अफगानिस्तान में 20 मिनट में दो झटके, 500 से ज्यादा की मौत

अफगानिस्तान में 20 मिनट में दो झटके, 500 से ज्यादा की मौत
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Sep 2025 11:34 AM
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अफगानिस्तान के पूर्वी हिस्से में रविवार देर रात एक भयानक भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। नंगरहार प्रांत के कई इलाके बुरी तरह हिल गए और देखते ही देखते दर्जनों घर मलबे में तब्दील हो गए। इस हादसे में अब तक 509 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है जबकि 1000 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं। Afghanistan Earthquake

कितनी थी तीव्रता?

अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.0 मापी गई। इसका केंद्र नंगरहार प्रांत के जलालाबाद शहर से करीब 27 किलोमीटर दूर था और यह भूकंप रविवार रात 11:47 बजे आया। इसकी गहराई केवल 8 किलोमीटर थी जिससे झटके ज्यादा तीव्र महसूस हुए। भूकंप का असर सिर्फ अफगानिस्तान तक ही सीमित नहीं रहा। पाकिस्तान और भारत (विशेषकर दिल्ली-एनसीआर) में भी इसके झटके महसूस किए गए। करीब 20 मिनट बाद उसी क्षेत्र में 4.5 तीव्रता का एक और झटका भी दर्ज किया गया।

मौत और तबाही का मंजर

नंगरहार के स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता अजमल दरवेश के अनुसार, सबसे ज्यादा नुकसान कुनार प्रांत के कस्बों में हुआ है। कई घर पूरी तरह ढह गए हैं और राहत कार्य अब भी जारी है। भारी संख्या में लोग मलबे में फंसे हो सकते हैं जिससे मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है।अफगानिस्तान में यह कोई पहला मौका नहीं है जब इतनी बड़ी तबाही हुई हो। पिछले एक महीने में यह पांचवां भूकंप है। इससे पहले 27 अगस्त को 5.4 तीव्रता, 17 अगस्त को 4.9 तीव्रता, 13 अगस्त को 4.2 तीव्रता और 8 अगस्त को 4.3 तीव्रता जबकि 7 अक्टूबर 2023 को आए 6.3 तीव्रता के भूकंप ने करीब 1,500 से 4,000 तक की जानें ली थीं (संयुक्त राष्ट्र और तालिबान सरकार के अलग-अलग आंकड़े)। वह अब तक की सबसे भयावह प्राकृतिक आपदा मानी जाती है।

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कैसे मापी जाती है भूकंप की तीव्रता?

भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल (Richter Scale) से मापी जाती है, जिसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल भी कहा जाता है। यह स्केल 1 से 9 तक होता है, जिसमें जितनी अधिक संख्या, उतनी अधिक तीव्रता और नुकसान। एपिसेंटर (भूकंप का केंद्र) से निकलने वाली ऊर्जा को मापकर यह स्कोर तय किया जाता है। फिलहाल राहत और बचाव कार्य जारी है, लेकिन सीमित संसाधनों के कारण अंतरराष्ट्रीय मदद की जरूरत महसूस की जा रही है। तालिबान प्रशासन ने वैश्विक संगठनों से अपील की है कि वे जल्द से जल्द सहायता पहुंचाएं। Afghanistan Earthquake
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मोदी-पुतिन की गुफ्तगू के बीच शहबाज शरीफ का स्टैचू पोज, धड़ल्ले से वायरल हुआ वीडियो

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 10:21 AM
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चीन के तियानजिन शहर में चल रहे शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन (SCO Summit) में सोमवार को एक दिलचस्प और काफी चर्चा में आ गया दृश्य देखने को मिला। जहां भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को मंच पर अनौपचारिक बातचीत करते हुए देखा गया, वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ इस चर्चा से दूर एक कोने में अलग-थलग और टकटकी लगाए खड़े दिखाई दिए। SCO Summit

वैश्विक नेताओं की अनौपचारिक बातचीत

सम्मेलन के दौरान जब पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन आपस में बातचीत करते हुए हॉल से गुजर रहे थे उस वक्त प्रधानमंत्री शरीफ को हाथ बांधे शांत खड़े देखा गया। वे सिर्फ दूरी से दोनों नेताओं को निहारते रह गए जैसे कोई अवसर मिलने का इंतजार कर रहे हों। न तो किसी नेता ने उनसे संवाद किया और न ही उन्हें कोई तवज्जो मिली। सोशल मीडिया पर इसका वीडियो काफी वायरल हो रहा है और यूजर्स इस पर मजाकिया टिप्पणियां कर रहे हैं। यहां देखें वायरल वीडियो... [video width="480" height="270" mp4="https://chetnamanch.com/wp-content/uploads/2025/09/kFQo2wXe_WQu2rSl.mp4"][/video]

शी जिनपिंग ने की धौंस और दबाव की आलोचना

SCO समिट के उद्घाटन सत्र में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वैश्विक राजनीति में धौंस और दबाव की प्रवृत्तियों की आलोचना करते हुए सभी सदस्य देशों से सहयोग, संवाद और एकजुटता की अपील की। उन्होंने कहा कि SCO अब एक प्रभावशाली वैश्विक आर्थिक शक्ति बन चुकी है, जिसकी संयुक्त अर्थव्यवस्था करीब 30 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई है।

