Rajasthan News : आश्रम का रास्ता बंद करने पर साधु ने दी जान

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calendar06 Aug 2022 10:33 PM
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Rajasthan : राजस्थान में 20 दिन के अंदर एक और संत ने सुसाइड कर लिया। भाजपा विधायक पर आश्रम का रास्ता बंद करने का आरोप लगाकर संत ने अपने आश्रम में ही लगे पेड़ पर फंदा लगाकर जान दे दी। मामले की सूचना मिलने पर प्रशासन में हड़कंप मच गया। मौके पर पहुंचे अफसरों ने शव को पेड़ से उतारना चाहा, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के कारण वह ऐसा नहीं कर सकते। आश्रम के साधु और ग्रामीण मांग कर रहे थे कि संत का सुसाइड नोट सार्वजनिक किया जाए। करीब 28 घंटे बाद प्रशासन ने जब उनकी शर्त मांगी तब वे शव को उतार पाए।

इधर, बाबा को समाधि देते वक्त जगह को लेकर विवाद हो गया। साधु के समर्थक विधायक की जमीन पर समाधि देना चाहते थे, इस पर पुलिस ने रोका। इससे नाराज लोगों ने पुलिस पर पथराव कर दिया। पथराव 20 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है। वहीं एक कांस्टेबल को भी चोट लगी है, जिसे हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया है। फिलहाल समाधि नहीं दी जा सकी है।

मामला, जालोर जिले के राजपुरा गांव का है। यहां हनुमान आश्रम के साधु रविनाथ महाराज (60) ने गुरुवार देर रात आश्रम में सुसाइड कर लिया था। शव शनिवार सुबह करीब 10.30 बजे उतारा गया। इससे पहले शुक्रवार रात को करीब आठ बजे भीनमाल से भाजपा विधायक पूराराम चौधरी सहित तीन लोगों के खिलाफ जातिसूचक शब्द कहने व धमकाने का मामला दर्ज किया गया।

आश्रम और सुंधा माता सड़क के बीच भीनमाल विधायक पूराराम चौधरी की 20 बीघा जमीन है। इस जगह विधायक चौधरी का रिजॉर्ट प्रस्तावित है। जमीन करोड़ों की बताई जा रही है। यदि जमीन की चारदीवारी बनाई जाती है तो सड़क से आश्रम जाने का रास्ता बंद हो जाता है।

पिछले दो दिनों से इस जमीन की पैमाइश करवाई जा रही थी। बताया जा रहा है रास्ता बंद होने व विधायक की दादागिरी से परेशान संत रविनाथ ने सुसाइड कर लिया। आगे बढ़ने से पहले नीचे दिए गए पोल में हिस्सा लेकर आप अपनी राय दे सकते हैं।

जसवंतपुरा एसडीएम राजेंद्र सिंह ने बताया कि हमने आश्रम तक रास्ता देने की बात मान ली है। प्रशासन और साधु-संतों के बीच बनी सहमति के बाद श्री बाला हनुमान जी आश्रम तक जाने के लिए प्रशासन आधिकारिक तौर पर रास्ता देगा।आश्रम व सड़क के बीच विधायक की ओर से खुदवाई गई खाई को रेती से भरा जाएगा।

जसवंतपुरा थानाधिकारी मनीष सोनी ने बताया कि संत के भतीजे बाबूराम ने विधायक पूराराम चौधरी, ड्राइवर धनसिंह व बीजनाथ उर्फ छोगाराम के खिलाफ साधु को धमकाने, जातिसूचक शब्दों से प्रताड़ित करने और मारपीट करने का मामला दर्ज कराया है।मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।

दिवंगत संत रविनाथ महाराज का वास्तविक नाम वगताराम मेघवाल निवासी पंसेरी (जालोर) है। उनकी पत्नी का नाम काली बाई है। बच्चे नहीं होने पर 20 साल पहले दोनों ने संन्यास ले लिया। पिछले साल कोरोना संक्रमण के कारण पत्नी काली बाई का देहांत हो गया था।

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Maharashtra News : अपहृत लड़की 10 साल बाद मिली परिवार से

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calendar02 Dec 2025 03:06 AM
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Mumbai : साल 2013, जनवरी का महीना। 22 तारीख को स्कूल जाते समय 7 साल की बच्ची को किसी ने अगवा कर लिया। घरवालों ने बहुत खोजा, पुलिस में रिपोर्ट भी दर्ज कराई। पुलिस ने सालों-साल बच्ची की खोज की, लेकिन उसका पता नहीं चला। इस दौरान सरकारी रिकॉर्ड में उसकी पहचान मिसिंग गर्ल नंबर 166 बनकर रह गई।

