Corona Update: भारत ने टीकाकरण में बनाया रिकार्ड

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 03:01 AM
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भारत में कोरोना के खिलाफ चल रहा टीकाकरण अभियान लगातार नए रिकार्ड कायम कर रहा है। तेजी से चल रहे टीकाकरण के चलते अब देश में वैक्सीन की सिंगल खुराक के मामले में दुनिया में शीर्ष स्थान पर पहुंच गया है।

बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से इसकी जानकारी देते हुए बताया गया कि भारत की वयस्क आबादी में तकरीबन 60.7 फीसदी को वैक्सीन की कम से कम एक खुराक लगाई जा चुकी है। जो कि एक वैश्विक रिकार्ड है।वहीं 18 करोड़ से ज्यादा लोगों को टीके की दोनों खुराक लगा दी गई है। मंत्रालय की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि भारत में कोविड-19 वैक्सीन की कम से कम एक डोज लेने वालों की संख्या दुनिया में सर्वाधिक हो गई है। मंत्रालय ने बताया कि टीकाकरण मामले में भारत का ग्रामीण क्षेत्र शहरी इलाके से आगे है। कुल 60.7 फीसदी आंकड़ों में जहां ग्रामीण इलाके की हिस्सेदारी 62.54 फीसदी है,वहीं शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा महज 36.30 फीसदी है। जबकि दोनों को मिलाकर कुल 73.44 करोड़ लोगों को कम से कम एक वैक्सीन की एक खुराक दी जा चुकी है।

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डेंगू और वायरल बुख़ार हैं एक दूसरे से काफी अलग

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 05:21 AM
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नई दिल्ली: देश में दोबारा से डेंगू बुखार का आतंक बढ़ता जा रहा है। बारिश के मौसम आने से अकसर मच्छर से होने वाली बीमारियांं बढ़ना शुरु हो जाती है। ऐसे में बुखार आने पर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए जिसकी तुरंत जांच करने की आवश्यकता है। डेंगू और वायरल बुख़ार दोनों बेहद अलग तरह की बीमारियां मानी जाती है।

शुरुआत की बात करें तो इन्हें बिना जांच के पहचानना मुश्किल होने लगता है। इन दोनों बुख़ार में कई लक्षण भी एक जैसे माने जाते हैं, लेकिन ये बिल्कुल अलग तरह से फैलना शुरु हो जाते हैं।

वायरल बुख़ार तीन से 5 दिनों के समय तक रहता है जिससे हल्के में नहीं लिया जा सकता है।, जिसमें ठंड लगना और शरीर में दर्द बढ़ने लगता है। ये बुख़ार जितनी जल्दी चढ़ता है, उतनी ही जल्दी उतर शुरु हो जाता है। यह या तो संक्रमित व्यक्ति द्वारा हवा में छींक या खांसी से छोड़ी गई बूंदों से फैलने लगता है या किसी संक्रमित चीज़ को छू लेने से होता है।

वहीं, डेंगू का बुख़ार, प्रकृति में अधिक जटिल होने लगता है। यह टाइगर मच्छर (एडीज़ इजिप्टी) द्वारा फैल जाता है। मच्छर में काली और पीली धारियां देखकर इसको पहचानना जा सकता है और यह आमतौर पर सुबह या भोर में काटना शुरु कर देता है। वायरस सफेद रक्त कोशिकाओं में प्रवेश करने के बाद और प्रजनन करता है।

वायरस के पांच अलग-अलग प्रकार बताएं जाते हैं, जिनमें से प्रत्येक की गंभीरता बढ़ने लगती है। एक प्रकार के संक्रमण में आजीवन प्रतिरक्षा मिलना शुरु हो जाती है और दूसरे प्रकार में कुछ समय के लिए ही मिलती रहती है। डेंगू वायरस संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खासने या छूने से नहीं फैलता है। यह बुख़ार कम से कम 7 दिनों तक हो जाता है। जिस दौरान बीच में उतरता-चढ़ने क दौरान शुरु होता है। इसके अलावा सिर दर्द, जोड़ों में दर्द और सूजन और शरीर पर चकत्ते भी दिखाएं देने लगते हैं।

