रूस की अगली बड़ी चाल: 2030 तक पश्चिमी देशों से भिड़ने के लिए तैयार !

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Russia : 
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Mar 2025 09:01 PM
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Russia : जर्मनी के मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस (Russia) की सैन्य नीति केवल यूक्रेन तक सीमित नहीं है। रूस अपनी साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सैन्य बल का इस्तेमाल करने के लिए तैयार है। जर्मन खुफिया एजेंसियों के आकलन के मुताबिक, रूस 2030 तक अपनी सैन्य क्षमता को इतना मजबूत कर लेगा कि वह किसी भी बड़े युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार होगा।

रूस (Russia) की विस्तारवादी योजनाएं

रूस (Russia) की नजर केवल यूक्रेन पर नहीं है। जर्मनी की खुफिया एजेंसी (BND) और सशस्त्र बलों की रिपोर्ट के अनुसार, रूस अब पश्चिमी देशों को अपने प्रमुख दुश्मन के रूप में देख रहा है और वह बड़े पैमाने पर सैन्य टकराव की तैयारी कर रहा है।

बाल्टिक देशों पर खतरा

लिथुआनिया की खुफिया एजेंसी के अनुसार, फिलहाल रूस इतना बड़ा युद्ध नहीं लड़ सकता, लेकिन सीमित सैन्य कार्रवाइयों के लिए तैयार है। रूस NATO देशों की एकजुटता की परीक्षा लेना चाहता है और देखना चाहता है कि संकट के समय NATO अपने रक्षा प्रतिबद्धताओं को कितना गंभीरता से निभाता है।

रूस (Russia) की सैन्य शक्ति में वृद्धि

रूस (Russia) की सैन्य ताकत का अधिकांश हिस्सा वर्तमान में यूक्रेन युद्ध में लगा हुआ है, लेकिन उसकी वायुसेना और नौसेना पूरी तरह से तैयार है। अगर यूक्रेन युद्ध समाप्त होता है, तो रूस अपनी सेना को पश्चिमी सीमा पर तैनात करने का विचार कर रहा है। रूस (Russia) का सैन्य खर्च बढ़ रहा है और वह पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद अपनी सेना को और मजबूत कर रहा है।

2026 तक 15 लाख सैनिकों की तैनाती

रूस (Russia) ने 2026 तक अपनी सशस्त्र सेनाओं की संख्या 15 लाख करने की योजना बनाई है। इसके अलावा, 2022 की सैन्य योजना के अनुसार, रूस NATO की सीमा पर अपने सैनिकों, हथियारों और सैन्य उपकरणों की संख्या को 30-50% तक बढ़ाएगा। रूस का रक्षा बजट 2025 तक लगभग 120 बिलियन यूरो तक पहुंच जाएगा, जो GDP का 6% होगा।Russia :

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ढाका से लाखों लोगों का अचानक पलायन: क्या है इसके पीछे की वजह?

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Dhaka :
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 09:20 PM
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Dhaka : बांग्लादेश  की राजधानी ढाका (Dhaka) में शुक्रवार को अचानक लाखों लोग शहर छोड़कर अपने गांवों की तरफ पलायन करने लगे। इस अप्रत्याशित पलायन ने प्रशासन को चिंता में डाल दिया है। ढाका (Dhaka) की सड़कों पर सन्नाटा छा गया है और घर खाली पड़ गए हैं। साथ ही, इस पलायन ने बांग्लादेश में डेंगू के बढ़ते खतरे को और भी गंभीर बना दिया है।

ढाका (Dhaka) में पलायन की वजह

बांग्लादेश में पिछले कुछ समय से राजनीतिक अस्थिरता चल रही थी और मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार देश को स्थिर करने के लिए काम कर रही है। इस दौरान, सरकार ने ईद की छुट्टियों की घोषणा की थी। 9 दिन की छुट्टी के कारण, लोग ढाका (Dhaka) से अपने घरों की तरफ निकलने लगे। इस बड़े पलायन ने सरकार के लिए नई चुनौतियां उत्पन्न कर दीं। ढाका से हजारों लोग अपने गांवों को रवाना हो गए, जिसके कारण सड़कों पर भारी भीड़ और ट्रेनों के छतों पर लोगों का सफर किया गया।

