Dharam Karma : वेद वाणी
Sanskrit : शतं ते शिप्रिन्नूतयः सुदासे सहस्रं शंसा उत रातिरस्तु। जहि वधर्वनुषो मर्त्यस्यास्मे द्युम्नमधि रत्नं च धेहि॥ ऋग्वेद ७-२५-३॥ Hindi…
Sanskrit : शतं ते शिप्रिन्नूतयः सुदासे सहस्रं शंसा उत रातिरस्तु। जहि वधर्वनुषो मर्त्यस्यास्मे द्युम्नमधि रत्नं च धेहि॥ ऋग्वेद ७-२५-३॥ Hindi…
Sanskrit : आ नो विश्वाभिरूतिभिः सजोषा ब्रह्म जुषाणो हर्यश्व याहि। वरीवृजत्स्थविरेभिः सुशिप्रास्मे दधद्वृषणं शुष्ममिन्द्र॥ ऋग्वेद ७-२४-४॥ Hindi : हे समस्त…
Sanskrit : अयामि घोष इन्द्र देवजामिरिरज्यन्त यच्छुरुधो विवाचि। नहि स्वमायुश्चिकिते जनेषु तानीदंहांस्यति पर्ष्यस्मान्॥ ऋग्वेद ७-२३-२॥ Hindi : हम अपने दुखों…
Sanskrit : तुभ्येदिमा सवना शूर विश्वा तुभ्यं ब्रह्माणि वर्धना कृणोमि। त्वं नृभिर्हव्यो विश्वधासि॥ ऋग्वेद ७-२२-७॥ Hindi : तुभ्येदिमा सवना शूर…
Sanskrit : बोधा सु मे मघवन्वाचमेमां यां ते वसिष्ठो अर्चति प्रशस्तिं। इमा ब्रह्म सधमादे जुषस्व॥ ऋग्वेद ७-२२-३॥ Hindi : हे…
Sanskrit : न यातव इन्द्र जूजुवुर्नो न वन्दना शविष्ठ वेद्याभिः। स शर्धदर्यो विषुणस्य जन्तोर्मा शिश्नदेवा अपि गुर्ऋतं नः॥ ऋग्वेद ७-२१-५॥…
Sanskrit : उग्रो जज्ञे वीर्याय स्वधावाञ्चक्रिरपो नर्यो यत्करिष्यन्। जग्मिर्युवा नृषदनमवोभिस्त्राता न इन्द्र एनसो महश्चित्॥ ऋग्वेद ७-२०-१॥ Hindi : जो पिता…
Sanskrit : त्वं धृष्णो धृषता वीतहव्यं प्रावो विश्वाभिरूतिभिः सुदासम्। प्र पौरुकुत्सिं त्रसदस्युमावः क्षेत्रसाता वृत्रहत्येषु पूरुम्॥ ऋग्वेद ७-१९-३॥ Hindi : एक…
Sanskrit : त्वं ह त्यदिन्द्र कुत्समावः शुश्रूषमाणस्तन्वा समर्ये। दासं यच्छुष्णं कुयवं न्यस्मा अरन्धय आर्जुनेयाय शिक्षन्॥ ऋग्वेद ७-१९-२॥ Hindi : हे…
Sanskrit : त्वे ह यत्पितरश्चिन्न इन्द्र विश्वा वामा जरितारो असन्वन्। त्वे गावः सुदुघास्त्वे ह्यश्वास्त्वं वसु देवयते वनिष्ठः॥ ऋग्वेद ७-१८-१॥ Hindi…