हर्षद मेहता से भी बड़ा है गौतम अडानी का घोटाला

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Gautam Adani Case
locationभारत
userचेतना मंच
calendar06 Feb 2023 06:27 PM
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Gautam Adani Case : नई दिल्ली। दुनिया के सबसे बड़े अमीर रहे अडानी समूह के मुखिया गौतम अडानी (Gautam Adani ) का मामला चर्चित घोटालेबाज हर्षद मेहता से भी बड़ा है। इतने बड़े मामले के बावजूद अडानी समूह के विरूद्ध जांच शुरू न होना ‘‘दाल में कुछ काला है’’ की तरफ इशारा कर रहा है। सभी विपक्षी दल चिल्ला-चिल्ला कर कह रहे हैं कि इस प्रकरण में तुरंत जेपीसी (ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी) का गठन किया जाना चाहिए। किन्तु सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। लोगों का कहना है कि यह प्रकरण बेहद गंभीर है जो देश की पूरी अर्थव्यवस्था के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर रहा है।

Gautam Adani Case

संसद में गतिरोध बरकरार अडानी समूह के मामले को लेकर भारत की संसद में गतिरोध लगातार बना हुआ है। तमाम विपक्षी दल हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह पर लगाए गए गंभीरतम आरोपों की जेपीसी से जांच कराने पर अड़े हुए है। सरकार किसी भी प्रकार की जांच नहीं कराना चाहती बल्कि सरकार के मंत्री बार-बार कह रहे हैं कि यह कोई खास मामला नहीं है। आर्थिक विश्लेषकों का दावा है कि अडानी प्रकरण पूर्व में हुए हर्षद मेहता प्रकरण से भी बड़ा है। सब जानते हैं कि वर्ष-1990 के दशक में हर्षद मेहता ने देश का आर्थिक साम्राज्य हिलाकर रख दिया था। शेयर मार्केट में की गई उस धोखाधड़ी में 4 लाख करोड़ रूपये से भी बड़ा घोटाला हुआ था। विश्लेषक अडानी के घोटाले को हर्षद मेहता से भी बड़ा घोटाला मान रहे हैं। इस घोटाले में 38 लाख करोड़ रूपए दांव पर हैं।

फर्जी कंपनी बनाकर खेला खेल आर्थिक विश्लेषकों का साफ दावा है कि टैक्स हैवन (जहां टैक्स नहीं लगता) देशों में फर्जी कंपनियां बनाकर जिस प्रकार अडानी समूह ने शेयर मार्केट में खेल खेला है उसका दूसरा कोई उदाहरण दुनिया भर में कहीं नहीं मिलता है। इस मामले में निवेशकों के 33 लाख करोड़ रूपये अब तक डूब चुके हैं। आरोप है कि विपक्ष द्वारा बार-बार जांच की मांग करने के बावजूद सरकार इस प्रकरण में जान-बूझकर जांच को टाल रही है। सरकार का तर्क है कि यह कोई बड़ा मामला नहीं है। संबंधित एजेंसियां पूरे प्रकरण पर नजर बनाए हुए हैं। सरकार के कई कर्ताधर्ता तो इसे विदेशी शक्तियों द्वारा फैलाई गई अफवाह बता रहे हैं।

उच्च स्तर तक अडानी की पहुंच सब जानते हैं कि भारत सरकार के उच्च स्तर तक अडानी की सीधी पहुंच है। इतने बड़े घोटाले के बावजूद भी कार्रवाई तो दूर जांच तक के आदेश नहीं दिए जा रहे हैं। अधिकतर लोगों का कहना है कि देश में भगवान राम को मानने वालों की सरकार है। राम ने तो एक साधारण नागरिक के सवाल उठाने भर से सीता माता को घर से निकाल दिया था। यह तो खुलेआम किया गया अपराध है जिसमें जांच तक नहीं कराई जा रही है। इसी प्रकार के ढ़ेर सारे सवाल अडानी प्रकरण पर उठाए जा रहे हैं। अधिकतर लोगों का मत है कि जिस प्रकार गौतम अडानी का नाम सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से जुड़ा है उससे तो बिल्कुल नहीं लगता कि इस मामले की जांच कराई जाएगी।

