West Bengal News : भाजयुमो कार्यकर्ता ने पश्चिम बंगाल भाजपा लीगल सेल प्रभारी पर यौन उत्पीड़न का आरोप

Loknath
BJYM worker alleges sexual harassment by West Bengal BJP Legal Cell in-charge
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 02:18 AM
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Kolkata : कोलकाता। भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के एक कार्यकर्ता ने पश्चिम बंगाल में भाजपा लीगल सेल प्रभारी लोकनाथ चटर्जी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। उसने उन पर यौन उत्पीड़न करने के अलावा मारपीट का भी आरोप लगाया है। इस संबंध में शिकायतकर्ता ने पुलिस में शिकायत के साथ ही पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को भी पत्र लिखा है।

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शिकायतकर्ता का कहना है कि चटर्जी ने उसे पार्टी के काम के लिए साथ में सिक्किम चलने के लिए कहा था, यहां उनका यौन उत्पीड़न किया गया और भाजपा नेता के बॉडीगार्ड्स ने उसके साथ मारपीट भी की। शिकायतकर्ता ने कहा कि उसके साथ यह घटना बीते महीने 27 से 29 अक्टूबर के बीच हुई। इस दौरान वह भाजपा के लीगल सेल प्रभारी चटर्जी के साथ यात्रा पर था। शिकायतकर्ता ने बताया कि सिक्किम जाने के लिए जब मैं स्टेशन पहुंचा, तो भाजपा नेता का पूरा परिवार वहां था। सभी के लिए एसी कोच बुक किए गए थे, जबकि उसे गैर-एसी कोच में बिठाया गया।

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शिकायतकर्ता ने बताया कि जब वह सिक्किम पहुंचा तो उसे पता चला कि यहां पार्टी का कोई काम नहीं है। भाजपा नेता के सुरक्षा गार्डों ने उसका बैग और फोन छीन लिया और उसे एक कमरे में बंद कर दिया गया। इसके बाद भाजपा नेता ने उसके साथ यौन उत्पीड़न किया। शिकायतकर्ता ने कहा कि इसके बाद सुरक्षा गार्डों ने उसके साथ मारपीट की और यह बात किसी को न बताने की धमकी थी दी। शिकायतकर्ता ने इस संबंध में पुलिस में भी शिकायत दर्ज कराई है। वहीं उसने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है। इस संबंध में पश्चिम बंगाल भाजपा के नेताओं ने टिप्पणी से इनकार कर दिया है। हालांकि, उनका कहना है कि चटर्जी को इस्तीफा देने के लिए कहा गया है।
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Lal Krishna Advani- 95 साल के हुए लाल कृष्ण आडवाणी, जानिए कैसा था इनका राजनीतिक सफर

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar08 Nov 2022 04:55 PM
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Lal Krishna Advani- भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी आज अपना 95वां जन्मदिन मना रहे हैं। इनका जन्म 8 नवंबर 1927 को वर्तमान में पाकिस्तान देश के कराची शहर में हुआ था। इनकी शुरुआती शिक्षा लाहौर में पूरी हुई। विभाजन के बाद इनका परिवार भारत में आकर बस गया। इनकी आगे की पढ़ाई मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से पूरी हुई जहां पर इन्होंने लॉ से स्नातक किया। लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) जन नायक के रूप में जाने जाते हैं जिन्होंने हिंदू आंदोलन का नेतृत्व किया और भारतीय जनता पार्टी की सरकार पहली बार बनाई। भारतीय जनता पार्टी को पूरी तरह से खड़ा करने व राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने का श्रेय जिन लोगों को जाता है, उस पंक्ति में लालकृष्ण आडवाणी का नाम सबसे आगे है। ये भारतीय जनता पार्टी के कर्णधार और लौह पुरुष भी कहलाए। या यूं कहा जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी के इतिहास का एक अहम अध्याय हैं लालकृष्ण आडवाणी।

लालकृष्ण आडवाणी का राजनीतिक सफर -

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा सन 1951 में जनसंघ की स्थापना की जिसके पार्टी सचिव का कार्यभार संभाला लालकृष्ण आडवाणी ने। साल 1954 से लेकर 1957 तक जनसंघ पार्टी के सचिव का कार्य संभालने के बाद, सन 1973 से 1977 तक उन्होंने भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष का दायित्व संभाला। साल 1980 में इनके भारतीय जनता पार्टी के स्थापना की गई, जिसके महासचिव बनाए गए लालकृष्ण आडवाणी। 1986 तक भारतीय जनता पार्टी के महासचिव का कार्यभार संभालने के बाद साल 1986 से लेकर 1991 तक यह भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद पर कार्यरत रहे। साल 1990 में राम मंदिर आंदोलन के लिए सोमनाथ से अयोध्या तक निकाली गई राम रथ यात्रा में लालकृष्ण आडवाणी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा, लेकिन इस यात्रा का इनके राजनीतिक जीवन पर गहरा असर पड़ा। रथ यात्रा के बाद लालकृष्ण आडवाणी की लोकप्रियता काफी बढ़ गई।

