UP Election 2022 आखिर यूपी की जनता को क्यों रास नहीं आते मुस्लिम दल

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UP Election 2022
locationभारत
userचेतना मंच
calendar16 Feb 2022 07:55 PM
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UP Election 2022 : उत्तर प्रदेश में विधानसभा (UP Election 2022) चुनाव चल रहे हैं। यूपी में विधानसभा चुनाव के दो चरण संपन्न (UP Election 2022) हो चुके हैं, जिन क्षेत्रों में दोनों चरणों का मतदान संपन्न हुआ, उन क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी अच्छी खासी है। अब शेष पांच चरणों का मतदान होना बाकि है। यूपी में सामान्य वर्ग के मतदाताओं के अलावा मुस्लिम वोट बैंक की संख्या भी काफी है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर यूपी में मुस्लिम राजनीतिक दल क्यों नहीं उभर पा रहे हैं। यदि इतिहास की बात करें तो पता चलता है कि यूपी की जनता को मुस्लिम राजनीतिक दल रास ही नहीं आए।

UP Election 2022

[caption id="attachment_17182" align="alignnone" width="600"]UP Election 2022 UP Election 2022[/caption]

राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो डॉ.अब्दुल जलील फरीदी आजादी की लड़ाई में थे। आजादी के बाद वे नेता बने। उनकी रैलियों में मुसलमानों की भीड़ तो खूब उमड़ती थी। वे चाहते थे कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में उन्हें बड़ा पद मिले, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। आखिरकार 20 साल बाद 1968 में मुस्लिम मजलिस नामक पार्टी बनाई। उनका मकसद मुस्लिम अल्पसंख्यक बिरादरी को उनका हक दिलवाना था लेकिन पार्टी बनने के एक साल बाद 1969 में विधानसभा चुनाव हुए। मुस्लिम मजलिस पार्टी ने दो सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों ही सीटों पर पार्टी की जमानत जब्त हो गई। दोनों सीटों पर मिलाकर मुस्लिम मजलिस पार्टी को 4000 से भी कम वोट मिले थे। साल 1974 में डॉ. फरीदी की मौत के साथ ये पार्टी भी खत्म होती गई।

इसके बाद यूपी में दूसरा मुस्लिम दल 33 साल तक चुनाव लड़ती रहा, लेकिन केवल 1 सीट ही जीत सका। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने 1974 के विधानसभा चनुाव में चुनाव लड़ा था। विधानसभा चुनाव 1974 में मुस्लिम लीग ने 54 सीटों पर कैंडिडेट उतारे थे, लेकिन 43 की जमानत जब्त हो गई। सिर्फ एक सीट ही जीत पाई। सिर्फ जमानत ही बचा पाए थे। लिस्ट में नीचे से दूसरे या तीसरे नंबर थे। फिर 28 साल बाद गुलाम महमूद ने फिर दम भरा। विधानसभा चुनाव 2002 में उन्होंने 18 सीटों पर कैंडिडेट उतारे, लेकिन जीता कोई नहीं।

1995 में यूपी में भाजपा के समर्थन में बसपा की सरकार बनी। ये वह दौर था जब उत्तर प्रदेश के मुसलमानों का बसपा पर विश्वास बढ़ा हुआ था। मायावती उत्तर प्रदेश की सीएम बनाई गईं। उन्होंने डॉ. मसूद अहमद को शिक्षा मंत्री बनाया। डॉ. मसूद ने शिक्षा मंत्री रहते हुए अल्पसंख्यक समुदाय के लिए काफी काम किया, लेकिन कुछ समय बाद मायावती ने डॉ. मसूद को कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया। मायावती से अपनी बेइज्जती का बदला लेने के लिए डॉ. मसूद ने 2002 में नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी यानी नेलोपा बनाई। नेलोपा विधानसभा चुनाव 2002 में 130 सीटों पर चुनाव लड़ा। खुद को मुस्लिमों की पार्टी होने का दावा करने वाली नेलोपा के 130 प्रत्याशियों में से 126 की जमानत जब्त हो गई।

