Motivational Story : नंदनगरी( दिल्ली) में रहने वाली युवती की दिल को झकझोरने वाली कहानी

भाई को खोकर 26 साल की पूजा ने लावारिस शवों की वारिस बनने की खाई थी शपथ, 4 हजार से अधिक का कराया अंतिम संस्कार

Shav puja
Motivational Story
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 08:08 AM
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Motivational Story :  दो साल पहले अपने भाई को खोने और पिता के सदमे से मिले दुख को नन्दनगरी की एक युवती ने मातम नहीं बल्कि मिशन बना लिया। मिशन लावारिस शवों का वारिस बनकर उनका अंतिम संस्कार करने का। दो साल पहले इस 26 वर्षीय एक युवती ने जो शपथ ली थी उस पर कायम रहते हुए आज भी वह लावारिस शवों का अंतिम संस्कार और अस्थि विसर्जन कर मानवता की मिसाल बनी हुई है। अब तक इस युवती ने अपने बलबूते 4 हजार से अधिक लावारिस शवों की अंत्येष्टि रीति रिवाज से की है।

भाई को खोकर 26 साल की पूजा ने लावारिस शवों की वारिस बनने की खाई थी शपथ

जीवन लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने में खुद समर्पित करने वाली इस 26 वर्षीय युवती का नाम पूजा शर्मा है। इस कार्य को अपना मिशन बनाने के पीछे की पूजा की कहानी बेहद भावुक कर देने वाली है। दरअसल, चार साल पहले तक पूजा का दिल्ली के नन्दनगरी में भरा पूरा परिवार था। वह दादी, पिता यशपाल शर्मा, माँ ममता और भाई रामेश्वर के साथ सामान्य जीवन बिता रही थी। परिवार में दुख की शुरूआत माँ की मौत से हुई। 20 दिसम्बर 2019 को पूजा की माँ का दिमाग की नस फटने से अचानक निधन हो गया। इस दुख से परिवार पूरी तरह उबर भी नहीं पाया 13 मार्च 2022 को एक विवाद में हुए झगड़े में पूजा के भाई की हत्या हो गई। बेटे के जाने से पिता को सदमा लगा और वे कोमा में चले गए। ऐसे में परिवार में कोई पुरुष नहीं था, जो उनके भाई का अंतिम संस्कार करता। परिवार के ऐसे हालात में पूजा ने हिम्मत नहीं हारी और नई भूमिका के रूप में पगड़ी पहनकर खुद ही अपने भाई का अंतिम संस्कार किया। दो दिन बाद 15 मार्च को जब अपने भाई की अस्थियां लेने शमशान पहुंची तो वहां शिवलिंग से लिपटकर 2 घंटे तक रोती रही। इस पूरे घटनाक्रम से उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि जिन लोगों के परिवार में कोई नहीं है उनका अंतिम संस्कार कैसे होता होगा। बस यहीं से पूजा के जीवन ने नया मोड लिया और लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कराना उनके लिए मिशन बन गया। उन्होंने न जाति देखी न धर्म और लावारिस शवों के अंतिम संस्कार करने का बीड़ा उठा लिया। भाई की हत्या के बाद लावारिस शवों का वारिस बनने की जो शपथ ली थी उस पर कायम रहते हुए पूजा अब तक दिल्ली के 4000 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुकी है। अपने मिशन को पूरा करने के लिए पूजा दिल्ली के अस्पतालों के मुर्दाघरों के संपर्क में रहती हैं, जहां से उन्हें लावारिस लाशों के बारे में जानकारी मिलती रहती है। इसके बाद वो शव को निकटतम श्मशान घाट तक ले जाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था करती हैं। पूरे सम्मान व रीतिरिवाज के साथ लावारिश शवों को अंतिम संस्कार करती हैं और उनकी अस्थियों को हर महीने की अमावस्या को हरिद्वार के कनखल घाट में पिंडदान करती हैं जिनकी पहचान हो जाए उनके धर्म के मुताबिक अंतिम संस्कार करती हैं।

