Political News : अगर संप्रग प्रमुख की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया नहीं देता तो अपनी शपथ के साथ न्याय नहीं करता : धनखड़

Greater Noida News : 82 वर्षीय वृद्धा ने लगाई मौत की छलांग, 12वीं मंजिल से कूदकर की आत्महत्या
Political News
उच्च सदन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने यह मुद्दा उठाया और तथा विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने उनकी बात का समर्थन किया। तिवारी ने कहा कि अगर लोकसभा सदस्य (सोनिया गांधी) बाहर कुछ कहती हैं तो उस पर राज्यसभा में चर्चा नहीं की जानी चाहिए। अगर आसन की ओर से उस पर प्रतिक्रिया आती है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसा कभी नहीं हुआ। खरगे ने कहा कि जो कुछ कहा गया है उसे कृपया कार्यवाही से निकाल दिया जाए। अगर इसे कार्यवाही से नहीं निकाला जाएगा तो यह अच्छी मिसाल पेश नहीं करेगा। खरगे ने कहा कि संप्रग अध्यक्ष दूसरे सदन की सदस्य हैं और उच्च सदन की यह परंपरा रही है कि यहां अन्य सदन के सदस्य के वक्तव्य पर चर्चा नहीं की जाती है। केंद्रीय मंत्री और सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि खरगे को यह देखना चाहिए कि सदन पर, उच्च संवैधानिक प्राधिकारी पर आक्षेप लगाए गए, जिन्हें संसद के दोनों सदनों द्वारा चुना गया है और जो भारत के उपराष्ट्रपति हैं। इस मुद्दे पर कुछ अन्य सदस्यों ने भी टिप्पणियां कीं।Crime News : ओडिशा : दुष्कर्म के मामले में पूर्व प्राचार्य को 10 साल का सश्रम कारावास
धनखड़ ने कहा कि टिप्पणियां उसके संबंध में थीं, जो मैंने आठ दिसंबर को इस आसन से की थीं। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को यह कहना अतिवाद की सीमा होगा कि न्यायपालिका को कमतर करने के मामले में सरकार ने राज्यसभा के सभापति और उप राष्ट्रपति को शामिल किया। उन्होंने कहा कि यदि उन्होंने प्रतिक्रिया नहीं की होती, तो उसके काफी 'अपमानजनक परिणाम' होते और इस तरह की धारणा बनाई जा रही थी कि न्यायपालिका को कमतर करने के लिए सरकार की शह पर आसन एक प्रतिकूल एवं दुरभिसंधि का पक्ष बन गया है।Political News
सभापति ने कहा कि न्यायपालिका को कमतर करने का अर्थ लोकतंत्र का गला घोंटना है। उन्होंने कहा कि इस पक्षपातपूर्ण विवाद का खात्मा होना चाहिए। धनखड़ ने कहा कि मैं सदस्यों को आश्वस्त कर सकता हूं कि इस विषय के जानकार लोगों के साथ मैंने व्यापक तैयारी की (टिप्पणी से पहले), पूर्व के महासचिवों के साथ बातचीत की और फिर इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि अगर मैं प्रतिक्रिया नहीं देता हूं तो मैं अपनी शपथ के साथ अन्याय करूंगा और अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वाह करने में विफल रहूंगा। सभापति ने 22 दिसंबर को कहा था कि संप्रग अध्यक्ष का बयान उनके विचारों से पूरी तरह से भिन्न है और न्यायपालिका को कमतर करना उनकी सोच से परे है। उन्होंने कहा कि संप्रग अध्यक्ष का बयान पूरी तरह अनुचित है और लोकतंत्र में उनके विश्वास की कमी का संकेत देता है।Political News
इससे पहले संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को पार्टी संसदीय दल की बैठक में आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार सुनियोजित ढंग से न्यायपालिका के प्राधिकार को कमजोर करने का प्रयास कर रही है, जो बहुत ही परेशान करने वाला घटनाक्रम है। संप्रग अध्यक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया थी कि वह जनता की नजर में न्यायपालिका की स्थिति को कमतर बनाने का प्रयास कर रही है।अगली खबर पढ़ें
