Tuesday, 21 May 2024

सुप्रीम कोर्ट का सबसे बड़ा फैसला, मजाक नहीं है हिंदू विवाह संस्कार

Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने सबसे बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इस कारण से सबसे…

सुप्रीम कोर्ट का सबसे बड़ा फैसला, मजाक नहीं है हिंदू विवाह संस्कार

Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने सबसे बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इस कारण से सबसे बड़ा फैसला है क्योंकि यह फैसला भारत की सबसे बड़ी परम्परा का लेकर सुनाया गया है। भारत में विवाह की परम्परा सबसे बड़ी और सबसे पुरानी परंपरा है। सुप्रीम कोर्ट ने भारत के बहुसंख्यक समाज के हिन्दु विवाह संस्कार को लेकर यह फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की सभी जगह खूब तारीफ हो रही है।

क्या फैसला सुनाया है सुप्रीम कोर्ट ने

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू विवाह पर सबसे बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि हिंदू मैरिज एक्ट 1955 में शादी की कानूनी आवश्यकताओं और परिवत्रता को स्पष्ट किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक संस्कार है, कोई लेन-देन नहीं है इसलिए इसके लिए सिर्फ प्रमाण पत्र काफी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदू धर्म में सात फेरे और अन्य रीति रिवाज जरूरी हैं. कोर्ट ने कहा कि हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 8 के तहत शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी है और सेक्शन 7 के तहत हिंदू रीति रिवाज से शादी होना भी आवश्यक है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेक्शन 8 इस बात का प्रमाण है कि दो लोगों ने सेक्शन 7 के तहत सभी रीति रिवाजों के साथ शादी की है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीवी नागरत्न और जस्टिस अगस्टिन जॉर्ज मैसी की बेंच ने फैसले में कहा कि अगर भविष्य में कोई कपल अलग होना चाहता है तो उस समय शादी के दौरान हुए रीति रिवाजों की तस्वीरें प्रमाण के तौर पर पेश करना जरूरी होती हैं।

शराब पीकर नाचने का नाम नहीं है विवाह

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिन्दू विवाह गीत, नृत्य, शराब पीने तथा खाना खाने भर या पार्टी करने का विषय नहीं है। सुप्रीम कोर्ट का स्पष्टï मत है कि विवाह जीवन का सबसे बड़ संस्कार है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि शादी कोई कमर्कशियल ट्रांसेक्शन नहीं है. एक महिला और पुरुष के बीच एक रिश्ता कायम करने के लिए एक जरूरी प्रक्रिया है, ताकि दोनों मिलकर एक परिवार बनाएं, जो भारतीय समाज की बेसिक इकाई है. कोर्ट ने कहा कि विवाह एक संस्कार है और समाज में इसे महान मूल्य की संस्था के रूप में स्थान दिया जाना चाहिए. हम युवा लडक़े-लड़कियों से आग्रह करते हैं कि शादी करने से पहले इसके बारे में गहराई से सोचें कि भारतीय समाज में यह संस्था कितनी पवित्र है।

हिन्दू विवाह अधिनियम क्या है?

बेंच ने कहा कि हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 8 के तहत शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी है और यह इस बात का प्रमाण है कि सेक्शन 7 के तहत हिंदू रीति-रिवाजों के साथ शादी हुई है. सेक्शन 5 में कहा गया है कि सेक्शन 7 के प्रावधानों के अनुरूप रीति रिवाजों के साथ शादी जरूरी है. अगर किसी शादी में इसकी अनुपस्थिति देखी जाती है तो ऐसी शादी कानून की नजर में हिंदू विवाह नहीं माना जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने क्यूं दिया यह बड़ा फैसला

सवाल यह उठता है कि भारत के सुप्रीम कोर्ट ने इतना बड़ा फैसला क्यूं दिया है। दरअसल शीर्ष कोर्ट ने एक महिला की ओर से उसके खिलाफ तलाक की कार्यवाही स्थानांतरित करने की मांग वाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए ये टिप्पणियां कीं। सुनवाई के दौरान, पति और पत्नी ने संयुक्त आवेदन कर यह घोषणा की कि उनकी शादी वैध नहीं थी। उन्होंने कहा, उनके द्वारा कोई विवाह नहीं किया गया, क्योंकि कोई रीति-रिवाज, संस्कार या अनुष्ठान नहीं किए गए। हालांकि, उन्हें एक जनकल्याण समिति (पंजीकृत) से प्रमाण पत्र लेने के लिए बाध्य होना पड़ा। तथ्यों के बाद पीठ ने घोषित किया कि यह वैध विवाह नहीं था। कोर्ट ने दर्ज किए मुकदमों को भी रद्द कर दिया।

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