वहीं बारिश में गहरे रंग की पगड़ी पहनी जाती है जबकि सर्दी में गहरे लाल रंग की पगड़ी को लोग ज्यादा तवज्जो देते हैं।

भारतीय संस्कृति की पहचान है पगड़ी

भारत का हर नागरिक जनता है कि पगड़ी भारत में आन, बान और शान की पहचान है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति की परिचायक है पगड़ी। संस्कृत में पगड़ी को शिरोस्त्राण या शिरोवेश कहा जाता है। प्राचीन काल से लोग शिरस्त्राण धारण करते रहे हैं। इसे पाग,पागड़ी,पोतिया, फेंटा और साफा के रूप में भी जाना जाता है। पगड़ी को सुरक्षा, सामाजिक व्यवस्था, सौंदर्य बोध, प्रगतिशीलता और वर्ग विशेष की पहचान के रूप में देखा जाता रहा है। पगड़ी समाज के विभिन्न वर्गों, भौगोलिक स्थान, मौसम और दैनिक जीवन का द्योतक है। लेकिन हम यह नहीं जानते कि दशकों पहले कौनसा समुदाय किस प्रकार की पगड़ी पहनता था और इसका क्या महत्व था। क्योंकि राजा, महाराजा, ठाकुरों और नवाबों की पगडिय़ों की विशिष्ट शैली रही है। इसके साथ ही किसान, व्यापारी, चरवाहा, पुजारी की पगड़ी अलग होती है। [caption id="attachment_155006" align="aligncenter" width="551"]Credit by Social Media Credit by Social Media[/caption]

मुंशी की पग

इस तस्वीर में जो पगड़ी आप देख रहे हैं उस पगड़ी को मुनीम या मुंशी की पाग कहा जाता है। मोल्ड पर कोड लपेटकर बांधी गई इस पाग में अगला सिरा थोड़ा ऊपर रखा जाता है। पाग के पल्लू को बंट देकर चौकड़ीनुमा लपेटा जाता है। [caption id="attachment_154994" align="aligncenter" width="561"]Credit by Social Media Credit by Social Media[/caption]

सेठों या बनियों की पगड़ी

इस तस्वीर (Photo) में जो पगड़ी आप देख रहे हैं इसे सेठों की पाग कहा जाता था। इसे महाजन पहना करते थे। मोल्ड पर कोड लपेटकर बांधी गई इस पाग में अगला सिरा थोड़ा ऊपर रखा जाता है। बंधी हुई पगड़ी पर चांदी की गोट को चौकड़ीनुमा डिजाइन देते हुए लपेटा जाता है। [caption id="attachment_154996" align="aligncenter" width="553"]Credit by Social Media Credit by Social Media[/caption]

बसंती पाग

इस फोटो में जो पगड़ी है इसे बसंती पाग कहा जाता है। इसे मेवाड़ी राजपूत समुदाय बसंत ऋतु में पहनते थे। पट्टी दर पट्टी बांधी गई इस पाग को स्प्रे से रंगा जाता था। इसे बसंती पाग कहा जाता है। इसे मेवाड़ी राजपूत समुदाय बसंत ऋतु में पहनते थे। पट्टी दर पट्टी बांधी गई इस पाग को स्प्रे से रंगा जाता था। [caption id="attachment_154997" align="aligncenter" width="547"]Credit by Social Media Credit by Social Media[/caption]

केसरिया पाग

इस फोटो में जो पगड़ी है इसे केसरिया पाग कहा जाता है। इसे मेवाड़ (उदयपुर) में दशहरे और विवाह उत्सव में पहनने की परंपरा है। सूती कपड़े का यह साफा 18 मीटर लंबा होता है। पट्टी दर पट्टी बंधी इस पाग में पचेवड़ी लगाई जाती है। [caption id="attachment_154999" align="aligncenter" width="513"]Credit by Social Media Credit by Social Media[/caption]

मोठड़ा पाग

इस फोटो में जो पगड़ी है इस पगड़ी को मोठड़ा कहते हैं। इसे मेवाड़ी राजपूत,व्यापारी और ब्राम्हण रोजाना पहनते थे। इसे सूती कपड़ा और चांदी के छल्ले का उपयोग कर बांधा जाता था। [caption id="attachment_155000" align="aligncenter" width="515"]Credit by Social Media Credit by Social Media[/caption]

