Health: औषधीय गुणों की खान है 'टिंडा'!

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calendar30 Nov 2025 01:47 PM
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 विनय संकोची Health: 'टिंडा' (Apple Gourd) एक ऐसी सब्जी है, जो बहुत से लोगों को पसंद ही नहीं आती है। टिंडा खाना तो दूर इसका नाम सुनते ही बहुत से लोगों के मुंह का जायका बिगड़ जाता है। मूड खराब हो जाता है। हल्के हरे रंग का रोयेंदार टिंडा भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में ही विशेष रूप से उगाया जाता है। वैसे अब इस गुणकारी सब्जी को कुछ अफ्रीकी देशों में भी उगाया जाने लगा है। हल्के हरे आवरण वाला टिंडा अंदर से सफेद होता है और इसमें बीज भी होते हैं। अंग्रेजी में ऐपल गार्ड कहे जाने वाले टिंडे को संस्कृत में रोमशफल, डिंडिश, चित्तगोडुंबा मराठी में ढेमसे, मलयालम में दिंडशी और सिंधी में दिलपसंद कहा जाता है। टिंडे को आयुर्वेद स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद और अनेक बीमारियों को रोकने में उपयोगी मानता है। शून्य कोलेस्ट्रॉल (Zero Cholesterol)  और अधिक पानी वाले टिंडे में प्रोटीन (Protein), फैट(Fat), कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate), फाइबर (Fiber), कैल्शियम(Calcium), पोटेशियम (Potassium) , विटामिन ए (Vitamin-A), विटामिन सी(Vitamin-C) , विटामिन बी6( Vitamin-B 6), विटामिन ई (Vitamin-E) जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त टिंडे में एंटी ऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल और एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण भी मिलते हैं। खीरे के परिवार के सदस्य टिंडे की तासीर ठंडी होती है। अपने पोषक तत्वों और गुणों के कारण टिंडा सुपर फूड की श्रेणी में आता है। आइए जानते हैं टिंडे के गुण और उपयोग के बारे में, जिन्हें जानकर आप टिंडे को अपने आहार में जरूर शामिल करना चाहेंगे। • कैलोरी बहुत कम होने के कारण टिंडा मधुमेह रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। टिंडे के सेवन से ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में मदद मिल सकती है। टिंडे के छिलके में मौजूद फोटोकेमिकल ब्लड शुगर को कम कर सकता है। • सप्ताह में दो-तीन बार टिंडे का नियमित सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि हो सकती है। टिंडे के बीजों के सेवन से भी इम्युनिटी बढ़ती है। टिंडे का सेवन आए दिन होने वाले रोगों के हमलों को रोकने में मददगार हो सकता है। • टिंडा दिल का दोस्त होता है। टिंडे के नियमित सेवन से शरीर में रक्त प्रवाह निर्बाध रहता है और हृदय की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है। हृदय रोगियों को टिंडे के सेवन से परहेज नहीं करना चाहिए। • टिंडे के सेवन से छाती और गले में जमा हुआ बलगम आसानी से पिघलकर निकलने लगता है। टिंडा श्वसन तंत्र को भी मजबूती प्रदान करता है। • टिंडे में 94% पानी होता है और इसमें फाइबर भी पर्याप्त मात्रा में मौजूद होता है। यदि टिंडे को अपने आहार में ठीक से शामिल कर लिया जाए, तो वजन बढ़ने के जोखिम से बचा जा सकता है। और यदि वजन बढ़ ही गया है, तो टिंडे के सेवन से उसे कम भी किया जा सकता है। • टिंडा पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है इसके सेवन से गैस डायरिया और डिहाइड्रेशन जैसी समस्या भी नहीं होती है। • टिंडे के सेवन से त्वचा को भी स्वस्थ और सुंदर बनाए रखा जा सकता है। टिंडे में मौजूद विटामिन-ई नर्म और मॉइश्चराइज करने में मदद करती है। टिंडा त्वचा को एलर्जी और फंगल इंफेक्शन से भी बचाता है। • टिंडा खून को साफ करने में सहायक है, जिससे दूषित रक्त से होने वाले विकारों के जोखिम से बचा जा सकता है। • टिंडे की कम मसाले वाली सब्जी के सेवन से पीलिया और मधुमेह में फायदा होता है। • ताजे कोमल टिंडे के 10-15 मिलीलीटर रस में 80 मिलीग्राम यवक्षार मिलाकर पीने से पथरी टूट-टूट कर निकल सकती है। • टिंडे के नियमित सेवन से मूत्राशय की सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है। • टिंडे का रस निकालकर मिश्री मिलाकर सेवन करने से प्रदर यानी ल्युकोरिया के उपचार में सहायता मिल सकती है। जरूरी बात : टिंडे के अत्यधिक मात्रा में सेवन से पेट-दर्द, पेट में ऐठन की शिकायत हो सकती है। ज्यादा टिंडे खाने से डायरिया हो सकता है। गर्भवती महिलाओं को टिंडे के सेवन से बचना चाहिए।  विशेष : यहां टिंडे के गुण और उपयोग के बारे में विशुद्ध सामान्य जानकारी दी गई है। यह सामान्य जानकारी चिकित्सकीय परामर्श का विकल्प नहीं है। इसलिए हम किसी उपाय अथवा जानकारी की सफलता का दावा नहीं करते हैं। रोग विशेष के उपचार में टिंडे को औषधि रूप में अपनाने से पूर्व योग्य आयुर्वेदाचार्य/चिकित्सक/आहार विशेषज्ञ से परामर्श जरूरी है।
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HIV Vaccine- मिला एड्स का इलाज, वैक्सीन के एक डोज से खत्म होगी बीमारी

