धनवान भी बना सकता है आंवला, इन उपायों को आजमा कर देखें

27 05 2020 amlar 20314401
Gooseberry
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 03:25 AM
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धर्म ग्रंथ एवं पौराणिक ग्रंथों की कथा अनुसार भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश एकसाथ आवंला (Gooseberry)  के वृक्ष पर विराजमान रहते हैं जिससे इसकी पूजा कर आपको सभी का आशीर्वाद मिलता हैं। हर रोज आंवला (Gooseberry) खाने से जहां आयु बढ़ती है, वहीं इसका रस पीने से धर्म का संचय होता है और वहीं रस को शरीर पर लगाकर स्नान करने से दरिद्रता भी दूर होती है और ऐशवर्य की प्राप्ति होती है। साथ ही आपकी समस्याएं भी धीरे-धीरे खत्म होने लगती हैं।

1. किसी शुभ मुहूर्त में एक आंवला लें और उस पर सिंदूर लगाएं, लाल चुनरी अर्पित करें। आंवले की पूजा करें। इस उपाय से लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। 2. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आंवले की हर रोज पूजा करने से त्रिदेव के साथ-साथ माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही उसको अक्षय फल की प्राप्ति भी होती है। वहीं आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन करने से वृक्ष का पत्ता भोजन की थाल में गिर जाए तो समझ लें कि त्रिदेव का आशीर्वाद मिला है। 3. सप्तमी के दिन आंवले का दान करना बहुत शुभ माना गया है, ऐसा करने से इंसान की हर इच्छा पूरी होती है और उसको कष्टों से भी मुक्ति मिलती है। वहीं रविवार, शुक्रवार, प्रतिपदा, षष्ठी, नवमी, अमावस्या और संक्रांति को आंवले का सेवन करने से बचना चाहिए। शास्त्रों में इस दिन आंवले का सेवन नुकसान दायक बताया गया है। 4. धार्मिक मान्यता के अनुसार, दोनों पक्षों की एकादशी तिथि को जो व्यक्ति आंवले के रस का प्रयोग कर स्नान करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही देवी-देवताओं का आशीर्वाद भी मिलता है। आंवला का इस उपाय से आपके भी कार्य बनने लगते हैं। 5. दाह संस्कार के बाद मृत व्यक्ति की हड्डियों को आंवले के रस से धोकर पवित्र नदी में प्रवाहित करने से उसकी सदगति होती है, ऐसी धार्मिक मान्यताएं कहती हैं। साथ ही उसकी आत्मा को शांति मिलती है और यमलोक के चक्र से मुक्ति मिलती है। आचार्य सुरेश सैनी
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धनवान भी बना सकता है आंवला, इन उपायों को आजमा कर देखें

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धर्म ग्रंथ एवं पौराणिक ग्रंथों की कथा अनुसार भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश एकसाथ आवंला (Gooseberry)  के वृक्ष पर विराजमान रहते हैं जिससे इसकी पूजा कर आपको सभी का आशीर्वाद मिलता हैं। हर रोज आंवला (Gooseberry) खाने से जहां आयु बढ़ती है, वहीं इसका रस पीने से धर्म का संचय होता है और वहीं रस को शरीर पर लगाकर स्नान करने से दरिद्रता भी दूर होती है और ऐशवर्य की प्राप्ति होती है। साथ ही आपकी समस्याएं भी धीरे-धीरे खत्म होने लगती हैं।

1. किसी शुभ मुहूर्त में एक आंवला लें और उस पर सिंदूर लगाएं, लाल चुनरी अर्पित करें। आंवले की पूजा करें। इस उपाय से लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। 2. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आंवले की हर रोज पूजा करने से त्रिदेव के साथ-साथ माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही उसको अक्षय फल की प्राप्ति भी होती है। वहीं आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन करने से वृक्ष का पत्ता भोजन की थाल में गिर जाए तो समझ लें कि त्रिदेव का आशीर्वाद मिला है। 3. सप्तमी के दिन आंवले का दान करना बहुत शुभ माना गया है, ऐसा करने से इंसान की हर इच्छा पूरी होती है और उसको कष्टों से भी मुक्ति मिलती है। वहीं रविवार, शुक्रवार, प्रतिपदा, षष्ठी, नवमी, अमावस्या और संक्रांति को आंवले का सेवन करने से बचना चाहिए। शास्त्रों में इस दिन आंवले का सेवन नुकसान दायक बताया गया है। 4. धार्मिक मान्यता के अनुसार, दोनों पक्षों की एकादशी तिथि को जो व्यक्ति आंवले के रस का प्रयोग कर स्नान करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही देवी-देवताओं का आशीर्वाद भी मिलता है। आंवला का इस उपाय से आपके भी कार्य बनने लगते हैं। 5. दाह संस्कार के बाद मृत व्यक्ति की हड्डियों को आंवले के रस से धोकर पवित्र नदी में प्रवाहित करने से उसकी सदगति होती है, ऐसी धार्मिक मान्यताएं कहती हैं। साथ ही उसकी आत्मा को शांति मिलती है और यमलोक के चक्र से मुक्ति मिलती है। आचार्य सुरेश सैनी
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677 साल बाद बन रहा बेहद शुभ संयोग, खरीदारी के लिए बेहद ही उत्तम