आपको बता दें क्या था हर्षद मेहता प्रकरण

हर्षद मेहता एक ऐसा प्रकरण रहा, जिसने 1990 दशक में भारत के पूरे वित्तीय बाजार को हिला कर रख दिया था। भारतीय वित्त बाजार के लिए 1990 से 1992 का समय बड़े बदलाव का वक्त था। इस बीच एक ऐसा घोटाला सामने आया, जिसने शेयर बाजार को पूरी तरह से झकझोर कर रख दिया। इस घोटाले के जिम्मेदार हर्षद मेहता थे। यह घोटाला करीब 4,000 करोड़ रुपये का था और इसके बाद ही सेबी को शेयर मार्केट में गड़बड़ी रोकने की ताकत दी गई। घोटाले के मुख्य आरोपी हर्षद मेहता का 2002 में निधन हुआ था। लेकिन बहुचर्चित इस प्रकरण की याद आज भी लोगों के दिमाग से नहीं गई है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद हर्षद मेहता प्रकरण की यादें एक बार फिर ताजा हो गई।

हर्षद मेहता ने कैसे किया गोलमाल? 1990 में शेयर बाजार तेजी से बढ़ा जिसके लिए ब्रोकर मेहता को जिम्मेदार माना गया और उन्हें 'बिग बुल' का दर्जा दिया गया। अप्रैल 1992 में पैसों का खुलासा हुआ। मेहता बैंकिंग नियमों का फायदा उठाकर बैंकों को बिना बताए उनके करोड़ों रुपये शेयर मार्केट में लगाते थे। मेहता दो बैंकों के बीच बिचौलिया बनकर 15 दिन के लिए लोन लेकर बैंकों से पैसा उठाते थे और फिर मुनाफा कमाकर बैंकों को पैसा लौटा देते थे। इस यह बात जब सामने आई तो शेयर मार्केट में तेज गिरावट आनी शुरू हो गई।

मेहता एक बैंक से फेक बैंक समाधान विवरण (बीआर) बनावाता था, जिसके बाद उसे दूसरे बैंक से भी आराम से पैसा मिल जाता था। कैश बुक और पास बुक के शेष में होने वाले अंतर को मिलाने के लिए जो लेखा तैयार होता है, उसे बैंक समाधान विवरण कहा जाता है। खुलासा होने के बाद मेहता के ऊपर 72 क्रमिनल चार्ज लगाए गए और सिविल केस फाइल हुए। हर्षद मेहता पर कई केस चल रहे थे, मगर उसे मात्र एक केस में दोषी पाया गया था। उसे दोषी पाते हुए उच्च न्यायालय ने पांच साल की सजा और 25000 रुपये का जुर्माना ठोका था। मेहता थाणे जेल में बंद था। 31 दिसंबर 2001 को देर रात उसे दर्द की शिकायत हुई, जिसके बाद उसे ठाणे सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल में ही उसकी मौत हो गई।

कैसे हुई पैसों की वसूली घोटाले के 25 साल बाद भी इसकी वसूली उनके परिवार से चल रही थी। कस्टोडियन ने मेहता की संपत्तियों को बेचकर 6,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि बैंकों व आयकर विभाग के नाम जारी कराई। 2017 में ही मेहता के पारिवारिक सदस्यों ने 614 करोड़ रुपये की रकम बैंक को दी।

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Yog guru Baba Ramdev : नमाज वाले बयान पर राजस्थान में मुकदमा (FIR) दर्ज

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 03:20 AM
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धर्म से जुड़ी हुई टिप्पणी करना और विवादों में घिरना, ऐसे मामले काफ़ी समय से देखे जा रहे हैं और अब इस विवाद का हिस्सा बने हैं योगगुरु Yog guru Baba Ramdev. पिछले दिनों (2 फ़रवरी) बाड़मेर में हुई एक सभा में योग गुरु Baba Ramdev ने धर्म विशेष के खिलाफ टिप्पणी की जिसके बाद से ही यह मामला तूल पकड़ता हुआ दिख रहा है। रामदेव के खिलाफ चौहटन क्षेत्र के पठाई खान ने उनके खिलाफ सौहार्द मिटाने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज करवाया है। रामदेव के खिलाफ 153-ए, 295-ए और 298 के अंतर्गत यह मुकदमा चौहटन थाना क्षेत्र में दर्ज किया गया है।

क्या थी Yog guru Baba Ramdev की टिप्पणी?