साल 2022 में वह बच्ची 16 साल की हो गई। उसे अपने परिवार से अलग हुए 9 साल हो गए थे। मुंबई के अंधेरी पश्चिम इलाके में वह अपने घर से 500 मीटर दूर ही रह रही थी, लेकिन उसे इस बात की खबर नहीं थी। आखिरकार, 4 अगस्त 2022 को रात 8:20 बजे वह अपने परिवार से मिली।

ये कहानी 9 साल तक अपनी पहचान से जूझती रही एक बच्ची की है। एक आदमी ने संतान की चाह में उसे स्कूल के रास्ते से अगवा कर लिया। जब उस आदमी का अपना बच्चा हुआ, तो लड़की से नौकरानी जैसा काम कराने लगा। आरोपी की पत्नी लड़की से मारपीट भी करती। इसी दौरान आरोपी ने नशे में कह दिया कि वह उनकी संतान नहीं है, बल्कि उसे उठाकर लाए थे।

मुंबई की सात साल की पूजा गौड़ 22 जनवरी 2013 को अपने भाई के साथ स्कूल जा रही थी। इसी दौरान भाई-बहन में पॉकेट मनी को लेकर झगड़ा हुआ और वह पीछे रह गई। आरोपी जोसेफ डिसूजा ने स्कूल के पास लड़की को भटकते हुए देखा। वह और उसकी बीवी सोनी लंबे समय से संतान के लिए तरस रहे थे। उसने बच्ची को अगवा कर लिया।

पुलिस की छानबीन शुरू होने के बाद मीडिया ने भी मामले को रिपोर्ट करना शुरू किया और स्थानीय लोगों ने पूजा को ढूंढ़ने का कैंपेन चलाया। आरोपी डिसूजा को डर था कि अगर बच्ची को ढूंढ़ लिया गया, तो उसके और उसकी पत्नी के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी। उसने पूजा को कर्नाटक के रायचूर में एक हॉस्टल में रहने भेज दिया।

2016 में डिसूजा और सोनी के घर बच्चा पैदा हुआ। दो बच्चों का खर्च उठाने में दिक्कत आने के बाद डिसूजा ने पूजा को कर्नाटक से वापस बुला लिया। उन्होंने उसे बेबी सिटिंग के काम पर लगा दिया। उन्होंने अपना घर भी बदल लिया। वे लोग अंधेरी (पश्चिम) के उसी गिल्बर्ट हिल इलाके में आकर रहने लगे, जहां पूजा का असली घर था।

​​​​​डीएन नगर के सीनियर इंस्पेक्टर मिलिंद कुर्दे ने बताया कि डिसूजा को लगा था कि लड़की के बड़े हो जाने के चलते उसे कोई पहचान नहीं पाएगा। उसके ‘गुमशुदा की तलाश’ वाले पोस्टर्स भी हट चुके थे। उन्होंने लड़की से भी कह दिया था कि इलाके में किसी से बात न करे।

पूजा के अंकल ने बताया कि डिसूजा की पत्नी सोनी उसे मारती-पीटती थी। डिसूजा शराब के नशे में उसे कहता था कि 2013 में उसे कहीं से उठा लाया था। इस बात से पूजा को समझ आया कि वे दोनों उसके माता-पिता नहीं हैं, लेकिन वह उन दोनों से इतना डरती थी कि उसे समझ नहीं आता था वहां से कैसे भागे।

जिस घर में पूजा 7 महीने से बेबी सिटर के तौर पर काम कर रही थी, वहां की हाउस हेल्प ने पूजा की मदद की। पूजा की कहानी सुनने के बाद हाउस हेल्प ने गूगल पर लड़की का नाम, मिसिंग और डिसूजा नाम डालकर सर्च किया, जिससे उस समय लड़की को ढूंढ़ने के कैंपेन से जुड़े आर्टिकल मिले।

पूजा के अंकल ने बताया कि उन आर्टिकल्स में अपनी तस्वीर देखने के बाद पूजा को सब कुछ याद आ गया। उसे अपना घर भी याद आ गया, जो पास ही था। पूजा को एक मिसिंग पोस्टर पर पांच फोन नंबर मिले। उसमें से चार काम नहीं कर रहे थे, लेकिन पांचवां नंबर पड़ोस में रहने वाले रफीक का था। वह नंबर काम कर रहा था।

रफीक ने फोन उठाया, तो पहले तो उसे शक हुआ। फिर उसने सबूत के तौर पर पूजा का फोटो मांगा। गुरुवार सुबह पूजा ने हाउस हेल्प की मदद से वीडियो कॉल किया, जिसका रफीक ने स्क्रीनशॉट लेकर पूजा की मां और अंकल को दिखाया। तस्वीर में पूजा को देखकर दोनों के आंसू निकल पड़े।

पूजा के परिवार ने उसके काम करने की जगह की डिटेल्स निकालीं और डीएन नगर पुलिस स्टेशन को सूचना दी। जब पुलिस वहां पहुंची तो पूजा जिस बच्चे की बेबी सिटिंग करती थी, उसे घुमाने का बहाना करके नीचे आई। रात 8.20 बजे पूजा और उसकी मां 9 साल बाद मिले।

पुलिस ने डिसूजा दंपति के खिलाफ अपहरण, मानव तस्करी, गैर-कानूनी मजदूरी कराने समेत कई सेक्शंस में मामला दर्ज किया है। हैरी डिसूजा को पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया है, जबकि उसकी पत्नी सोनी को अभी गिरफ्तार नहीं किया गया है, क्योंकि उनकी छह साल की बच्ची की देखभाल के लिए कोई और मौजूद नहीं है।

पुलिस फिलहाल 16 साल की पूजा का मेडिकल टेस्ट करा रही है। उसे बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया जाएगा, इसके बाद उसे उसके परिवार को सौंपा जाएगा। पुलिस ने एक टीम कर्नाटक भी भेजी है, ताकि वहां पूजा को कहां रखा गया था इसकी सटीक जानकारी मिल सके।

जब बच्ची स्कूल के बाद घर नहीं पहुंची, तो परिवार ने डीएन नगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। पूजा के लापता होने का मामला सबसे पहले असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर राजेंद्र धोंडू भोसले के पास आया। वे 2008 से 2015 के बीच गायब हुई 166 लड़कियों को ढूंढ़ने में लगे थे। 2015 में रिटायर होने तक उन्होंने 165 लड़कियों को ढूंढ़ निकाला था।

पूजा मिसिंग गर्ल नंबर 166 थी, जिसे उन्होंने रिटायर होने के 7 साल बाद तक ढूंढ़ना जारी रखा। पूजा के मिलने के बाद उन्होंने कहा कि आप पुलिसवाले के तौर पर रिटायर हो सकते हैं, लेकिन इंसानियत रिटायरमेंट के साथ खत्म नहीं हो जाती है। वह आपके मरते दम तक रहती है। एक बच्ची को खोने का दर्द अगर आप नहीं समझ सकते तो आप इंसान नहीं हैं।

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Badaun : बच्चे के अपहरण से फूटा गुस्सा भीड़ ने पुलिस को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा

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calendar30 Nov 2025 05:50 AM
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Badaun : बदायूं में 17 साल के एक लड़के की किडनैपिंग के बाद हत्या कर दी गई। गायब होने के 13 दिन बाद लड़के की लाश मिली। हत्या से गुस्साई भीड़ गांव में पुलिस के पहुंचते ही हमलावर हो गई। पुलिस को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। इसमें एक इंस्पेक्टर और एक सिपाही को चोटें आईं हैं। फिलहाल गांव में पुलिस फोर्स तैनात है।

ये घटना वजीरगंज इलाके के गांव पेपल की है। यहां रहने वाले जयपाल का बेटा सुखवीर 24 जुलाई को लापता हो गया था। 3 दिन तक तलाशने के बाद परिवार को उसके बारे में कुछ पता नहीं चला। 27 जुलाई को वजीरगंज थाना पुलिस ने उसकी गुमशुदगी दर्ज कर ली। 28 जुलाई को सुखवीर के भाई सुनील कुमार ने अपहरण की आशंका जताते हुए पास के गांव बरखेड़ा के कोमिल समेत उसकी पत्नी सुखदेई, रामपाल व कल्लू पर आरोप लगाए। इसके बाद FIR में अपहरण की धारा बढ़ाई गई।

31 जुलाई को पुलिस ने दावा किया कि सुखवीर की लोकेशन दिल्ली में मिली है। परिजन पुलिस को लेकर दिल्ली गए। मगर बताए गए इलाके में सुखवीर का कोई सुराग नहीं लगा। टीम थक-हारकर लौट आई। आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई, लेकिन पुलिस उनसे राज नहीं उगलवा सकी।

शनिवार सुबह तकरीबन 10 बजे सुखवीर की लाश खेतिहर इलाके में मिली। बताया जा रहा है कि धारदार हथियार से उसकी हत्या की गई है। पुलिस मौके पर पहुंची और शव कब्जे में लेना चाहा। इधर, परिजन पुलिस को देख आपा खो बैठे। गांव वालों का कहना था कि पुलिस अगर मामले को गंभीरता से लेती तो किशोर की जान बच जाती।

आक्रोशित भीड़ ने पुलिस टीम को घेरकर पिटाई शुरू कर दी। थानाध्यक्ष महेश सिंह समेत सिपाहियों को दौड़ाकर पीटा गया। पुलिस गांव से बाहर की तरफ भागी। मगर पुलिस वाले खुद को बचा नहीं सके। फिलहाल पुलिस की गांव के बाहर तैनाती की गई है। पोस्टमार्टम कराने का प्रयास किया जा रहा है।