Guru Purnima 2023:  कब है गुरु पूर्णिमा, यहां जाने तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

32
Guru Purnima 2023
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 10:38 PM
bookmark

Guru Purnima 2023: गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।। स्कन्द पुराण का यह श्लोक गुरु की महिमा का एक अदभुत साक्षात्कार है। गुरु पूर्णिमा का दिन इन्हीं शब्दों की सार्थकता को प्रकट करने का समय होता है।

Guru Purnima 2023

इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 3 जुलाई 2023 को सोमवार के दिन मनाई जाएगी। देशभर में इस दिन शिक्षण संस्थानों, धर्म स्थलों पर गुरु पूर्णिमा की अलग ही छाप दिखाई देती है। इस दिन पर कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। गुरु जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान त्रिमूर्ति का संगम माना गया है। गुरु परब्रह्म है जो सर्वोच्च ज्ञान को प्रदान करने का मार्गदर्शक भी है। गुरु को का स्थान श्रेष्ठ है चाहे जो भी संस्कृति रही हों उन सभी ने गुरुओं को महत्व दिया है लेकिन हिंदू धर्म में गुरु का स्थान इतना उत्तम-पवित्र रहा है जिसके समक्ष देवता भी नतमस्त हुए बिना नहीं रह पाए हैं।

गुरुओं की शृंखला भारतीय संस्कृति की गंगा है जो वैदिक काल से बहते हुए आज भी प्रवाहित हो रही है। गुरु की प्रशंसा में भक्ति काल के कवि संत दार्शनिक कबीर जी लिखते हैं कि ''गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाये, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो मिलाये।'' गुरु के प्रति भक्ति एवं उनकी महिमा को दर्शाते हुए यह शब्द अपने आप में पूर्ण हो जाते हैं।

गुरु पूर्णिमा पर गुरु पूजन का शुभ समय

गुरु पूर्णिमा सोमवार, 3 जुलाई 2023 को मनाई जाएगी। गुरु पूर्णिमा तिथि का आरंभ 2 जुलाई, 2023 को 20:21 बजे पर होगा, गुरु पूर्णिमा तिथि की समाप्ति 3 जुलाई, 2023 को 17:08 बजे होगी। गुरु पूर्णिमा के दिन ब्रह्म नामक शुभ योग भी बनेग। गुरु पूर्णिमा के दिन ही व्यास पूजा का आयोजन भी होगा, गौरी व्रत की समाप्ति इसी दिन होगी। आषाढ़ पूर्णिमा व्रत इसी दिन रखा जाएगा।

आषाढ़ पूर्णिमा के दिन प्रात:काल में ही गुरु पूजन का समय आरंभ होगा। गुरु पूर्णिमा के दिन व्यक्ति को चाहिए की वह शुद्ध चित्त मन के साथ अपने गुरुओं का पूजन अवश्य करे। इस दिन छात्रों को चाहिए की अपने शिक्षकों को नमक करें तथा उन्हें प्रेम स्वरुप भेंट प्रदान करें। गुरुकुलों में इस दिन विशेष पूजा अर्चना होती है। शिष्य इस दिन अपने गुरुओं का पूजन करते हैं तथा उनका आशीर्वाद पाते हैं।

गुरु पूर्णिमा कब और क्यों मनाई जाती है

आषाढ़ मास में आने वाली पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा के रुप में मनाया जाता है। इस साल यह पर्व आगामी 3 जुलाई को मनाया जाएगा। यह पर्व प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति में समाहित रहा है। गुरु वेद व्यास का जन्म भी इसी दिन होने से यह दिन व्यास पूर्णिमा भी कहलाता है। गुरुओं में व्यास जी का स्थान वेदों की रचना एवं महाभारत की रचनाओं से संबंधित रहा है। वेद व्यास जी को गुरुओं में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है। इसके अतिरिक्त भारती गुरु परंपरा में गुरुओं की इतनी बड़ी सूची है जिसका आदि और अंत दोनों ही का पता लगा पाना कठिन है।

आदि योगी के रुप में भगवान शिव को सप्तर्षियों ने गुरु मानकर उनसे ज्ञान को पाया, गुरु नानक देव जी हों या भगवान गौतम बुद्ध, भगवान महावीर सभी ने गुरु स्वरुप होकर ज्ञान को साधारण जन तक पहुंचाया और जीवन को शांति एवं प्रेम से जीने की बात कही। आज भी भारत में गुरुओं का पूजन उसी निष्ठा एवं भक्ति के साथ होता है जो पूर्वकाल में रहा है।

गुरु पूर्णिमा पर मनाए जाने वाले पर्व

गुरु पूर्णिमा के दिन ही आषाढी़ पूर्णिमा Ashadha Purnima का व्रत किया जाता है। इस दिन धर्म स्थलों एवं पवित्र नदियों में स्नान के लिए भक्तों का जमावड़ा होता है।

गुरु पूर्णिमा को व्यास पूजा एवं व्यास पूर्णिमा के रुप में मनाते हैं। मान्यताओं के अनुसार इस दिन महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास का जन्मोत्सव मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन सौभाग्य की कामना हेतु कोकिला व्रत भी किया जाता है।

आचार्या राजरानी 

Mars transit in Leo 2023 : शक्ति के स्वामी मंगल का सिंह राशि में आगमन बन सकता है बड़ी घटनाओं का गवाह  

देश विदेश की खबरों से अपडेट रहने लिए चेतना मंच के साथ जुड़े रहें। देश-दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुकपर लाइक करें या ट्विटरपर फॉलो करें।
अगली खबर पढ़ें

Guru Purnima 2023:  कब है गुरु पूर्णिमा, यहां जाने तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

32
Guru Purnima 2023
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 10:38 PM
bookmark

Guru Purnima 2023: गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।। स्कन्द पुराण का यह श्लोक गुरु की महिमा का एक अदभुत साक्षात्कार है। गुरु पूर्णिमा का दिन इन्हीं शब्दों की सार्थकता को प्रकट करने का समय होता है।

Guru Purnima 2023

इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 3 जुलाई 2023 को सोमवार के दिन मनाई जाएगी। देशभर में इस दिन शिक्षण संस्थानों, धर्म स्थलों पर गुरु पूर्णिमा की अलग ही छाप दिखाई देती है। इस दिन पर कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। गुरु जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान त्रिमूर्ति का संगम माना गया है। गुरु परब्रह्म है जो सर्वोच्च ज्ञान को प्रदान करने का मार्गदर्शक भी है। गुरु को का स्थान श्रेष्ठ है चाहे जो भी संस्कृति रही हों उन सभी ने गुरुओं को महत्व दिया है लेकिन हिंदू धर्म में गुरु का स्थान इतना उत्तम-पवित्र रहा है जिसके समक्ष देवता भी नतमस्त हुए बिना नहीं रह पाए हैं।

गुरुओं की शृंखला भारतीय संस्कृति की गंगा है जो वैदिक काल से बहते हुए आज भी प्रवाहित हो रही है। गुरु की प्रशंसा में भक्ति काल के कवि संत दार्शनिक कबीर जी लिखते हैं कि ''गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाये, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो मिलाये।'' गुरु के प्रति भक्ति एवं उनकी महिमा को दर्शाते हुए यह शब्द अपने आप में पूर्ण हो जाते हैं।

गुरु पूर्णिमा पर गुरु पूजन का शुभ समय

गुरु पूर्णिमा सोमवार, 3 जुलाई 2023 को मनाई जाएगी। गुरु पूर्णिमा तिथि का आरंभ 2 जुलाई, 2023 को 20:21 बजे पर होगा, गुरु पूर्णिमा तिथि की समाप्ति 3 जुलाई, 2023 को 17:08 बजे होगी। गुरु पूर्णिमा के दिन ब्रह्म नामक शुभ योग भी बनेग। गुरु पूर्णिमा के दिन ही व्यास पूजा का आयोजन भी होगा, गौरी व्रत की समाप्ति इसी दिन होगी। आषाढ़ पूर्णिमा व्रत इसी दिन रखा जाएगा।

