उपराष्ट्रपति चुनाव में बगावत की आहट, क्रॉस वोटिंग पर सियासत गरम

उपराष्ट्रपति चुनाव में बगावत की आहट, क्रॉस वोटिंग पर सियासत गरम
locationभारत
userचेतना मंच
calendar08 Sep 2025 04:52 PM
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भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए 9 सितंबर को चुनाव होने जा रहा है। एनडीए ने सी. पी. राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार बनाया है वहीं इंडिया ब्लॉक ने पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को मैदान में उतारा है। चुनाव से पहले ही दोनों पक्षों में क्रॉस वोटिंग को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। दोनों ही गठबंधन अपने-अपने पक्ष में क्रॉस वोटिंग के दावे कर रहे हैं। लेकिन सवाल ये है कि अगर कोई सांसद पार्टी लाइन से हटकर वोट देता है तो उस पर क्या कानूनी या राजनीतिक कार्रवाई हो सकती है? Cross Voting

इस चुनाव में व्हिप लागू नहीं होता

उपराष्ट्रपति चुनाव में राजनीतिक दल व्हिप जारी नहीं कर सकते। यानी कोई पार्टी अपने सांसदों को बाध्य नहीं कर सकती कि वे किसे वोट दें। ऐसा इसलिए क्योंकि यह चुनाव संसद के भीतर का नहीं बल्कि निर्वाचन आयोग के अधीन एक संवैधानिक प्रक्रिया है। सिर्फ उपराष्ट्रपति ही नहीं राष्ट्रपति और राज्यसभा चुनावों में भी व्हिप लागू नहीं होता।

चुनाव की प्रक्रिया कैसी होती है?

गुप्त मतदान (सीक्रेट बैलेट) से वोटिंग होती है। सांसदों को बूथ पर जाकर कागज के बैलेट से वोट डालना होता है। वोटिंग सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक चलेगी। परिणाम उसी शाम घोषित कर दिए जाएंगे।

वोटों का गणित क्या कहता है?

कुल सांसद: 782 खाली सीटें: 6, यानी 776 सांसद वोट देंगे बहुमत के लिए जरूरी वोट: कम से कम 389

एनडीए के पास

लोकसभा में 293 राज्यसभा में 129 कुल अनुमानित समर्थन: 422

इंडिया ब्लॉक के पास

लोकसभा में 144 राज्यसभा में 210 कुल अनुमानित समर्थन: 354 मतलब अगर कोई बड़ी क्रॉस वोटिंग नहीं हुई, तो एनडीए के उम्मीदवार की जीत लगभग तय मानी जा रही है।

क्या होती है क्रॉस वोटिंग?

जब कोई सांसद अपनी पार्टी की आधिकारिक लाइन से हटकर किसी और उम्मीदवार को वोट करता है तो उसे क्रॉस वोटिंग कहते हैं। चूंकि इस चुनाव में व्हिप लागू नहीं होता, इसलिए क्रॉस वोटिंग पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि पार्टी कुछ नहीं कर सकती। राजनीतिक दल अनुशासनात्मक कार्रवाई जरूर कर सकते हैं जैसे-सांसद को पार्टी से निष्कासित करना, आगामी चुनाव में टिकट नहीं देना, पार्टी पदों से हटाना ध्यान रहे ये राजनीतिक निर्णय होते हैं न कि कानूनी या विधायी प्रक्रिया।

पहले में भी हुई है क्रॉस वोटिंग

2017- जब एम. वेंकैया नायडू बीजेपी के उम्मीदवार थे विपक्ष के कई सांसदों ने गुलाम नबी आजाद की जगह नायडू को वोट दिया था। लगभग 30-40 सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की थी। इसका परिणाम नायडू की जीत था। कांग्रेस ने कई सांसदों को निष्कासित किया और कुछ को अगला टिकट नहीं दिया। 2012- ममता बनर्जी उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार थीं। बीजेपी ने समर्थन दिया था, लेकिन उनकी ही पार्टी तृणमूल कांग्रेस के कुछ सांसदों ने क्रॉस वोटिंग कर दी।परिणाम हामिद अंसारी की भारी मतों से जीत हुई। तृणमूल ने सांसदों को टिकट नहीं दिया लेकिन सार्वजनिक रूप से कठोर कार्रवाई नहीं हुई। 2007- इस चुनाव में भी हल्की-फुल्की क्रॉस वोटिंग हुई थी। विपक्ष के आपसी मतभेदों के चलते कुछ सांसदों ने अपनी पार्टी के उम्मीदवार को वोट नहीं दिया। नतीजतन, हामिद अंसारी फिर से विजयी हुए।

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इस बार क्या हो सकता है?

इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी ने सांसदों से अपील की है कि वे "पार्टी व्हिप से ऊपर उठकर अपने विवेक से मतदान करें"। वहीं, एनडीए ने भी सांसदों को एकजुट करने के लिए पीएम मोदी के नेतृत्व में स्पेशल डिनर का आयोजन किया। उपराष्ट्रपति चुनाव भले ही संसद के भीतर हो लेकिन यह एक स्वतंत्र और गुप्त प्रक्रिया होती है। Cross Voting
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बिहार चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, आधार बना 12वां दस्तावेज

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 08:13 PM
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बिहार विधानसभा चुनावों की तैयारियों के बीच स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया को लेकर चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज के रूप में शामिल करने की इजाजत दे दी है जिससे लाखों मतदाताओं को राहत मिल सकती है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जा सकता। इसका मतलब है कि यह दस्तावेज सिर्फ अन्य प्रमाण पत्रों की अनुपस्थिति में ही काम आएगा और चुनाव आयोग को इसकी सत्यता की जांच करने का पूरा अधिकार होगा। Bihar Elections 2025

क्या है मामला?

चुनाव आयोग ने SIR के तहत राज्य के मतदाताओं से नागरिकता प्रमाणित करने वाले दस्तावेज जमा करने को कहा था। इसके लिए आयोग ने 11 दस्तावेजों की सूची जारी की थी, जिसमें पासपोर्ट, जन्म प्रमाण पत्र, शैक्षणिक प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र आदि शामिल हैं। लेकिन बड़ी संख्या में लोगों ने शिकायत की कि उनके पास ये दस्तावेज नहीं हैं और इस वजह से उनका नाम मतदाता सूची से हटाया जा सकता है। इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “आधार को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जा सकता लेकिन मतदाता पहचान के संदर्भ में 12वें दस्तावेज के रूप में इसकी अनुमति दी जा सकती है। चुनाव आयोग यदि चाहे तो इसकी जांच कर सकता है।” इस फैसले से उन लोगों को राहत मिलेगी जिनके पास बाकी 11 दस्तावेज नहीं हैं।

चुनाव आयोग की 11 दस्तावेजों की सूची

केंद्र/राज्य सरकार या सार्वजनिक उपक्रम में काम करने वालों का पहचान पत्र। 1 जुलाई 1987 से पहले जारी सरकारी या बैंक/LIC के दस्तावेज। सक्षम प्राधिकारी से जारी जन्म प्रमाणपत्र। पासपोर्ट। मान्यता प्राप्त बोर्ड/विश्वविद्यालय के शैक्षणिक प्रमाणपत्र। स्थायी आवासीय प्रमाणपत्र। वन अधिकार प्रमाणपत्र। OBC/SC/ST जाति प्रमाणपत्र। राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (जहां उपलब्ध)। पारिवारिक रजिस्टर (स्थानीय निकाय द्वारा जारी)। सरकार द्वारा जारी भूमि या मकान आवंटन प्रमाणपत्र। अब आधार कार्ड को इस सूची में 12वें विकल्प के रूप में जोड़ा गया है।

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क्यों है यह फैसला अहम?

बिहार में लाखों ऐसे मतदाता हैं जिनके पास निर्धारित दस्तावेज नहीं हैं। ऐसे में आधार को स्वीकार करना न सिर्फ प्रक्रिया को सरल बनाएगा, बल्कि बड़ी संख्या में लोगों को वोट देने से वंचित होने से भी रोकेगा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट का रुख साफ है नागरिकता साबित करने के लिए आधार काफी नहीं है लेकिन पहचान के वैकल्पिक दस्तावेज के तौर पर इसे स्वीकार किया जा सकता है। Bihar Elections 2025
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कल तय होगा नंबर गेम, जानें किसको मिल रहा किसका समर्थन