जल्द बनेगा SCO विकास बैंक

जिनपिंग ने इस बात पर भी जोर दिया कि सभी सदस्य देश दोस्त और साझेदार हैं और मतभेदों को बातचीत से सुलझाना चाहिए। उन्होंने SCO डेवलपमेंट बैंक की स्थापना और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए नए केंद्र की जरूरत पर बल दिया। चीन ने सम्मेलन में यह भी ऐलान किया कि वह SCO सदस्य देशों में 100 छोटे विकास प्रोजेक्ट्स शुरू करेगा जिनका उद्देश्य जमीनी स्तर पर लोगों के जीवन में सुधार लाना होगा। साथ ही चीन ने संयुक्त राष्ट्र को वैश्विक शासन व्यवस्था में केंद्रीय भूमिका देने की बात भी दोहराई। SCO Summit
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अमेरिकी दबदबा खत्म! मोदी-पुतिन-जिनपिंग ने बनाया नया पावर सेंटर

अमेरिकी दबदबा खत्म! मोदी-पुतिन-जिनपिंग ने बनाया नया पावर सेंटर
locationभारत
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calendar29 Nov 2025 10:21 AM
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शंघाई में 2025 का SCO शिखर सम्मेलन दुनिया के राजनीतिक मानचित्र पर एक नया अध्याय लिखता नजर आया। SCO शिखर सम्मेलन के  इस मंच पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ऐतिहासिक मुलाकात ने वैश्विक राजनीति में हलचल पैदा कर दी। तीनों महाशक्तियों की गर्मजोशी भरी बातचीत ने न केवल आपसी रणनीतिक साझेदारी को मजबूती दी, बल्कि अमेरिकी दबदबे और टैरिफ नीतियों को चुनौती देने का भी संकेत दिया। इस बैठक ने वैश्विक शक्ति संतुलन के नए आयाम और SCO-BRICS के बढ़ते महत्व को पूरी दुनिया के सामने उजागर कर दिया।  SCO Summit 2025

SCO और BRICS: अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती

भारत, रूस और चीन का यह गठजोड़ न सिर्फ दोस्ती को मजबूत कर रहा है, बल्कि अमेरिका के दबदबे को चुनौती देने के लिए आर्थिक और राजनीतिक मंच तैयार कर रहा है। BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) और SCO (शंघाई सहयोग संगठन) की बढ़ती ताकत वैश्विक आर्थिक संतुलन को बदल सकती है। इन देशों की संयुक्त जीडीपी पिछले साल वैश्विक औसत से अधिक रही, और ये संगठन दुनिया की लगभग आधी आबादी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती

रूस और चीन ने अपने व्यापार को रूबल और युआन में बढ़ाकर डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती देने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। अगर ये देश साझा मुद्रा विकसित करते हैं, तो यह वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में अमेरिका के दबदबे को हिला सकता है। वहीं भारत भी संतुलन बनाए रखने के लिए सतर्क है—एक ओर अमेरिकी टैरिफ का सामना करना है, दूसरी ओर चीन के साथ रिश्ते सुधारने हैं। गलवान घाटी जैसी घटनाओं के बावजूद, पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच हालिया बातचीत ने तनाव कम करने का संकेत दिया। दोनों नेताओं ने आपसी सम्मान, विश्वास और संवेदनशीलता के आधार पर रिश्तों को मजबूत करने की बात कही।

भारत रूस के साथ रणनीतिक साझेदारी कायम रखे हुए है, जबकि चीन के साथ सीमा विवादों का हल ढूंढने की दिशा में कदम उठा रहा है। यदि रूस-भारत-चीन का गठजोड़ मजबूत होता है, तो अमेरिका के क्वाड (भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका) की प्रासंगिकता चुनौतीपूर्ण स्थिति में आ सकती है। भारत ने साफ किया है कि वह किसी एक खेमे का हिस्सा नहीं है और सभी देशों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखना चाहता है।

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नया वर्ल्ड ऑर्डर: क्या बदलेगा?

मोदी-पुतिन-जिनपिंग की दोस्ती और SCO-BRICS की ताकत से वैश्विक शक्ति संतुलन बदल सकता है। भारत और चीन मिलकर अमेरिकी टैरिफ के असर को कम करने की रणनीति तैयार कर रहे हैं। वैकल्पिक ट्रेड कॉरिडोर और पेमेंट सिस्टम विकसित किए जा रहे हैं, जिससे डॉलर का प्रभुत्व चुनौती में आएगा। रेयर अर्थ मेटल्स और अन्य संसाधनों की सप्लाई में सहयोग वैश्विक सप्लाई चेन को अधिक लचीला बनाएगा। वहीं SCO शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ सहयोग की अपील की, जिसे चीन ने समर्थन दिया। पहलगाम हमले के संदर्भ में सभी देशों ने साझा घोषणा में इसकी निंदा की। भारत-रूस रक्षा सहयोग और चीन के साथ क्षेत्रीय सहयोग से एशिया में सुरक्षा और स्थिरता बढ़ने की उम्मीद है।  SCO Summit 2025