पाकिस्तान में फिर दहशत का विस्फोट! खैबर पख्तूनख्वा में सरकारी अफसरों पर हमला

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Jul 2025 11:03 PM
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पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा के बाजौर जिले में मंगलवार को हुए एक शक्तिशाली बम विस्फोट ने पूरे इलाके में दहशत फैला दी। यह धमाका जिले के खार तहसील के सिद्दीकाबाद रेलवे क्षेत्र में हुआ, जहां नवागई रोड पर एक सरकारी कार को निशाना बनाया गया। इस धमाके में कुल पांच लोगों की मौत हो गई, जिनमें चार सरकारी अधिकारी शामिल थे। मारे गए अधिकारियों में नवागई के सहायक आयुक्त फैसल इस्माइल, तहसीलदार अब्दुल वकील, सूबेदार नूर हकीम और पुलिस कांस्टेबल राशिद के नाम शामिल हैं।

सरकारी कार को बनाया गया निशाना

स्थानीय रिपोर्ट्स के मुताबिक हमलावरों ने सरकारी वाहन पर बम से हमला किया। धमाका इतना जबरदस्त था कि कार पूरी तरह नष्ट हो गई और उसके परखच्चे उड़ गए। आसपास के लोग भी इस धमाके से बुरी तरह सहम गए। घटना के बाद वहां का मंजर बेहद भयावह था—कार के टुकड़े और घायल लोगों के शरीर के हिस्से इधर-उधर बिखरे पड़े थे।

गंभीर रूप से घायल हुए कई लोग

इस हमले में 11 अन्य लोग भी घायल हुए हैं, जिन्हें तुरंत खार अस्पताल ले जाया गया। पुलिस और बचावकर्मी तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे और इलाके की घेराबंदी कर दी गई। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी वकास रफीक ने बताया कि मृतकों में दो पुलिसकर्मी और एक नागरिक भी शामिल हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने इलाके की निगरानी और गश्त बढ़ा दी है ताकि ऐसे किसी और हमले की आशंका को रोका जा सके।

कोई जिम्मेदारी नहीं ली गई, सरकार की सख्त प्रतिक्रिया

अब तक इस हमले की जिम्मेदारी किसी संगठन ने नहीं ली है, लेकिन जिस तरह से सरकारी अधिकारियों को निशाना बनाया गया है, वह पाकिस्तान में आतंकवाद की वापसी का संकेत देता है। इस घटना की पूरे देश में निंदा हो रही है। प्रांत के स्वास्थ्य सलाहकार इहतिशाम अली ने अधिकारियों की मौत पर दुख जताया है और घटना की कड़ी निंदा की है। वहीं, खैबर पख्तूनख्वा सरकार के प्रवक्ता बैरिस्टर मोहम्मद अली सैफ ने कहा है कि इस हमले की जांच की जाएगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल

इस हमले ने एक बार फिर पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। खासतौर पर खैबर पख्तूनख्वा जैसे सीमावर्ती और अशांत इलाकों में अफसरों और नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। टूटी उम्मीदों का सहारा बनी योगी सरकार, लाखों महिलाओं के खातों में पहुंची पेंशन
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IAEA को लगा बड़ा झटका, ईरान ने सहयोग पर लगाई रोक

Iran News
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locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 12:41 PM
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Iran News :  पश्चिम एशिया में चल रही कूटनीतिक उठापटक के बीच ईरान ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु निगरानी एजेंसी IAEA के साथ अपने रिश्तों को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने सोमवार को ऐलान किया कि तेहरान अब फिलहाल IAEA के साथ किसी भी तरह का सहयोग नहीं करेगा। यह घोषणा ऐसे समय पर हुई है जब हाल ही में अमेरिका द्वारा की गई बमबारी और ईरान-इजराइल के बीच हुआ सैन्य संघर्ष वैश्विक मंच पर नई हलचल पैदा कर चुका है। पेजेशकियन की इस दो टूक घोषणा ने यह संकेत दे दिया है कि ईरान अब किसी भी बाहरी निगरानी को स्वीकार करने के मूड में नहीं है।

ईरान के इस्लामिक डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन की आधिकारिक समाचार एजेंसी ‘मेहर ने इस बयान की पुष्टि करते हुए बताया कि IAEA के साथ सहयोग को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है। इसके साथ ही ईरान ने अपने फोर्डो यूरेनियम संवर्धन संयंत्र में एक नई परमाणु इकाई की शुरुआत और उन्नत सेंट्रीफ्यूज सिस्टम के इस्तेमाल की योजना भी जारी कर दी है।

