Omicron Sub Variant-भारत में ओमिक्रोन के नए सब वेरिएंट BA.4 का पहला केस आया सामने

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भारत में ओमिक्रोन सब वेरिएंट BA.4 का पहला मामला
locationभारत
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calendar29 Nov 2025 04:03 PM
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Omicron Sub Variant- कोरोना जहां ओर थमना शुरू होता है तो वहीं दूसरी ओर इसका दूसरा कोई नया वेरिएंट सामने आ जाता है। भारत में कोरोना के ओमिक्रोन के नए सब वेरिएंट (Omicron Sub Variant) BA.4 की पुष्टि हुई है। अगर बात करें BA.4 की तो यह सब वेरिएंट कुछ कुछ BA.2 सब वेरिएंट के जैसा ही है। भारत के इसका पहला मामला हैदराबाद में सामने आया है।

नए वेरिएंट के लिए है कोविड बूस्टर की ज़रूरत;-

एक रिसर्च में यह पाया गया है कि इस नए वेरिएंट से लड़ने में बूस्टर डोज़ काम आने वाली है। जिन लोगों ने कोविड 19 के लिए बूस्टर डोज़ लगवाई थी, उन लोगों को ओमिक्रोन के नए वेरिएंट से खतरा नहीं है। यह बूस्टर डोज़ लोगों को एक एंटीबॉडी प्रदान करने का काम करेगी। इसको लेकर अमेरिका के ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में रिसर्च भी हुई है। वहां के एक प्रोफेसर शान लू लियू ने इसको लेकर जानकारी दी है कि ओमिक्रोन के नए वेरिएंट (Omicron Sub Variant) से बचने के बूस्टर डोज़ कितनी ज्यादा सहायक साबित होने वाली है। अगर हम बात करें भारत की तो, भारत में बीते गुरुवार को कोरोना के 2364 मामले सामने आए हैं जिसमें से सबसे ज्यादा मामले केरल से सामने आए हैं, वहीं इस सूची में दूसरे स्थान पर देश की राजधानी दिल्ली है। दिल्ली में भी कोरोना के काफी मामले अभी भी सामने आ रहे हैं।
Hyderabad- डॉक्टर ने मरीज की किडनी से 1 घंटे में निकाले 206 स्टोन

केरल और दिल्ली कोरोना मामलों हैं सबसे आगे;-

जैसा कि हमने बताया कि केरल में कोरोना (Corona Cases in Kerala) के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। देश के 5 संक्रमित राज्यों में केरल सबसे ऊपर है। केरल में 596 केस सामने आए हैं, उसके बाद दिल्ली है जहां पर 532 केस सामने आए हैं। दिल्ली के बाद महाराष्ट्र में 307 केस (Corona Cases in Delhi and Maharashtra) सामने आए हैं, फिर हरियाणा में 257 केस और इसके बाद नंबर आता है उत्तर प्रदेश का जहां पर कोरोना के 139 मामले सामने आए हैं।
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Health : कड़वा - कड़वा करेला है अनेक रोगों का दुश्मन !