यूपी चौथी मुस्लिम पार्टी जामा मस्जिद के इमाम ने बनाई, लेकिन उनकी भी नहीं चली। उन्होंने यूपी यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के नाम से पार्टी बनाई। 2007 के विधानसभा चुनाव में दिल्ली की जामा मस्जिद के इमाम सैयद अहमद बुखारी ने भी किस्मत आजमाई। उन्होंने 54 सीटों पर यूपी यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के प्रत्याशी उतारे। दिल्ली में मुसलमानों का बड़ा वर्ग उन्हें सपोर्ट करता है। वो जिस पार्टी को कहते थे, मुसलमान उसी को वोट देते थे, लेकिन यूपी के वोटरों ने इस बात को गलत साबित कर दिया। विधानसभा चुनाव के नतीजे आए तो यूपी यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के 54 में से सिर्फ एक उम्मीदवार जीता, जबकि 51 सीटों पर जमानत जब्त हो गई। इस शर्मनाक हार के बाद अहमद बुखारी यूपी की सियासत से गायब हो गए।

2008 में नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी के उपाध्यक्ष रहे डॉ. अय्यूब सर्जन ने पीस पार्टी बनाई। पीस पार्टी ने चार साल तक पार्टी ने जमीन पर उतर कर प्रचार किया। मुसलमानों के असल मुद्दे समझे। 2012 के विधानसभा चुनाव में पीस पार्टी ने 208 सीटों में से सिर्फ 4 जीतीं। यह पार्टी की उम्मीद से बहुत कम थीं, लेकिन कुछ नहीं से बेहतर थीं। 2017 में पीस पार्टी ने एक बार फिर चुनाव मैदान में उतरी, लेकिन इस बार उसका खाता तक नहीं खुल पाया।

AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भाजपा और कांग्रेस को चुनौती देने के लिए 2019 लोकसभा चुनाव में पार्टी को उतारा था। हैदराबाद में AIMIM ने अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन दूसरे राज्यों में पार्टी की हालत खराब रही। AIMIM ने साल 2017 में UP में 38 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन कहीं भी जीत नसीब नहीं हो सकी। सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। विधानसभा चुनाव-2022 में औवेसी नई तैयारी से आए हैं। उन्होंने 403 सीटों में से 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। पार्टी अब तक 76 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। इनमें 61 मुस्लिम उम्मीदवार हैं और 15 हिंदू, अन्य पिछड़ा वर्ग और दलितों वर्ग के लोगों को टिकट दिया है। अब देखना यह होगा कि ओवैसी की पार्टी के कितने प्रत्याशी ​जीत दर्ज पाते हैं।

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shining moon आज शाम 6 बजे से चांद दिखेगा सबसे चमकीला, होगा धरती के सबसे पास

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shining moon
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 01:14 AM
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shining moon : चांद तो रोज ही निकलता है। कभी दूज का चांद तो कभी पूनम का चांद और कभी करवा चौथ का चांद। चांद पर कितने ही गाने और शायरी सदियों से चली आ रही है। एक रात में दो दो चांद खिले... लेकिन चांद आसमां में एक से ज्यादा नहीं खिल सकते। हां! खगोलविद् चांद के अलग अलग अलग नाम जरुर रख देते हैं। किसी को सुपर मून, किसी को ब्लू मून, यहां तक कि हारवेस्ट मून भी कहते हैं। और ज्योतिष तो टिका ही चंद्रमा पर और चंद्र राशियों पर। चंद्र कुंडली जीवन के परिवर्तन दर्शाती है। इसे मन का कारक ग्रह कहा गया है।

shining moon

जी हां। ज्योतिषीय दृष्टि से इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि जब भी फुल मून, सुपर मून दिखाई देता हेै, गुरुत्वाकर्षण के कारण बड़े तूफान, सुनामी, मौसम में गड़बड़ी या भूकंप जरुर आते हैं। चांद के दीदार के बाद ऐसी खबर भी सुनाई दे सकती है।

अब ज्योतिष के कड़े आलेाचक भी कहां पीछे रहेंगे? उनके अनुसार एस्ट्रोलॉजी ढकोसला है। नील आर्मस्ट्रांग, 21 जुलाई 1969 को  चांद पर झंडा गाड़ आए और अभी भारत में चांद की पूजा की जाती है, व्रत रखे जाते हैं, चंद्र ग्रहण पर मंदिर बंद कर देते हैं, उसे देखते तक नहीं, कुछ खाते पीते तक नहीं, सोचते हैं कलंक चतुर्थी पर चांद देखने से कलंक लग जाता है। जब कि चांद पर मानव ने 6 झंडे गाड़े और बुज एल्ड्र्नि पहले सज्जन हैं चांद पर पेशाब तक कर आए हैं।