आषाढ़ पूर्णिमा के दिन प्रात:काल में ही गुरु पूजन का समय आरंभ होगा। गुरु पूर्णिमा के दिन व्यक्ति को चाहिए की वह शुद्ध चित्त मन के साथ अपने गुरुओं का पूजन अवश्य करे। इस दिन छात्रों को चाहिए की अपने शिक्षकों को नमक करें तथा उन्हें प्रेम स्वरुप भेंट प्रदान करें। गुरुकुलों में इस दिन विशेष पूजा अर्चना होती है। शिष्य इस दिन अपने गुरुओं का पूजन करते हैं तथा उनका आशीर्वाद पाते हैं।

गुरु पूर्णिमा कब और क्यों मनाई जाती है

आषाढ़ मास में आने वाली पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा के रुप में मनाया जाता है। इस साल यह पर्व आगामी 3 जुलाई को मनाया जाएगा। यह पर्व प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति में समाहित रहा है। गुरु वेद व्यास का जन्म भी इसी दिन होने से यह दिन व्यास पूर्णिमा भी कहलाता है। गुरुओं में व्यास जी का स्थान वेदों की रचना एवं महाभारत की रचनाओं से संबंधित रहा है। वेद व्यास जी को गुरुओं में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है। इसके अतिरिक्त भारती गुरु परंपरा में गुरुओं की इतनी बड़ी सूची है जिसका आदि और अंत दोनों ही का पता लगा पाना कठिन है।

आदि योगी के रुप में भगवान शिव को सप्तर्षियों ने गुरु मानकर उनसे ज्ञान को पाया, गुरु नानक देव जी हों या भगवान गौतम बुद्ध, भगवान महावीर सभी ने गुरु स्वरुप होकर ज्ञान को साधारण जन तक पहुंचाया और जीवन को शांति एवं प्रेम से जीने की बात कही। आज भी भारत में गुरुओं का पूजन उसी निष्ठा एवं भक्ति के साथ होता है जो पूर्वकाल में रहा है।

गुरु पूर्णिमा पर मनाए जाने वाले पर्व

गुरु पूर्णिमा के दिन ही आषाढी़ पूर्णिमा Ashadha Purnima का व्रत किया जाता है। इस दिन धर्म स्थलों एवं पवित्र नदियों में स्नान के लिए भक्तों का जमावड़ा होता है।

गुरु पूर्णिमा को व्यास पूजा एवं व्यास पूर्णिमा के रुप में मनाते हैं। मान्यताओं के अनुसार इस दिन महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास का जन्मोत्सव मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन सौभाग्य की कामना हेतु कोकिला व्रत भी किया जाता है।

आचार्या राजरानी 

Mars transit in Leo 2023 : शक्ति के स्वामी मंगल का सिंह राशि में आगमन बन सकता है बड़ी घटनाओं का गवाह  

देश विदेश की खबरों से अपडेट रहने लिए चेतना मंच के साथ जुड़े रहें। देश-दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुकपर लाइक करें या ट्विटरपर फॉलो करें।
अगली खबर पढ़ें

Samsaptak Yoga: मंगल और शनि दो पाप ग्रह बनाएंगे समस्पतक योग, बदल सकते हैं देश और दुनिया के हालात 

WhatsApp Image 2023 06 29 at 3.20.46 PM
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 03:05 AM
bookmark
  Samsaptak Yoga:  मंगल का सिंह राशि में होना और शनि का कुंभ राशि में होना दोनों के मध्य समसप्तक नामक योग का निर्माण करता है. ज्योतिष शास्त्र में इस योग का प्रभाव विशेष परिणाम देने वाला माना गया है. ग्रहों की समसप्तक स्थिति कई मायनों से खास हो सकती है. यह विभिन्न प्रकार के फलों को दर्शाती है. समसप्तक योग से अर्थ ग्रह के आमने सामने होने की स्थिति से होता है. यह स्थिति ग्रह जहां होता है उस स्थान से सातवें भाव में जब कोई ग्रह बैठता है तो इसके कारण दोनों ग्रहों के मध्य आपसी रुप से यह योग निर्मित होता है. समसप्तक योग को शुभ ग्रहों की स्थिति में बनते देखा जा सकता है, तो पाप ग्रहों के योग द्वारा भी इनका निर्माण होता है तो कभी शुभ एवं पाप ग्रहों के मध्य यह निर्मित होता है.

Samsaptak Yoga:

  समसप्तक योग में मंगल-शनि का शामिल होना  सभी नव ग्रहों के मध्य यह योग बन सकता है, लेकिन जब कुछ विशेष ग्रहों के मध्य इसका संबंध बनता है तो यह अलग तरह का अपना परिणाम देते हैं. उदाहरण के लिए अगर गुरु और चंद्रमा के मध्य समसप्तक योग बन रहा हो तो यह एक प्रकार का गजकेसरी योग भी होता है जिसे बहुत ही शुभ योगों में से एक माना जाता है. वहीं जब राहु ओर चंद्रमा के मध्य समसप्तक योग बनता है तो यह ग्रहण नामक खराब स्थिति का परिचायक होता है. 30 जून 2023 को 26:16 के करीब मंगल और शनि के मध्य समसप्तक योग का निर्माण होगा. इस समय पर मंगल सिंह राशि में विराजमान होगा और शनि देव की स्थिति कुंभ राशि में होगी. इन दोनों का आमना सामना ही समसप्तक योग होगा. शनि ओर मंगल दोनों को ही पाप ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है. अब ऎसे में जब दो पाप ग्रह आमने सामने होंगे तो स्वाभाविक है कि इनके परिणाम भी बेहद विशेष होंगे. यह दोनों ग्रह जब भी युति दृष्टि या अन्य प्रकार से साथ होते हैं तो अपना असर अवश्य दिखाते हैं, जिसका प्रभाव जन मानस के साथ साथ प्रकृति पर भी देखने को मिलता है. इन घटनाओं का प्रारुप कई तरह से देखने को मिल सकता है. इस समय धार्मिक रुप से कुछ बदलाव देखने को मिलेंगे. राजनितिक रुप से संघर्ष अधिक होगा. कुछ मौसम की घटनाएं देश दुनिया पर अपना असर डालेंगी, प्राकृतिक रुप से चेंज दिखाई देगा.

Saharanpur : चंद्रशेखर अगली बार नहीं बचेगा! तलवार लेकर धमकी भरा वीडियो, फेसबुक पोस्ट में दी मारने की धमकी

मंगल का सिंह राशि और शनि का कुंभ राशि समसप्तक प्रभाव  कोई भी योग अपना किसी एक कारण से नहीं दिखाता है अपितु इसमें कई तरह के पहलु काम करते हैं. यह युति विनाशकारी होती है क्योंकि इसी मंगल शनि समसप्तक योग के समय बाबरी मस्जिद जैसी बेहद विध्वंसकारी घटना भी होती है लेकिन यह युति कई अन्य योग राशि प्रभाव के द्वारा अपने असर को कम या अधिक कर सकती है. ऎसे में मंगल सिंह राशि जो एक अग्नि तत्व युक्त राशि है और मंगल स्वयं भी अग्नि तत्व युक्त ग्रह है तो इसके कारण मंगल के गुण धर्म बढ़ोत्तरी में होंगे वहीं शनि का कुंभ राशि में होना कुछ स्थिति को नियंत्रित करने का कार्य भी करेगा. ऎसे में घटनाएं होंगी लेकिन उनके निपटारे की स्थिति भी सकारात्मक रुप से सहायक बन सकती है. आचार्या राजरानी  #dharmkarm#astrology#trendingtopic#trendingnews