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locationभारत
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calendar20 May 2022 03:53 PM
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 विनय संकोची Health : करेला ( Bitter Gourd)महत्वपूर्ण औषधीय तत्वों से भरपूर एक सब्जी है। जो कड़वा तो है लेकिन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक बहुत है। बहुत से लोग करेले की कड़वाहट के कारण इसका उपयोग नहीं करते हैं, लेकिन यदि इसकी कड़वाहट को नजरअंदाज कर इसका सेवन करें तो मधुमेह सहित अन्य अनेक बीमारियों के जोखिम से स्वयं को बचा सकते हैं। जीवन में "सेहत की मिठास" घोलने वाले कड़वे करेले का जन्म हजारों वर्ष पहले भारत में हुआ माना जाता है। आयुर्वेद के ग्रंथों में करेले के गुण व उपयोग का उल्लेख प्राप्त होता है। भारतीय आयुर्वेद विज्ञान करेले को औषधीय गुणों की खान बताता है। चरक संहिता में करेले को कफ और पित्तनाशक बताया गया है। गुणकारी करेले को अंग्रेजी में बिटर गार्ड, मराठी में कारली, ओड़िया में सलारा, मलयालम में पावक्काचेटी, बांग्ला में जेटुआ, तमिल में पावक्कई, कन्नड़ में करंट और तेलुगु में पाकल कहा जाता है। संस्कृत में कारवेल्ली, पीत पुष्पा, अंबुवल्लिका और कटिल्लक कहा जाने वाले करेले में पोषक तत्वों का खजाना छुपा हुआ है। इसमें प्रोटीन, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट्स, पोटेशियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, कैल्शियम, आयरन, कॉपर, मैगनीज, विटामिन-ए, विटामिन-सी, विटामिन- बी के फॉलेट नियासिन, राइबोफ्लेविन आदि पाए जाते हैं। करेले में कॉलिन और ल्यूटेन नामक तत्वों के अतिरिक्त फिटो न्यूट्रिएंट्स तथा एंटीऑक्सीडेंट फेनोलिक एसिड, सैपोनिन, पेप्टाइड भी मौजूद होते हैं। आइए जानते हैं करेले के गुण और विभिन्न रोगों में इसके उपयोग के बारे में -मधुमेह (Diabetes ) के उपचार में करेला, करेले का चूर्ण और करेले का रस बहुत उपयोगी हैं। करेले को सुखाकर महीन चूर्ण बनाकर 5 ग्राम मात्रा पानी अथवा शहद के साथ सेवन करने से शुगर का स्तर संतुलित होता है। करेले का ताजा 15 मिलीलीटर रस नियमित पीने से मधुमेह छुटकारा पाया जा सकता है। • 15-20 मिलीग्राम करेले के पत्ते के रस को 250 मिलीलीटर छाछ के साथ मिलाकर प्रतिदिन सुबह-सुबह पीने से बवासीर में फायदा होता है। • पीलिया में भी करेला फायदेमंद होता है। करेले के 10 मिलीलीटर रस में बड़ी हरड़ को पीसकर पीने से पीलिया में लाभ मिल सकता है। • ताजा हरे करेलों के रस को गर्म कर लेप करने से गठिया में लाभ होता है। करेले के पेस्ट और काढ़े को घी में पकाकर दर्द वाले जोड़ों आदि पर लगाने से गठिया के दर्द में आराम आता है। • 10-12 मिलीलीटर करेले के पत्तों का रस पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। करेले के बीजों को पीसकर 2 ग्राम सेवन करने से भी कीड़े मर जाते हैं। • जलोदर (पेट में पानी भर जाने वाली बीमारी) रोगी को 10-15 मिलीलीटर करेले के पत्तों के रस में शहद मिलाकर पिलाने के चमत्कारी फायदा हो सकता है। • करेले के पत्ते के रस को दाद वाले स्थान पर लगाने से दाद ठीक हो जाता है। करेला चर्म रोग से भी छुटकारा दिला सकता है। करेले के पत्ते, दालचीनी, पीपल और चावल को जंगली बादाम के तेल में मिलाकर लगाने से त्वचा विकार/चर्म रोग में फायदा होता है। • करेले के 10-15 मिलीलीटर रस में जीरे का चूर्ण मिलाकर दिन में तीन बार पिलाने से वायरल फीवर में अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। • करेले के पत्तों के रस को तलवों में लगाने से तलवों में जलन की परेशानी दूर हो जाती है। • कच्चा करेला खाने से खून साफ होता है। वैसे खून करेले की सब्जी खाने से भी साफ होता है, लेकिन कच्चा करेला त्वरित और अधिक प्रभाव दिखाता है। • एक गिलास करेला रस नियमित रूप से सेवन करने से लीवर पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है। • 20 ग्राम करेला रस में शहद मिलाकर पीने से पथरी गल करके पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाती है। • अस्थमा में करेले की बिना मसाले वाली सब्जी बहुत फायदेमंद होती है।  जरूरी बात : गर्भावस्था के दौरान करेले का अधिक सेवन गर्भपात का कारण बन सकता है। लीवर और किडनी के मरीजों को भी ज्यादा करेला खाना भारी पड़ सकता है। अत्यधिक करेले व इसके रस का सेवन करने से रक्त में शुगर का स्तर बहुत कम हो सकता है, जिससे हाइपोग्लाइकोमिया की शिकायत से दो चार होना पड़ सकता है। करेले के बहुत अधिक सेवन से अन्य कई परेशानियां भी पैदा हो सकती हैं।  विशेष : यहां करेला और उसके रस के गुण और उपयोग के बारे में विशुद्ध सामान्य जानकारी दी गई है। यह सामान्य जानकारी चिकित्सकीय परामर्श का विकल्प कदापि नहीं है। इसलिए हम किसी उपाय अथवा जानकारी की सफलता का दावा नहीं करते हैं। रोग विशेष के उपचार में करेला/करेला-रस को औषधि रूप में अपनाने से पूर्व योग्य आयुर्वेदाचार्य/आहार विशेषज्ञ/चिकित्सक से परामर्श आवश्यक है।
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Health Alert: महिलाओं का सबसे बड़ा दुश्मन है सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer)

