RaniLaxmiBai: रानी लक्ष्मी बाई की मौत के बाद क्या हुआ उनके बेटे दामोदर राव का

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RaniLaxmiBai
locationभारत
userचेतना मंच
calendar18 Jun 2024 05:26 PM
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RaniLaxmiBai : झांसी के अंतिम संघर्ष में महारानी की पीठ पर बंधा उनका बेटा दामोदर राव Damodar Rao (असली नाम आनंद राव) सबको याद है. RaniLaxmiBai  की चिता जल जाने के बाद उस बेटे का क्या हुआ वो कोई कहानी का किरदार भर नहीं था, 1857 के विद्रोह की सबसे महत्वपूर्ण कहानी को जीने वाला राजकुमार था जिसने उसी गुलाम भारत में जिंदगी काटी, जहां उसे भुला कर उसकी मां के नाम की कसमें खाई जा रही थी. अंग्रेजों ने दामोदर राव को कभी झांसी का वारिस नहीं माना था, सो उसे सरकारी दस्तावेजों में कोई जगह नहीं मिली थी. ज्यादातर हिंदुस्तानियों ने सुभद्रा कुमारी चौहान के कुछ सही, कुछ गलत आलंकारिक वर्णन को ही इतिहास मानकर इतिश्री कर ली.

1959 में छपी वाई एन केलकर की मराठी किताब ‘इतिहासाच्य सहली’ (इतिहास की सैर) में दामोदर राव का इकलौता वर्णन छपा.

RaniLaxmiBai की मृत्यु के बाद दामोदार राव ने एक तरह से अभिशप्त जीवन जिया. उनकी इस बदहाली के जिम्मेदार सिर्फ फिरंगी ही नहीं हिंदुस्तान के लोग भी बराबरी से थे. आइये, दामोदर की कहानी दामोदर की जुबानी सुनते हैं – 15 नवंबर 1849 को नेवलकर राजपरिवार की एक शाखा में मैं पैदा हुआ. ज्योतिषी ने बताया कि मेरी कुंडली में राज योग है और मैं राजा बनूंगा. ये बात मेरी जिंदगी में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से सच हुई. तीन साल की उम्र में महाराज ने मुझे गोद ले लिया. गोद लेने की औपचारिक स्वीकृति आने से पहले ही पिताजी नहीं रहे.मां साहेब (महारानी लक्ष्मीबाई) ने कलकत्ता में लॉर्ड डलहॉजी को संदेश भेजा कि मुझे वारिस मान लिया जाए. मगर ऐसा नहीं हुआ. डलहॉजी ने आदेश दिया कि झांसी को ब्रिटिश राज में मिला लिया जाएगा. मां साहेब को 5,000 सालाना पेंशन दी जाएगी. इसके साथ ही महाराज की सारी सम्पत्ति भी मां साहेब के पास रहेगी. मां साहेब के बाद मेरा पूरा हक उनके खजाने पर होगा मगर मुझे झांसी का राज नहीं मिलेगा. इसके अलावा अंग्रेजों के खजाने में पिताजी के सात लाख रुपए भी जमा थे. फिरंगियों ने कहा कि मेरे बालिग होने पर वो पैसा मुझे दे दिया जाएगा.

अंग्रेजों से बचने के लिए जंगलो में रहे ,कन्द मूल खाकर किया गुजारा

मां साहेब को ग्वालियर की लड़ाई में शहादत मिली. मेरे सेवकों (रामचंद्र राव देशमुख और काशी बाई) और बाकी लोगों ने बाद में मुझे बताया कि मां ने मुझे पूरी लड़ाई में अपनी पीठ पर बैठा रखा था. मुझे खुद ये ठीक से याद नहीं. इस लड़ाई के बाद हमारे कुल 60 विश्वासपात्र ही जिंदा बच पाए थे.नन्हें खान रिसालेदार, गनपत राव, रघुनाथ सिंह और रामचंद्र राव देशमुख ने मेरी जिम्मेदारी उठाई. 22 घोड़े और 60 ऊंटों के साथ बुंदेलखंड के चंदेरी की तरफ चल पड़े. हमारे पास खाने, पकाने और रहने के लिए कुछ नहीं था. किसी भी गांव में हमें शरण नहीं मिली. मई-जून की गर्मी में हम पेड़ों तले खुले आसमान के नीचे रात बिताते रहे. शुक्र था कि जंगल के फलों के चलते कभी भूखे सोने की नौबत नहीं आई.

खर्च और खाने के जुगाड़ के लिए RaniLaxmiBai की आखिरी निशानी 32 तोले के तोड़े भी देने पड़े

असल दिक्कत बारिश शुरू होने के साथ शुरू हुई. घने जंगल में तेज मानसून में रहना असंभव हो गया. किसी तरह एक गांव के मुखिया ने हमें खाना देने की बात मान ली. रघुनाथ राव की सलाह पर हम 10-10 की टुकड़ियों में बंटकर रहने लगे.मुखिया ने एक महीने के राशन और ब्रिटिश सेना को खबर न करने की कीमत 500 रुपए, 9 घोड़े और चार ऊंट तय की. हम जिस जगह पर रहे वो किसी झरने के पास थी और खूबसूरत थी.देखते-देखते दो साल निकल गए. ग्वालियर छोड़ते समय हमारे पास 60,000 रुपए थे, जो अब पूरी तरह खत्म हो गए थे. मेरी तबियत इतनी खराब हो गई कि सबको लगा कि मैं नहीं बचूंगा. मेरे लोग मुखिया से गिड़गिड़ाए कि वो किसी वैद्य का इंतजाम करें.मेरा इलाज तो हो गया मगर हमें बिना पैसे के वहां रहने नहीं दिया गया. मेरे लोगों ने मुखिया को 200 रुपए दिए और जानवर वापस मांगे. उसने हमें सिर्फ 3 घोड़े वापस दिए. वहां से चलने के बाद हम 24 लोग साथ हो गए.

बागी बन के गुजारी जिंदगी,सहयोगियों को अंग्रेजों ने डाला पागलखाने में 

ग्वालियर के शिप्री में गांव वालों ने हमें बागी के तौर पर पहचान लिया. वहां तीन दिन उन्होंने हमें बंद रखा, फिर सिपाहियों के साथ झालरपाटन के पॉलिटिकल एजेंट के पास भेज दिया. मेरे लोगों ने मुझे पैदल नहीं चलने दिया. वो एक-एक कर मुझे अपनी पीठ पर बैठाते रहे. हमारे ज्यादातर लोगों को पागलखाने में डाल दिया गया. मां साहेब के रिसालेदार नन्हें खान ने पॉलिटिकल एजेंट से बात की.उन्होंने मिस्टर फ्लिंक से कहा कि झांसी रानी साहिबा का बच्चा अभी 9-10 साल का है. रानी साहिबा के बाद उसे जंगलों में जानवरों जैसी जिंदगी काटनी पड़ रही है. बच्चे से तो सरकार को कोई नुक्सान नहीं. इसे छोड़ दीजिए पूरा मुल्क आपको दुआएं देगा.फ्लिंक एक दयालु आदमी थे, उन्होंने सरकार से हमारी पैरवी की. वहां से हम अपने विश्वस्तों के साथ इंदौर के कर्नल सर रिचर्ड शेक्सपियर से मिलने निकल गए. हमारे पास अब कोई पैसा बाकी नहीं था. सफर का खर्च और खाने के जुगाड़ के लिए मां साहेब के 32 तोले के दो तोड़े हमें देने पड़े. मां साहेब से जुड़ी वही एक आखिरी चीज हमारे पास थी.

पॉलिटिकल एजेंट फ्लिंक की मदद से खत्म हुई जद्दोंजहद

इसके बाद 5 मई 1860 को दामोदर राव को इंदौर में 10,000 सालाना की पेंशन अंग्रेजों ने बांध दी. उन्हें सिर्फ सात लोगों को अपने साथ रखने की इजाजत मिली. ब्रिटिश सरकार ने सात लाख रुपए लौटाने से भी इंकार कर दिया.दामोदर राव के असली पिता की दूसरी पत्नी ने उनको बड़ा किया. 1879 में उनके एक लड़का लक्ष्मण राव हुआ.दामोदर राव के दिन बहुत गरीबी और गुमनामी में बीते। इसके बाद भी अंग्रेज उन पर कड़ी निगरानी रखते थे।

इंदौर से बाहर जाने की इजाजत नहीं थी

दामोदर राव के साथ उनके बेटे लक्ष्मणराव को भी इंदौर से बाहर जाने की इजाजत नहीं थी। इनके परिवार वाले आज भी इंदौर में ‘झांसीवाले’ सरनेम के साथ रहते हैं.RaniLaxmiBai के एक सौतेला भाई चिंतामनराव तांबे भी था. तांबे परिवार इस समय पूना में रहता है. RaniLaxmiBai के वंशज इंदौर के अलावा देश के कुछ अन्य भागों में रहते हैं।

ब्रिटिश सरकार नहीं लौटाए सात लाख रुपए 

वे अपने नाम के साथ झाँसीवाले लिखा करते हैं। जब दामोदर राव नेवालकर 5 मई 1860 को इंदौर पहुँचे थे तब इंदौर में रहते हुए उनकी चाची जो दामोदर राव की असली माँ थी। बड़े होने पर दामोदर राव का विवाह करवा देती है लेकिन कुछ ही समय बाद दामोदर राव की पहली पत्नी का देहांत हो जाता है। दामोदर राव की दूसरी शादी से लक्ष्मण राव का जन्म हुआ। दामोदर राव का उदासीन तथा कठिनाई भरा जीवन 28 मई 1906 को इंदौर में समाप्त हो गया।

28 मई 1906 को इंदौर में हुआ निधन

अगली पीढ़ी में लक्ष्मण राव के बेटे कृष्ण राव और चंद्रकांत राव हुए। कृष्ण राव के दो पुत्र मनोहर राव, अरूण राव तथा चंद्रकांत के तीन पुत्र अक्षय चंद्रकांत राव, अतुल चंद्रकांत राव और शांति प्रमोद चंद्रकांत राव हुए।दामोदर राव चित्रकार थे उन्होंने अपनी माँ RaniLaxmiBai के याद में उनके कई चित्र बनाये हैं जो झाँसी परिवार की अमूल्य धरोहर हैं। उनके वंशज श्री लक्ष्मण राव तथा कृष्ण राव इंदौर न्यायालय में टाईपिस्ट का कार्य करते थे ! अरूण राव मध्यप्रदेश विद्युत मंडल से बतौर जूनियर इंजीनियर 2002 में सेवानिवृत्त हुए हैं। उनका बेटा योगेश राव सॅाफ्टवेयर इंजीनियर है। वंशजों में प्रपौत्र अरुणराव झाँसीवाला, उनकी धर्मपत्नी वैशाली, बेटे योगेश व बहू प्रीति का धन्वंतरिनगर इंदौर में सामान्य नागरिक की तरह माध्यम वर्ग परिवार हैं। साभार फेसबुक

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बेटी की छूट गई UPSC परीक्षा, माता-पिता का हुआ बुरा हाल

UPSC Prelims Viral Video
UPSC Prelims Viral Video
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 02:21 PM
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UPSC Prelims Viral Video: एक युवती की UPSC की परीक्षा छूटने के बाद का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में युवती के पिता दहाड़े मार-मार कर रोते हुए दिखाई दे रहे हैं। बेटी की UPSC की परीक्षा छूटने पर माता-पिता को लग रहा है कि मानो उनका पूरा संसार ही उजड़ गया हो। वायरल वीडियो में बेटी की मां UPSC के परीक्षा केन्द्र के बाहर बेहोश हालत में नजर आ रही है। UPSC की परीक्षा छूटने पर वायरल हुए वीडियो ने इंटरनेट पर सनसनी फैला दी है।

रविवार को थी UPSC की परीक्षा

आपको बता दें कि रविवार 16 जून को देश भर में संघ लोक सेवा आयोग यानि UPSC की प्रारंभिक परीक्षा आयोजित की गई थी। हरियाणा के गुरूग्राम में एक परीक्षा केन्द्र पर पहुंचने में एक युवती मामूली सी लेट हो गई थी। UPSC के परीक्षा केन्द्र पर तैनात अधिकारियों ने युवती को परीक्षा केन्द्र में प्रवेश नहीं करने दिया। बेटी को प्रवेश न मिलने पर युवती की मां बेहोश हो गई। इसी बीच युवती के पिता जोर-जोर से रोने लगे। इस दु:ख की घड़ी में किसी ने पूरे घटनाक्रम का वीडिया बना लिया। वह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।

दर्दनाक है वायरल वीडियो

UPSC की परीक्षा छूटने के बाद के नजारे का यह वीडियो दर्दनाक है। वीडियो में छात्रा की मां बेहोश दिख रही हैं और पिता रो रहे हैं। छात्रा अपने पिता को समझाते हुए कह रही है- पापा! पानी पियो। क्यों ऐसे कर रहे हो? पापा, हम अगली बार दे देंगे। कुछ ऐसी बात नहीं है। पिता अपनी बेटी की एक साल की मेहनत बर्बाद होने का दुःख जताते हुए कहते हैं- एक साल गया बाबू हमारा। बेटी पिता को समझाते हुए कहती है- कोई बात नहीं! ना उमर निकली जा रही। गुस्से में पिता स्कूल अधिकारियों को भी कोसते दिख रहे हैं। मां जाने को तैयार नहीं हैं और कह रही हैं, "ना जाऊंगी"। बेटी और पिता उन्हें उठाने की कोशिश कर रहे हैं। वीडियो में छात्रा की मां बेहोश दिख रही हैं और पिता रो रहे हैं। छात्रा अपने पिता को समझाते हुए कह रही है- पापा! पानी पियो। क्यों ऐसे कर रहे हो? पापा, हम अगली बार दे देंगे। कुछ ऐसी बात नहीं है। पिता अपनी बेटी की एक साल की मेहनत बर्बाद होने का दुःख जताते हुए कहते हैं- एक साल गया बाबू हमारा। बेटी पिता को समझाते हुए कहती है- कोई बात नहीं! ना उमर निकली जा रही। गुस्से में पिता स्कूल अधिकारियों को भी कोसते दिख रहे हैं। मां जाने को तैयार नहीं हैं और कह रही हैं, "ना जाऊंगी"। बेटी और पिता उन्हें उठाने की कोशिश कर रहे हैं।

रविवार को वायरल हुए इस वीडियो को अब तक 10 लाख 90  हजार से अधिक बार देखा जा चुका है। यूजर्स इस घटना पर दुख जता रहे हैं। एक यूजर ने लिखा- मैं भी कल परीक्षा में शामिल हुआ था, उन्होंने मुझे सुबह 9 बजे के बाद भी अंदर जाने दिया। लेकिन कुछ कॉलेजों में, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वहां किस तरह के प्रिंसिपल हैं। उन्होंने उम्मीदवारों को सुबह 9:25 बजे तक अंदर जाने दिया और उसके बाद गेट बंद कर दिया। वह दयालु थे। एक अन्य यूजर ने कमेंट किया- एक अच्छी UPSC उम्मीदवार, उसने अपनी मां को रोते हुए देखकर अपना आपा नहीं खोया, बल्कि रोती हुई चाची के लिए दुखी हुई। यह घटना UPSC जैसी कठिन परीक्षा की तैयारी में छात्रों और उनके परिवारों द्वारा झेली जाने वाली कठिनाइयों और दबाव को उजागर करती है।

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भारत के RBI ने गाड़ा दुनिया भर में झंडा,मिला बड़ा पुरस्कार

RBI
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calendar30 Nov 2025 08:57 AM
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RBI : भारतीय रिजर्व बैंक यानि कि RBI भारत के सभी बैंकों का संचालन करता है। RBI दुनिया के प्रमुख बैंकों की गिनती में सबसे ऊपर है। अब RBI के नाम पर एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है। RBI ने पूरी दुनिया में अपनी विशेषता का झंडा गाड़ दिया है। RBI को लंदन में दुनिया के विशेष पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया है।

RBI को मिला पुरस्कार

भारतीय रिजर्व बैंक ने 'रिस्क मैनेजर ऑफ द ईयर अवार्ड 2024' (Risk Manager of the Year Award 2024) जीता है। यह अवार्ड लंदन का एक प्रमुख प्रकाशन सेंट्रल बैंकिंग प्रदान करता है। यह अवार्ड भारतीय रिजर्व बैंक के जोखिम संस्कृति और जागरूकता को बढ़ाने में किए गए प्रयासों को मान्यता देता है। इससे भारतीय वित्तीय प्रणाली की स्थिरता की सुरक्षा में आरबीआई की महत्वपूर्ण भूमिका की पुष्टि होती है।  

'रिस्क मैनेजर ऑफ द ईयर अवार्ड 2024'

आरबीआई ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि की जानकारी अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर साझा की है। आरबीआई ने लिखा कि लंदन की सेंट्रल बैंकिंग ने रिस्क मैनेजर ऑफ द ईयर अवार्ड 2024 से सम्मानित किया है। आरबीआई को अपनी जोखिम संस्कृति और जागरूकता में सुधार की खातिर सर्वश्रेष्ठ जोखिम प्रबंधक का पुरस्कार दिया गया है। आरबीआई की तरफ से कार्यकारी निदेशक मनोरंजन मिश्रा ने पुरस्कार प्राप्त किया।

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