Chaitra Navratri कब है चैत्र नवरात्रि और रामनवमी? मुहूर्त, कलश स्थापना और पूजा की विधि

Chaitra Navratri 2022: होली पर्व संपन्न होते ही फाल्गुन मास भी समाप्त हो गया है। (Chaitra Navratri ) आज से चैत्र मास प्रारंभ हो गया है। इस महीने में जहां चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri) होंगे, वहीं दूसरी ओर भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव भी है। 2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि शुरु होंगे और 11 अप्रैल को श्रीरामनवमी पर्व मनाया जाएगा।
Chaitra Navratri 2022
चैत्र नवरात्रि शुभ मुहूर्त चैत्र नवरात्रि के लिए कलश स्थापना शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को होगी। कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 2 अप्रैल सुबह 6 बजकर 10 मिनट से लेकर 8 बजकर 29 मिनट तक है। यानी कलश स्थापना के लिए कुल 2 घंटे 18 मिनट का समय मिलेगा।
इस साल माता रानी की सवारी-
धार्मिक मान्यता के अनुसार हर नवरात्रि में मां दुर्गा अलग-अलग वाहन पर सवार होकर आती हैं और विदाई के वक्त माता रानी का वाहन अलग होता है। इस बार चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आएंगी। अगर नवरात्रि की शुरुआत रविवार या सोमवार से होती है तो मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। नवरात्रि की शुरुआत मंगलवार या शनिवार से होती है तो माता रानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं। नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार या शुक्रवार से होती है तो मां डोली पर सवार होकर आती हैं। चैत्र नवरात्रि की शुरुआत शनिवार से हो रही है, इसलिए मां का वाहन घोड़ा है।
कैसे करें कलश स्थापना कलश स्थापना के लिए सुबह उठकर स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें। पूजा स्थल या पूजा मंदिर की साफ-सफाई कर लाल कपड़ा बिछाएं। फिर इसके उपर अक्षत यानि साबुत चावल रखें। इसके बाद इसके ऊपर जौ बोएं। फिर इसके ऊपर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश पर स्वास्तिक बनाकर इस पर कलावा बांधें। कलश में साबुत, सुपारी, सिक्सा, अक्षत और आम का पत्ते डालें। इसके बाद एक नारियल के ऊपर चुनरी लपेटकर कलावा बांधें।
इस नारियल को कलश के ऊपर रखें। इसके बाद देवी का आह्वान करें। फिर धूप-दीप आदि जलाकर कलश की पूजा करें। इसके बाद मां दुर्गा की पूजा करें। मां की पूजा के दौरान आप दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सकते हैं। या फिर सामान्य रुप से दुर्गा चालीसा का पाठ नियमित रुप से करें। ध्यान रखें कि पूजन के बाद मां दुर्गा की आरती अवश्य करें। आरती समापन के बाद दोनों कान पकड़ कर मां से क्षमा याचना जरुर करें।
किस दिन देवी के किस स्वरुप की होगी पूजा?
2 अप्रैल- प्रथम नवरात्रि, घटस्थापना और शैलपुत्री स्वरुप की पूजा
3 अप्रैल- द्वितीय नवरात्रि, मां ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा
4 अप्रैल- तृतीय नवरात्रि, मां चंद्रघंटा की पूजा
5 अप्रैल- चतुर्थ नवरात्रि, मां कुष्माण्डा की पूजा
6 अप्रैल- पंचम नवरात्रि, स्कंदमाता की पूजा
7 अप्रैल- षष्ठम नवरात्रि, मां कात्यायनी की पूजा
8 अप्रैल- सप्तम नवरात्रि, मां कालरात्रि की पूजा
9 अप्रैल- अष्टम नवरात्रि, महागौरी की पूजा
10 अप्रैल- नवम नवरात्रि, मां सिद्धिदात्री की पूजा
11 अप्रैल- रामनवमी
Chaitra Navratri 2022: होली पर्व संपन्न होते ही फाल्गुन मास भी समाप्त हो गया है। (Chaitra Navratri ) आज से चैत्र मास प्रारंभ हो गया है। इस महीने में जहां चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri) होंगे, वहीं दूसरी ओर भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव भी है। 2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि शुरु होंगे और 11 अप्रैल को श्रीरामनवमी पर्व मनाया जाएगा।
Chaitra Navratri 2022
चैत्र नवरात्रि शुभ मुहूर्त चैत्र नवरात्रि के लिए कलश स्थापना शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को होगी। कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 2 अप्रैल सुबह 6 बजकर 10 मिनट से लेकर 8 बजकर 29 मिनट तक है। यानी कलश स्थापना के लिए कुल 2 घंटे 18 मिनट का समय मिलेगा।
इस साल माता रानी की सवारी-
धार्मिक मान्यता के अनुसार हर नवरात्रि में मां दुर्गा अलग-अलग वाहन पर सवार होकर आती हैं और विदाई के वक्त माता रानी का वाहन अलग होता है। इस बार चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आएंगी। अगर नवरात्रि की शुरुआत रविवार या सोमवार से होती है तो मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। नवरात्रि की शुरुआत मंगलवार या शनिवार से होती है तो माता रानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं। नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार या शुक्रवार से होती है तो मां डोली पर सवार होकर आती हैं। चैत्र नवरात्रि की शुरुआत शनिवार से हो रही है, इसलिए मां का वाहन घोड़ा है।
कैसे करें कलश स्थापना कलश स्थापना के लिए सुबह उठकर स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें। पूजा स्थल या पूजा मंदिर की साफ-सफाई कर लाल कपड़ा बिछाएं। फिर इसके उपर अक्षत यानि साबुत चावल रखें। इसके बाद इसके ऊपर जौ बोएं। फिर इसके ऊपर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश पर स्वास्तिक बनाकर इस पर कलावा बांधें। कलश में साबुत, सुपारी, सिक्सा, अक्षत और आम का पत्ते डालें। इसके बाद एक नारियल के ऊपर चुनरी लपेटकर कलावा बांधें।
इस नारियल को कलश के ऊपर रखें। इसके बाद देवी का आह्वान करें। फिर धूप-दीप आदि जलाकर कलश की पूजा करें। इसके बाद मां दुर्गा की पूजा करें। मां की पूजा के दौरान आप दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सकते हैं। या फिर सामान्य रुप से दुर्गा चालीसा का पाठ नियमित रुप से करें। ध्यान रखें कि पूजन के बाद मां दुर्गा की आरती अवश्य करें। आरती समापन के बाद दोनों कान पकड़ कर मां से क्षमा याचना जरुर करें।
किस दिन देवी के किस स्वरुप की होगी पूजा?
2 अप्रैल- प्रथम नवरात्रि, घटस्थापना और शैलपुत्री स्वरुप की पूजा
3 अप्रैल- द्वितीय नवरात्रि, मां ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा
4 अप्रैल- तृतीय नवरात्रि, मां चंद्रघंटा की पूजा
5 अप्रैल- चतुर्थ नवरात्रि, मां कुष्माण्डा की पूजा
6 अप्रैल- पंचम नवरात्रि, स्कंदमाता की पूजा
7 अप्रैल- षष्ठम नवरात्रि, मां कात्यायनी की पूजा
8 अप्रैल- सप्तम नवरात्रि, मां कालरात्रि की पूजा
9 अप्रैल- अष्टम नवरात्रि, महागौरी की पूजा
10 अप्रैल- नवम नवरात्रि, मां सिद्धिदात्री की पूजा
11 अप्रैल- रामनवमी