नहीं पूरा हुआ उपप्रधानमंत्री से प्रधानमंत्री बनने का सफर -

तीन बार भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद पर रह चुके लालकृष्ण आडवाणी 4 बार राज्यसभा के और 5 बार लोकसभा के सदस्य बने। सन 1977 से 1979 तक इन्हें केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। सन 1998 से लेकर 2004 तक अटल बिहारी बाजपेई के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारत के गृह मंत्री का पदभार संभाला, और साल 2002 से 2004 तक प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के कार्यकाल के दौरान इन्होंने भारत के उप प्रधानमंत्री का पदभार संभाला। लेकिन इनका भारत का प्रधानमंत्री बनने का सपना पूरा नहीं हुआ। साल 2008 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने लोकसभा चुनाव को आडवाणी के नेतृत्व में लड़ने तथा जीत होने पर उन्हें प्रधानमंत्री बनाने की घोषणा की थी। लेकिन पार्टी यह चुनाव जीतने में सफल नहीं रही। और इनका प्रधानमंत्री बनने का सपना अधूरा ही रह गया। साल 2013 में लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) ने अपने सभी पदों से इस्तीफा देते हुए अपने राजनीतिक सफर को विराम दे दिया।

राजनीति के क्षेत्र में जीते पुरस्कार -

लालकृष्ण आडवाणी भारत के एक सफल राजनीतिज्ञ के रूप में जाने जाते हैं। इनका राजनीतिक कद बहुत ही ऊंचा है। भारतीय संसद में एक अच्छे संसद के रूप में आडवाणी अपनी भूमिका के लिए काफी सराहे गए और उन्हें पुरस्कृत भी किया गया। लालकृष्ण आडवाणी को भारतीय संसदीय समूह द्वारा वर्ष 1999 में उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साल 2015 में उन्हें भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

लालकृष्ण आडवाणी के द्वारा लिखी गई पुस्तकें-

वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को लेखन में भी रूचि है। उन्होंने कई पुस्तकें लिखी। 19 मार्च 2008 को भारत के पूर्व राष्ट्रपति रह चुके वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम ने इनके द्वारा लिखी गई पुस्तक 'माई कंट्री माई लाइफ' रिलीज की थी। इसके अलावा इन्होंने 'सुरक्षा और विकास के नए दृष्टिकोण', 'एक कैदी का कबाड़' नामक पुस्तकें भी लिखी।
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Guru Nanak Jayanti 2022: प्रकाश पर्व पर जानें गुरु नानक देव के जीवन से जुड़ी खास बातें

Guru nanak dev
Guru Nanak Jayanti 2022: प्रकाश पर्व पर जानें उनके जीवन से जुड़ी खास बातें
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calendar29 Nov 2025 01:00 PM
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Guru Nanak Jayanti 2022 : आज देश ही नहीं विश्वभर में प्रकाश पर्व यानि गुरु नानक देव की जयंती मनाई जा रही है। गुरुद्वारों में सुबह से ही शबद कीर्तन का आयोजन हो रहा है और गुरु नानकदेव का स्मरण किया जा रहा है। सिख धर्म के लोगों के लिए गुरु नानक देव जी का यह प्रकाश पर्व काफी खास होता है। गुरु नानक जी सिख धर्म के संस्थापक और पहले सिख गुरु थे। उनका जन्म 1469 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था। इसलिए हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को गुरु नानक जयंती पूरी दुनिया में मनाई जाती है।

Guru Nanak Jayanti 2022

गुरु नानक जयंती उत्सव कार्तिक पूर्णिमा से दो दिन पहले शुरू हो जाता है। इसमें अखंड पाठ, नगर कीर्तन आदि जैसे अनुष्ठान शामिल हैं। आज गुरु नानक जयंती पर नानक देव से जुड़ी कुछ अहम बातें जानते हैं।

गुरु नानक देव की अहम बातें

गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में लाहौर से 64 किलोमीटर दूर हुआ था। नानक बचपन से ही कुछ अलग स्वभाव के थे। माना जाता है कि कि ईश्वर ने नानक को कुछ अलग करने के लिए प्रेरित किया था।

कहा जाता है कि बचपन से ही गुरु नानक देव का आध्यात्मिकता की तरफ काफी रुझान था और वह सत्संग और चिंतन में लगे रहते थे। ईश्वर की तलाश की खातिर गुरु नानक ने 8 साल की उम्र में ही पढ़ाई छोड़ दी थी।

ईश्वर के प्रति गुरु नानक का समर्पण काफी ज्यादा था, जिसके कारण लोग उन्हें दिव्य पुरुष मानने लगे। 30 साल की उम्र तक गुरु नानक देव का ज्ञान परिपक्व हो चुका था और परम ज्ञान हासिल होने के बाद उन्होंने अपना पूरा जीवन सत्य का प्रचार किया।

गुरु नानक के बारे में एक प्रसिद्ध कहानी है कि वो 11 साल की उम्र में ही विद्रोही हो गए थे। हिन्दू धर्म में होने के बावजूद उन्होंने इसे पहनने से इनकार कर दिया था। नानक का कहना था कि लोगों को जनेऊ पहनने के जगह अपने गुणों का विकास करना चाहिए।

गुरु नानक अंधविश्वास और आडंबर के सख्त खिलाफ थे। उन्होंने स्थानीय साधुओं और मौलवियों पर भी सवाल उठाए थे। नानक को बाहरी दिखावा बिल्कुल पसंद नहीं था और वो हमेशा आंतरिक बदलाव पर जोर देते थे।

नानक प्रकृति में ही ईश्वर की तलाश करते थे। उनका कहना था कि चिंतन के माध्यम से ही आध्यात्म के रास्ते पर बढ़ा जा सकता है। उनकी शादी 1496 में हुई थी। उनका एक परिवार भी था।

नानक ने अपने आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत भारत, तिब्बत और अरब से की थी जो 30 सालों तक चली। इस दौरान नानक ने काफ़ी अध्ययन किया और पढ़े लिखे लोगों से बहस भी की। इसी दौरान नानक ने सिख धर्म की राह को आकार दिया और अच्छे जीवन के लिए आध्यात्म को स्थापित किया। गुरु नानक ने अपने जीवन का आखिरी समय पंजाब के करतारपुर में गुजारा।