भक्तों के लिए बड़ी खुशखबरी रेल नेटवर्क से जुड़ेगा खाटू श्याम मंदिर Khatu Shyam

Khatu Shyam Maharaj : नई दिल्ली। खाटू श्याम जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ी ख्रुशखबरी है। बाबा के दर्शन के लिए जाने के लिए उन्हें अब रेलवे द्वारा विशेष तोहफा दिया जा रहा है। खाटू श्याम मंदिर को जल्द ही रेलवे नेटवर्क से जोड़ा जाएगा और यात्रियों को सीधे ट्रेन मिल सकेगी।
Khatu Shyam Maharaj
आपको बता दें कि इस आशय के संकेत केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दिए हैं। रेल मंत्री ने कहा कि साल में करीब 50-60 लाख श्रद्धालु खाटू श्याम जी जाते हैं। जितने भी हमारे सांस्कृतिक धरोहर और श्रद्धा के स्थान है उनको जोड़ने की योजना रेलवे ने बनाई है। खाटू श्याम रेलवे के नेटवर्क से जुड़े सके उसकी व्यवस्था की गई है। हाल ही में इसके सर्वे को अनुमति मिली है। जल्द सर्वे पूरा कर काम शुरू करेंगे।
खाटू श्याम जाने के लिए अभी तक श्रद्धालुओं को जयपुर रेलवे स्टेशन जाना पड़ता है। जयपुर रेलवे स्टेशन से बाहर निकल कर बस या टैक्सी द्वारा खाटू श्याम पहुंचा जाता है, लेकिन खाटू श्याम मंदिर रेलवे नेटवर्क से जुड़ने के बाद सीधे ट्रेन सेवा मिल सकेगी।
खाटू श्याम का इतिहास
Khatu Shyam Maharaj जी का मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है। इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के साथ पांडव पुत्र भीम के पोते बर्बरीक की पूजा की जाती है। खाटू श्याम मंदिर पर हर साल फागुन महीने की एकादशी से पांच दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में देश-विदेश के श्रद्धालु खाटू श्याम महाराज जी का दर्शन करने आते है।
अगर आपने महाभारत देखा होगा तो आप जरूर पांडु पुत्र भीम के पोते बर्बरीक का नाम जानते होंगे, जिसने अपनी तप साधना से भगवान शिव को प्रसन्न किया था। भगवान शिव प्रसन्न होकर उसे तीन ऐसे बाण दिए थे, जिससे वह किसी भी को हरा सकता था। इसीलिए जब कौरव और पांडव के बीच युद्ध हुआ तो बर्बरीक पांडवों की तरफ से लड़ने की इच्छा जाहिर की।
लेकिन भगवान श्री कृष्ण जानते थे अगर बर्बरीक इस युद्ध में भाग लेगा तो पांडव आसानी से जीत जाएंगे, मगर यह धर्म विरुद्ध युद्ध माना जाएगा। इसीलिए भगवान श्री कृष्ण ब्राह्मण का वेश रखकर बर्बरीक से दान में उसका सिर मांग लेते हैं, बर्बरीक बिना देरी किए उस ब्राह्मण को अपना सिर दान कर देता है।
बर्बरीक द्वारा सिर दान किए जाने पर भगवान श्री कृष्ण अति प्रसन्न होते हैं और उसे वरदान देते हैं, कि तुम तीनों लोक में खाटू श्याम के नाम से जाने जाओगे और तभी से बर्बरीक को खाटू श्याम जी महाराज के नाम से जाना जाने लगा।
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Khatu Shyam Maharaj
आपको बता दें कि इस आशय के संकेत केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दिए हैं। रेल मंत्री ने कहा कि साल में करीब 50-60 लाख श्रद्धालु खाटू श्याम जी जाते हैं। जितने भी हमारे सांस्कृतिक धरोहर और श्रद्धा के स्थान है उनको जोड़ने की योजना रेलवे ने बनाई है। खाटू श्याम रेलवे के नेटवर्क से जुड़े सके उसकी व्यवस्था की गई है। हाल ही में इसके सर्वे को अनुमति मिली है। जल्द सर्वे पूरा कर काम शुरू करेंगे।
खाटू श्याम जाने के लिए अभी तक श्रद्धालुओं को जयपुर रेलवे स्टेशन जाना पड़ता है। जयपुर रेलवे स्टेशन से बाहर निकल कर बस या टैक्सी द्वारा खाटू श्याम पहुंचा जाता है, लेकिन खाटू श्याम मंदिर रेलवे नेटवर्क से जुड़ने के बाद सीधे ट्रेन सेवा मिल सकेगी।
खाटू श्याम का इतिहास
Khatu Shyam Maharaj जी का मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है। इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के साथ पांडव पुत्र भीम के पोते बर्बरीक की पूजा की जाती है। खाटू श्याम मंदिर पर हर साल फागुन महीने की एकादशी से पांच दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में देश-विदेश के श्रद्धालु खाटू श्याम महाराज जी का दर्शन करने आते है।
अगर आपने महाभारत देखा होगा तो आप जरूर पांडु पुत्र भीम के पोते बर्बरीक का नाम जानते होंगे, जिसने अपनी तप साधना से भगवान शिव को प्रसन्न किया था। भगवान शिव प्रसन्न होकर उसे तीन ऐसे बाण दिए थे, जिससे वह किसी भी को हरा सकता था। इसीलिए जब कौरव और पांडव के बीच युद्ध हुआ तो बर्बरीक पांडवों की तरफ से लड़ने की इच्छा जाहिर की।
लेकिन भगवान श्री कृष्ण जानते थे अगर बर्बरीक इस युद्ध में भाग लेगा तो पांडव आसानी से जीत जाएंगे, मगर यह धर्म विरुद्ध युद्ध माना जाएगा। इसीलिए भगवान श्री कृष्ण ब्राह्मण का वेश रखकर बर्बरीक से दान में उसका सिर मांग लेते हैं, बर्बरीक बिना देरी किए उस ब्राह्मण को अपना सिर दान कर देता है।
बर्बरीक द्वारा सिर दान किए जाने पर भगवान श्री कृष्ण अति प्रसन्न होते हैं और उसे वरदान देते हैं, कि तुम तीनों लोक में खाटू श्याम के नाम से जाने जाओगे और तभी से बर्बरीक को खाटू श्याम जी महाराज के नाम से जाना जाने लगा।