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calendar16 Jun 2022 06:34 PM
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HIV Vaccine- दुनिया भर के लिए यह खुशखबरी की बात है कि कैंसर के बाद अब वैज्ञानिकों ने जानलेवा बीमारी एचआईवी/एड्स का भी इलाज ढूंढ लिया है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक इजरायल देश के टेल अवीव यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक एक ऐसी वैक्सीन बनाने में कामयाब हुए हैं, जिसका मात्र एक खुराक लेने से ही शरीर में मौजूद एचआईवी का वायरस खत्म हो सकता है।

क्या है एचआईवी/एड्स, और ये कैसे फैलता है -

एड्स यानी एक्वायर्ड इम्यूनोडिफिशिएंसी सिंड्रोम, एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस) नामक वायरस से फैलने वाली एक बीमारी है। बीसवीं सदी में यह बीमारी चिंपांजी के जरिए इंसानों में फैली। इसे एक यौन बीमारी के रूप में भी जाना जाता है। मुख्यतः यह बीमारी असुरक्षित यौन संबंधों के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती है। इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति का खून यदि किसी भी तरीके से अन्य व्यक्ति के खून में मिल जाता है तो यह बीमारी फैलती है। यह एक जानलेवा बीमारी है, जिसका अभी तक कोई भी इलाज संभव नहीं था।

बनाई गई HIV Vaccine-

इसराइल के वैज्ञानिकों द्वारा एचआईवी वैक्सीन (HIV Vaccine) का निर्माण किया गया है। वैज्ञानिकों ने जीन एडिटिंग टेक्नोलॉजी की मदद से इस वैक्सीन का निर्माण किया है। वैक्सीन का निर्माण करने के लिए सफेद रक्त कोशिकाओं (White Blood Sells) का इस्तेमाल किया गया है। वैक्सीन का ट्रायल चूहों पर किया जा चुका है।
Health :कद्दू सब्जी तो है ही, दवा का काम भी करता है!
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह दवा एंटीबॉडी सुरक्षित और शक्तिशाली है। यह संक्रामक बीमारियों को ठीक करने में सहायक होगी। वैक्सीन को बनाने के लिए b-type वाइट ब्लड सेल्स का इस्तेमाल किया गया है जो वायरस और बैक्टीरिया के खिलाफ इम्युनिटी बढ़ाने का काम करता है। वैज्ञानिक जीन एडिटिंग टेक्नोलॉजी CRISPR की मदद से इसमें बदलाव कर रहे हैं जिससे वायरस जैसे ही शरीर पर अटैक करेगा सेल्स उस पर हावी हो जाएंगे। CRISPR टेक्नोलॉजी एक जीन एडिटिंग टेक्नोलॉजी है जिसकी मदद से बैक्टीरिया, वायरस या इंसानों के सेल्स को जेनेटिकली बदला जा सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस टेक्नोलॉजी की मदद से आने वाले कुछ सालों में एड्स व कैंसर का परमानेंट इलाज भी मार्केट में आ सकता।
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Health :'कद्दू' सब्जी तो है ही, दवा का काम भी करता है!

