MATHURA VIVAD:  श्रीकृष्ण जन्मस्थान व ईदगाह मामले में सुनवाई 27 मार्च को

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MATHURA VIVAD
locationभारत
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calendar30 Nov 2025 07:03 PM
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MATHURA VIVAD:  मथुरा। मथुरा के श्री कृष्ण जन्मस्थान व ईदगाह वाद मामले में सोमवार को सिविल जज सीनियर डिविजन के न्यायालय में सुनवाई हुई। अब इस मामले में अगली सुनवाई 27 मार्च को होगी।

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सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायालय में सुनवाई के दौरान विभिन्न प्रार्थना पत्रों पर न्यायालय ने विचार विमर्श किया और सभी मामलों में 7/11 के तहत इस वाद पर सुनवाई के लिए 27 मार्च की तारीख नियत की गयी है। श्री कृष्ण स्थान ट्रस्ट के वकील मुकेश खंडेलवाल का कहना है कि न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई करते हुए सभी पक्षों पर तामिल मानते हुए अगली सुनवाई 27 मार्च को नियत की है। उनका कहना है यह वाद मेंटबिल है कि नहीं, पर अब 27 मार्च को सुनवाई होगी। वहीं ईदगाह ट्रस्ट के वकील तनवीर अहमद का कहना है कि वादी पक्ष इस मामले में शुरू से ही पैरवी नहीं कर रहा। फिर सुन्नी वक्फ बोर्ड पर आरोप लगाया जाता है। उनका कहना है कि न्यायालय में हुई आज सुनवाई के दौरान यह बाद मेंटल है कि नहीं 7/11 के अंतर्गत अब इस मामले पर अगली सुनवाई 27 मार्च को होगी

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पैसे की लड़ाई: एनपीएस में जमा पैसा नहीं मिलेगा राज्य सरकारों को:केन्द्र

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar20 Feb 2023 10:12 PM
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पैसे की लड़ाई: जयपुर। राजस्थान सहित कई राज्यों द्वारा अपने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बहाल किए जाने के बीच केंद्र सरकार ने फिर स्पष्ट कहा कि मौजूदा नियमों के तहत नई पेंशन योजना (एनपीएस) में जमा पैसा राज्य सरकारों को वापस नहीं मिल सकता।