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calendar01 Dec 2025 11:53 AM
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New Delhi : नई दिल्ली। सर्वाइकल कैंसर(Cervical Cancer ) यानि महिलाओं का जारी दुश्मन/यूं तो कैंसर (Cancer)  शब्द सुनते ही एहसास हो जाता है कि यह दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारी है किन्तु सर्वाइकल कैंसर(Cervical Cancer ) की सबसे खतरनाक किस्म है। यह कैंसर का शिकार होने वाली 70 प्रतिशत महिलाओं में यह बीमारी पाई जाती है। एक अनुमान के अनुसार भारत में हर वर्ष कैंसर के 122000 मरीज सामने आते हैं। इनमें से 67500 महिलाएं होती हैं। क्या आप जानते हैं कि भारतीय महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौत का सबसे आम कारण सर्वाइकल कैंसर है? जी हां, अगर आंकड़े देखें तो समय पर इलाज न होने की वजह से 15 से 44 वर्ष की आयु की महिलाओं में यह कैंसर से मौत का पहला सबसे बड़ा कारण बन रहा है। लेकिन ये ऐसी कैंसर की बीमारी है जिसे ठीक किया जा सकता है। भारत में सर्वाइकल कैंसर के लगभग 1,22,000 नए मामले सामने आते हैं, जिसमें लगभग 67,500 महिलाएं होती हैं। कैंसर से संबंधित कुल मौतों का 11.1 प्रतिशत कारण सर्वाइकल कैंसर ही है। यह स्थिति और भी खराब इसलिए हो जाती है कि देश में मात्र 3.1 प्रतिशत महिलाओं की इस हालत के लिए जांच हो पाती है, जिससे बाकी महिलाएं खतरे के साये में ही जीती हैं। क्या है इसकी वजह? सर्वाइकल एरिया में होने की वजह से इसे सर्वाइकल कैंसर कहते हैं। ये गर्भाशय में कोशिकाओं के अनियमित बढ़ोतरी की वजह से होता है। कई बार ये ह्यूमन पैपीलोमा वायरस यानी एचपीवी के कारण भी होता है। इसके अलावा, स्मोकिंग, बार-बार होने वाली प्रेग्नेंसी, एक से ज़्यादा पार्टनर के साथ फिजिकल रिलेशन बनाना जैसे वजह के कारण भी होता है। 2018 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल करीब 74 हजार महिलाएं इस जानलेवा बीमारी का शिकार होती हैं। वहीं, वुमन हेल्थ जर्नल की रिपोर्ट की मानें, तो ज्यादातर महिलाएं इसकी जांच नहीं कराती हैं जिस वजह से ये फैलता जाता है और जानलेवा साबित होता है। इसलिए वक्त रहते इसका इलाज कराना सबसे ज़रूरी है ताकि आप खुद को इसकी चपेट में आने से रोक सकें। चेकअप है ज़रूरी इससे बचने के लिए महिलाओं को नियमित रूप से चेकअप कराना ज़रूरी है। इसके साथ ही, हर तीन साल में पैप स्मीयर टेस्ट कराएं। एचपीवी वायरस से बचने के लिए टीके लगवाएं। सिगरेट से दूर रहें और फिजिकल रिलेशन बनाते वक्त सुरक्षा का इस्तेमाल करें। ऐसे होते हैं लक्षण सर्वाइकल कैंसर में कई बार योनि से असामान्य तरीके से ब्लीडिंग होती है। इसके अलावा, शारीरिक संबंध बनाते वक्त ब्लड आना या तेज़ दर्द होना, वेजाइना से अक्सर व्हाइट बदबूदार डिस्चार्ज होना, पीरियड के वक्त काफी ज्यादा दर्द हो तो हल्के में ना लें और पेशाब की थैली में भी दर्द होना इसका एक बड़ा लक्षण है। जानिए कैसे बचें इस बीमारी से सर्वाइकल कैंसर को रोकने के लिए कुछ सुझाव- 1. कंडोम के बिना कई व्यक्तियों के साथ यौन संपर्क से बचें। 2. हर तीन वर्ष में एक पैप टेस्ट करवाएं। 3. धूम्रपान छोड़ दें, क्योंकि सिगरेट में निकोटीन और अन्य घटकों को रक्त की धारा से गुजऱना पड़ता है और यह सब गर्भाशय-ग्रीवा में जमा होता है, जहां वे ग्रीवा कोशिकाओं के विकास में बाधक बनते हैं। 4. फल, सब्जियों और पूर्ण अनाज से समृद्ध स्वस्थ आहार खाएं, मगर मोटापे से दूर रहें। 5. सबसे ज़रूरी इसका टीकाकरण करवाएं। पहले एचपीवी के टीकाकरण के तीन डोज़ आते थे, लेकिन अब इसका सिर्फ एक डोज़ आता है। इस टीकाकरण को डॉक्टर की सलाह पर आप जितना जल्दी ले लेंगी आपको सर्वाइकल कैंसर का ख़तरा उतना कम हो जाएगा। इसे भी पोलियो के टीके की तरह ही आप चाहे तो कम उम्र में भी ले सकती हैं, लेकिन हां, इससे पहले डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें।