Big Breaking-27 महीने बाद जेल से रिहा हुए आजम खान, अखिलेश यादव ने ऐसे किया स्वागत

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आजम खान जेल से हुए रिहा
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calendar02 Dec 2025 02:56 AM
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उत्तर प्रदेश- समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान (Samajwadi party leader Azam Khan) को 27 महीने बाद जेल से रिहा कर दिया गया है। 27 महीने बाद इनके जेल से बाहर निकलने पर पूरी पार्टी में खुशी का माहौल है। 19 मई को सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने, इनकी जमानत की अर्जी को स्वीकार करते हुए अंतरिम जमानत दे दिया था। लेकिन शाम 5:30 बजे तक इनके रिहाई के आदेश की सर्टिफाइड कॉपी जेल तक नहीं पहुंच पाई थी जिसकी वजह से यह आज जेल से बाहर निकल पाए हैं।

आजम खान के जेल से बाहर निकलने पर अखिलेश यादव ने ऐसे किया स्वागत -

समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान के जेल से बाहर निकलने पर पूरी पार्टी में हर्षोल्लास का माहौल है पार्टी के सभी बड़े नेता अपने अपने तरीके से इनके जेल से बाहर निकलने पर स्वागत कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी के मुख्य नेता अखिलेश यादव ने आजम खान की रिहाई पर ट्वीट के जरिए स्वागत करते हुए लिखा कि - "सपा के वरिष्ठ नेता व विधायक माननीय श्री आजम खान जी के जमानत पर रिहा होने पर उनका हार्दिक स्वागत है। जमानत के इस फैसले से सर्वोच्च न्यायालय ने न्याय को नए मानक दिए हैं। पूरा ऐतबार है कि वह अन्य सभी झूठे मामलों- मुकदमों में बाइज्जत बरी होंगे।। झूठ के लम्हे होते हैं, सदियां नहीं" वहीं सपा पार्टी के अन्य नेता शिवपाल यादव ने भी आजम खान की रिहाई पर उनका स्वागत करते हुए कहा कि - "न्याय की जीत है आजम खान की जीत है हम लोग समाजवादी है हमेशा नेताजी से सीखा है कि सुख दुख में साथ रहना।"

सीतापुर जेल के बाहर आजम खान के बेटे उन्हें लेने पहुंचे -

आज सुबह जब आजम खान सीतापुर जेल से रिहा हुए है।रिहाई के वक्त  इनके बेटे अब्दुल्लाह आजम अपने पिता को लेने के लिए सीतापुर जेल के गेट पर गाड़ी लेकर पहुंचे हुए थे । इसके साथ ही शिवपाल यादव भी जेल के बाहर ही मौजूद थे। सुबह 7:30 बजे सीतापुर जेल खुलने के बाद कागजी कार्रवाई शुरू हो गई थी और अब आजम खान को जेल से रिहाई मिल चुकी है।
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Noida Farmers: सुप्रीम कोर्ट ने गौतमबुद्ध नगर के किसानों के पक्ष में दिया फैसला, मिलेगा अतिरिक्त मुआवजा

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calendar19 May 2022 11:10 PM
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Noida Farmers : उत्तर प्रदेश में गौतमबुद्ध नगर (Noida) के किसानों की बल्ले बल्ले होने वाली है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उनके पक्ष में एक फैसला सुनाया है। इस फैसले के आने के बाद ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण (Noida Authority) को 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा देना होगा। यदि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार नोएडा विकास प्राधिकरण इस रकम का किसानों का भुगतान करता है तो गौतमबुद्ध नगर के 225 किसानों की बल्ले बल्ले हो जाएगी।

आपको बता दें कि ग्रेटर नोएडा वेस्ट से जुड़े विवाद को लेकर साल 2011 में पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने किसानों (Noida Farmers) के पक्ष में यह फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट की संवैधानिक बेंच ने फैसला सुनाया था कि किसानों को पूर्व में जिस दर पर मुआवजे का भुगतान किया गया है, उस पर 64.7% अतिरिक्त मुआवजा दिया जाए। साथ ही आबादी के लिए दिए जाने वाले 5% या 6% भूखंडों का क्षेत्रफल बढ़ाकर 10% किया जाए। बाद में इस मामले को लेकर तमाम तर्क और वितर्क होते रहे। स्थिति साफ करने के लिए 225 किसानों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर गुरुवार को यह फैसला सुनाया गया है।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण से जुड़े मामले में 64.7% अतिरिक्त मुआवजा देने का आदेश दिया था। बाद में यह फैसला नोएडा अथॉरिटी और यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने भी मान लिया था। लेकिन बाद में किसानों को अतिरिक्त मुआवजा देने से इनकार कर दिया। इससे क्षुब्ध होकर करीब 225 किसानों (Noida Farmers) ने यमुना अथॉरिटी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लंबी सुनवाई के बाद 26 अप्रैल 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुरक्षित कर लिया था। आज अदालत ने फैसला सुनाया है। जिसमें अदालत ने साफतौर पर प्राधिकरण को आदेश दिया है कि सभी किसानों को 64.7% अतिरिक्त मुआवजा दिया जाए। किसी किसान को बढ़े लाभ देना और किसी को नहीं देना, गलत है। यह व्यवस्था सभी के लिए बराबर लागू होनी चाहिए।

