Sriharikota : 3 उपग्रहों के साथ SSLV ने श्रीहरिकोटा से दूसरी ‘विकास उड़ान’ भरी

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Sriharikota News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar10 Feb 2023 04:18 PM
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Sriharikota : श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश), 10 फरवरी (भाषा) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) एलवी डी2 ने शुक्रवार को यहां से उड़ान भरी तथा ईओएस-07 उपग्रह और दो अन्य उपग्रहों को उनकी कक्षा में स्थापित कर दिया।

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अपनी दूसरी विकास उड़ान में एलवी डी2 ने पृथ्वी प्रेक्षण उपग्रह ईओएस-07 और दो अन्य उपग्रहों- अमेरिका के अंतारिस द्वारा निर्मित जानुस-1 और चेन्नई स्थित ‘स्पेस किड्ज इंडिया’ के आजादीसैट-2 के साथ उड़ान भरी। यह इसरो का इस साल का पहला मिशन है।

इसरो ने बताया कि एलवी डी2 ने तीनों उपग्रहों को उनकी कक्षा में स्थापित कर दिया।

साढ़े छह घंटे की उलटी गिनती के बाद 34 मीटर लंबे रॉकेट को यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया। इसरो को छोटे उपग्रह प्रक्षेपण वाहन बाजार में सफलता हासिल करने के लिए इस प्रक्षेपण से काफी उम्मीदें हैं।

Rajesh Pilot Jayanti : आज भी किसानों व गुर्जर समाज का गौरव है राजेश पायलट

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Rajesh Pilot Jayanti : आज भी किसानों व गुर्जर समाज का गौरव है राजेश पायलट

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Rajesh Pilot Jayanti
locationभारत
userचेतना मंच
calendar10 Feb 2023 03:52 PM
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Rajesh Pilot Jayanti : जीवनभर किसानों व मज़दूरों की आवाज़ उठाकर राजनीति करने वाले स्व. राजेश पायलट की आज जन्म जयंती है। आईए जानते हैं कौन थे राजेश पायलट। मात्र 55 वर्ष की आयु में एक सड़क दुर्घटना में दुनिया छोड़कर जाने वाले राजेश पायलट का नाम देशभर के किसानों ख़ासतौर से गुर्जर समाज में आज भी बेहद सम्मान से लिया जाता है।

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कौन थे राजेश पायलट ?

राजेश पायलट भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से संबद्ध एक राजनेता है। उसका नाम था राजेश्वर प्रसाद बिधूरी जो बाद में राजेश पायलट के नाम से मशहूर हुए ।1974 में उनकी श्रीमती रमा पायलट से शादी हुई।वे पूर्व केन्द्रीय मंत्री तथा राजस्थान के दौसा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से कई बार सांसद रहे है।

राजेश पायलटजी ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय वायुसेना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। परंतु जन सेवा, समाज सेवा की भावना से प्रेरित होकर वायुसेना से इस्तीफा देकर राजनीति में प्रवेश किया था। 1980 में भरतपुर से सांसद चुने गये और 1984,1991,1996,1998 एवं 1999 दौसा से सांसद चुने गये। 20 साल तक अपनी मेहनत और ईमानदारी के बलबूते पर सांसद रहे।

जब 1984 में राजीव गाँधी प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने उन्हें भूतल राज्यमंत्री बनाया। उत्तरपूर्व और कश्मीर दोनों राजेश पायलट के बहुत प्रिय विषय थे। कश्मीर में सामान्य स्थिति लाने के लिए उन्होंने अपनी तरफ़ से काफ़ी कोशिश की हाँलाकि वहाँ उन पर कई हमले भी हुए।

राजेश पायलट को भारतीय राजनीति में अभी बहुत कुछ करना था, लेकिन मात्र 55 वर्ष की आयु में एक सड़क दुर्घटना में उनका असामयिक निधन हो गया, जिसे एक राजनीतिक साजिश भी कहा जाता है।