हम तो एक चांद की बात करते हैं, सौर मंडल में बहुत हैं, जो हमें दिखता है, वह 5वां और सबसे बड़ा है। आज यही चांद धरती के सबसे नजदीक होगा और सबसे चमकीला और बड़ा दिखाई देगा।इसे आप सायं 6 बजे से देख सकेंगे।

100 फीसदी चमकीले चांद का होगा दीदार

आप आसमान में चांद के सबसे चमकीले रूप का दीदार कर सकेंगे। इस रात चांद का 100 प्रतिशत भाग प्रकाशमान होगा और उसे देखना  निश्चित ही रोमांचकारी घटना होने वाली है दुनियाभर के खगोलविद भी इस खगोलीय घटना को लेकर काफी उत्साहित हैं। आइए इसके बारे में  विस्तार से जानते हैं और यह भी जानते हैं कि भारत में 'फुल स्नो मून' का दीदार किस समय पर किया जा सकेगा। फुल स्नो मून, इस साल के दूसरे  पूर्णिमा को होगा, जिसकी वजह से बुधवार शाम के बाद से पूरी दुनिया का आसमान चमकदार नजर आने वाला है। स्नो मून का दीदार तब होता है, जब चांद धरती के बहुत नजदीक आ जाता है।इसका नाम कुछ अमेरिकी जनजातीय मान्यताओं पर आधारित है। वैसे भी पूर्ण चांद वाली रातें स्पेशल होती हैं। इसी कड़ी में बुधवार की रात आसमान में चमकदार चांद के अद्भुत नजारे का दीदार होगा इस साल बुधवार यानी 16 फरवरी की पूर्णिमा के साथ ये खास है कि चंद्रमा की पूरी गोलाई प्रकाशित होगी और जिसकी वजह से इसका 100 फीसदी प्रकाश नजर आएगा।

- मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्,

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Coconut benefit थायराइड की रोकथाम में बेहद फायदा देता है नारियल

Nariyall
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userचेतना मंच
calendar16 Feb 2022 06:57 PM
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Coconut benefit : क्या आप (Coconut) या आपके परिवार में कोई व्यक्ति थायराइड (thyroid) से ग्रस्त हैं। यदि हां तो यह जानकारी आपके लिए (Coconut) फायदेमंद हो सकती है। आपने नारियल (Coconut) का सेवन तो किया ही होगा। लेकिन क्या आपको यह पता है कि नारियल (Coconut) थायराइड की रोकथाम में बेहद ही कारगर साबित होता है। यदि नहीं जानते हैं तो हम आपको बताते हैं कि नारियल का किस तरह से सेवन करके आप थायराइड से राहत पा सकते हैं।

Coconut benefit

Coconut नारियल का दूध नारियल के दूध का सेवन भी स्वास्थ्यप्रद है। आप इसे घर पर आसानी से तैयार कर सकते हैं। सुबह के समय या रात में, जब चाहें इसका सेवन किया जा सकता है।

Coconut नारियल तेल नारियल के तेल को अगर तरल सोना कहें तो गलत नहीं होगा। दरअसल यह शरीर में मेटाबॉलिक रेट को बढ़ाता है। जिससे शरीर में गर्मी बढ़ती है। साथ ही फैट लॉस भी होता है। नारियल का तेल कुकिंग के लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि यह आसानी से डाइजेस्ट हो जाता है।

Coconut नारियल पानी सप्ताह में दो से तीन बार नारियल पानी भी पी सकते हैं। बशर्ते आप को किसी प्रकार का खांसी जुखाम न हो।

Coconut नारियल की चटनी नारियल की चटनी स्वास्थ्यमंद और स्वादिष्ट होती है। साथ ही यह आसानी से पच भी जाती है। इसलिए आप रोजाना इसे अपने भोजन में शामिल कर सकते हैं।

Coconut नारियल की गुड़ के लड्डू नारियल और गुड़ से बने हुए लड्डू बहुत फायदेमंद है और यह आसानी से बनाए जा सकते हैं। किसी भी तरह की मीठा खाने की क्रेविंग को इन लड्डुओं से कम किया जा सकता है।