संसद ने पहले ही दी थी हरी झंडी

25 जून को ईरान की संसद (मजलिस) में एक विधेयक पारित किया गया था, जिसमें IAEA के साथ सहयोग पर रोक लगाने का प्रस्ताव था। संसद के पीठासीन सदस्य अलीरेजा सलीमी ने जानकारी दी कि यह विधेयक संसद में भारी बहुमत से पारित हुआ, और इसके सभी सामान्य एवं विशेष प्रावधानों को विधिवत मंजूरी मिल चुकी है। नए प्रावधानों के अनुसार, IAEA के निरीक्षकों को ईरान में तब तक प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी, जब तक कि उनकी भूमिका को लेकर ठोस सुरक्षा गारंटी न दी जाए। इसके अलावा, निरीक्षण से पहले ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद से स्वीकृति लेना अब अनिवार्य कर दिया गया है।

तेहरान का गुस्सा बरकरार

मेहर एजेंसी के अनुसार, ईरान अब IAEA के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी को भी देश में प्रवेश से रोकने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। ग्रॉसी के हालिया बयानों को ईरान ने ईजराइल और अमेरिका समर्थक करार देते हुए आपत्तिजनक माना है। इससे पहले वरिष्ठ सांसद इस्माइल कोवसारी ने ग्रॉसी पर औपचारिक प्रतिबंध लगाने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद से सिफारिश की थी।  राष्ट्रपति पेजेशकियन की घोषणा से यह स्पष्ट है कि तेहरान अब ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसे यूरोपीय देशों से भी गहरी नाराजगी रखता है, जिन्हें वह अपनी परमाणु नीति पर राजनीतिक दबाव बनाने और पक्षपातपूर्ण प्रस्ताव पारित कराने का दोषी मानता है।    Iran News

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थाईलैंड की प्रधानमंत्री 'भतीजी', कम्बोडिया के पूर्व पीएम 'चाचा', कूटनीतिक कॉल लीक से कुर्सी गई शिनावात्रा की

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Bangkok
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 05:24 AM
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Bangkok : थाईलैंड की 38 वर्षीय प्रधानमंत्री पैतोंगतार्न शिनावात्रा को मंगलवार को संवैधानिक अदालत ने पद से निलंबित कर दिया। यह फैसला उस लीक कॉल की पृष्ठभूमि में आया जिसमें वह कम्बोडिया के पूर्व प्रधानमंत्री हुन सेन से बातचीत करते हुए उन्हें "चाचा" कहती सुनाई दीं। यही 'पारिवारिक संबोधन' अब उनके राजनीतिक करियर पर भारी पड़ गया है।

सीमा विवाद की पृष्ठभूमि में फंसी राजनीति

मामला थाईलैंड-कम्बोडिया सीमा विवाद से जुड़ा है, जहां पैतोंगतार्न के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने इस मुद्दे पर मंत्री पद की गरिमा और गोपनीयता का उल्लंघन किया। विपक्षी गुट ने यह सवाल उठाया कि क्या उनका व्यक्तिगत रिश्ता कूटनीतिक रेखाएं लांघ गया। पूरे विवाद की जड़ में है 15 जून 2025 को हुई एक निजी फोन कॉल, जिसमें शिनावात्रा, हुन सेन से बेहद आत्मीयता से बात करती हैं। वो उन्हें 'चाचा' कहती हैं और खुद को 'भतीजी' बताती हैं। यह दर्शाता है कि उनके पिता थाकसिन शिनावात्रा और हुन सेन के बीच वर्षों पुरानी दोस्ती का रिश्ता बना रहा है।

चाचा ने ही लीक की बातचीत

पर असली मोड़ तब आया जब इस कॉल को लीक करने वाला कोई और नहीं, बल्कि स्वयं हुन सेन निकले। बताया गया है कि 17 मिनट की इस बातचीत को उन्होंने रिकॉर्ड किया और फिर उसे पहले करीब 80 कम्बोडियाई अधिकारियों को सुनाया। बाद में इसका 9 मिनट का हिस्सा सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और फिर पूरे 17 मिनट की रिकॉर्डिंग उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर सार्वजनिक कर दी।

सियासी गिरावट की उलटी गिनती यहीं से शुरू हुई

रिकॉर्डिंग के सार्वजनिक होते ही थाईलैंड में राजनीतिक भूचाल आ गया। पैतोंगतार्न पर पक्षपात और असंवैधानिक संवाद का आरोप लगा, जिसके बाद अदालत ने उन्हें जांच पूरी होने तक कार्य से निलंबित कर दिया। यह मामला सिर्फ एक पारिवारिक संबोधन का नहीं, बल्कि एक प्रधानमंत्री द्वारा विदेशी नेता से असाधारण आत्मीयता दिखाने का था। जिससे यह संदेश गया कि राष्ट्रीय हितों पर व्यक्तिगत रिश्ते हावी हो सकते हैं। उनके खिलाफ जांच जारी है, और इस बीच थाई राजनीति में अस्थिरता बढ़ गई है।

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