एक धर्मसभा में शामिल होने आये Yog guru Baba Ramdev ने मुस्लिम और ईसाई धर्म के खिलाफ टिप्पणी की और कहा कि आज कल समाज में पाप काफ़ी बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि एक मुसलमान दिन में पांच बार नमाज तो पढ़ता है लेकिन उसके बाद वह जो मन में आये करता है। मुसलमानों के लिए धर्म का मतलब मात्र नमाज ही है। लेकिन हिंदु या सनातन धर्म में ऐसा नहीं है। रामदेव ने ईसाई धर्म को लेकर भी टिप्पणी की और कहा कि उनके धर्म में चर्च में मोमबत्ती जलाने और ईसा मसीह के सामने खड़े हो जाने पर सारे पाप धुल जाते हैं। उन्होंने धर्मानंतरण के विषय में भी चर्चा की और कहा कि आजकल लोग यह चाहते हैं कि पूरे समाज को इस्लाम या ईसाई में बदल दिया जाए लेकिन सनातन में ऐसा कोई एजेंडा नहीं है।

देश के प्रधानमंत्री की तारीफ की

Yog guru Baba Ramdev ने सभा में देश के प्रधानमंत्री मोदी जी की तारीफ भी की थी। उन्होंने कहा कि पॉलिटिशियन काफ़ी खतरनाक होते हैं क्योंकि वे लोगों को जाति के आधार पर बाँट देते हैं। लेकिन यह तो अच्छी बात है कि देश का प्रधानमंत्री ऐसा नहीं है और सनातन को मानने वाला है।

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RajyaSabha News : विपक्षी सदस्यों के हंगामा, राज्यसभा की कार्यवाही 2 बजे तक स्थगित

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RajyaSabha News 
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 04:52 AM
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RajyaSabha News : नई दिल्ली। राज्यसभा में सोमवार को विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने सूचीबद्ध कामकाज को नियम 267 के तहत निलंबित कर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की मांग करते हुए हंगामा किया, जिसकी वजह से उच्च सदन की कार्यवाही आरंभ होने के कुछ ही देर बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

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सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरु होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने पूर्व सदस्य अब्दुल समद सिद्दिकी के निधन का जिक्र किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। इसके बाद उन्होंने जरूरी दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए।

सभापति ने दस्तावेज पटल पर रखवाने के बाद बताया कि उन्हें विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस के प्रमोद तिवारी, द्रविड मुनेत्र कषगम के तिरुचि शिवा सहित दस सदस्यों की ओर से, नियम 267 के तहत नियत कामकाज निलंबित करने और उनके मुद्दों पर चर्चा के लिए नोटिस मिले हैं।

धनखड़ ने कहा कि कांग्रेस सदस्य के सी वेणुगोपाल सहित दो सदस्यों के नोटिस विलंब से मिले हैं। उन्होंने कहा कि आसन द्वारा दी गई व्यवस्था के अनुरूप नहीं होने की वजह से ये नोटिस स्वीकार नहीं किए गए। इस पर विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया।

सभापति ने कहा कि शून्यकाल के लिए सदस्यों द्वारा दिए गए नोटिस स्वीकार किए गए हैं और सदस्य अपने अपने मुद्दे इसके तहत उठाएं। उन्होंने वाईएसआर सदस्य वी विजय साई रेड्डी को शून्यकाल के तहत अपना मुद्दा उठाने के लिए कहा।

हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्यों से सभापति ने कहा ‘‘यह उच्च सदन है। मैंने पहले भी बार-बार कहा है और एक बार फिर कह रहा हूं कि सदन में जनहित के मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए। पूरे देश की निगाहें हम पर हैं। स्थापित परंपरा और दिशानिर्देशों में स्पष्ट कहा गया है कि सदन में व्यवस्था होनी चाहिए। हम जनता की आकांक्षाओं का सम्मान नहीं कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा ‘‘मैं लोकतंत्र और संविधान के नाम पर सदस्यों से अपील करता हूं कि सदन की कार्यवाही चलने दें। हर दिन आपको मुद्दे उठाने का मौका दिया जाता है। आप नियमों को तोड़ने की कोशिश न करें। हर दिन का उपयोग जनहित से जुड़े मुद्दे उठाने में किया जा सकता है।’’

हंगामा कर रहे सदस्यों से कार्यवाही चलने देने की अपील करते हुए धनखड़ ने कहा ‘‘आप नियत कामकाज होने दें। यह समय हमारे लिए आम आदमी से जुड़े मुद्दे उठाने का है, वह उठाने दें।’’

सदन में व्यवस्था बनते न देख सभापति ने 11 बज कर करीब 12 मिनट पर बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

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