बुखार होने के बाद पैरों और हाथों की उंगलियां और जॉइन्ट्स में सूजन और दर्द का खतरा बढ़ सकता है। कई मरीज़ अपने पैरों, बाहों और धड़ पर चुभने वाले चकत्तों की शिकायत करते हैं।

एक्सपर्ट्स से मिली जानकारी के मुताबिक वायरल और डेंगू बुख़ार में फर्क करने की प्रक्रिया काफी आसान है। वायरल संक्रमण होने से मरीज़ को बुख़ार के साथ नाक बहना, गले में दर्द, शरीर में दर्द, कमज़ोरी आदि जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं। वहीं, डेंगू में बुख़ार तेज़ होता रहता है, मांसपेशियों और हड्डियों में बेहद दर्द और बुखार के 24 या 48 घंटों बाद पूरे शरीर में गुलाबी रंग के चकत्ते पड़ने लगते हैं।

अगर आप भारत में इनमें से किसी भी बीमारी को पकड़ने की संभावना के बारे में चिंतित हो जाते हैं, तो सबसे अहम बात जो ध्यान में रखने वाली चीज मौसम माना जाता है। बीमारी की व्यापकता से हर साल और भारत में जगह-जगह बदलने से इसका असर तेज होने लगता है। भारत में डेंगू मॉनसून के मौसम के बाद के महीनों में सबसे आम माना जाता है। वहीं, वायरल बुख़ार मौसम के बदलने के वक्त ज़्यादा होने लगता है जिससे आपके शरीर पर काफी प्रभाव होता है।

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Health Tips- लीवर को मजबूत रखने के लिए करें इन चीजों का सेवन

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locationभारत
userसुप्रिया श्रीवास्तव
calendar29 Nov 2025 04:50 AM
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लिवर को स्वस्थ रखने के उपाय- लिवर शरीर का अत्यंत महत्वपूर्ण अंग होता है। इसका काम है भोजन से प्राप्त पोषक तत्वों को शरीर के विभिन्न हिस्सों में पहुंचाना, तथा खाने के waste material को शरीर से बाहर करना। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए लीवर का स्वस्थ होना अत्यंत आवश्यक है। लेकिन कभी-कभी खानपान के गलत तरीके का भुगतान लीवर को करना पड़ता है। हम जो चीज भी खाते हैं उसका सीधा असर हमारे लिवर पर पड़ता है। खाने में यदि तेल मसाले, मिर्च एवं जंक फूड की अधिकता होती है तो इससे लीवर पर दुष्प्रभाव पड़ने की संभावना रहती है।

आज के इस पोस्ट में हम कुछ ऐसे उपाय लेकर आए हैं, जिनका उपयोग हम अपने लिवर को स्वस्थ बनाने के लिए कर सकते हैं। कुछ आसान तरीकों को अपनाकर हम अपने लिवर को स्वस्थ रख सकते हैं। जानते हैं क्या है वो उपाय -

खाने में इस्तेमाल करें फाइबर युक्त चीजें- फाइबर युक्त भोजन लीवर के लिए अत्यंत लाभदायक होता है। सुबह की शुरुआत आप दलिया, अथवा अन्य किसी फाइबर युक्त भोजन से कर सकते हैं। यह पेट को भरे रखने के साथ फैटी लीवर को कम करने में सहायक होता है। सुबह के खाने में आप ब्रोकोली का भी इस्तेमाल कर सकते है। यह भी एक पौष्टिक आहार होता है।

शरीर को करें डिटॉक्स- हमारी रसोई में मौजूद हल्दी का इस्तेमाल एंटीसेप्टिक दवाइयों के रूप में भी किया जाता है। हल्दी का काम शरीर को डिटॉक्स करना है। हल्दी का सेवन नियमित तौर पर करने से लिवर को स्वस्थ रखने में सहायता मिलती है ।

ग्रीन टी है लाभदायक -

ग्रीन टी शरीर के लिए बेहद लाभदायक होती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर को कई तरह की बीमारियों से बचाती है। ग्रीन टी का इस्तेमाल लीवर के लिए लाभदायक हो सकता है। फैटी लीवर की समस्या को दूर करने के लिए छांछ में हींग, जीरा एवं काली मिर्च मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।