Political News : कांग्रेस ने धनखड़ पर साधा निशाना, कहा— नायडू ने भी कहा था संविधान सर्वोच्च है





SHANTANU AND SUBHASHINI : समाजवाद और लोहिया के सिद्धांतों पर राजनीति करने वाले शरद यादव कभी विपक्षी मोर्चे को एकजुट करने में धुरंधर माने जाते थे। विपक्ष को एक मंच पर जुटाने के लिए वे हमेशा एक मजबूत कड़ी के रूप में नजर आते थे।वे एक ऐसे नेता थे जिनका हर दल में सम्मान था। शरद यादव तो राजनीति का चर्चित चेहरा रहे लेकिन उन्होंने लंबे समय तक अपने परिवार को राजनीति से दूर ही रखा। कुछ समय पहले तक उनके बच्चों और परिवार के बारे में लोग कम ही जानते थे । लेकिन नीतीश कुमार द्वारा पार्टी से दरकिनार किए जाने और अपने गिरते हुए स्वास्थ्य को देख कर आखिरकार वह भी अपने बच्चों को राजनीति में ले आए ।शरद यादव की विरासत उनकी बेटी सुभाषिनी यादव और अब बेटा शांतनु संभाल रहे हैं ।शरद यादव लंबे समय से बिहार के मधेपुरा लोक सभा सीट से चुनाव लड़ते रहे कई बार जीते कभी हारे भी ।
नितीश से धोखा खा कर टूट गए थे शरद
जेडीयू से बाहर होने के बाद उनके राजनीतिक जीवन में एक समय ऐसा भी आया कि जब वह चाह कर भी मधेपुरा से चुनाव नहीं लड़ पा रहे थे ,टिकट का संकट था। नीतीश का साथ छोड़ने के बाद उनके लिए मधेपुरा में अपने अस्तित्व को बचाए रखने की चुनौती थी। आपको बता दें लालू और नीतीश का लंबे समय तक साथ निभाने वाले शरद यादव की बेटी सुभाषिनी को विधानसभा का टिकट दिया था कोंग्रेस पार्टी ने। सुभाषिनी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 2020 में कांग्रेस में शामिल हुई और मधेपुरा के बिहारीगंज विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था ,लेकिन वह हार गई थी।
बेटा शांतनु है आरजेडी मे, बेटी शुभाषिनी कांग्रेस में
शरद यादव चाहते थे कि मधेपुरा से उनके परिवार का ही कोई सदस्य चुनाव लड़े तब कांग्रेस ने उनकी बेटी को टिकट दिया था। (Sharad Yadav son and daughter) 2020 से शरद यादव की बेटी उनकी विरासत को संभाल रही हैं अब उनके बेटे शांतनु भी राजनीति में सक्रिय हो गए हैं । एक बार फिर जब शरद यादव की नजदीकी लालू प्रसाद और नीतीश कुमार से बढ़ी तो वह तो सक्रिय रूप में उनकी पार्टी में शामिल नहीं हुए लेकिन उनका पुत्र शांतनु आरजेडी में में शामिल हो गया और अब वे बिहार की राजनीति में सक्रिय दिखाई देते हैं। कहा यह जा रहा है की शांतनु आने वाले लोकसभा चुनाव में मधेपुरा सीट से आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं।
SHANTANU AND SUBHASHINI : समाजवाद और लोहिया के सिद्धांतों पर राजनीति करने वाले शरद यादव कभी विपक्षी मोर्चे को एकजुट करने में धुरंधर माने जाते थे। विपक्ष को एक मंच पर जुटाने के लिए वे हमेशा एक मजबूत कड़ी के रूप में नजर आते थे।वे एक ऐसे नेता थे जिनका हर दल में सम्मान था। शरद यादव तो राजनीति का चर्चित चेहरा रहे लेकिन उन्होंने लंबे समय तक अपने परिवार को राजनीति से दूर ही रखा। कुछ समय पहले तक उनके बच्चों और परिवार के बारे में लोग कम ही जानते थे । लेकिन नीतीश कुमार द्वारा पार्टी से दरकिनार किए जाने और अपने गिरते हुए स्वास्थ्य को देख कर आखिरकार वह भी अपने बच्चों को राजनीति में ले आए ।शरद यादव की विरासत उनकी बेटी सुभाषिनी यादव और अब बेटा शांतनु संभाल रहे हैं ।शरद यादव लंबे समय से बिहार के मधेपुरा लोक सभा सीट से चुनाव लड़ते रहे कई बार जीते कभी हारे भी ।
नितीश से धोखा खा कर टूट गए थे शरद
जेडीयू से बाहर होने के बाद उनके राजनीतिक जीवन में एक समय ऐसा भी आया कि जब वह चाह कर भी मधेपुरा से चुनाव नहीं लड़ पा रहे थे ,टिकट का संकट था। नीतीश का साथ छोड़ने के बाद उनके लिए मधेपुरा में अपने अस्तित्व को बचाए रखने की चुनौती थी। आपको बता दें लालू और नीतीश का लंबे समय तक साथ निभाने वाले शरद यादव की बेटी सुभाषिनी को विधानसभा का टिकट दिया था कोंग्रेस पार्टी ने। सुभाषिनी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 2020 में कांग्रेस में शामिल हुई और मधेपुरा के बिहारीगंज विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था ,लेकिन वह हार गई थी।
बेटा शांतनु है आरजेडी मे, बेटी शुभाषिनी कांग्रेस में
शरद यादव चाहते थे कि मधेपुरा से उनके परिवार का ही कोई सदस्य चुनाव लड़े तब कांग्रेस ने उनकी बेटी को टिकट दिया था। (Sharad Yadav son and daughter) 2020 से शरद यादव की बेटी उनकी विरासत को संभाल रही हैं अब उनके बेटे शांतनु भी राजनीति में सक्रिय हो गए हैं । एक बार फिर जब शरद यादव की नजदीकी लालू प्रसाद और नीतीश कुमार से बढ़ी तो वह तो सक्रिय रूप में उनकी पार्टी में शामिल नहीं हुए लेकिन उनका पुत्र शांतनु आरजेडी में में शामिल हो गया और अब वे बिहार की राजनीति में सक्रिय दिखाई देते हैं। कहा यह जा रहा है की शांतनु आने वाले लोकसभा चुनाव में मधेपुरा सीट से आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं।