Oxfam Report में रोजगार पाने वाली महिलाओं की संख्या कम

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Oxfam Report
locationभारत
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calendar02 Dec 2025 02:44 AM
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Oxfam Report 2021  ऑक्सफैम रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के चलते 2020 की तुलना में 2021 में कम संख्या में महिलाओं को रोजगार मिला। विश्व भर में सरकारें महामारी से अपनी अर्थव्यवस्थाओं को उबारने और महंगाई पर रोक लगाने की कोशिशों के तहत महिलाओं एवं लड़कियों को गरीबी के नये स्तर, अधिक कामकाज और समय से पहले मृत्यु के अभूतपूर्व खतरे में डाल रही हैं। यह दावा रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।

ऑक्सफैम की ‘द असॉल्ट ऑफ ऑस्टेरिटी’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी से उबरने की कोविड के बाद की राह महिलाओं एवं लड़कियों के जीवन की सुरक्षा की कीमत पर और उनके कठिन परिश्रम के बूते तैयार की जा रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कई सरकारों ने जलापूर्ति जैसी सार्वजनिक सेवाओं में कटौती की है, जिसका मतलब है कि विश्व भर में महिलाएं और लड़कियों को इसके लिए अधिक समय देना पड़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व भर में सरकारें महामारी से अपनी अर्थव्यवस्थाओं को उबारने और महंगाई पर रोक लगाने की कोशिशों के तहत महिलाओं एवं लड़कियों को गरीबी के नये स्तर, अधिक कामकाज और समय से पहले मृत्यु के अभूतपूर्व खतरे में डाल रही है। इसमें कहा गया है, महामारी के चलते 2020 की तुलना में 2021 में कम संख्या में महिलाओं को रोजगार मिला। रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं को इन जरूरी सार्वजनिक सेवाओं में कटौती के परिणाम के रूप में शारीरिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक प्रभावों का सामना करना पड़ा क्योंकि वे उन पर ज्यादा निर्भर करती हैं। लैंगिक न्याय एवं लैंगिक अधिकार मामलों की ऑक्सफैम प्रमुख अमीना हेरसी ने कहा, महामारी के बाद इससे उबरने की राह महिलाओं एवं लड़कियों के जीवन, कड़ी मेहनत और सुरक्षा की कीमत पर तैयार की जा रही है। उन्होंने कहा, मितव्ययिता लैंगिक आधारित हिंसा का एक रूप है। उन्होंने कहा कि सरकारें सार्वजनिक सेवाओं में कटौती कर नुकसान पहुंचाना जारी रख सकती हैं, या वे उन लोगों पर कर लगा सकती है जो इसे वहन कर सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, महिलाएं एवं लड़कियां स्वच्छ जल प्राप्त करने के लिए अधिक परेशानी का सामना कर रही हैं। इसके अभाव में हर साल उनमें से 8,00,000 की जान चली जाती है। इसमें कहा गया है, वे अधिक हिंसा का सामना करती हैं, यहां तक कि हर 10 महिलाओं एवं लड़कियों में एक को बीते साल अपने करीबी व्यक्ति से यौन और शारीरिक हिंसा का सामना करना पड़ा।
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नॉन ट्रांसप्लांट रिट्रीवल सेंटर को शासन की मंजूरी

2022 06 19
locationभारत
userचेतना मंच
calendar25 Nov 2022 10:57 PM
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ग्रेटर नोएडा। शासन ने नॉन ट्रांसप्लांट रिट्रीवल सेंटर को मंजूरी दे दी है। अब ब्रेन डेड मरीजों के परिजनों द्वारा दान किए गए अंगों को प्रत्यारोपण के लिए निकालने बाबत अन्य अस्पताल नहीं भेजना पड़ेगा। यह काम अब यहीं पर होगा। चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण के महानिदेशक ने राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान में नॉन ट्रांसप्लांट रिट्रीवल सेंटर के कार्य के लिए अनुमति दे दी है। इसमें विभिन्न अस्पतालों की टीम परिसर में आकर मृत इंसान के अंग निकल सकेगी। पूर्व में शासन स्तर की टीम ने इसको लेकर संस्थान का निरीक्षण किया गया है। जिम्स के निदेशक डॉ.राकेश कुमार गुप्ता ने बताया कि प्रत्यारोपण के लिए अंगदान का इंतजार कर रहे लोगों की प्रतिक्षा सूची लंबी होती जा रही है। कहा, उनके यहां पांच से छह मरीज ब्रेन डेड घोषित होते हैं। दान के बाद अंग निकाल कर इसे सुरक्षित संग्रहित करने की व्यवस्था नहीं थी, जिसकी वजह से दिक्कत रहती थी। ऐसे में अब शासन स्तर से सेंटर बनाने के लिए अनुमति मिल गई है, अब ये काफी मददगार साबित होगा। उन्होंने बताया कि मरीजों और परिजनों से बात कर उन्हें अंगदान के लिए जागरूक करेंगे। मृतकों को जलाने या दफनाने के बजाय उनके अंग किसी और को दूसरी जिंदगी देने के काम आ सकते हैं।  
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Health : डॉक्टर की सलाह के बिना न लें एंटीबायोटिक दवा

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Dr. Ritika, Microbiologist, Felix Hospital
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userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 05:09 AM
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Health :  नोएडा । बदलते मौसम में अधिकतर लोग बीमार पड़ रहे है। सर्दी, जुकाम, बुखार, डेंगू मलेरिया समेत कई तरह के मरीज अस्पताल पहुंच रहे है। ऐसे में कई लोग बिना डॉक्टर के सलाह के मेडिकल स्टोरों और झोलाछाप से लगातार एंटीबायोटिक और पैरासिटामोल का प्रयोग कर रहे है, जिसकी वजह से लीवर और फेफड़ों में खराबी आ रही है। फेलिक्स हॉस्पिटल की माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट डॉ रितिका ने बताया कि डॉक्टर की सलाह के बिना एंटीबायोटिक (एंटीमाइक्रोबियल) का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। दवा जितने दिन के लिए और जितनी मात्रा में लिखी है उसका कोर्स पूरा करें। दवा का प्रयोग करने के बाद बेहतर महसूस कर रहें है तो भी कोर्स पूरा करें, क्योंकि दवा लेने से प्रारंभिक स्तर पर हमारे शरीर में आराम तो आ जाता है लेकिन संक्रमण पैदा करने वाले सूक्ष्मजीव पूरी तरह से खत्म नहीं होते हैं। कोर्स बीच में छोडऩे से यह सूक्ष्मजीव धीरे धीरे उस दवा के प्रति प्रतिरोध क्षमता हासिल कर लेते हैं और अगली बार जब हम बीमार होते हैं तो वह दवा पूरी तरह असरदार नहीं होती है। वर्ल्ड एंटीमाइक्रोबियल अवेयरनेस वीक (18 से 24 नवंबर) तक मनाया जा रहा है। वीक के दौरान रोगाणुरोधी प्रतिरोध के प्रति आमजन को जागरूक करने के लिए विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। एंटीमाइक्रोबियल रेसिसटेंस या रोगाणुरोधी प्रतिरोध एक ऐसी स्थिति है, जिसमें रोग पैदा करने वाले रोगाणु, जैसे- बैक्टीरिया, वायरस, फंजाई तथा पैरासाइट्स दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो जाते हैं। आम बोलचाल की भाषा में किसी सूक्ष्मजीव वायरस, बैक्टीरिया आदि के संक्रमण के इलाज के लिए प्रयुक्त होने वाली दवा के प्रति उस सूक्ष्मजीव द्वारा प्रतिरोध क्षमता हासिल कर लेना ही एंटीमाइक्रोबियल रेसिसटेंस है। इसके परिणामस्वरूप मानक उपचार अप्रभावी या कम असरदार रहते हैं और इससे बीमारी के फैलने तथा मृत्यु की संभावना रहती है। दवाओं के कम प्रभावी रहने से यह संक्रमण शरीर में बना रह जाता है और दूसरों में फैलने का खतरा बरकरार रहता है। इससे इलाज की लागत बढ़ती है तथा मृत्युदर में इजाफा होने की संभावना बनी रहती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एंटीमाइक्रोबियल रेसिसटेंस को वैश्विक स्वास्थ्य के लिए शीर्ष 10 खतरों में से एक के रूप में पहचाना है। ग्लोबल एंटीमाइक्रोबियल रेसिसटेंस सर्विलांस सिस्टम के डाटा के अनुसार महत्त्वपूर्ण एंटीमाइक्रोबियल के प्रति प्रतिरोध क्षमता में वैश्विक स्तर पर इजाफा हो रहा है। एंटीबायोटिक्स लेते वक्त इन 5 बातों को न भूलें -इसे हर बीमारी और तकलीफ में यूज न करें -इन्फेक्शन कैसा है, यह जानना जरूरी है -डोज और ड्यूरेशन तय होना चाहिए -एक बार एंटीबायोटिक्स ली है, तो उसका कोर्स पूरा करें -किडनी और लिवर से जुड़ी कोई प्रॉब्लम है, तो इसे लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें बिना जरूरत एंटीबायोटिक लेने के बाद लक्षण -उल्टी महसूस होना या चक्कर आना -डायरिया या पेटदर्द -एलर्जिक रिएक्शन -वेजाइनल यीस्ट इंफेक्शन