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677 साल बाद बन रहा बेहद शुभ संयोग, खरीदारी करने के लिए बेहद ही उत्तम
locationभारत
userचेतना मंच
calendar27 Oct 2021 07:21 AM
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- मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्

भारतीय पंचाग के अनुसार, पूरे वर्ष में कई ऐसे अबूझ मुहूर्त होते हैं, जिन पर कोई भी शुभ (auspicious) कार्य किया जा सकता है। जैसे अक्षय तृतीया, वसंत पंचमी,  नवसंवत, विजय दशमी आदि जब विवाह, निवेश आदि किए जा सकते हैं। ऐसे ही धनतेरस पर धन का निवेश, नए जेवर या बर्तन आदि खरीदे जाते हैं। परंतु कुछ ऐसे योग भी हैं जो सदियों में बस एक बार ही आते हैं। ऐसे ही पहले 5  नवंबर 1344 को जब गुरु- शनि एक साथ, मकर राशि में थे और गुरु-पुष्य योग बना था, ठीक वैसा ही  दुर्लभ संयोग (rare coincidence) 28 अक्टूबर 2021, गुरुवार के दिन भी बन रहा है जिसे ज्योतिषीय दृष्टि से चमत्कारिक माना जा रहा है।

इस योग से कोरोना जैसी महामारी का क्षय भी दिख रहा है। इस योग के बनने से कोरोना जैसी महामारी के कम होने का संयोग बन रहा है।

28 अक्टूबर को पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। 677 साल बाद गुरु-पुष्य योग में शनि और गुरु दोनों ही मकर राशि में विराजमान रहेंगे। ऐसे में इस शुभ संयोग में खरीदारी और निवेश का महामुहूर्त इस बार दिवाली से पहले बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र में पुष्य नक्षत्र को बहुत ही शुभ माना गया है। इस बार 28 अक्टूबर, गुरुवार को पुष्य नक्षत्र का शुभ योग बन रहा है। पुष्य योग गुरुवार के दिन होने से ये गुरु पुष्य योग कहा जाएगा। सन 1344 के बाद अब28 अक्टूबर को गुरु पुष्य पर बन रहा है। शनि-गुरु का दुर्लभ योग, ये नक्षत्र किसी न किसी रूप में हमारे जीवन पर असर जरूर डालते हैं। इन सभी में पुष्य नक्षत्र का विशेष स्थान है। इसे नक्षत्रों का राजा भी कहा जाता है। दीपावली के पहले आने वाला पुष्य नक्षत्र बहुत ही खास होता है।साथ ही इस दिन अमृत सिद्धि योग व सर्वार्थ सिद्धि योग भी पूरे दिन रहेगा। इस दिन खरीदी गई वस्तुएं शुभफल देने वाली होती हैं। पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनिदेव हैं। शनिवार को या शनि के नक्षत्र में जो भी काम किया जाता है। वह लंबे समय तक चलता है। ऐसी मान्यता है। इस बार गुरु और शनि, शनि के स्वामित्व वाली मकर राशि में एक साथ स्थित हैं। दोनों ग्रह मार्गी रहेंगे और इन ग्रहों पर चंद्र की दृष्टि भी होगी। जिससे गजकेसरी योग भी बनेगा। चंद्र धन का कारक ग्रह है, और यह योग सभी प्रकार से मंगलकारी होगा।

गुरु पुष्य नक्षत्र पर इनसे मिलेगा लाभ शनि-गुरु की युति से बने गुरु पुष्य नक्षत्र में घर, जमीन, सोने-चांदी के गहने या सिक्के, टू व्हीलर या फोर व्हीलर, इलेक्ट्रानिक्स आयटम, लकड़ी या लोहे का फर्नीचर, कृषि से जुड़ा सामान, पानी या बोरिंग की मोटर, बीमा पालिसी, म्यूचल फंड या शेयर मार्केट में निवेश करने से लाभ की प्राप्ति हो सकती है। बृहस्पति देवताओं के गुरु हैं और शनि गुरु का मान रखते हैं, साथ ही बृहस्पति और शनि के बीच कोई शत्रुता भी नहीं है। इसलिए पुष्य नक्षत्र गुरुवार को आना बहुत शुभ माना जाता है। इस योग में निवेश करना बहुत ही शुभ माना जाता है। ये निवेश लंबे समय तक लाभ देने वाला हो सकता है। पुष्य नक्षत्र पर खरीदारी के साथ ही दान-पुण्य भी जरूर करना चाहिए। जरूरतमंद लोगों को नए वस्त्र, अनाज, जूते-चप्पल और धन का दान करना चाहिए। किसी गौशाला में हरी घास और गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें।

गुरु पुष्य के शुभ मुहूर्त

सुबह 6:30 से 07:54 तक- शुभ सुबह 10:41 से दोपहर 12:05- चर दोपहर 12:05 से 01:28 – लाभ दोपहर 01:28 से 02:52- अमृत शाम 04:16 से 05:39- शुभ