Gyanvapi Masjid काशी विश्वनाथ के महंत का दावा, असली शिवलिंग तो मंदिर में सुरक्षित

Gyanvapi Masjid : उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद से मिले शिवलिंग को लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत का एक बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत राजेंद्र तिवारी का कहना है कि असली शिवलिंग तो काशी विश्वनाथ मंदिर में सुरक्षित है, जिसकी पूजा अर्चना की जा रही है।
Gyanvapi Masjid
वायरल हो रहे दावे में महंत राजेंद्र तिवारी कहते हैं कि, "दो चीजे हैं, ज्ञानवापी कुंड और मस्जिद का तालाब अलग-अलग है। ज्ञानवापी कुंड अब अस्तित्व में नहीं रह गया है। अब ज्ञानवापी कूप केवल रह गया है, जिसका उद्धरण काशी खंड, शिव पुराण में है। जो ज्ञानवापी में कुआं है उसे भगवान शिव ने अपने हाथ से खोदा है। ऐसा उद्धरण मिलता है। ज्ञानवापी तालाब पटकर समतल हो गया है। मस्जिद के अंदर का तालाब काफी पुराना है। हम बचपन में वहां खेलने जाया करते थे।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार महंत से जब ज्ञानवापी मस्जिद से शिवलिंग मिलने के दावे के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उसे आप शिवलिंग मत कहिए। मेरी समझ से किसी भी पत्थर के स्तंभ को शिवलिंग कहना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि जब तक मैं उसे देखूं नहीं तब तक मैं उसके बारे में कैसे कहूं। व्यास से शिवलिंग का निर्धारण नहीं होगा। जहां तक काशी विश्वनाथ के शिवलिंग का सवाल है, ज्ञानवापी के ऐतिहासिक मंदिर का तम्लीक-नामा (संपत्ति का कानूनी कागजात) दाराशिकोह द्वारा दिया गया हमारे पूर्वजों के नाम से है, जो आज भी मेरे पास मौजूद है।
>> Ram Mandir : जाने कब से शुरू होगा रामलला का गर्भगृह निर्माण का कार्यमहंत आगे कहते हैं कि जब वह मंदिर अपने अस्तित्व को खो रहा था, तब शिवलिंग हमारे पूर्वजों ने हटाकर वर्तमान में जहां शिवलिंग है, वहां ले जाकर स्थापित किया। वह शिवलिंग आज भी पूजित है। 40 वर्ष तक जब तक औरंगजेब का शासन था, तब तक आम जनता को इस बारे में सूचित नहीं किया गया, लेकिन जब औरंगजेब का शासन खत्म हुआ तो शिवलिंग को आम दर्शन के लिए खोला गया। बाद में अहिल्याबाई को स्वप्न हुआ तो वह आईं और उन्होंने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। विश्वानाथ मंदिर का शिवलिंग पहले जैसा है, ये कहां से ला रहे हैं?'
Gyanvapi Masjid : उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद से मिले शिवलिंग को लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत का एक बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत राजेंद्र तिवारी का कहना है कि असली शिवलिंग तो काशी विश्वनाथ मंदिर में सुरक्षित है, जिसकी पूजा अर्चना की जा रही है।
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वायरल हो रहे दावे में महंत राजेंद्र तिवारी कहते हैं कि, "दो चीजे हैं, ज्ञानवापी कुंड और मस्जिद का तालाब अलग-अलग है। ज्ञानवापी कुंड अब अस्तित्व में नहीं रह गया है। अब ज्ञानवापी कूप केवल रह गया है, जिसका उद्धरण काशी खंड, शिव पुराण में है। जो ज्ञानवापी में कुआं है उसे भगवान शिव ने अपने हाथ से खोदा है। ऐसा उद्धरण मिलता है। ज्ञानवापी तालाब पटकर समतल हो गया है। मस्जिद के अंदर का तालाब काफी पुराना है। हम बचपन में वहां खेलने जाया करते थे।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार महंत से जब ज्ञानवापी मस्जिद से शिवलिंग मिलने के दावे के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उसे आप शिवलिंग मत कहिए। मेरी समझ से किसी भी पत्थर के स्तंभ को शिवलिंग कहना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि जब तक मैं उसे देखूं नहीं तब तक मैं उसके बारे में कैसे कहूं। व्यास से शिवलिंग का निर्धारण नहीं होगा। जहां तक काशी विश्वनाथ के शिवलिंग का सवाल है, ज्ञानवापी के ऐतिहासिक मंदिर का तम्लीक-नामा (संपत्ति का कानूनी कागजात) दाराशिकोह द्वारा दिया गया हमारे पूर्वजों के नाम से है, जो आज भी मेरे पास मौजूद है।
>> Ram Mandir : जाने कब से शुरू होगा रामलला का गर्भगृह निर्माण का कार्यमहंत आगे कहते हैं कि जब वह मंदिर अपने अस्तित्व को खो रहा था, तब शिवलिंग हमारे पूर्वजों ने हटाकर वर्तमान में जहां शिवलिंग है, वहां ले जाकर स्थापित किया। वह शिवलिंग आज भी पूजित है। 40 वर्ष तक जब तक औरंगजेब का शासन था, तब तक आम जनता को इस बारे में सूचित नहीं किया गया, लेकिन जब औरंगजेब का शासन खत्म हुआ तो शिवलिंग को आम दर्शन के लिए खोला गया। बाद में अहिल्याबाई को स्वप्न हुआ तो वह आईं और उन्होंने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। विश्वानाथ मंदिर का शिवलिंग पहले जैसा है, ये कहां से ला रहे हैं?'







