Business News : भारतीय कंपनी को 35 लाख डॉलर देने के खिलाफ ईरान सरकार की याचिका खारिज

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केन्या-ईरान वीजा नहीं लगेगा
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 09:11 AM
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मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने रेल के डिब्बों की बिक्री संबधी एक मामले में एक भारतीय कंपनी को 35 लाख डॉलर से अधिक का भुगतान करने के संबंध में ईरान सरकार को दिए गए आदेश के खिलाफ दायर पश्चिम एशियाई देश की याचिका खारिज कर दी है।

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Political : सोमवार को पिघल सकती है संसद में जमीं गतिरोध की बर्फ, शाह के बयान से मिले संकेत

न्यायमूर्ति केआर श्रीराम और न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की खंडपीठ ने इस सप्ताह की शुरुआत में सुनाए गए फैसले के तहत ईरान सरकार की याचिका को खारिज कर दिया। उसे भारतीय कंपनी केटी स्टील्स को चार सप्ताह में 10 लाख रुपये का जुर्माना देने का आदेश भी दिया। ईरान सरकार ने रेल के डिब्बों की खरीद के लिए ईरानियन इस्लामिक रिपब्लिक रेलवे (आरएआई) के जरिये एक वैश्विक निविदा जारी की थी। उस समय भारत सरकार ‘स्टेट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन’ (एसटीसी) के जरिये डिब्बे निर्यात कर रही थी। केटी स्टील्स ने एसटीसी के माध्यम से अपनी बोली प्रस्तुत की और सार्वजनिक उपक्रम की भारतीय कंपनी (एसटीसी) ने 16 मार्च 1970 को ईरान सरकार के साथ एक खरीद अनुबंध किया। एसटीसी ने नवंबर 1970 में एक अलग अनुबंध के माध्यम से केटी स्टील्स को अनुबंध का लाभ दिया।

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अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण 1972 में डिब्बों को भेजने के लिए माल ढुलाई शुल्क में वृद्धि हुई और अगस्त 1976 में अनुबंध में संशोधन किया गया। इस संशोधन के बाद निर्यात 1977 तक जारी रहा। केटी स्टील्स ने आरोप लगाया कि ईरान ने 1973 में भेजे गए 306 डिब्बों और 1977 में भेजे गए 94 डिब्बों के लिए माल ढुलाई शुल्क का भुगतान नहीं किया। भारतीय कंपनी ने सितंबर 1996 में उच्च न्यालय में मामला दायर किया, लेकिन ईरान सरकार सुनवाई के दौरान अदालत के सामने एक भी बार पेश नहीं हुई। इसके बाद 2008 में बंबई उच्च न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने एकतरफा फैसला सुनाते हुए इस्लामिक गणराज्य ईरान (आईआरआई) को 304 डिब्बों के लिए 13,87,727 डॉलर, 94 डिब्बों के लिए 16,96,722 डॉलर और नुकसान के लिए 4,84,840 डॉलर यानी कुल 35,69,289 डॉलर की राशि का भुगतान करने का आदेश दिया। अदालत ने मामला दायर करने की तिथि से लेकर भुगतान किए जाने तक माल ढुलाई शुल्क पर नौ प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज देने का भी आदेश दिया।

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आरएआई ने 12 वर्ष के बाद उच्च न्यायालय में इस आदेश के खिलाफ एक याचिका दायर की, जिसमें दावा किया गया कि आईआरआई के खिलाफ गलत तरीके से मुकदमा दायर किया गया था और वास्तव में इसे आरएआई के खिलाफ दायर किया जाना चाहिए था। अदालत ने कहा कि हमने गौर किया है कि ईरान सरकार ने इस अदालत के समक्ष पेश नहीं होने का विकल्प चुना और वह अब भी उसके आदेशों का पालन करने से इनकार कर रही है। याचिकाकर्ता (आईआरआई) ने इस अदालत के समक्ष कोई अभिवेदन नहीं दिया है, बल्कि केवल आरएआई, जो याचिका में पक्षकार भी नहीं है, उसने मामले की पैरवी के लिए एक वकील को नियुक्त किया है। अदालत ने इसी के साथ आईआरआई की याचिका खारिज कर दी और उसे केटी स्टीस को चार सप्ताह में 10 लाख रुपये जुर्माना देने का भी आदेश सुनाया। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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Political : सोमवार को पिघल सकती है संसद में जमीं गतिरोध की बर्फ, शाह के बयान से मिले संकेत