रेबारी साफा

इस तस्वीर में जो पगड़ी दिख रही है यह रेबारी समुदाय का साफा है। इस 16 मीटर लंबे और 36 इंच चौड़े साफे को बंट देकर सिर में लपेटा जाता है। यह सिंथेटिक कपड़े का होता है। इस भारी भरकम साफे में कंघा,चिलम और कांच रखने की जगह भी बनाई जाती है। [caption id="attachment_155001" align="aligncenter" width="517"]Credit by Social Media Credit by Social Media[/caption]

पटेल साफा

इस तस्वीर में जो पगड़ी आप देख रहे हैं यह पटेल (डांगी) का साफा सूती केंब्रिक कपड़े से बांधा जाता है। नौ मीटर लंबे इस साफे पर बेल-बूटे छापे जाते हैं। पूरे सिर को घेरने वाले इस साफे का छोगा लटकाया भी जाता है। पीछे से अंदर खोंसा भी जाता है। [caption id="attachment_155002" align="aligncenter" width="520"]Credit by Social Media Credit by Social Media[/caption]

गायरी का साफा

इस पगड़ी में जो पगड़ी आप देख रहे हैं इसे गायरी का साफा कहा जाता है। सूती केंब्रिक कपड़े पर बेल-बूटे छापे जाते हैं। पूरे सिर को घेरने वाले इस साफे का छोगा लटकाया जाता है और पीछे से खोंसा भी जाता है। [caption id="attachment_155003" align="aligncenter" width="520"]Credit by Social Media Credit by Social Media[/caption]

30 मीटर की होती है पगड़ी

आपको बता दें कि भारत में पगड़ी 30 मीटर तक लम्बी होती है। जानकारों के अनुसार आम तौर पर पगड़ी की लंबाई 18 से 30 मीटर और चौड़ाई 8 से 9 इंच होती है। इसी प्रकार साफे की लंबाई 9 से 12 मीटर ओर चौड़ाई 36 से 45 इंच तक होती है। वहीं 30 किलो की इस पगड़ी की परिधि 11 फीट, लम्बाई 151 फीट और ऊंचाई 30 इंच है। [caption id="attachment_155004" align="aligncenter" width="525"]Credit by Social Media Credit by Social Media[/caption]

इज्जत का प्रतीक होती है पगड़ी

भारत में पगड़ी का सामान्रू महत्व तो आपने ऊपर जान और समझ लिया। हम आपको यह भी बता दें कि भारत में पगड़ी इज्जत यानि की मान-सम्मान का भी प्रतीक है। जब कोई व्यक्ति किसी गलती के कारण समाज में बेइज्जत या अपमानित होता है तो कहा जाता है कि अमुक व्यक्ति की तो पगड़ी उतर गई। भारत में होने वाली पंचायतों में बड़ी से बड़ी गलती करने वाले को पगड़ी उतारकर पंचों के चरणों में रखने पर माफी मिल जाती है। जब कोई व्यक्ति पंचायत में अपनी पगड़ी उतारकर दूसरे के सामने रख देता है तो माना जाता है कि पगड़ी उतारने वाले ने अपनी पूरी सजा भुगत ली है।

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सिद्धू मूसेवाला के कातिल गैंगस्टर गोल्डी बरार की हत्या!

Gangster
Gangster Goldie Brar Death
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 01:57 AM
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Gangster Goldie Brar Death : कुख्यात गैंगस्टर गोल्डी बरार को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है। दरअसल सोशल मीडिया पर एक खबर तेजी से वायरल हो रही है। दावा किया जा रहा है कि लॉरेंस गैंग के सबसे खास गुर्गों में शामिल गोल्डी बरार को अमेरिका में किसी ने गोलियों से भून डाला है। Gangster Goldie Brar Death आपको बता दें कि गोल्डी बरार की मौत की अभी अधिकारिक पुष्ट नहीं की गई है। लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यब बात सामने आ रही है कि किसी ने गोल्डी बरार की हत्या कर दी है। बता दें कि गोल्डी बरार की हत्या की जिम्मेदारी विरोधी गैंग के डल्ला-लखबीर ने ली है। सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड का मुख्य संदिग्ध के तौर पर गोल्डी बरार की पंजाब पुलिस के साथ अन्य राज्यों की पुलिस को भी तलाश थी। गौरतलब है कि कुछ समय पहले ही केंद्र सरकार की ओर से गोल्डी को आतंकवादी घोषित किया था।

