Political News : अगर संप्रग प्रमुख की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया नहीं देता तो अपनी शपथ के साथ न्याय नहीं करता : धनखड़

Jagdeep
If UPA does not respond to the chief's remarks, then he is not doing justice to his oath: Dhankhar
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 07:05 PM
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नई दिल्ली। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष की न्यायपालिका के संदर्भ में टिप्पणियों पर आसन द्वारा दी गई प्रतिक्रिया को सदन की कार्यवाही से हटाने की विपक्षी कांग्रेस के सदस्यों की मांग के बीच शुक्रवार को कहा कि अगर उन्होंने प्रतिक्रिया नहीं दी होती तो वह अपनी शपथ के साथ अन्याय करते और अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वाह करने में विफल रहते।

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उच्च सदन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने यह मुद्दा उठाया और तथा विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने उनकी बात का समर्थन किया। तिवारी ने कहा कि अगर लोकसभा सदस्य (सोनिया गांधी) बाहर कुछ कहती हैं तो उस पर राज्यसभा में चर्चा नहीं की जानी चाहिए। अगर आसन की ओर से उस पर प्रतिक्रिया आती है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसा कभी नहीं हुआ। खरगे ने कहा कि जो कुछ कहा गया है उसे कृपया कार्यवाही से निकाल दिया जाए। अगर इसे कार्यवाही से नहीं निकाला जाएगा तो यह अच्छी मिसाल पेश नहीं करेगा। खरगे ने कहा कि संप्रग अध्यक्ष दूसरे सदन की सदस्य हैं और उच्च सदन की यह परंपरा रही है कि यहां अन्य सदन के सदस्य के वक्तव्य पर चर्चा नहीं की जाती है। केंद्रीय मंत्री और सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि खरगे को यह देखना चाहिए कि सदन पर, उच्च संवैधानिक प्राधिकारी पर आक्षेप लगाए गए, जिन्हें संसद के दोनों सदनों द्वारा चुना गया है और जो भारत के उपराष्ट्रपति हैं। इस मुद्दे पर कुछ अन्य सदस्यों ने भी टिप्पणियां कीं।

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धनखड़ ने कहा कि टिप्पणियां उसके संबंध में थीं, जो मैंने आठ दिसंबर को इस आसन से की थीं। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को यह कहना अतिवाद की सीमा होगा कि न्यायपालिका को कमतर करने के मामले में सरकार ने राज्यसभा के सभापति और उप राष्ट्रपति को शामिल किया। उन्होंने कहा कि यदि उन्होंने प्रतिक्रिया नहीं की होती, तो उसके काफी 'अपमानजनक परिणाम' होते और इस तरह की धारणा बनाई जा रही थी कि न्यायपालिका को कमतर करने के लिए सरकार की शह पर आसन एक प्रतिकूल एवं दुरभिसंधि का पक्ष बन गया है।

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सभापति ने कहा कि न्यायपालिका को कमतर करने का अर्थ लोकतंत्र का गला घोंटना है। उन्होंने कहा कि इस पक्षपातपूर्ण विवाद का खात्मा होना चाहिए। धनखड़ ने कहा कि मैं सदस्यों को आश्वस्त कर सकता हूं कि इस विषय के जानकार लोगों के साथ मैंने व्यापक तैयारी की (टिप्पणी से पहले), पूर्व के महासचिवों के साथ बातचीत की और फिर इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि अगर मैं प्रतिक्रिया नहीं देता हूं तो मैं अपनी शपथ के साथ अन्याय करूंगा और अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वाह करने में विफल रहूंगा। सभापति ने 22 दिसंबर को कहा था कि संप्रग अध्यक्ष का बयान उनके विचारों से पूरी तरह से भिन्न है और न्यायपालिका को कमतर करना उनकी सोच से परे है। उन्होंने कहा कि संप्रग अध्यक्ष का बयान पूरी तरह अनुचित है और लोकतंत्र में उनके विश्वास की कमी का संकेत देता है।

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इससे पहले संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को पार्टी संसदीय दल की बैठक में आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार सुनियोजित ढंग से न्यायपालिका के प्राधिकार को कमजोर करने का प्रयास कर रही है, जो बहुत ही परेशान करने वाला घटनाक्रम है। संप्रग अध्यक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया थी कि वह जनता की नजर में न्यायपालिका की स्थिति को कमतर बनाने का प्रयास कर रही है।
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Crime News : ओडिशा : दुष्कर्म के मामले में पूर्व प्राचार्य को 10 साल का सश्रम कारावास

