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News Update : अब तक की सुर्खियां, वो खबरें जिन पर रहेंगी हमारी नजर
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Guru Nanak Jayanti 2022 : आज देश ही नहीं विश्वभर में प्रकाश पर्व यानि गुरु नानक देव की जयंती मनाई जा रही है। गुरुद्वारों में सुबह से ही शबद कीर्तन का आयोजन हो रहा है और गुरु नानकदेव का स्मरण किया जा रहा है। सिख धर्म के लोगों के लिए गुरु नानक देव जी का यह प्रकाश पर्व काफी खास होता है। गुरु नानक जी सिख धर्म के संस्थापक और पहले सिख गुरु थे। उनका जन्म 1469 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था। इसलिए हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को गुरु नानक जयंती पूरी दुनिया में मनाई जाती है।
गुरु नानक जयंती उत्सव कार्तिक पूर्णिमा से दो दिन पहले शुरू हो जाता है। इसमें अखंड पाठ, नगर कीर्तन आदि जैसे अनुष्ठान शामिल हैं। आज गुरु नानक जयंती पर नानक देव से जुड़ी कुछ अहम बातें जानते हैं।
गुरु नानक देव की अहम बातें
गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में लाहौर से 64 किलोमीटर दूर हुआ था। नानक बचपन से ही कुछ अलग स्वभाव के थे। माना जाता है कि कि ईश्वर ने नानक को कुछ अलग करने के लिए प्रेरित किया था।
कहा जाता है कि बचपन से ही गुरु नानक देव का आध्यात्मिकता की तरफ काफी रुझान था और वह सत्संग और चिंतन में लगे रहते थे। ईश्वर की तलाश की खातिर गुरु नानक ने 8 साल की उम्र में ही पढ़ाई छोड़ दी थी।
ईश्वर के प्रति गुरु नानक का समर्पण काफी ज्यादा था, जिसके कारण लोग उन्हें दिव्य पुरुष मानने लगे। 30 साल की उम्र तक गुरु नानक देव का ज्ञान परिपक्व हो चुका था और परम ज्ञान हासिल होने के बाद उन्होंने अपना पूरा जीवन सत्य का प्रचार किया।
गुरु नानक के बारे में एक प्रसिद्ध कहानी है कि वो 11 साल की उम्र में ही विद्रोही हो गए थे। हिन्दू धर्म में होने के बावजूद उन्होंने इसे पहनने से इनकार कर दिया था। नानक का कहना था कि लोगों को जनेऊ पहनने के जगह अपने गुणों का विकास करना चाहिए।
गुरु नानक अंधविश्वास और आडंबर के सख्त खिलाफ थे। उन्होंने स्थानीय साधुओं और मौलवियों पर भी सवाल उठाए थे। नानक को बाहरी दिखावा बिल्कुल पसंद नहीं था और वो हमेशा आंतरिक बदलाव पर जोर देते थे।
नानक प्रकृति में ही ईश्वर की तलाश करते थे। उनका कहना था कि चिंतन के माध्यम से ही आध्यात्म के रास्ते पर बढ़ा जा सकता है। उनकी शादी 1496 में हुई थी। उनका एक परिवार भी था।
नानक ने अपने आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत भारत, तिब्बत और अरब से की थी जो 30 सालों तक चली। इस दौरान नानक ने काफ़ी अध्ययन किया और पढ़े लिखे लोगों से बहस भी की। इसी दौरान नानक ने सिख धर्म की राह को आकार दिया और अच्छे जीवन के लिए आध्यात्म को स्थापित किया। गुरु नानक ने अपने जीवन का आखिरी समय पंजाब के करतारपुर में गुजारा।
Guru Nanak Jayanti 2022 : आज देश ही नहीं विश्वभर में प्रकाश पर्व यानि गुरु नानक देव की जयंती मनाई जा रही है। गुरुद्वारों में सुबह से ही शबद कीर्तन का आयोजन हो रहा है और गुरु नानकदेव का स्मरण किया जा रहा है। सिख धर्म के लोगों के लिए गुरु नानक देव जी का यह प्रकाश पर्व काफी खास होता है। गुरु नानक जी सिख धर्म के संस्थापक और पहले सिख गुरु थे। उनका जन्म 1469 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था। इसलिए हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को गुरु नानक जयंती पूरी दुनिया में मनाई जाती है।
गुरु नानक जयंती उत्सव कार्तिक पूर्णिमा से दो दिन पहले शुरू हो जाता है। इसमें अखंड पाठ, नगर कीर्तन आदि जैसे अनुष्ठान शामिल हैं। आज गुरु नानक जयंती पर नानक देव से जुड़ी कुछ अहम बातें जानते हैं।
गुरु नानक देव की अहम बातें
गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में लाहौर से 64 किलोमीटर दूर हुआ था। नानक बचपन से ही कुछ अलग स्वभाव के थे। माना जाता है कि कि ईश्वर ने नानक को कुछ अलग करने के लिए प्रेरित किया था।
कहा जाता है कि बचपन से ही गुरु नानक देव का आध्यात्मिकता की तरफ काफी रुझान था और वह सत्संग और चिंतन में लगे रहते थे। ईश्वर की तलाश की खातिर गुरु नानक ने 8 साल की उम्र में ही पढ़ाई छोड़ दी थी।
ईश्वर के प्रति गुरु नानक का समर्पण काफी ज्यादा था, जिसके कारण लोग उन्हें दिव्य पुरुष मानने लगे। 30 साल की उम्र तक गुरु नानक देव का ज्ञान परिपक्व हो चुका था और परम ज्ञान हासिल होने के बाद उन्होंने अपना पूरा जीवन सत्य का प्रचार किया।
गुरु नानक के बारे में एक प्रसिद्ध कहानी है कि वो 11 साल की उम्र में ही विद्रोही हो गए थे। हिन्दू धर्म में होने के बावजूद उन्होंने इसे पहनने से इनकार कर दिया था। नानक का कहना था कि लोगों को जनेऊ पहनने के जगह अपने गुणों का विकास करना चाहिए।
गुरु नानक अंधविश्वास और आडंबर के सख्त खिलाफ थे। उन्होंने स्थानीय साधुओं और मौलवियों पर भी सवाल उठाए थे। नानक को बाहरी दिखावा बिल्कुल पसंद नहीं था और वो हमेशा आंतरिक बदलाव पर जोर देते थे।
नानक प्रकृति में ही ईश्वर की तलाश करते थे। उनका कहना था कि चिंतन के माध्यम से ही आध्यात्म के रास्ते पर बढ़ा जा सकता है। उनकी शादी 1496 में हुई थी। उनका एक परिवार भी था।
नानक ने अपने आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत भारत, तिब्बत और अरब से की थी जो 30 सालों तक चली। इस दौरान नानक ने काफ़ी अध्ययन किया और पढ़े लिखे लोगों से बहस भी की। इसी दौरान नानक ने सिख धर्म की राह को आकार दिया और अच्छे जीवन के लिए आध्यात्म को स्थापित किया। गुरु नानक ने अपने जीवन का आखिरी समय पंजाब के करतारपुर में गुजारा।