Motivational Story : 4 हजार से अधिक लावारिस शवों का कराया अंतिम संस्कार

दिल्ली के नंदनगरी में रहने वाली पूजा बताती है कि शुरूआती दिनों में उसकी शादी के लिए माँ ने जो गहने आभूषण बनवाए थे, उनको उसने बेच दिया, भाई की आखिरी निशानी स्कूटी भी बेच दी। यहां तक प्रॉपर्टी गिरवी रख दी। सारा पैसा लावारिस शवो के अंतिम संस्कार की सेवा में खर्च करने लगी। आज भी पूजा अपने मिशन को परिवार की मदद से पूरा करती हैं। पूजा ने इस मिशन को जारी रखने के लिएदिल्ली में ब्राइट द सोल फाउंडेशन एनजीओ बनाई हुई है। इस एनजीओ के जरिए वो लोगों को प्रेरित और सशक्त बनाना चाहती हैं। पूजा को समाजिक कार्यों से जुड़े कुछ लोगों ने भी आर्थिक मदद की है, जो उनके काम से प्रेरित हुए हैं। पूजा के पिता का इहबास हास्पिटल शाहदरा दिल्ली से आज भी ट्रीटमेंट चल रहा है। बेटे की याद में उन्हें आज भी दौरे पड़ते हैं। पूजा ने बताया कि दादी ने 50 गज का प्लाट दिया है उसी पर वृद्धाश्रम बना रही है। पूजा कहती हैं कि ''सच बता रही हूं मैं भी वही लड़की हूं जो कॉकरोच और छिपकली से डरती थी। आज मैं सांपों के बीच में रहती हूं। इन 4 सालों में शमशान महाकाल तो जाती हूं लेकिन लौट कर नहाती नहीं हूं। शवो से उड़ती लपटों की तपिस से ही नहाना हो जाता है।'' बहरहाल, पूजा का एनजीओ और उनका निस्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा करने का महान मिशन मानवता की एक बड़ी मिसाल बन रहा है।Motivational Story

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भाई को खोकर 26 साल की पूजा ने लावारिस शवों की वारिस बनने की खाई थी शपथ, 4 हजार से अधिक का कराया अंतिम संस्कार

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Motivational Story :  दो साल पहले अपने भाई को खोने और पिता के सदमे से मिले दुख को नन्दनगरी की एक युवती ने मातम नहीं बल्कि मिशन बना लिया। मिशन लावारिस शवों का वारिस बनकर उनका अंतिम संस्कार करने का। दो साल पहले इस 26 वर्षीय एक युवती ने जो शपथ ली थी उस पर कायम रहते हुए आज भी वह लावारिस शवों का अंतिम संस्कार और अस्थि विसर्जन कर मानवता की मिसाल बनी हुई है। अब तक इस युवती ने अपने बलबूते 4 हजार से अधिक लावारिस शवों की अंत्येष्टि रीति रिवाज से की है।

भाई को खोकर 26 साल की पूजा ने लावारिस शवों की वारिस बनने की खाई थी शपथ

जीवन लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने में खुद समर्पित करने वाली इस 26 वर्षीय युवती का नाम पूजा शर्मा है। इस कार्य को अपना मिशन बनाने के पीछे की पूजा की कहानी बेहद भावुक कर देने वाली है। दरअसल, चार साल पहले तक पूजा का दिल्ली के नन्दनगरी में भरा पूरा परिवार था। वह दादी, पिता यशपाल शर्मा, माँ ममता और भाई रामेश्वर के साथ सामान्य जीवन बिता रही थी। परिवार में दुख की शुरूआत माँ की मौत से हुई। 20 दिसम्बर 2019 को पूजा की माँ का दिमाग की नस फटने से अचानक निधन हो गया। इस दुख से परिवार पूरी तरह उबर भी नहीं पाया 13 मार्च 2022 को एक विवाद में हुए झगड़े में पूजा के भाई की हत्या हो गई। बेटे के जाने से पिता को सदमा लगा और वे कोमा में चले गए। ऐसे में परिवार में कोई पुरुष नहीं था, जो उनके भाई का अंतिम संस्कार करता। परिवार के ऐसे हालात में पूजा ने हिम्मत नहीं हारी और नई भूमिका के रूप में पगड़ी पहनकर खुद ही अपने भाई का अंतिम संस्कार किया। दो दिन बाद 15 मार्च को जब अपने भाई की अस्थियां लेने शमशान पहुंची तो वहां शिवलिंग से लिपटकर 2 घंटे तक रोती रही। इस पूरे घटनाक्रम से उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि जिन लोगों के परिवार में कोई नहीं है उनका अंतिम संस्कार कैसे होता होगा। बस यहीं से पूजा के जीवन ने नया मोड लिया और लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कराना उनके लिए मिशन बन गया। उन्होंने न जाति देखी न धर्म और लावारिस शवों के अंतिम संस्कार करने का बीड़ा उठा लिया। भाई की हत्या के बाद लावारिस शवों का वारिस बनने की जो शपथ ली थी उस पर कायम रहते हुए पूजा अब तक दिल्ली के 4000 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुकी है। अपने मिशन को पूरा करने के लिए पूजा दिल्ली के अस्पतालों के मुर्दाघरों के संपर्क में रहती हैं, जहां से उन्हें लावारिस लाशों के बारे में जानकारी मिलती रहती है। इसके बाद वो शव को निकटतम श्मशान घाट तक ले जाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था करती हैं। पूरे सम्मान व रीतिरिवाज के साथ लावारिश शवों को अंतिम संस्कार करती हैं और उनकी अस्थियों को हर महीने की अमावस्या को हरिद्वार के कनखल घाट में पिंडदान करती हैं जिनकी पहचान हो जाए उनके धर्म के मुताबिक अंतिम संस्कार करती हैं।