प्रशासन की स्थिति

ढाका (Dhaka) में लगभग 4 करोड़ लोग रहते हैं, जिसमें रोहिंग्या शरणार्थी भी शामिल हैं। सरकार ने ईद की छुट्टियों की घोषणा की थी, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में लोग पलायन करेंगे, इसकी उम्मीद सरकार के आला अधिकारियों को नहीं थी। इसके कारण ढाका (Dhaka) के रेल और सड़क मार्गों पर ट्रैफिक जाम हो गया और प्रशासन की व्यवस्था पर सवाल उठने लगे। बांग्लादेशी अखबार द डेली स्टार के मुताबिक, ढाका (Dhaka) में भारी भीड़ ने प्रशासनिक तंत्र को पूरी तरह से नाकाम कर दिया है।

डेंगू का बढ़ता खतरा

लाखों लोगों के पलायन से ढाका (Dhaka) में डेंगू का खतरा भी बढ़ गया है। जब लोग शहर छोड़कर अपने घरों की तरफ जा रहे हैं, तो पानी का जमाव और गंदगी का बढ़ना स्वाभाविक है, जिससे डेंगू के मच्छरों के फैलने का खतरा अधिक हो गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सरकार ने तत्काल कोई कदम नहीं उठाया तो ढाका में डेंगू की स्थिति और भी भयावह हो सकती है। 2024 में ढाका में डेंगू से 575 लोगों की मौत हुई थी, और अगर स्थिति नियंत्रण से बाहर चली गई तो यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।

सरकार की प्रतिक्रिया

इस अप्रत्याशित पलायन और डेंगू के खतरे के बीच, बांग्लादेश सरकार ने त्वरित कार्रवाई करने की बात कही है। हालांकि, यह पलायन सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है, और आने वाले समय में बांग्लादेश के लिए कई मुश्किलें खड़ी कर सकता है।Dhaka :

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म्यांमार में भूकंप से तबाही, अब तक हजार से ज्यादा की मौत

Bhukamp
Earthquake Devastation
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 07:40 PM
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Earthquake Devastation : म्यांमार में 28 मार्च 2025 को आए 7.7 तीव्रता के भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। इस आपदा में अब तक 1,002 लोगों की मौत हो चुकी है और 2,376 से अधिक लोग घायल हुए हैं। भूकंप का केंद्र सगाइंग क्षेत्र के निकट था, जिससे मांडले शहर में सबसे अधिक क्षति हुई है। अब तक 15 बार भूकंप के झटके आ चुके हैं।

थाइलैंड में भी भूकंप के झटके, 33 मंजिला इमारत ढही

भूकंप के झटके पड़ोसी देशों थाईलैंड, चीन, बांग्लादेश और भारत में भी महसूस किए गए। थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में एक निमार्णाधीन 33-मंजिला इमारत ढह गई, जिसमें कम से कम 10 लोगों की मौत हुई है। म्यांमार या थाईलैंड में अब तक किसी भारतीय के हताहत होने की कोई सूचना नहीं है। हालांकि भारतीय दूतावास लगातार नजर बनाए हुए है।

म्यांमार में आपातकाल घोषित किया गया

म्यांमार की सैन्य सरकार ने छह क्षेत्रों में आपातकाल घोषित किया है और अंतरराष्ट्रीय सहायता की अपील की है। भारत ने इस आपदा पर शोक व्यक्त करते हुए राहत सामग्री भेजने का निर्णय लिया है, जिसमें टेंट, स्लीपिंग बैग, कंबल, तैयार भोजन, जल शुद्धिकरण उपकरण, स्वच्छता किट, सौर लैंप, दस्ताने, पट्टियाँ और दवाइयाँ शामिल हैं। भारतीय वायु सेना का एक विमान इन सामग्रियों को म्यांमार पहुंचाने के लिए तैयार है।

भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में बचाव और राहत कार्य जारी

थाईलैंड में भारतीय दूतावास ने आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर +66 618819218 जारी किया है और सभी भारतीय नागरिकों से आपात स्थिति में इस नंबर पर संपर्क करने की सलाह दी है। अब तक किसी भी भारतीय नागरिक के हताहत होने की सूचना नहीं मिली है। भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में बचाव और राहत कार्य जारी हैं। म्यांमार की अर्थव्यवस्था पहले से ही संकट में थी, और इस आपदा ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। रेड क्रॉस जैसी संस्थाएँ भी म्यांमार को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए आगे आई हैं।

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