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 04:19 AM
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भारत में 9 सितंबर 2025 को उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 के लिए मतदान होगा। इस बार का मुकाबला बेहद रोमांचक है, जिसमें एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन और इंडिया गठबंधन के बी. सुदर्शन रेड्डी आमने-सामने हैं। लोकसभा में बहुमत होने के कारण राधाकृष्णन की जीत की संभावना अधिक मानी जा रही है, लेकिन विपक्ष भी पूरी ताकत के साथ रेड्डी का समर्थन कर रहा है। यह 17वां उपराष्ट्रपति चुनाव है और इसे संसद के निर्वाचक मंडल द्वारा आयोजित किया जाएगा। इसमें केवल लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित और मनोनीत सदस्य मतदान करेंगे; राज्य विधानसभाओं की इसमें कोई भूमिका नहीं है। इस साल कुल 782 सांसद वोटिंग में हिस्सा लेंगे, जिनमें लोकसभा के 543, राज्यसभा के 233 निर्वाचित और 12 मनोनीत सदस्य शामिल हैं।  Vice President Election 2025

सीपी राधाकृष्णन बनाम बी. सुदर्शन रेड्डी

तमिलनाडु के बीजेपी नेता और महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन पार्टी के भरोसेमंद चेहरे माने जाते हैं। दक्षिण भारत में पार्टी की पकड़ मजबूत करने में उनकी भूमिका अहम मानी जाती है। वहीं, आंध्र प्रदेश के पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज बी. सुदर्शन रेड्डी न्यायपालिका में अपनी निष्पक्ष और ईमानदार छवि के लिए जाने जाते हैं। राजनीतिक दलों और न्यायपालिका के इस टकराव ने इस चुनाव को और भी ऐतिहासिक बना दिया है।

मतदान और मतगणना की प्रक्रिया

उपराष्ट्रपति का चुनाव संविधान के अनुच्छेद 66 के तहत सिंगल ट्रांसफरेबल वोट (STV) प्रणाली से होता है। सांसद गोपनीय तरीके से मतदान करते हैं और उम्मीदवारों को वरीयता क्रम में सूचीबद्ध करते हैं। जीत के लिए किसी उम्मीदवार को कुल वैध मतों का आधा से अधिक प्राप्त करना आवश्यक है। यदि प्रथम वरीयता के मतों से कोई बहुमत नहीं बनता, तो सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार के मत अगली वरीयताओं के अनुसार ट्रांसफर किए जाते हैं। यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक कोई उम्मीदवार बहुमत हासिल नहीं कर लेता। निर्वाचन आयोग इस प्रक्रिया की पूरी निगरानी करता है और वोटिंग के लिए संसद में वरिष्ठ संसदीय अधिकारी को रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त किया गया है।

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समर्थन और रणनीति

एनडीए के पास लोकसभा में मजबूत बहुमत है और कई क्षेत्रीय दल कथित तौर पर उसका समर्थन कर रहे हैं। इसके कारण राधाकृष्णन की जीत लगभग तय मानी जा रही है। विपक्षी दलों ने इस बार पूरी एकजुटता दिखाई है। कांग्रेस, तृणमूल, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, आरजेडी, वामपंथी दलों और अन्य ने सुदर्शन रेड्डी के समर्थन में प्रचार तेज कर दिया है। शिवसेना (UBT) और AIMIM के नेता भी रेड्डी के समर्थन में हैं। बीजेपी ने अपने सांसदों के लिए दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित की, जिसमें पीएम मोदी समेत सभी सांसद मौजूद रहे। इसमें मतदान प्रक्रिया और गुप्त मतदान के नियमों की पूरी जानकारी दी गई और सतर्क रहने का निर्देश दिया गया। विपक्ष भी सांसदों के बीच एकता सुनिश्चित करने के लिए लगातार बैठकें कर रहा है।

बहुमत की स्थिति

एनडीए के पास लोकसभा में 293 और राज्यसभा में 130 सांसद हैं, साथ ही 12 मनोनीत सदस्य हैं। कुल मिलाकर एनडीए के पास 435 सांसद हैं, जबकि बहुमत के लिए 392 वोट जरूरी हैं। अगर क्रॉस वोटिंग नहीं होती है तो राधाकृष्णन की जीत लगभग पक्की मानी जा रही है।    Vice President Election 2025