कोरोना संक्रमण ने बनाया नया रिकॉर्ड, चीन के दो शहर बने हॉटस्पॉट

Omicron in the world
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userचेतना मंच
calendar29 Dec 2021 07:18 PM
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28 दिसंबर को पूरी दुनिया में 14.4 लाख कोविड (Covid-19) पॉजिटिव केस सामने आए हैं। एक दिन में कोविड संक्रमितों की यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। एक महीने में ही कोविड (Covid-19) संक्रमितों की संख्या में लगभग 50% का इजाफा हुआ है।

चीन के दो शहरों में लगाना पड़ा लॉकडाउन चीन के वुहान (2019) में कोरोना (Covid-19) फैलने के 21 महीने बाद यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। इस बार महामारी का केंद्र चीनी शहर शियान (Shiyan) है जहां पिछले हफ्ते लॉकडाउन (Lockdown) लगा दिया गया है।

चीन के मुताबिक शियान में पिछले एक महीने में 800 कोरोना संक्रमित मरीज पाए गए। बता दें कि चीन में कोरोना को लेकर बेहद कड़े नियम हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शियान शहर में लोगों की चार बार कोरोना जांच की जा चुकी है और पांचवें की तैयारी है। इस बीच चीन के दूसरे शहर यनान (Yan'an) में भी लॉकडाउन (Lockdown) लगा दिया गया है।

11,000 से ज्यादा उड़ानें रद्द चीन के कड़े नियमों के चलते अमेरिकी शहर शियाटल से शंघाई आ रहे यात्री विमान को बीच रास्ते में ही वापस अमेरिका जाना पड़ा क्योंकि, चीन ने विमानों के सफाई के नियम में अचानक बदलाव कर दिए हैं। अमेरिकी विमान कंपनी ने इन नियमों के विरोध में अपने विमान को बीच रास्ते से ही वापस बुला लिया।

इस बीच 24 दिसंबर तक दुनिया भर में 11,500 से ज्यादा उड़ानों को कोविड (Covid-19) संक्रमण और ओमिक्रॉन के खतरे के चलते रद्द किया जा चुका है।

ये तीन देश बने हॉटस्पॉट पूरी दुनिया में कोविड (Covid-19) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत की राजधानी दिल्ली में एक दिन में 330 से ज्यादा मामले आने के बाद 28 दिसंबर को यलो अलर्ट (Yellow Alert) घोषित कर दिया गया। सभी स्कूल, सिनेमा हॉल, जिम बंद कर दिए गए हैं। होटल, रेस्त्रां और सार्वजनिक जगहों को आधी क्षमता के साथ काम करने के आदेश दिए गए हैं।

पहली बार दक्षिण अफ्रीका में पहचाना गया ओमिक्रॉन (Omicron) वायरस अब 119 देशों में फैल चुका है और यह ढाई लाख से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर चुका है। इससे अब तक 42 की मौत हो चुकी है। हालांकि, भारत में अभी तक ओमिक्रॉन (Omicron) से किसी मौत की पुष्टि नहीं हुई है।

ओमिक्रॉन (Omicron) से सबसे ज्यादा प्रभावित अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप के देश हैं। ओमिक्रॉन (Omicron) को भले ही, माइल्ड वायरस कहा जा रहा है लेकिन, अमेरिका में इसके चलते ​टेस्टिंग किट, अस्पतालों में बेड, डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ की बेहद कमी पैदा हो गई है। केवल कैलिफोर्निया शहर में ही पिछले दो हफ्तों में संक्रमितों की संख्या में 71% का उछाल आया है और इस दौरान 4000 से ज्यादा लोग अस्पताल में भर्ती किए गए हैं।

खुद अमेरिकी राष्ट्रपति को कहना पड़ा कि फिलहाल मेडिकल सेवाएं पर्याप्त नहीं हैं, इसे और बेहतर करना पड़ेगा।

अवसाद के मामलों में आया उछाल ​पिछले दो साल से जारी महामारी ने जहां पूरी दुनिया को घोर आर्थिक संकट में ढकेल दिया है वहीं, इससे मानसिक बीमारियों में भी लगातार इजाफा हो रहा है।

महामारी (Pandemic) के दौरान लोग लंबे समय तक घरों में रहने के लिए मजबूर हुए हैं। किसी तरह के आयोजन, पार्टी आदि में शामिल न होना, छुट्टियों पर न जाना, रिश्तेदारों और दोस्तों से न मिलने जैसी तमाम वजहों का मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ा है।

एक सर्वे के मुताबिक कोरोना महामारी (Pandemic) के दौरान अवसाद (Depression) के वैश्विक मामलों में 27.6% और तनाव (Anxiety) के मामलों में 25.6% की बढ़ोत्तरी हुई है। पिछले दो साल में मानसिक तनाव बढ़ने की कई वजहें हैं।