साल 1979 में इन्होंने भारतीय वायुसेना से इस्तीफा दे दिया और समाज सेवा करनी शुरू कर दी। जब इस्तीफे के बाद सियासत की शुरुआत की बारी आई इन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी से मुलाकात कर बागपत सीट से चुनाव लड़ने की ख्वाहिश ज़ाहिर की। यह नाम सुनकर इंदिरा गाँधी चौंक गयी, क्योंकि यह सीट उस समय के प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की सीट थी जो एक जाट बहुल्य इलाका माना जाता था।

तब इंदिरा गाँधी ने पायलट से पूछा के वो जाटों का इलाका है और तुम गुर्जर ‘डर नहीं लगता, वहां हिंसा हो सकती है, लाठियां भी चल सकती है। तब राजेश पायलट ने जवाब दिया – ‘मैडम, जब पाकिस्तान के बम और मिसाइल भी नहीं डरा पाए, तो अब क्या डरूंगा। इंदिरा गाँधी पायलट से प्रभावित होकर मुस्कुरा कर उन्हें विदा कर दिया। इसके बाद जब यूपी से चुनाव लड़ने वालों की अंतिम सूची में अपना नाम न पाकर निराश हो गए और अपने गांव लौटकर खेती करने लगे। उनको समझ आ गया था गुर्जरों का दबदबा और समाज की सेवा करने के लिए अभी उनको जो मौका और जगह चाहिए उसमें अभी समय लगेगा।

फिर एक दिन किसी से सुचना मिली के इंदिरा गाँधी गांधी जी आप को टिकट देना चाहती थी, लेकिन उनको सबकी सुननी पड़ती है। किन्हीं कारणों से आप का टिकट नहीं हो पाया था, इसलिए वो चाहकर भी उन्हें टिकट नहीं दे पायी। जब इंदिरा गाँधी वहा से हैदराबाद के लिये निकल रही थी, तो पायलट अपनी पत्नी रमा के संग उनसे मिलने एयरपोट पहुंच गए। इंदिरा गाँधी सबसे मिलती हुई आखिर में उन तक पहुंचीं और नमस्कार करके उनकी तरफ मुस्कुरा दिया। फिर मिलते हैं कह कर अपने प्लेन की तरफ बढ़ चलीं। अगली ही सुबह उन्हें संजय गाँधी के दफ्तर से फ़ोन आया और राजेश पायलट को मिलने बुलाया और राजस्थान के भरतपुर जिले से चुनाव लड़ने के लिये बोला। वहीं से राजेश पायलट का राजनीति में सफर की शुरुआत हो चुकी थी। उन्होंने राजनीति का इतिहास बदल दिया। ज़मीन पर आम आदमी के बीच रहकर राजनीति में हलचल कर दी इतनी जल्दी सबके चहेते बनकर।

उसके बाद राजेश पायलट ने 1984 में राजस्थान के दौसा जिले से सांसद का चुनाव जीता। राजीव गाँधी देश के प्रधानमंत्री बने। राजीव ने राजेश पायलट को भूतल राज्यमंत्री बनाया। इसके बाद राजेश पायलट साल 1991, 1996, 1998 एवं 1999 दौसा से सांसद चुने गये। सिर्फ 1989 में हारे और एक बड़े किसान नेता के रूप में उभरे और राजीव गांधी और नरसिम्हा राव की सरकार में मंत्री रहे।

चुनाव में नामांकन दाखिल करने से पहले ही संजय गाँधी ने राजेश्वर प्रसाद बिधूरी को राजेश पायलट का नाम दिया। पायलट ने अपना नाम नोटेरी में जाकर राजेश्वर प्रसाद बिधूरी से बदलकर राजेश पायलट कर लिया। यहीं से पायलट नाम उनकी और उनके परिवार की पहचान बनी।