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दिल्ली के नंदनगरी में रहने वाली पूजा बताती है कि शुरूआती दिनों में उसकी शादी के लिए माँ ने जो गहने आभूषण बनवाए थे, उनको उसने बेच दिया, भाई की आखिरी निशानी स्कूटी भी बेच दी। यहां तक प्रॉपर्टी गिरवी रख दी। सारा पैसा लावारिस शवो के अंतिम संस्कार की सेवा में खर्च करने लगी। आज भी पूजा अपने मिशन को परिवार की मदद से पूरा करती हैं। पूजा ने इस मिशन को जारी रखने के लिएदिल्ली में ब्राइट द सोल फाउंडेशन एनजीओ बनाई हुई है। इस एनजीओ के जरिए वो लोगों को प्रेरित और सशक्त बनाना चाहती हैं। पूजा को समाजिक कार्यों से जुड़े कुछ लोगों ने भी आर्थिक मदद की है, जो उनके काम से प्रेरित हुए हैं। पूजा के पिता का इहबास हास्पिटल शाहदरा दिल्ली से आज भी ट्रीटमेंट चल रहा है। बेटे की याद में उन्हें आज भी दौरे पड़ते हैं। पूजा ने बताया कि दादी ने 50 गज का प्लाट दिया है उसी पर वृद्धाश्रम बना रही है। पूजा कहती हैं कि ''सच बता रही हूं मैं भी वही लड़की हूं जो कॉकरोच और छिपकली से डरती थी। आज मैं सांपों के बीच में रहती हूं। इन 4 सालों में शमशान महाकाल तो जाती हूं लेकिन लौट कर नहाती नहीं हूं। शवो से उड़ती लपटों की तपिस से ही नहाना हो जाता है।'' बहरहाल, पूजा का एनजीओ और उनका निस्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा करने का महान मिशन मानवता की एक बड़ी मिसाल बन रहा है।Motivational Story

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Greater Noida News : डीएम बन गए टीचर, बच्चों से पूछे सवाल

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Greater Noida News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar03 Feb 2024 11:20 PM
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Greater Noida News :  ग्रेटर नोएडा (चेतना मंच)। जनपद के प्राथमिक विद्यालयों में सभी सुविधाएं एवं बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शनिवार को जिला अधिकारी मनीष कुमार वर्मा  ( District Officer Manish Kumar Verma) ने उच्च प्राथमिक विद्यालय ग्राम गेझा विकासखंड बिसरख का स्थलीय निरीक्षण किया।इस दौरान जिलाधिकारी टीचर बन गए और उन्होंने स्कूल में पढ़ रहे बच्चों से सवाल पूछे।

Greater Noida News

जिला अधिकारी ने इस अवसर पर विद्यालय प्रधानाचार्य/अध्यापकगणों को निर्देश दिए कि स्कूलों में पढऩे वाले सभी छात्र छात्राओं को सभी मूलभूत सुविधाएं एवं शिक्षा मानकों के अनुरूप उपलब्ध कराई जाए साथ ही उन्होंने उपस्थिति पंजिका की जांच करते हुए अध्यापक गणों को निर्देश दिये कि बच्चों की उपस्थिति पर विशेष फोकस रखा जाए और जो बच्चा नियमित रूप से स्कूल नहीं आ रहा है, अध्यापक गण स्कूल के उपरांत ऐसे बच्चों के घर जाकर फीडबैक ले की बच्चा स्कूल क्यों नहीं आ रहा और उनके अभिभावकों को बच्चों को प्रतिदिन स्कूल भेजने के लिए जागरूक करें। निरीक्षण के दौरान विद्यालय में शिक्षा की गुणवत्ता सन्तोषजनक पायी गयी।

जिलाधिकारी द्वारा विद्यालय में साफ सफाई एवं शिक्षा की गुणवत्ता एवं अवकाश सम्बन्धी नियमों का अनुपालन किये जाने एवं स्कूलों में बच्चों को मिलने वाले मिड डे मील की गुणवत्ता मानकों के अनुरूप बनाए रखने के निर्देश दिए। निरीक्षण के दौरान जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ0 धर्मवीर सिंह, बेसिक शिक्षा अधिकारी राहुल पंवार, प्रभारी बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ यशपाल, जिला समाज कल्याण अधिकारी शैलेंद्र बहादुर सिंह एवं संबंधित अधिकारी अधिकारी गण उपस्थित रहे।

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बड़ा तहलका : 24 घण्टें बाद जिंदा निकली पूनम पांडे