Greater Noida News : 82 वर्षीय वृद्धा ने लगाई मौत की छलांग, 12वीं मंजिल से कूदकर की आत्महत्या
Political News
उच्च सदन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने यह मुद्दा उठाया और तथा विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने उनकी बात का समर्थन किया। तिवारी ने कहा कि अगर लोकसभा सदस्य (सोनिया गांधी) बाहर कुछ कहती हैं तो उस पर राज्यसभा में चर्चा नहीं की जानी चाहिए। अगर आसन की ओर से उस पर प्रतिक्रिया आती है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसा कभी नहीं हुआ। खरगे ने कहा कि जो कुछ कहा गया है उसे कृपया कार्यवाही से निकाल दिया जाए। अगर इसे कार्यवाही से नहीं निकाला जाएगा तो यह अच्छी मिसाल पेश नहीं करेगा। खरगे ने कहा कि संप्रग अध्यक्ष दूसरे सदन की सदस्य हैं और उच्च सदन की यह परंपरा रही है कि यहां अन्य सदन के सदस्य के वक्तव्य पर चर्चा नहीं की जाती है। केंद्रीय मंत्री और सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि खरगे को यह देखना चाहिए कि सदन पर, उच्च संवैधानिक प्राधिकारी पर आक्षेप लगाए गए, जिन्हें संसद के दोनों सदनों द्वारा चुना गया है और जो भारत के उपराष्ट्रपति हैं। इस मुद्दे पर कुछ अन्य सदस्यों ने भी टिप्पणियां कीं।Crime News : ओडिशा : दुष्कर्म के मामले में पूर्व प्राचार्य को 10 साल का सश्रम कारावास
धनखड़ ने कहा कि टिप्पणियां उसके संबंध में थीं, जो मैंने आठ दिसंबर को इस आसन से की थीं। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को यह कहना अतिवाद की सीमा होगा कि न्यायपालिका को कमतर करने के मामले में सरकार ने राज्यसभा के सभापति और उप राष्ट्रपति को शामिल किया। उन्होंने कहा कि यदि उन्होंने प्रतिक्रिया नहीं की होती, तो उसके काफी 'अपमानजनक परिणाम' होते और इस तरह की धारणा बनाई जा रही थी कि न्यायपालिका को कमतर करने के लिए सरकार की शह पर आसन एक प्रतिकूल एवं दुरभिसंधि का पक्ष बन गया है।Political News
सभापति ने कहा कि न्यायपालिका को कमतर करने का अर्थ लोकतंत्र का गला घोंटना है। उन्होंने कहा कि इस पक्षपातपूर्ण विवाद का खात्मा होना चाहिए। धनखड़ ने कहा कि मैं सदस्यों को आश्वस्त कर सकता हूं कि इस विषय के जानकार लोगों के साथ मैंने व्यापक तैयारी की (टिप्पणी से पहले), पूर्व के महासचिवों के साथ बातचीत की और फिर इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि अगर मैं प्रतिक्रिया नहीं देता हूं तो मैं अपनी शपथ के साथ अन्याय करूंगा और अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वाह करने में विफल रहूंगा। सभापति ने 22 दिसंबर को कहा था कि संप्रग अध्यक्ष का बयान उनके विचारों से पूरी तरह से भिन्न है और न्यायपालिका को कमतर करना उनकी सोच से परे है। उन्होंने कहा कि संप्रग अध्यक्ष का बयान पूरी तरह अनुचित है और लोकतंत्र में उनके विश्वास की कमी का संकेत देता है।Political News
इससे पहले संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को पार्टी संसदीय दल की बैठक में आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार सुनियोजित ढंग से न्यायपालिका के प्राधिकार को कमजोर करने का प्रयास कर रही है, जो बहुत ही परेशान करने वाला घटनाक्रम है। संप्रग अध्यक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया थी कि वह जनता की नजर में न्यायपालिका की स्थिति को कमतर बनाने का प्रयास कर रही है।संबंधित खबरें
अगली खबर पढ़ें