 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के खिलाफ हाईकोर्ट ने गजराज आदि बनाम उत्तर प्रदेश सरकार मामले की सुनवाई करते हुए व्यवस्था दी थी। जनहित को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने अतिरिक्त मुआवजा देने का निर्णय लिया था। जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट तक मान्यता दी गई है। ऐसे में जनहित और किसानों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए यह फैसला उचित है।

गुरुवार को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की एक और खासियत है। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के साथ-साथ यमुना अथॉरिटी को भी बड़ी राहत दे दी है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि प्राधिकरण किसानों से जो जमीन अधिग्रहित की है, उसके लिए 64.7% अतिरिक्त मुआवजा देना होगा। इस धनराशि की वसूली अपने आवंटियों से प्राधिकरण करेगा। मतलब, जिन्हें इस जमीन पर भूखंडों का आवंटन किया गया है। साफ है कि यमुना अथॉरिटी अपने आवंटियों से 64.7% अतिरिक्त पैसा लेकर किसानों को देगा। इससे यमुना अथॉरिटी पर कोई अतिरिक्त आर्थिक दबाव नहीं पड़ेगा। हालांकि, इस बढ़ोतरी का आर्थिक दबाव यमुना प्राधिकरण के आवंटियों को उठाना होगा।

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Azam Khan Bail: सवा दो साल बाद जेल से बाहर आएंगे आजम खां, सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत

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calendar30 Nov 2025 02:08 AM
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Azam Khan Bail :  यूपी के पूर्व संसदीय कार्यमंत्री और रामपुर के सांसद मोहम्मद आजम खां सवा दो साल के बाद अब जेल से बाहर आएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने आज समाजवादी पार्टी के नेता आज़म खान को अंतरिम जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पारित करते हुए कहा कि लंबित मामलों में निचली अदालत से जमानत मिलने तक अंतरिम जमानत जारी रहेगी। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने उन्हे अंतरिम जमानत दी है। उनको 88 केसों में पहले ही राहत मिल चुकी है। अगर और कोई मुकदमा उन पर नहीं लगाया जाता है तो वह आज शाम तक रिहा होकर अपने घर पहुंच सकते हैं।

Azam Khan Bail

उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक के बाद एक उन पर मुकदमों को क्यो लादा जा रहा है। आजम खां के वकील कपिल सिब्बल ने इसे राजनीति से प्रेरित बताते हुए कहा था कि यह एक संयोग नहीं है बल्कि राजनीतिक दबाव के तहत उन पर मुकदमे लगाए गए हैं।

आपको बता दें कि आजम खां सपा नेता अखिलेश सरकार में संसदीय कार्यमंत्री थें और मुख्यमंत्री के बाद वही सबसे ताकतवर नेता माने जाते थें। लेकिन प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद आजम खां के बुरे दिन शुरू हो गए। उन पर कई मुकदमों पर सुनवाई शुरू हुई। उनके बेटे अब्दुल्ला की फर्जी सर्टीफिकेट के अलावा कई अवैध सम्पत्तियों पर कब्जे को लेकर उन्हे जेल भेजा गया। एक अन्य मामले में आजम खान के खिलाफ 2019 में रामपुर के अजीमनगर थाने में शत्रु संपत्ति पर कब्जा कर जौहर यूनिवर्सिटी में मिलाने के आरोप में मामला दर्ज कराया गया था।

आपको बता दें कि आजम खां सवा दो साल बाद यानि 27 महीने बाद जेल से बाहर आएंगे। यह समय उन्होंने जेल की काल कोठरी में गुजारा। यह पहला मौका नहीं है जब आजम खां महीनों जेल में बिताकर आ रहे हों। आपातकाल के दौरान भी वे जेल में रहे थे। इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में देश में लगाई गई इमरजेंसी का विरोध करने के चलते आजम खां को जेल जाना पड़ा था। तब वो 19 महीने सलाखों के पीछे रहने के बाद बाहर आए थे।

साल 2017 में यूपी में योगी सरकार के आने के बाद आजम खान के खिलाफ ऐसा कानूनी शिकंजा कसा कि एक के बाद एक कुल 89 मुकदमे दर्ज हो गए। 26 फरवरी 2020 को आजम रामपुर में गिरफ्तार हुए और 27 फरवरी 2020 से सीतापुर की जेल में बंद हैं। सवा दो साल बाद जेल में रहने के बाद आजम खान को सभी मामलों में जमानत मिल गई है।