पैसे की लड़ाई

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी दोनों ने यहां कहा कि अगर कोई राज्य सरकार यह अपेक्षा कर कर रही है कि एनपीएस के लिए जमा किया गया पैसा उन्हें वापस मिल जाएगा तो यह नामुमकिन है। केंद्र सरकार का यह स्पष्टीकरण ऐसे समय में आया है जबकि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल में कहा था कि केंद्र ने एनपीएस के तहत जमा पैसा राज्य को नहीं लौटाया तो राज्य सरकार अदालत का दरवाजा खटखाएगी। अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में हालिया गिरावट का जिक्र करते हुए गहलोत ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों को पेंशन के लिए उस शेयर बाजार के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता जहां नई पेंशन योजना (एनपीएस) का पैसा लगाया जा रहा है। गहलोत ने कहा, पूरा पैसा जो हमारा जमा है वह भारत सरकार हमें वापस दे नहीं रही है... ओपीएस लागू करने के बावजूद नहीं दे रही है। और हम कहना चाहेंगे नहीं देंगे तो हम उच्चतम न्यायालय जाएंगे। उच्च न्यायालय जाएंगे लेकिन वह पैसा हम लेकर रहेंगे। [caption id="attachment_68820" align="aligncenter" width="300"]पैसे की लड़ाई पैसे की लड़ाई[/caption] इस संबंधी एक सवाल के जवाब में सीतारमण ने यहां कहा, ऐसा फैसला करने वाले राज्य अगर फिर अपेक्षा करते हैं कि जो पैसा ईपीएफओ कमिश्नर के पास रखा हुआ है ... वह पैसा इकट्ठा राज्य को दे देना चाहिए तो... ऐसी अगर अपेक्षा है तो नहीं ... वह पैसा कर्मचारी का हक है। वित्त मंत्री विभिन्न भागीदारों से बजट उपरांत चर्चा में भाग लेने के लिए यहां आई थीं। वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने भी यही बात कही और कहा कि मौजूदा नियमों के तहत नई पेंशन योजना एनपीएस के तहत जमा पैसा राज्य सरकारों को वापस नहीं मिल सकता। कुछ राज्यों द्वारा ओपीएस बहाल किए जाने व कई वर्गों द्वारा इसकी मांग उठाए जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, इसके बारे में मैं कहना चाहूंगी कि यह ‘ट्रेंड’ बहुत अच्छा नहीं है और सिर्फ राज्य सरकारें अपनी देनदारियों को 'स्थगित' कर रही हैं। कर्मचारियों को ऐसा लग रहा है कि उनको फायदा है वह है कि नहीं है यह भी एक देखने वाली बात है। उन्होंने कहा, जहां तक यह बात है कि राज्य सरकारें अपना हिस्सा वापस मांग रही हैं। उस बारे में मैं निवेदन करना चाहूंगी कि कानून बड़ा स्पष्ट है कि राज्य सरकार को वह पैसा नहीं मिल सकता। क्योंकि नई पेंशन योजना एनपीएस में पैसा कर्मचारी से सम्बद्ध है और यह एक समझौता कर्मचारी व एनपीएस ट्रस्ट में है। उन्होंने कहा, अगर कर्मचारी सेवानिवृत्ति की आयु तक पहुंचने से पहले हटता है तो उसके अलग नियम है। जहां तक राज्य समझ रहे हैं कि वह हमें वापस मिल जाएगा मैं समझती हूं कि यह मौजूदा नियमों के हिसाब से संभव नहीं है।
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गोधरा ट्रेन कांड के 11 दोषियों के लिए मौत की सजा की मांग करेंगे: गुजरात सरकार

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Godhra Train Incident
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 03:16 AM
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Godhra Train Incident : नई दिल्ली। गुजरात सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह 2002 में हुए गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले के उन 11 दोषियों को मौत की सजा देने पर जोर देगी जिनकी सजा को राज्य के हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दिया था।

Godhra Train Incident

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की पीठ ने मामले के कई आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तीन सप्ताह बाद की तारीख तय की। इसने दोनों पक्षों के वकीलों को एक समेकित चार्ट दाखिल करने के लिए कहा, जिसमें उन्हें दी गई वास्तविक सजा और अब तक जेल में बिताई गई अवधि जैसे विवरण दिए गए हों।

गुजरात सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम उन दोषियों को मृत्युदंड देने के लिए जोर देंगे जिनके मृत्युदंड को आजीवन कारावास (गुजरात हाईकोर्ट द्वारा) में बदल दिया गया था। यह दुर्लभतम मामलों में से एक है, जहां महिलाओं और बच्चों सहित 59 लोगों को जिंदा जला दिया गया था।

उन्होंने कहा कि यह सब जानते हैं कि बोगी को बाहर से बंद कर दिया गया था और महिलाओं एवं बच्चों सहित 59 लोग मारे गए।

विवरण देते हुए, कानून अधिकारी ने कहा कि 11 दोषियों को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी और 20 अन्य को मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

मेहता ने कहा कि हाईकोर्ट ने मामले में कुल 31 लोगों की दोषसिद्धि को बरकरार रखा और 11 दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया।

गुजरात के गोधरा में 27 फरवरी, 2002 को हुए ट्रेन अग्निकांड में 59 लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद राज्य में दंगे भड़क उठे थे।

मेहता ने कहा कि राज्य सरकार 11 दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने के खिलाफ अपील लेकर आई है।

उन्होंने कहा कि कई आरोपियों ने मामले में अपनी दोषसिद्धि को बरकरार रखे जाने के उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की है।

शीर्ष अदालत इस मामले में अब तक दो दोषियों को जमानत दे चुकी है। मामले में सात अन्य जमानत याचिकाएं लंबित हैं।

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