सचिन पायलट के स्वर्गीय पिता राजेश पायलट ने कांग्रेस में रहते हुए एक बार कहा था कि पार्टी में जवाबदेही नहीं रही। पारदर्शिता नहीं रही और कुर्सी को सलाम किया जाने लगा। पार्टी को आईना दिखाने वाला राजेश पायलट का यह बयान सिर्फ एक उदाहरण भर था। ऐसे कई मौके आए जब उन्होंने पार्टी में रहते हुए पार्टी को सार्जवनिक तौर पर नसीहत दी। एक बार तो बात यहां तक पहुंच गई थी कि राजेश पायलट ने सीधे गांधी परिवार को भी चुनौती दे डाली, लेकिन राजनीति में एंट्री से लेकर अपनी अंतिम सांस तक वो कांग्रेस में ही रहे।

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Cow Hug Day- वेलेंटाइन डे पर मनाए 'Cow Hug Day' के प्रस्ताव का कहीं स्वागत, तो कहीं बवाल

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Nov 2025 08:45 AM
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Cow Hug Day On valantine Day- जैसा कि आप सभी जानते ही हैं कि अभी वेलेंटाइंस डे की धूम मची हुई है, ऐसे में भारत के पशु कल्याण विभाग ने एक घोषणा की है। पशु कल्याण विभाग ने 14 फरवरी यानी वेलेंटाइन डे के दिन 'Cow Hug Day' मनाने का ऐलान किया है। इस प्रस्ताव का कहीं सम्मान किया जा रहा है तो कहीं इसको लेकर बवाल हो रहा है। पशु कल्याण विभाग ने इस फैसले के साथ ये भी कहा है कि भारत में पश्चिमी सभ्यता की होड़ में, हमारी अपनी संस्कृति, वैदिक संस्कृति विलुप्त होती जा रही है। ऐसे में हमें अपनी संस्कृति से जुड़ना है। गाय भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, इसीलिए इसके प्रति प्यार और सम्मान प्रकट करें। वेलेंटाइन डे जो कि प्यार का दिन होता है, इस दिन गाय के प्रति प्यार को प्रकट करने के लिए, गाय को गले लगाने का प्रस्ताव जारी किया गया है। इस फैसले का बीजेपी तो हंसकर और सम्मानपूर्वक स्वागत कर रही है तो वहीं विपक्ष पशु कल्याण विभाग के इस फैसले से नाखुश है और विपक्ष का कहना है कि ये योजना सिर्फ मुद्दों से ध्यान को भटकाने के लिए लाई गई है। इसको लेकर मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने कहा कि, 'गाय हमारी माता है इसकी सेवा करना चाहिए। किसी भी दिन होना था हो गया। प्रेम का दिन है गाय से प्रेम करें।' वहीं सांसद विजयपाल सिंह तोमर भी इस फैसले का सम्मान कर रहे हैं। इनका कहना है कि, 'गाय को गले लगाना किसान से जोड़ता है। इसलिए वो भारत के पशु कल्याण बोर्ड द्वारा काऊ हग डे मनाने की अपील का स्वागत कर रहे हैं।'

Cow Hug Day-

दूसरी तरफ विपक्ष इस प्रस्ताव से तिलमिला उठा है। विपक्ष की सांसद रजनी पाटिल ने इस फैसले को लेकर कहा है कि, ' वो एक दिन नहीं, हर दिन अपनी गाय को गले लगाती हैं।' इस पर बात करते हुए उन्होंने आगे कहा कि ये प्रस्ताव सिर्फ और सिर्फ मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए लाया गया है। इसको लेकर टीएमसी सांसद शांतनु सेन का कहना है कि, 'मुख्यधारा के मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए छद्म हिंदूवाद और छद्म देशभक्ति का इस्तेमाल किया जाता है।' सीपीआई सांसद ने भी इसको हास्यास्पद बताते हुए कहा है कि ये देश के लिए एक शर्म की बात है।

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