Chetna Manch Kavita – अंगड़ाई ले रही है प्रकृति
अंगड़ाई ले रही है प्रकृति होली आ गई। बौराई हवा दे गई सन्देश, होली आ गई। जल उठे जंगल में…
अंगड़ाई ले रही है प्रकृति होली आ गई। बौराई हवा दे गई सन्देश, होली आ गई। जल उठे जंगल में…
उषा सक्सेना आया फागुन मास चैतुआ हो जाओ तैयार। पीली सरसों खड़ी खेत पियराकर मुरझाई है। नीलीअलसी बातों मे नीलाभ…
सुरेश हजेला धार निर्झर की तिरोहित हो नदिया में, पावन जल बन प्यास मिटाए सदा ही, मरु धरा और हर…
दीक्षित दनकौरी अपनों का भी वार हुआ, ये भी आख़िरकार हुआ। रिश्ता जब लाचार हुआ, आँगन की दीवार हुआ। सबकी…
अदम गोंडवी काजू भुने पलेट में, विस्की गिलास में उतरा है रामराज विधायक निवास में। पक्के समाजवादी हैं, तस्कर हों…
गीतकार – राजेंद्र राजन मौसम में पुरवाई जैसे सूरज में गरमाई जैसे ढंकी-छुपी सी तुम हो मुझमें काया में परछाई…