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calendar15 Jun 2022 03:27 PM
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 विनय संकोची Health: 'कद्दू'(Pumpkin) किसी परिचय का मोहताज नहीं है। इस सब्जी से ज्यादातर लोग परिचित हैं। एक समय में तो हर दावत में पूरियों के साथ कद्दू की सब्जी जरूर ही मौजूद रहती थी। आज तमाम तरह के व्यंजनों के बीच में कद्दू ने अपना अस्तित्व खोया नहीं है। कद्दू को पसंद करने वालों की आज भी कमी नहीं है। कद्दू लगभग संपूर्ण विश्व में उगाया जाता है। अमेरिका, मेक्सिको, भारत और चीन कद्दू के सबसे बड़े उत्पादक देश हैं। दुनिया भर में इस्तेमाल किए जाने के कारण ही सितंबर की 29 तारीख को हर साल 'पंपकिन डे' यानी 'कद्दू दिवस' मनाया जाता है। कद्दू पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें सोडियम(Sodium), पोटैशियम(Potassium), कार्बोहाइड्रेट(Carbohydrate), प्रोटीन(Protein), विटामिन-सी(Vitamin-C), आयरन(Iron), विटामिन-बी6(Vitamin-B 6, मैग्निशियम(Magnesium), कैलशियम(Calcium), विटामिन-डी(Vitamin-D), फाइबर(Fibre), शर्करा(Sugar), फास्फोरस(Phosphorus), जिंक(Zinc), कॉपर (copper), मैग्नीज (Manganese), सेलेनियम (Selenium), थायमिन (Thiamine), राइबोफ्लेविन (Riboflavin), नियासिन(Niacin), फोलेट (Folate), कोलीन(Choline), विटामिन-ए (Vitamin-A), बीटा कैरोटीन (Beta Carotene) , विटामिन-के (Vitamin-K), विटामिन-ई (Vitamin-E) आदि तमाम पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य रक्षा में सहायक हैं। कद्दू में फैट नाम मात्र को होता है और कोलस्ट्रोल तो होता ही नहीं है। आइए जानते हैं गुणकारी कद्दू-सेवन के उपयोग और फायदे के बारे में- • कद्दू दिल के स्वास्थ्य का रखवाला है। कद्दू में मौजूद पोटैशियम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित कर हृदय को जोखिम से बचाने में सहायता कर सकता है। • मधुमेह रोगियों के लिए भी कद्दू काफी फायदेमंद होता है। कद्दू के बीजों को फाइबर का बहुत अच्छा स्रोत माना जाता है, इन बीजों से बना सप्लीमेंट मधुमेह को नियंत्रित कर सकता है। कद्दू के बीज टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत उपयोगी है। • कद्दू के सेवन से हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद मिल सकती है, क्योंकि यह कैल्शियम का अच्छा स्रोत है। कद्दू कैल्शियम की कमी से होने वाले आज ऑस्टियोपोरोसिस जैसे जटिल रोग के खतरे को भी कम करने में सहायक है। • कद्दू के सेवन से आंखों को स्वस्थ रखने से फायदा हो सकता है में बीटा कैरोटीन भी शामिल है, जिसे आंखों को स्वस्थ रखने में उपयोगी माना जाता है। • कद्दू के सेवन से कब्ज की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। कद्दू में मौजूद फाइबर न केवल कब्ज़ से छुटकारा दिलाने, अपितु पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में भी सहायक है। • कद्दू के सेवन से मोटापे को कम किया जा सकता है। कद्दू के तने में मोटापा-रोधी यानी एंटी ओबेसिटी गुण पाया जाता है, जिसके चलते कद्दू को आहार में शामिल कर वजन घटाने में मदद मिल सकती है। • कद्दू में मौजूद विटामिन-सी, विटामिन-ए, विटामिन-ई, बीटा कैरोटिन, फाइबर, राइबोफ्लेविन, पोटेशियम जैसे तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। कद्दू के सेवन से बार-बार बीमार पड़ने से बचा जा सकता है। • कद्दू में एंटी कैंसर प्रभाव भी होता है यही कारण है कि कद्दू के सेवन से कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने में सहायता मिल सकती है। कद्दू स्थान व प्रोस्टेट कैंसर को पनपने से भी रोकने में सहायक हो सकता है। • कद्दू में प्रचुर मात्रा में मौजूद पोटैशियम उच्च रक्तचाप की रोकथाम और उपचार के लिए उपयोगी माना जाता है। • कद्दू का सेवन अस्थमा की समस्या में राहत पहुंचाने का काम करता है। कद्दू में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट अस्थमा के जोखिम को कम करने में मददगार हो सकता है। • कद्दू के सेवन से अवसाद से छुटकारा पाने में मदद मिल सकती है। कद्दू का एंटी डिप्रेशन गुण डिप्रेशन में राहत दिलाने में सहायक है। • कद्दू त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने में भी सहायता करता है। जरूरी बात : अल्प रक्त शर्करा की स्थिति में कद्दू नहीं खाना चाहिए। कुछ लोगों का शरीर कद्दू के प्रति संवेदनशील होता है, यदि वे कद्दू का सेवन करते हैं तो एलर्जी होना संभव है। कद्दू के ज्यादा सेवन के बाद गैस से पेट फूलने की समस्या हो सकती है।  विशेष : यहां कद्दू के गुण और उपयोग के बारे में विशुद्ध सामान्य जानकारी दी गई है। यह सामान्य जानकारी चिकित्सकीय परामर्श का विकल्प नहीं है। इसलिए हम किसी उपाय अथवा जानकारी की सफलता का दावा नहीं करते हैं। रोग विशेष के उपचार में कद्दू को औषधि रूप में अपनाने से पूर्व योग्य चिकित्सक/आहार विशेषज्ञ से परामर्श जरूरी है।