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Parliament ground deadlock may melt on Monday, indications from Shah's statement
locationभारत
userचेतना मंच
calendar18 Mar 2023 05:35 PM
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- आर.पी. रघुवंशी नई दिल्ली। संसद में ​गतिरोध कोई नई बात नहीं है। गतिरोध का पुराना इतिहास रहा है। लेकिन, अबकी जो गतिरोध है, वह बेहद खास है। दरअसल, इस गतिरोध में सिर्फ विपक्ष नहीं, सत्ता पक्ष भी शामिल है। विपक्ष अडानी मामले पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मांग पर अड़ा हुआ है। वहीं, सत्ता पक्ष ने राहुल गांधी के लंदन में दिए बयान पर माफी मांगने की जिद ठान रखी है। इस बीच, केंद्रीय गृहमंत्री के बयान से कुछ उम्मीद बंधी है। उनका कहना है कि दोनों पक्ष दो-दो कदम चलें तो सोमवार से संसद का कार्यवाही पर जमीं गतिरोध की बर्फ पिघल सकती है।

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बजट सत्र का दूसरा चरण 13 मार्च से शुरू हो चुका है, ​लेकिन अब तक संसद चल नहीं पाई है। सत्ता और विपक्ष दोनों के हंगामे के कारण संसद में गतिरोध बना हुआ है। दरअसल, अडानी समूह के बाबत हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष जेपीसी की मांग पर अड़ा हुआ है। लेकिन, सरकार इस पर राजी नहीं है। अडानी मामले पर सरकार काफी असहज है। संसद में मोदी—अडानी के रिश्ते को लेकर जमकर नारेबाजी हुई। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद दुनिया के तीसरे सबसे अमीर गौतम अडानी अब 40वें स्थान से भी नीचे पहुंच गए हैं। उन्हें 12 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक की चपत लग चुकी है। विपक्ष लगातार यह आरोप लगा रहा है कि पीएम मोदी अडानी के बचाने के लिए ढाल बनकर खड़े हो गए हैं। अभी हाल ही में 'इंडियन एक्सप्रेस' की एक और रिपोर्ट से राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है। रिपोर्ट के मुताबिक अडानी की कंपनी को डिफेंस से संबंधित एक ठेका दिया गया है। उस कंपनी में मॉरिशस की गुमनाम कंपनी का 9000 करोड़ रुपया लगा है। लेकिन, किसी को नहीं पता है कि उस कंपनी का मालिक कौन है और उसे होने वाला लाभ किसके पास जाएगा। यह भी नहीं पता है कि यह पैसा किसका है। केंद्र की मोदी सरकार अडानी के मामले में बुरी तरह घिरी हुई है। उसे इस भंवर से निकलने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है।

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इस बीच, राहुल गांधी ने लंदन में स्थित आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में आयोजित एक व्याख्यान में कहा कि भारत में लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। संवैधानिक संस्थाओं पर भी अनुचित दबाव है। इससे दुनिया के दूसरे देशों के लोकतंत्र को नुकसान हो सकता है।

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दरअसल, राहुल गांधी का यह बयान अडानी मुद्दे पर असहज भाजपा के लिए संजीवनी की तरह आया। पूरी पार्टी ने राहुल के इस बयान को अडानी मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए ढाल की तरह इस्तेमाल करने की रणनीति बनाई। भाजपा अब राहुल गांधी से माफी मांगने की जिद ठान ली है। देश के इतिहास में शायद यह पहली बार हो रहा है कि सत्ता पक्ष सदन में हंगामा कर कार्यवाही बाधित कर रहा है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कहना है कि राहुल गांधी देश के खिलाफ काम कर रही टूलकिट का स्थायी हिस्सा बन गए हैं। वह भारत विरोधी अरबपति जॉर्ज सोरोस की भाषा बोल रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस को ही देशद्रोही करार दिया और कहा कि कांग्रेस नेता पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं। राहुल गांधी को अपने इस गुनाह के लिए देश की जनता से माफी मांगनी होगी।