1. लोगों को उम्मीद थी कि कोरोना (Covid-19) की दवा या वैक्सिन (Vaccine) आने के बाद सबकुछ सामान्य हो जाएगा लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। दुनिया के कई देशों में दूसरी या तीसरी बूस्टर डोज (Booster Dose) लगाई जा रही है। आशंका है कि आने वाले वक्त में ऐसे कई बूस्टर डोज (Booster Dose) और भी लगवाने पड़ सकते हैं।

2. कोरोना की पहली और दूसरी लहर के बाद माना गया कि संक्रमित लोगों में अपने-आप इम्यूनिटी (Herd Immunity) पैदा हो गई है, जो टीका लगवाने के बराबर है। कोरोना के लगातार सामने आ रहे नए वैरिएंट ने इस खुशफहमी को भी ज्यादा दिन टिकने नहीं दिया।

3. लोगों में महामारी (Pandemic) से कभी न निकल पाने की आशंका घर करती जा रही है जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक संकेत है। लोगों को 2022 में इस महामारी से निजात मिलने की उम्मीद थी लेकिन, उसे भी ओमिक्रॉन ने घूमिल कर दिया है।

4. पिछले दो साल से लगातार मास्क पहनने, सामाजिक दूरी, बार-बार हाथ धोने जैसे कोरोना प्रोटोकॉल (Covid Appropriate Behaviour) ने भी लोगों को थका दिया है। यही वजह है कि दुनिया भर में कोरोना प्रोटोकाल के प्रति उदासीनता और लापरवाही दोनों बढ़ रही है। हालांकि, इसके चलते वायरस लगातार म्यूटेट कर रहा है और नए वैरिएंट के कारण महामारी का असर कम होने के बजाए अचानक बढ़ने लगता है।

निराशा और हताशा के इस दौर के बावजूद हमें नहीं भूलना चाहिए 2020 की तुलना में 2021 में हमारे पास वैक्सिन और दवाइयां हैं और महामारी (Pandemic) से लड़ने के लिए हम बेहतर तरीके से तैयार हैं।

कोरोना के खिलाफ लड़ाई को इन लोगों ने किया कमजोर इसमें कोई दो राय नहीं कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करने के लिए टीकाकरण के प्रति उदासीनता बरतने वाले लोग और देश जिम्मेदार हैं। वह सरकारें भी जिम्मेदार हैं जिन्होंने समय रहते कड़े कदम नहीं उठाए या लोगों को जागरुक करने के पर्याप्त प्रयास नहीं किए।

पिछले दो साल का अुनभव बताता है कि टीकाकरण (Vaccination) ने वायरस के प्रकोप को कम किया है। टीका न लगवाने वाले लोगों के शरीर में प्रवेश करने की वजह से कोरोना के नए-नए वैरिएंट पैदा हो रहे हैं जो नई लहर के लिए जिम्मेदार हैं।

अगर ऐसे ही चलता रहा तो, संभव है कि दिसंबर 2022 में भी हम कोरोना (Covid-19) के किसी नए वैरिएंट पर चर्चा कर रहे हों। इससे बचने के लिए एक बार फिर से हमें अपने डॉक्टरों, वैज्ञानिकों और वैज्ञानिक उपायों पर भरोसे को मजबूत करना होगा।

टीकाकरण अभियान चलाना सरकार की जिम्मेदारी है लेकिन, इसे सफल बनाने के लिए हमें और आपको टीकाकरण केंद्र तक जाना होगा। मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, बार-बार हाथ धुलने की आदत को तब तक नहीं छोड़ना है जब तक एक भी व्यक्ति कोरोना (Covid-19) संक्रमित है। हम वायरस को खत्म भले नहीं कर सकते लेकिन, इसे फैलने से जरूर रोक सकते हैं। 2022 के लिए हमारा यही संकल्प होना चाहिए।

- संजीव श्रीवास्तव

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Winter Care:ठंड में अपने दिल का रखें ख्याल: डा. असित खन्ना

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locationभारत
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calendar30 Nov 2025 12:47 AM
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गाजियाबाद । हृदय रोगी (Heart Patient)एवं बुजुर्ग जीवन रक्षक दवाओं (Life Saving Medicines)का एक पाउच और आई डी बैंड साथ रखें।यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशाम्बी, गाजियाबाद के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ असित खन्ना ने मौसम परिवर्तन और बारिश के बाद बढ़ती हुई ठण्ड में अपने ह्रदय की सुरक्षा के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि ठण्ड के दिनों में ह्रदय रोगियों को दिक्कत बढ़ जाती है। तापमान कम होने से खून की नालियां सिकुड़ जाती हैं, ह्रदय को रक्त पहुंचने वाली धमनियों में खून का संचार अवरोधित हो सकता है, हृदय तक ऑक्सीजन पहुंचने की मात्रा कम हो जाती है, हृदय को शरीर में खून और ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए अतिरिक्त श्रम करना पड़ता है जिसकी वजह से अन्य कारणों के मिलाने से हृदयाघात का खतरा बढ़ जाता है, मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने की संख्या भी बढ़ जाती है। साथ ही हृदय गति रुकने से मौत होने के मामले भी बढ़ जाते हैं।