Court 2 final
Odisha: 10 years rigorous imprisonment to former principal in rape case
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 05:12 AM
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भवानीपटना/फूलबनी (ओडिशा)। ओडिशा के कालाहांडी जिले की अदालत ने एक सरकारी आवासीय विद्यालय के पूर्व प्राचार्य को एक नाबालिग छात्रा से दुष्कर्म का दोषी ठहराया है और 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। पॉक्सो अदालत, भवानीपटना के विशेष न्यायाधीश शुभंजन मोहंती ने अपराध के लिए दोषी नकुल सबर पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। अभियोजन पक्ष ने कहा कि सबर ने नवंबर 2012 में दसवीं कक्षा की छात्रा से दुष्कर्म किया था।

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पीड़िता ने कोकसारा थाने में शिकायत दर्ज कराई और पुलिस की जांच के बाद आरोपी प्राचार्य को गिरफ्तार किया गया तथा मुकदमा चलाया गया। अदालत ने कहा कि पॉक्सो कानून के प्रावधानों के तहत राज्य सरकार पीड़ित छात्रा को छह लाख रुपये का मुआवजा प्रदान करेगी।

Business News : बीमा पॉलिसी बेचने के लिए अनैतिक तरीके न अपनाएं बैंक : वित्त मंत्रालय

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इसी तरह के एक मामले में पॉक्सो अदालत के विशेष न्यायाधीश संजीव कुमार बहेरा ने 2020 में एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के मामले में गणेश बहेरा दलाई (33) को 25 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने उस पर 22 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
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Business News : बीमा पॉलिसी बेचने के लिए अनैतिक तरीके न अपनाएं बैंक : वित्त मंत्रालय

Finance ministry
Banks should not adopt unethical methods to sell insurance policies: Finance Ministry
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 08:11 PM
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नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों को ग्राहकों को बीमा उत्पादों की बिक्री के लिए ‘अनैतिक व्यवहार’ पर रोक लगाने के लिए एक मजबूत तंत्र स्थापित करने का निर्देश दिया है। लगातार इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं कि ग्राहकों को बीमा उत्पादों की बिक्री के लिए सही जानकारी नहीं दी जाती है। इसके मद्देनजर वित्त मंत्रालय ने यह कदम उठाया है।

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सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के चेयरमैन और प्रबंध निदेशकों को लिखे पत्र में कहा गया है कि वित्तीय सेवा विभाग को शिकायतें मिली हैं कि बैंक और जीवन बीमा कंपनियों द्वारा बैंक ग्राहकों को पॉलिसी की बिक्री के लिए धोखाधड़ी वाले और अनैतिक तरीके अपनाए जा रहे हैं। ऐसे उदाहरण भी सामने आए हैं, जहां दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों में 75 वर्ष से अधिक आयु के ग्राहकों को जीवन बीमा पॉलिसी बेची गई है। आमतौर पर, बैंकों की शाखाएं अपनी अनुषंगी बीमा कंपनियों के उत्पादों का प्रचार-प्रसार करती हैं। जब ग्राहकों द्वारा पॉलिसी लेने से इनकार किया जाता है, तो शाखा अधिकारी बड़ी शिद्दत से समझाते कि उनपर ऊपर से दबाव हैं। जब ग्राहक किसी प्रकार का ऋण लेने या सावधि जमा खरीदने जाते हैं, तो उन्हें बीमा उत्पाद लेने को कहा जाता है। इस संबंध में विभाग ने पहले ही एक परिपत्र जारी किया है, जिसमें यह सलाह दी गई है कि किसी बैंक को किसी विशेष कंपनी से बीमा लेने के लिए ग्राहकों को मजबूर नहीं करना चाहिए।

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यह भी बताया गया है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने आपत्ति जताई है कि बीमा उत्पादों की बिक्री के लिए प्रोत्साहन से न केवल फील्ड कर्मचारियों पर दबाव पड़ता है बल्कि बैंकों का मूल कारोबार भी प्रभावित होता है। ऐसे में कर्मचारियों को कमीशन और प्रोत्साहन के लालच की वजह से कर्ज की गुणवत्ता से ‘समझौता’ हो सकता है।