नमो भारत की इन हाई क्लास सुविधाओं का आम जनता उठाएगी लाभ, जानें रूट और किराया।

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calendar30 Nov 2025 08:46 AM
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मेट्रो की तरह नज़र आने वाली लेकिन कई हाई क्लास फीचर और सुविधाओं से लैस नमो भारत (रैपिड रेल) आज से आम जनता के लिए उपलब्ध हो चुकी है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा कल शुक्रवार के दिन इसका उद्घाटन किया गया और आज इस रैपिड रेल का पहला दिन है। आइये जानते हैं नमो भारत की सभी नयी तकनीकी विशेषताओं के बारे में।

दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर की पहली रैपिड रेल है नमो भारत

82 किलोमीटर लम्बे इस कॉरिडोर में यह ट्रेन सुविधा अभी मात्र 17 किलोमीटर की दूरी के लिए शुरू की गयी है जो पांच स्टेशनों को कवर करती है। रैपिड रेल संचालन का यह पहला चरण है जिसमें साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई और दुहाई डिपो स्टेशन नामक पांच स्टेशन बनाये गए हैं। दिल्ली से मेरठ तक का यह सफर गाजियाबाद, मुरादनगर और मोदिनगर से होते हुए तय होगा।

क्या होगी दिल्ली से मेरठ तक के सफऱ की समय सीमा?

इन पांच स्टेशन से होकर जाने वाली नमो भारत (रैपिड रेल) सुविधा सुबह 6 बजे से शुरू हो जायेगी और यह रात में 11 बजे तक चालू रहेगी। ये ट्रेन यात्रियों के लिए हर 15 मिनट में उपलब्ध रहेंगी लेकिन आगे चलकर इनके शेड्यूल में परिवर्तन किया जा सकता है।

कौन सी हाई क्लास सुविधाओं का उठा सकते हैं फायदा?

यात्रियों के लिए आरामदायक सीट जैसी मूलभूत सुविधा से लेकर 2x2 ट्रांसवर्स सीट, खड़े होकर यात्रा करने के लिए उचित जगह , लगेज रखने की रैक, सीसीटीवी कैमरे, लैपटॉप / मोबाइल चार्जिंग पॉइंट्स और डायनेमिक रूट मैप आदि एडवांस सुविधा नमो भारत में मौजूद हैं। जो कि आपके एक घण्टे के सफर को बेहद ख़ास और आरामदायक बनाएंगी।

न्यूनतम किराए ने बनाया नमो भारत को और आकर्षक

स्टैण्डर्ड क्लास में 20 रुपये के किराये से लेकर प्रीमियम क्लास का मात्र 40 रूपए का टिकट लोगों की यात्रा को और भी सुविधाजनक बनाता है। साहिबाबाद से दुहाई डिपो तक यदि आप स्टैण्डर्ड क्लास में आप सफर करते हैं तो किराया 50 रुपये होगा और यदि यही यात्रा प्रीमियम क्लास में करते हैं तो आपको 100 रूपए खर्च करने होंगे। इसके साथ -साथ आप यदि 90 सेमी से कम हाईट के बच्चों के साथ यात्रा करते हैं तो उनका कोई टिकट लेने की आवश्यकता नहीं होगी। यात्री 25 किलो तक का सामान भी अपने साथ ले जा सकते हैं।

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भारतीय जनसंघ के स्थापना दिवस पर जानें जनसेवा की राजनीति का सफऱ

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calendar01 Dec 2025 09:57 AM
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भारत के राजनितिक इतिहास में एक उच्च स्थान प्राप्त करने वाले श्यामा प्रसाद मुखर्जी, प्रोफेसर बलराज मधोक और दीनदयाल उपाध्याय ने 21 अक्टूबर वर्ष 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की। वर्तमान समय में हिंदुवादी सोच की राजनीति का संचालन भले ही भारतीय जनता पार्टी कर रही हो किन्तु हिंदुवादी राजनीति की जड़े इससे कहीं ज्यादा पुरानी हैं। आज भारतीय जनसंघ स्थापना दिवस के अवसर पर आइये जानते हैं इस मूल पार्टी के इतिहास के विषय में.....  

भारतीय जनसंघ को प्राप्त है बीजेपी की पितृ पार्टी और मूल पार्टी का नाम

1951 में बने इस नये राजनीतिक दल का उदय स्वयं सेवक संघ के द्वारा किया गया था। इसके बाद इस संगठन ने कई राज्यों में चुनाव लड़ा और जीता भी लेकिन यह सफलता ज्यादा लम्बे समय तक नहीं चल सकी। इंदिरा गाँधी के द्वारा लागू किये गए आपातकाल के बाद इसका विलय जनता दल में कर दिया गया था। भारतीय जनता पार्टी की मूल पार्टी का चुनाव चिन्ह दीपक था।  

जनसंघ के ही एक गुट ने की बीजेपी की स्थापना

राजनीतिक एवं विश्वास के अन्य कई मुद्दों पर टूटी भारतीय जनसंघ पार्टी के ही एक गुट जिसमें लालकृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी बाजपेयी शामिल थे, ने भारतीय जनता पार्टी की स्थापना 6 अप्रैल 1980 में की और मूल पार्टी के सिद्धांतो को लम्बे समय तक जीवित रखने में एक अहम योगदान दिया।

क्या थीं भारतीय इस की स्थापना की वजहें?

नेहरू-लियाकत समझौता एवं महात्मा गांधी की हत्या के पश्चात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर रोक लगना, ये दो ऐसे प्रमुख कारण थे जिनके वजह से भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई।

भारतीय जनसंघ

राजनीतिक संगठनों और बड़े नेताओं के अलावा आम जनता में भी यह आवाज़ उठी की राजनीति में कांग्रेस का एक विकल्प होना भी जरुरी है। इसके बाद ही सरसंघचालक गुरु गोलवलकर एवं श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने मुलाक़ात की और भारतीय जनसंघ की रणनीति बनाई।

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इसरो आज करने जा रहा गगनयान का पहला ट्रायल, जानें क्या है खास

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Mission Gaganyaan
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calendar01 Dec 2025 12:55 AM
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Mission Gaganyaan : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) द्वारा चंद्रयान और आदित्य 1 की सफलता के बाद अब स्पेस की दुनिया में एक कदम और आगे बढ़ाने जा रहा है। रविवार को इसरो गगनयान का ट्रॉयल करने जा रहा है। इस ट्रॉयल के सफल हो जाने के बाद इंसान को चांद पर भेजने और सफलतापूर्वक वापस धरती पर लाया जा सकेगा।

Mission Gaganyaan 2023

आपको बता दें कि गगनयान मिशन 2040 के लिए तैयार किया जा रहा है। इसरो अपने स्पेशल मिशन का आज पहला परीक्षण कर रहा है। गगनयान को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा, जिसकी लैंडिंग बंगाल की खाड़ी में होगी। इस मिशन को पूरी तरह तैयार होने में अभी लंबा समय लगेगा। इस बीच गगनयान को तीन और भी टेस्ट से गुजरना होगा, जो 2024 और 2025 में पूरा किया जाना है। इसके बाद भारत इंसान को सफलतापूर्वक चांद पर भेजकर वापस ला पाएगा।

आज के टेस्ट उड़ान में टेस्ट व्हीकल क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम को आसमान में लेकर जाएगा। 17 किलोमीटर की ऊंचाई पर 594 किलोमीटर की रफ्तार के साथ क्रू मॉड्यूम और क्रू एस्केप सिस्टम अलग हो जाएगा। इसके बाद क्रू मॉड्यूल के दो पैराशूट खुल जाएंगे। पानी से ढाई किलोमीटर की ऊंचाई पर मॉड्यूल का मुख्य पैराशूट खुलेगा। मिशन का टीवी-डी 1 बूस्टर श्रीहरिकोटा से छह किलोमीटर की दूरी पर बंगाल की खाड़ी में ही गिरेगा।

क्रू मॉड्यूल श्रीहरिकोटा से 10 किमी दूर बंगाल की खाड़ी में लैंड करेगा बंगाल की खाड़ी से क्रू मॉड्यूल और एस्केप सिस्टम की रिकवरी होगी।

परीक्षण का मकसद ये है कि अगर मिशन गगनयान के दौरान कोई गड़बड़ी हो तो किस तरह भारत के अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित वापसी करवाई जाए। इसके बाद दो और परीक्षण किए जाएंगे, तब गगनयान एस्ट्रोनॉट्स के साथ अपनी उड़ान के लिए तैयार हो पाएगा।

गगनयान से जुड़ी खास बातें

2025 में भारत तीन अंतरिक्षण यात्रियों को अंतरिक्ष यात्रा पर भेजेगा। मिशन की लॉन्चिंग से पहले चार टेस्टिंग होगी। यह अंतरिक्ष में भारत की पहली मानव उड़ान होगी। 2035 तक अंतरिक्ष में भारत का स्पेस स्टेशन स्थापित करने का प्लान है। भारत का 2040 तक चांद पर इंसान भेजने का लक्ष्य है।

गगनयान के चार चरण

2023: गगनयान आज अपनी पहली टेस्ट उड़ान लेगा। इस दरमियान यान के भीतर को भी इंसान नहीं होगा। यह मानवरहित टेस्ट उड़ान है।

2024: आज के सफल परक्षीण के बाद अगले साल इसरो रोबोट्स को अंतरिक्ष में भेजेगा और उन्हें सफलतापूर्वक वापस धरती पर लाने की कोशिश करेगा।

2025: दो टेस्ट के बात तीसरे टेस्ट के रूप में 2025 तक भारत तीन अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष यात्रा पर भेजेगा और उन्हें सफलतापूर्व धरती पर वापस लाएगा।

2040: इन तीन टेस्ट के बाद 2040 तक भारत चांद पर इंसान भेजेगा।