ठण्ड के दिनों में उन्होंने बताया कि धूप निकलने के बाद ही ह्रदय रोगी टहलने निकले, पर्याप्त ऊनी कपड़े के साथ अंदर वार्मर भी पहनें। जहां तक हो आयल वाले हीटर का प्रयोग कर अपने घर को गर्म रखें। शारीरिक ऊर्जा प्राप्त करने के अल्कोहल, धूम्रपान, वसा युक्त भोजन से बचें उसकी जगह संतुलित भोजन एवं ड्राई फू्रट्स लें। घर में नियमित व्यायाम करें और अचानक से घर से बाहर न निकलें । अपने ब्लड प्रेशर को मॉनिटर करें और इसे बढऩे ना दें। अपनी दवाइयां समयानुसार लेते रहे और जांचें नियमित रूप से  कराते रहें। यदि कोई असुविधा महसूस हो तो तुरंत अपने ह्रदय रोग चिकित्सक से संपर्क करें। डॉ असित खन्ना ने कहा कि ह्रदय रोगियों को अपनी जेब में या एक आई डी कार्ड या बैंड बना कर अपने पास जरूर रखना चाहिए और यदि  हृदयाघात के कोई भी लक्षण महसूस हों जैसे कि अगर छाती में दबाब, पसीना आना, दोनों बाजू में दर्द या बाएं हाथ में दर्द, पसीना आना, घबराहट होना ये हार्ट अटैक हो सकता हैं। आमतौर पर लोग इन लक्षणों को गैस समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। जबकि यह एक गंभीर समस्यां है, जो मरीज के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। सीने में दर्द, जलन व भारीपन हार्ट अटैक की निशानी है। इन लक्षणों को नजरअंदाज करने की बजाय तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

डॉ खन्ना ने कहा कि दिल का दौरा पडऩे की स्थिति में सभी ह्रदय रोगियों एवं बुजुर्गों के पास जीवन रक्षक दवाएं एक पाउच में हमेशा उपलब्ध होनी चाहिए जिनमें 6 गोलियाँ प्रमुख हैं।जोर से चक्कर आने, अचानक से घबराहट, पसीना और उल्टी होने पर तुरंत डिस्प्रिन 325 मिली ग्राम की 1 टैबलेट (1 कटोरी पानी में घोल कर लेनी है ), क्लोपिडोग्रिल 75 मिली ग्राम की 4 टैबलेट (एक साथ पानी से लेनी है) और एटोरवास्टेटिन 80 मिली ग्राम की 1 गोली (पानी से लेनी है) और अतिरिक्त एक गोली सॉर्बिट्रेट की तब लेनी है जब सीने में भारीपन और दर्द हो, विशेषत: सीने में बायीं तरफ तो जीभ के नीचे सॉर्बिट्रेट की 5 मिलीग्राम की 1 गोली पानी से लेनी है। और यह दवाइयां लेने के बाद जल्द से जल्द नजदीक के ह्रदय रोग के इलाज की सुविधा वाले या इमरजेंसी वाले हॉस्पिटल में मरीज को पहुँचाना है।

 डॉ खन्ना ने बताया कि अगर हृदय संबंधी बीमारियों से बचना है और अपने हृदय को स्वस्थ रखने के लिए निम्नलिखित उपाय सहायक सिद्ध हो सकते हैं -

प्रतिदिन अन्य कार्यों की तरह ही व्यायाम के लिए भी समय निकालें। सुबह और शाम के समय पैदल चलें या सैर पर जाएं। भोजन में नमक और वसा की मात्रा कम कर लें, अधिक मात्रा में यह हानिकारक होते हैं। ताजे फल और सब्जियों को आहार में शामिल करें। तनावमुक्त जीवन जिएं। तनाव अधिक होने पर योगा व ध्यान के द्वारा इस पर नियंत्रण करें। धूम्रपान एवं मदिरापान का सेवन बिल्कुल बंद कर दें, यह हृदय रोगों के साथ ही कई बीमारियों का कारक है। स्वस्थ शरीर और दिल के लिए भरपूर नींद लें।

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यूपी के विकास की पोल खोल देती है नीति आयोग की ये रिपोर्ट