मूसेवाला की हत्या की साजिश रची थी, फिर स्वीकारा भी

पंजाब के फेमस सिंगर सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में मुख्य वांटेड रहे गोल्डी बरार की हत्या पर कई जानकारियों सामने आती रहती है। गोल्डी बरार को पूर्व में मूसेवाला हत्या का मुख्य संदिग्ध आरोपी माना जाता है। बाद में गोल्डी ने व्यक्तिगत रूप से हत्या करने की बात स्वीकार किया है। इसके पीछे उसने बताया था कि उसने 2022 में पंजाब में एक छात्र नेता की हत्या के प्रतिशोध के रूप में मूसेवाला की हत्या की साजिश रची थी। Gangster Goldie Brar Death

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भारत की तीन महिला सरपंच बजाने जा रही हैं भारत का डंका, पूरी दुनिया सुनेगी

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India News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 06:45 AM
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India News : पूरी दुनिया में भारत का डंका एक बार फिर से बजेगा। इस बार भारत की तीन महिला सरपंच अमेरिका के न्यूयार्क में जाकर पूरी दुनिया के सामने भारत का डंका बजाने वाली हैं। 03 मई को अमेरिका के न्यूयार्क में स्थित संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में भारत की विशेषताओं, भारत की परम्पराओं तथा भारत की ग्रामीण भारत को मजबूत करने की योजनाओं पर भारत की तीनों बेटी भाषण देंगी। India News

तीन मई को बजेगा भारत का डंका

आपको बता दें कि भारत के विकास कहानी अब भारत की बेटियां भी बता रही हैं। इसकी एक झलक राजधानी दिल्ली में मंगलवार को देखने को मिली, जब अलग-अलग राज्यों से आई तीन महिला सरपंचों ने पत्रकारों के सामने अपने विचार रखे। इन महिला सरपंचों को संयुक्त राष्ट्र से बुलावा आया। राजस्थान की नीरू यादव, आंध्र प्रदेश की हेमाकुमारी कुनकु और त्रिपुरा की सुप्रिया दास दत्ता को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या और विकास आयोग (सीडीपी) की ओर से आयोजित होने वाले वार्षिक सम्मेलन ‘सीपीडी मीट-2024’ में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है। भारत की राजधानी दिल्ली स्थित पंचायती राज मंत्रालय के ऑफिस में इन तीनों महिला जनप्रतिनिधियों ने अपने-अपने विचार रखे। ये तीनों महिलाएं ‘नेतृत्व अनुभव’ विषय पर 3 मई 2024 को यूएनएफपीए मुख्यालय में अपना विचार रखेंगी। भारत जनसंख्या और विकास आयोग का सदस्य है। भारत सरकार ने देश की लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण की उपलब्धियों में तेजी लाने में पंचायती राज संस्थानों की महिला निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका और क्षमता को उजागर किया है। पंचायती राज मंत्रालय जमीनी स्तर पर सुशासन और प्रभावी सार्वजनिक सेवा वितरण के लिए निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की क्षमताओं को मजबूत करने के लिए काम करने वाला एक नोडल मंत्रालय है। India News

ये बेटियां रखेंगी भारत का पक्ष

03 मई को भारत का डंका बजाने वाली बेटियों से आपका परिचय करा देते हैं। इनमें सबसे पहला नाम नीरू यादव का है। नीरू यादव राजस्थान के झुंझुनूं जिले में हॉकी वाली सरपंच के नाम से मशहूर हैं। बुहाना तहसील के लांबी अहीर गांव की सरपंच के तौर पर नीरु यादव ने कई सामाजिक काम किए हैं। नीरू यादव को भी न्यूयॉर्क में बतौर जनप्रतिनिधि पंचायत स्तर पर किए गए गए कामों के लिए यूएन से बुलावा आया है। नीरू यादव ने पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए विवाह पर कन्यादान के रूप में पेड़ देकर नई मुहिम की शुरुआत कर चुकी हैं। नीरू ने मेरा पेड़-मेरा दोस्त मुहिम भी शुरू कर रखा है। इसके तहत राजकीय विद्यालयों के विद्यार्थियों को 21000 पेड़ मुफ्त में वितरित किए गए। नीरू ने ग्रामीण महिलाओं की सशक्तिकरण के लिए पुराने कपड़ों से झोला बनाकर उनको सशक्त किया। नीरू वृद्ध एवं दिव्यांगजनों को हर माह उनके घर पर पेंशन निकालकर पहुंचाने कि भी पहल की। इसके साथ ही पंचायत स्तर सरपंच पाठशाला की शुरुआत कर लड़कियों को कम्प्यूटर शिक्षा से जोड़ा। लड़कियों के बीच स्कूल छोडऩे की दर को कम करने का भी लक्ष्य रखा। इन प्रयासों के लिए उन्हें राजस्थान सरकार की ओर से प्रतिष्ठित शिक्षा श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यादव ने लड़कियों को खेल, विशेषकर हॉकी से जोडऩे और इस प्रकार प्रतिगामी लिंग और सामाजिक मानदंडों को खत्म करने के लिए बहुत सम्मान और लोकप्रियता अर्जित की। उनके प्रयासों से उन्हें हॉकी वाली सरपंच (हॉकी सरपंच) का उपनाम भी मिला। उन्होंने प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के दिशा में काम किया। नीरू यादव के पास गणित और शिक्षा में मास्टर डिग्री है और वर्तमान में पीएचडी भी कर रही हैं। [caption id="attachment_154974" align="aligncenter" width="444"]नीरू यादव नीरू यादव[/caption]