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नड्डा के बयान पर कांग्रेस तमतमा गई। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि भाजपा खुद राष्ट्र विरोधी टूलकिट का हिस्सा है। भाजपा ने देश के स्वतंत्रता आंदोलन में कभी हिस्सा नहीं लिया, अंग्रेजों के लिए काम किया। इन लोगों को हमें देशभक्ति का पाठ पढ़ाने के बजाय खुद हमारी पार्टी से सीखने की जरूरत है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर संसद में हंगामा कर रही है और सदन नहीं चलने दे रही है। खरगे ने कहा कि पीएम मोदी ने खुद कई बार विदेशी धरती पर देश का अपमान किया है। मोदी ने छह-सात देशों में जाकर कहा कि लोग कहते हैं कि मैंने कौन सा पाप किया था कि भारत जैसे देश में पैदा हुआ। इस बीच, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के एक बयान से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि संसद में व्याप्त गतिरोध की बर्फ पिघल सकती है। हालांकि इसके आसार बेहद कम हैं, क्योंकि अगर 'सौदा' हुआ तो भाजपा को जेपीसी का गठन करना पड़ सकता है, जो लगभग नामुमकिन सा दिखाई पड़ रहा है। लेकिन, शुक्रवार को इंडिया टुडे कांक्लेव में पूछे गए सवाल के जवाब में अमित शाह ने कहा कि इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। सत्ता और विपक्ष दोनों ही दो-दो कदम आगे बढ़ें तो गतिरोध दूर होने में कोई कठिनाई नहीं है। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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Kolkata News : मंडल की अनुपस्थिति में बीरभूम में टीएमसी संगठन से जुड़े मामले देखेंगी ममता

Mamta
ममता केजरीवाल के साथ
locationभारत
userचेतना मंच
calendar18 Mar 2023 05:26 PM
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कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी ने गिरफ्तार नेता अनुब्रत मंडल की अनुपस्थिति में बीरभूम जिले में पार्टी संगठन से जुड़े मामले खुद देखने का फैसला किया है। यह जानकारी पार्टी के एक वरिष्ठ सदस्य ने दी। टीएमसी के कद्दावर नेता मंडल अभी भी पार्टी की बीरभूम इकाई के अध्यक्ष हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें पशु तस्करी में उनकी कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया है। ममता ने बीरभूम में पार्टी संगठन से जुड़े मामले देखने का फैसला ऐसे समय में किया है, जब बंगाल में एक महीने के भीतर पंचायत चुनाव होने हैं।

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तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि यह फैसला ममता के कालीघाट स्थित आवास पर पार्टी की बैठक के दौरान लिया गया। बंदोपाध्याय ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि हमारी पार्टी प्रमुख बीरभूम जिले में पार्टी संगठन से जुड़े मामलों को देखेंगी। पूर्वी बर्धमान और दार्जिलिंग में पार्टी से जुड़े मामले देखने वाले अरूप बिस्वास को नदिया जिले का प्रभार संभालने के लिए भी कहा गया है। वहीं, फिरहाद हाकिम हावड़ा और हुगली जिलों में पार्टी मामलों को देखेंगे। बंदोपाध्याय ने बताया कि मलय घटक बांकुड़ा, पुरुलिया और पश्चिम बर्धमान जिलों में पार्टी मामलों को देखेंगे, जबकि तापस रॉय दक्षिण दिनाजपुर जिले के संरक्षक होंगे।

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पार्टी सूत्रों ने कहा कि वरिष्ठ नेता सिद्दीकुल्ला चौधरी के अलावा सबीना यास्मीन को उत्तर दिनाजपुर, मालदा और मुर्शिदाबाद जिलों में टीएमसी से जुड़े मामले देखने का जिम्मा सौंपा गया है। यह पूछे जाने पर कि क्या नेता पार्टी पर्यवेक्षकों के रूप में काम करेंगे, टीएमसी सांसद बंदोपाध्याय ने कहा कि पार्टी द्वारा किसी को भी पर्यवेक्षक नहीं बनाया गया है। इनमें से प्रत्येक नेता उन जिलों में पार्टी से जुड़े मामलों को देखेंगे, जो उन्हें आवंटित किए गए हैं। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।