अफगानिस्तान में 20 मिनट में दो झटके, 500 से ज्यादा की मौत





शंघाई में 2025 का SCO शिखर सम्मेलन दुनिया के राजनीतिक मानचित्र पर एक नया अध्याय लिखता नजर आया। SCO शिखर सम्मेलन के इस मंच पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ऐतिहासिक मुलाकात ने वैश्विक राजनीति में हलचल पैदा कर दी। तीनों महाशक्तियों की गर्मजोशी भरी बातचीत ने न केवल आपसी रणनीतिक साझेदारी को मजबूती दी, बल्कि अमेरिकी दबदबे और टैरिफ नीतियों को चुनौती देने का भी संकेत दिया। इस बैठक ने वैश्विक शक्ति संतुलन के नए आयाम और SCO-BRICS के बढ़ते महत्व को पूरी दुनिया के सामने उजागर कर दिया। SCO Summit 2025
भारत, रूस और चीन का यह गठजोड़ न सिर्फ दोस्ती को मजबूत कर रहा है, बल्कि अमेरिका के दबदबे को चुनौती देने के लिए आर्थिक और राजनीतिक मंच तैयार कर रहा है। BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) और SCO (शंघाई सहयोग संगठन) की बढ़ती ताकत वैश्विक आर्थिक संतुलन को बदल सकती है। इन देशों की संयुक्त जीडीपी पिछले साल वैश्विक औसत से अधिक रही, और ये संगठन दुनिया की लगभग आधी आबादी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
रूस और चीन ने अपने व्यापार को रूबल और युआन में बढ़ाकर डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती देने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। अगर ये देश साझा मुद्रा विकसित करते हैं, तो यह वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में अमेरिका के दबदबे को हिला सकता है। वहीं भारत भी संतुलन बनाए रखने के लिए सतर्क है—एक ओर अमेरिकी टैरिफ का सामना करना है, दूसरी ओर चीन के साथ रिश्ते सुधारने हैं। गलवान घाटी जैसी घटनाओं के बावजूद, पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच हालिया बातचीत ने तनाव कम करने का संकेत दिया। दोनों नेताओं ने आपसी सम्मान, विश्वास और संवेदनशीलता के आधार पर रिश्तों को मजबूत करने की बात कही।
भारत रूस के साथ रणनीतिक साझेदारी कायम रखे हुए है, जबकि चीन के साथ सीमा विवादों का हल ढूंढने की दिशा में कदम उठा रहा है। यदि रूस-भारत-चीन का गठजोड़ मजबूत होता है, तो अमेरिका के क्वाड (भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका) की प्रासंगिकता चुनौतीपूर्ण स्थिति में आ सकती है। भारत ने साफ किया है कि वह किसी एक खेमे का हिस्सा नहीं है और सभी देशों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखना चाहता है।
मोदी-पुतिन-जिनपिंग की दोस्ती और SCO-BRICS की ताकत से वैश्विक शक्ति संतुलन बदल सकता है। भारत और चीन मिलकर अमेरिकी टैरिफ के असर को कम करने की रणनीति तैयार कर रहे हैं। वैकल्पिक ट्रेड कॉरिडोर और पेमेंट सिस्टम विकसित किए जा रहे हैं, जिससे डॉलर का प्रभुत्व चुनौती में आएगा। रेयर अर्थ मेटल्स और अन्य संसाधनों की सप्लाई में सहयोग वैश्विक सप्लाई चेन को अधिक लचीला बनाएगा। वहीं SCO शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ सहयोग की अपील की, जिसे चीन ने समर्थन दिया। पहलगाम हमले के संदर्भ में सभी देशों ने साझा घोषणा में इसकी निंदा की। भारत-रूस रक्षा सहयोग और चीन के साथ क्षेत्रीय सहयोग से एशिया में सुरक्षा और स्थिरता बढ़ने की उम्मीद है। SCO Summit 2025
शंघाई में 2025 का SCO शिखर सम्मेलन दुनिया के राजनीतिक मानचित्र पर एक नया अध्याय लिखता नजर आया। SCO शिखर सम्मेलन के इस मंच पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ऐतिहासिक मुलाकात ने वैश्विक राजनीति में हलचल पैदा कर दी। तीनों महाशक्तियों की गर्मजोशी भरी बातचीत ने न केवल आपसी रणनीतिक साझेदारी को मजबूती दी, बल्कि अमेरिकी दबदबे और टैरिफ नीतियों को चुनौती देने का भी संकेत दिया। इस बैठक ने वैश्विक शक्ति संतुलन के नए आयाम और SCO-BRICS के बढ़ते महत्व को पूरी दुनिया के सामने उजागर कर दिया। SCO Summit 2025
भारत, रूस और चीन का यह गठजोड़ न सिर्फ दोस्ती को मजबूत कर रहा है, बल्कि अमेरिका के दबदबे को चुनौती देने के लिए आर्थिक और राजनीतिक मंच तैयार कर रहा है। BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) और SCO (शंघाई सहयोग संगठन) की बढ़ती ताकत वैश्विक आर्थिक संतुलन को बदल सकती है। इन देशों की संयुक्त जीडीपी पिछले साल वैश्विक औसत से अधिक रही, और ये संगठन दुनिया की लगभग आधी आबादी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
रूस और चीन ने अपने व्यापार को रूबल और युआन में बढ़ाकर डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती देने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। अगर ये देश साझा मुद्रा विकसित करते हैं, तो यह वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में अमेरिका के दबदबे को हिला सकता है। वहीं भारत भी संतुलन बनाए रखने के लिए सतर्क है—एक ओर अमेरिकी टैरिफ का सामना करना है, दूसरी ओर चीन के साथ रिश्ते सुधारने हैं। गलवान घाटी जैसी घटनाओं के बावजूद, पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच हालिया बातचीत ने तनाव कम करने का संकेत दिया। दोनों नेताओं ने आपसी सम्मान, विश्वास और संवेदनशीलता के आधार पर रिश्तों को मजबूत करने की बात कही।
भारत रूस के साथ रणनीतिक साझेदारी कायम रखे हुए है, जबकि चीन के साथ सीमा विवादों का हल ढूंढने की दिशा में कदम उठा रहा है। यदि रूस-भारत-चीन का गठजोड़ मजबूत होता है, तो अमेरिका के क्वाड (भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका) की प्रासंगिकता चुनौतीपूर्ण स्थिति में आ सकती है। भारत ने साफ किया है कि वह किसी एक खेमे का हिस्सा नहीं है और सभी देशों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखना चाहता है।
मोदी-पुतिन-जिनपिंग की दोस्ती और SCO-BRICS की ताकत से वैश्विक शक्ति संतुलन बदल सकता है। भारत और चीन मिलकर अमेरिकी टैरिफ के असर को कम करने की रणनीति तैयार कर रहे हैं। वैकल्पिक ट्रेड कॉरिडोर और पेमेंट सिस्टम विकसित किए जा रहे हैं, जिससे डॉलर का प्रभुत्व चुनौती में आएगा। रेयर अर्थ मेटल्स और अन्य संसाधनों की सप्लाई में सहयोग वैश्विक सप्लाई चेन को अधिक लचीला बनाएगा। वहीं SCO शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ सहयोग की अपील की, जिसे चीन ने समर्थन दिया। पहलगाम हमले के संदर्भ में सभी देशों ने साझा घोषणा में इसकी निंदा की। भारत-रूस रक्षा सहयोग और चीन के साथ क्षेत्रीय सहयोग से एशिया में सुरक्षा और स्थिरता बढ़ने की उम्मीद है। SCO Summit 2025