दूसरा नाम सुप्रिया दत्ता का है

सुप्रिया दत्ता त्रिपुरा प्रदेश की रहने वाली हैं। सुप्रिया दत्ता एक निर्वाचित प्रतिनिधि हैं और वर्तमान में अध्यक्ष जिला पंचायत सेपाहिजला हैं। दत्ता सार्वजनिक निर्णय लेने में महिलाओं की भागीदारी को सक्षम करने के लिए एक मजबूत पैरवीकार बनकर उभर रही हैं। दत्ता ने अपने जिले में महिलाओं के लिए चर्चा मंच शुरू किया, जहां वे जिला पंचायत अधिकारियों के समक्ष महत्वपूर्ण ग्राम विकास मुद्दों पर अपनी चिंताओं और विचारों को व्यक्त कर सकें। दत्ता पीएम मोदी से काफी प्रभावित हैं। दत्ता महिलाओं की कार्य भागीदारी को सक्षम करने के महत्व को पहचानते हुए वह एक अनुकूल कार्य वातावरण बनाने के लिए अपने जिले में बच्चों के देखभाल सुविधाओं को बढ़ावा देने में भी सक्रिय रही हैं। दत्ता का दृढ़ विश्वास है कि गहरी जड़ें जमा चुके सामाजिक मानदंडों से निपटकर लैंगिक समानता हासिल की जा सकती है। दत्ता अपनी सार्वजनिक भूमिका के माध्यम से यह सुनिश्चित करना चाहती हैं कि महिलाएं भी पुरुष से कम नहीं है। दत्ता के पास फार्मेसी में डिप्लोमा है। [caption id="attachment_154975" align="aligncenter" width="406"]सुप्रिया दत्ता सुप्रिया दत्ता[/caption] India News

तीसरा नाम हेमाकुमारी कुनुकु का है

हेमाकुमारी कुनुकु भारत के आंध्र प्रदेश की पेकेरू ग्राम पंचायत की एक निर्वाचित प्रतिनिधि हैं। उन्होंने अपने अपने गांव में सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा किया। कुनुकु ने सबसे कमजोर और हाशिए पर रहने वाले समूहों की जरूरतों को पूरा करने वाली सार्वजनिक सेवाओं की प्रभावी डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया। कुनुकु ने अपने गांव में चिकित्सा शिविरों का नियमित तौर पर आयोजन करती रहती हैं। इससे अंतिम पायदान की महिलाओं को चिकित्सा सेवाओं की कवरेज सुनिश्चित हुई। कुनुकु के पास इंजीनियरिंग की डिग्री है। प्रौद्योगिकी में मास्टर डिग्री भी है. साथ में एक इंजीनियरिंग कॉलेज में इलेक्ट्रॉनिक्स और ई-संचार विभाग में प्रोफेसर भी हैं। 3 मई का दिन भारत के लिए बहुत ही अहम दिन होगा जब न्यूयार्क से भारत की तीन महिला सरपंच भारत का डंका बजाएंगी। आप भी जरूर सुनना भारत के इस डंके की गूंज को। [caption id="attachment_154976" align="aligncenter" width="365"]हेमाकुमारी कुनुकु हेमाकुमारी कुनुकु[/caption]

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