India Health Report 1
Health Index
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Dec 2021 06:28 AM
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आमतौर पर वर्तमान (मोदी) सरकार पर आंकड़ों को छुपाने का आरोप लगाया जाता है। लेकिन, हाल ही में नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिग इंडिया (नीति आयोग) ने जो आंकड़े जारी किए हैं उन्हें देखकर यह कहना मुश्किल है।

असल में, नीति आयोग (NITI Aayog) ने 'हेल्थी स्टेट प्रोग्रेसिव इंडिया' (Healthy States Progressive India) नाम से भारत का स्वास्थ्य सूचकांक (Health Index) जारी किया है।

इस रिपोर्ट में मोटे तौर पर यह बताया गया है कि स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में देश का कौन सा राज्य किस स्थान पर है या कितना अच्छा या बुरा प्रदर्शन कर रहा है। आयोग की इस रिपोर्ट में भारतीय राज्यों को उनकी जनसंख्या के हिसाब से तीन वर्गों (बड़े, छोटे और मध्यम राज्यों) में बांटा गया है।

इस रिपोर्ट से बीजेपी को हो सकता है बड़ा नुकसान चौंकाने वाला आंकड़ा इसके बाद सामने आता है। बड़े (19) राज्यों के स्वास्थ्य सूचकांक में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले 5 राज्य केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र हैं। अगर राजनीतिक नजरिए से देखें तो इसमें से कोई भी बीजेपी (BJP) शासित राज्य नहीं है।

हेल्थ इंडेक्स (Health Index) की इसी श्रेणी में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले 5 राज्यों में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड हैं। यानी, 5 में 4 बीजेपी शासित राज्य हैं। यह रिपोर्ट राजनीतिक रूप से बीजेपी को नुकसान पहुंचाने के लिए काफी है। इसके बावजूद यूपी चुनाव (UP Election 2022) से ठीक पहले इस रिपोर्ट को जारी करने से नहीं रोका गया।

अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों को मिल रही है सजा इस रिपोर्ट में एक और संदेश भी छुपा है, जो ज्यादा परेशान करने वाला है। हेल्थ इंडेक्स (Health Index) में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले पांचों राज्य (केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र) दक्षिण भारत के राज्य हैं जबकि, सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले सभी (उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड) उत्तर भारतीय या हिंदी भाषी राज्य हैं।

हिंदी भाषी राज्यों को देश की राजनीतिक दिशा तय करने वाले राज्य कहा जाता है क्योंकि, इन ही राज्यों से सबसे ज्यादा सांसद चुने जाते हैं। इसे आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि हेल्थ इंडेक्स (Health Index) में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य उत्तर प्रदेश से लोकसभा (Lok Sabha) के लिए 80 सांसद चुने जाते हैं जबकि, सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्य केरल से केवल 20 लोकसभा सांसद चुने जाते हैं।

यानी, खराब प्रदर्शन करने के बावजूद राजनीतिक शक्ति हिंदी भाषी राज्यों के पास केंद्रित है। जबकि, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे अन्य क्षेत्रों में अच्छा करने के बावजूद दक्षिण के राज्य हासिए पर धकेल दिए गए हैं।

उत्तर भारतीयों के लिए शर्मनाक है इस रिपोर्ट के मायने भारत को आजाद हुए सात दशक से ज्यादा का समय बीत चुका है। इतने लंबे समय से राजनीतिक सत्ता को नियंत्रित करने वाले हिंदी भाषी राज्यों का विकास सूचकांकों में लगातार पीछे रहना यह दर्शाता है कि हम किस तरह की राजनीति को बढ़ावा देते आए हैं।

ये आंकड़े चेतावनी दे रहे हैं कि अगर समय रहते उत्तर भारत या हिंदी भाषी राज्यों में राजनीति नहीं बदली तो, इसका खामियाजा पूरे देश को भुगतना पड़ेगा। विकास के विभिन्न पैमानों पर उत्तर और दक्षिण के बीच लगातार बढ़ रही खाई गंभीर क्षेत्रीय असंतुलन और राजनीतिक असंतोष पैदा कर सकती है।

नीति आयोग (NITI Aayog) की रिपोर्ट (यहां देखें) में कई ऐसे आंकेड़ें हैं जो उत्तर भारतीयों को चौंकाने के लिए काफी हैं। शायद वक्त आ गया है कि हिंदी भाषी राज्य केवल राजनीति का विकास करने के बजाए, विकास की राजनीति के लिए नेताओं पर दबाव बनाना शुरू करें। सरकार किसी भी पार्टी की बने लेकिन, उसके मूल्यांकन का आधार केवल और केवल विकास को बनाना पड़ेगा। उत्तर और दक्षिण के बीच बढ़ती खाई को कम करने का केवल यही एक रास्ता है।

- संजीव श्रीवास्तव