Ukraine Russia War: यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से 35 मिनट तक हुई PM मोदी की बात




Ukraine Russia War : यूक्रेन में लगातार भीषण लड़ाई जारी है और अभी तक पुतिन को यूक्रेन में जीत हासिल नहीं हुई है, लेकिन दो और ऐसे देश हैं, जिन्होंने रूस का सिरदर्द बढ़ाना काफी तेज कर दिया है। यूक्रेन पर रूस के हमला करने के पीछे की वजह साफ थी, कि यूक्रेन नाटो में शामिल नहीं किया जाए, लेकिन रूस के दो और पड़ोसी देश, फिनलैंड और स्वीडन की जनता ने नाटो में शामिल होने की बहुमत से इच्छा जताई है। जिसके बाद सवाल ये उठ रहे हैं, कि क्या व्लादिमीर पुतिन अब स्वीडन और फिनलैंड पर भी हमला करेंगे?
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ सैन्य अभियान शुरू करने से ठीक पहले मांग की थी, कि उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन यानि नाटो, पूर्वी यूरोप के भीतर अपना पैर पसारना फौरन बंद करे। दरअसल, नाटो का गठन ही शीतयुद्ध के वक्त रूस को रोकने के लिए हुआ था, लिहाजा रूस हमेशा से नाटो गठबंधन के खिलाफ रहा है और रूस का कहना है कि, नाटो रूस के नजदीक नहीं आए और रूस के पड़ोसी देशों को नाटो अपने संगठन में शामिल नहीं करे। रूस हमेशा से कहता आया है, कि नाटो गठबंधन से रूस की सुरक्षा को खतरा है, लेकिन नाटो लगातार रूस की सीमा के पास जाने की कोशिश करता रहा है।
भारत के रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल शशि अस्थाना ने इंडिया टूडे से बातचीत के दौरान कहा कि, यूक्रेन युद्ध अमेरिका और नाटो का डबल गेम है और इन दोनों ने यूक्रेन को मरने के लिए छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि नाटो असल में यूक्रेन को संगठन में शामिल भी नहीं करना चाहता है और इसका ऐलान भी खुलेआम नहीं करता है। लेकिन, ये बातें पुतिन के गुस्से को काफी भड़का रही हैं।
साल 1949 में द्वितीय विश्व युद्ध के खत्म होने के फौरन बाद नाटो का गठन किया गया था और गठन के वक्त नाटो गठबंधन में 12 संस्थापक देश थे और इसके संस्थापक देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा जैसे देश शामिल थे। नाटो गठबंधन की सबसे खास बात ये है कि किसी एक सदस्य देश के खिलाफ सशस्त्र हमले की स्थिति में, अन्य नाटो सहयोगी उनके बचाव में आएंगे। इस वक्त नाटो गठबंधन में 30 देश शामिल हैं और अगर इन 30 देशों में किसी भी एक देश पर हमला होता है, तो सभी 30 देश मिलकर हमला करेंगे। यानि एक देश को 30 देश से लड़ना होगा और रूस को इसी बात का डर है। वहीं, सोवियत संघ से युद्ध के विस्तार होने के बाद उत्पन्न खतरों की वजह से ही नाटो का गठन किया गया था और इसीलिए रूस को नाटो से सख्त ऐतराज रहा है।
>> Ukraine Russia War यूक्रेन से लौटे छात्रों से सीएम योगी ने की मुलाकात1955 में सोवियत संघ ने नाटो के खिलाफ एक अन्य सैन्य साझेदारी का निर्माण किया था, जिसमें रूस के पड़ोस में स्थित कई कम्युनिस्ट शासित देशों को शामिल किया गया था, जिसे वारसॉ संधि भी कहा जाता है और इसमें पूर्वी यूरोपीय कम्युनिस्ट देश शामिल हुए थे। लेकिन सोवियत रूस के पतन के बाद से, कई पूर्व वारसॉ संधि के सदस्यों ने नाटो के साथ सेना में शामिल होने का विकल्प चुना है - जैसे अल्बानिया और पोलैंड। लेकिन गठबंधन के विस्तार ने रूस के साथ तनाव पैदा कर दिया है, जैसा कि राष्ट्रपति पुतिन ने स्पष्ट कर दिया है कि वह नाटो में शामिल होने के लिए पूर्वी ब्लॉक से किसी भी आकांक्षा को अपनी सीमाओं के लिए एक खतरे के रूप में देखते हैं।
एक्सप्रेस न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन नाटो का भागीदार तो है, लेकिन यूक्रेन को नाटो का सदस्य नहीं बनाया गया है। यूक्रेन पिछले कई सालों से नाटो में शामिल होने की कोशिश कर रहा है, लेकिन नाटो के कई देश रूस की नाराजगी मोल लेना नहीं चाहते हैं और पिछले कुछ सालों में नाटो देशों के बीच भी काफी मनमुटाव रहा है। वहीं, अब तक यूक्रेन पर रूस ने हमला कर दिया है, तब लगातार मांग की जा रही है, कि यूक्रेन को नाटो का सदस्य बनाया जाए, लेकिन रूसी राष्ट्रपति पुतिन साफ कर चुके हैं, कि अगर बीच में कोई भी आने की कोशिश करता है, तो फिर ऐसी तबाही मचाई जाएगी, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है और अमेरिका भी इस बात से डरा है। लेकिन अमेरिका की तरफ से ये भी नहीं कहा जा रहा है, कि यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं किया जाएगा।
यूक्रेन में रूसी सेना जिस तरह से तबाही मचा रही है, उसे देखते हुए फिनलैंड और स्वीडन को नाटो गठबंधन में शामिल करने की मांग की जाने लगी है, जो अभी तक नाटो के सदस्य नहीं हैं। फिनलैंड और स्वीडन के राजनीतिक वर्ग अब नाटो में शामिल होने के लिए गंभीरता से विचार करने लगे हैं और इन दोनों देशों की जनता का एक बड़ा हिस्सा अब नाटो में शामिल होने का समर्थन करने लगा है। यूक्रेन युद्ध से पहले स्वीडन के लोगों का रूझान नाटो को लेकर ज्यादा नहीं था, लेकिन यूक्रेन की बर्बादी देखने के बाद अब स्वीडन के नाटो में शामिल होने की बात का बहुमत से समर्थन किया गया है।
पहली बार स्वीडन के अधिकांश लोगों ने नाटो सदस्यता का समर्थन करने के लिए सर्वे में वोट डाला है। आफ्टनब्लाडेट अखबार के एक सर्वेक्षण के अनुसार, स्वीडन की 51 प्रतिशत जनता ने नाटो में शामिल होने की बात पर मुहर लगाई है। वहीं, फिनलैंड में भी इसी हफ्ते एक सर्वेक्षण किया गया है, जिसमें 53 प्रतिशत लोगों ने फिनलैंड के नाटो गठबंधन में शामिल होने का समर्थन किया है और अगर दोनों देशों के सर्वे को इसमें शामिल कर लिया जाता है, तो यह संख्या बढ़कर 66 प्रतिशत हो जाती है। हालांकि, फिनलैंड और स्वीडन के लिए नाटो में शामिल होने का दरवाजा खुला हुआ है, लेकिन इन दोनों ही देशों के नेताओं ने अभी तक नाटो गठबंधन में शामिल होने की मांग नहीं की है।
Ukraine Russia War : यूक्रेन में लगातार भीषण लड़ाई जारी है और अभी तक पुतिन को यूक्रेन में जीत हासिल नहीं हुई है, लेकिन दो और ऐसे देश हैं, जिन्होंने रूस का सिरदर्द बढ़ाना काफी तेज कर दिया है। यूक्रेन पर रूस के हमला करने के पीछे की वजह साफ थी, कि यूक्रेन नाटो में शामिल नहीं किया जाए, लेकिन रूस के दो और पड़ोसी देश, फिनलैंड और स्वीडन की जनता ने नाटो में शामिल होने की बहुमत से इच्छा जताई है। जिसके बाद सवाल ये उठ रहे हैं, कि क्या व्लादिमीर पुतिन अब स्वीडन और फिनलैंड पर भी हमला करेंगे?
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ सैन्य अभियान शुरू करने से ठीक पहले मांग की थी, कि उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन यानि नाटो, पूर्वी यूरोप के भीतर अपना पैर पसारना फौरन बंद करे। दरअसल, नाटो का गठन ही शीतयुद्ध के वक्त रूस को रोकने के लिए हुआ था, लिहाजा रूस हमेशा से नाटो गठबंधन के खिलाफ रहा है और रूस का कहना है कि, नाटो रूस के नजदीक नहीं आए और रूस के पड़ोसी देशों को नाटो अपने संगठन में शामिल नहीं करे। रूस हमेशा से कहता आया है, कि नाटो गठबंधन से रूस की सुरक्षा को खतरा है, लेकिन नाटो लगातार रूस की सीमा के पास जाने की कोशिश करता रहा है।
भारत के रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल शशि अस्थाना ने इंडिया टूडे से बातचीत के दौरान कहा कि, यूक्रेन युद्ध अमेरिका और नाटो का डबल गेम है और इन दोनों ने यूक्रेन को मरने के लिए छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि नाटो असल में यूक्रेन को संगठन में शामिल भी नहीं करना चाहता है और इसका ऐलान भी खुलेआम नहीं करता है। लेकिन, ये बातें पुतिन के गुस्से को काफी भड़का रही हैं।
साल 1949 में द्वितीय विश्व युद्ध के खत्म होने के फौरन बाद नाटो का गठन किया गया था और गठन के वक्त नाटो गठबंधन में 12 संस्थापक देश थे और इसके संस्थापक देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा जैसे देश शामिल थे। नाटो गठबंधन की सबसे खास बात ये है कि किसी एक सदस्य देश के खिलाफ सशस्त्र हमले की स्थिति में, अन्य नाटो सहयोगी उनके बचाव में आएंगे। इस वक्त नाटो गठबंधन में 30 देश शामिल हैं और अगर इन 30 देशों में किसी भी एक देश पर हमला होता है, तो सभी 30 देश मिलकर हमला करेंगे। यानि एक देश को 30 देश से लड़ना होगा और रूस को इसी बात का डर है। वहीं, सोवियत संघ से युद्ध के विस्तार होने के बाद उत्पन्न खतरों की वजह से ही नाटो का गठन किया गया था और इसीलिए रूस को नाटो से सख्त ऐतराज रहा है।
>> Ukraine Russia War यूक्रेन से लौटे छात्रों से सीएम योगी ने की मुलाकात1955 में सोवियत संघ ने नाटो के खिलाफ एक अन्य सैन्य साझेदारी का निर्माण किया था, जिसमें रूस के पड़ोस में स्थित कई कम्युनिस्ट शासित देशों को शामिल किया गया था, जिसे वारसॉ संधि भी कहा जाता है और इसमें पूर्वी यूरोपीय कम्युनिस्ट देश शामिल हुए थे। लेकिन सोवियत रूस के पतन के बाद से, कई पूर्व वारसॉ संधि के सदस्यों ने नाटो के साथ सेना में शामिल होने का विकल्प चुना है - जैसे अल्बानिया और पोलैंड। लेकिन गठबंधन के विस्तार ने रूस के साथ तनाव पैदा कर दिया है, जैसा कि राष्ट्रपति पुतिन ने स्पष्ट कर दिया है कि वह नाटो में शामिल होने के लिए पूर्वी ब्लॉक से किसी भी आकांक्षा को अपनी सीमाओं के लिए एक खतरे के रूप में देखते हैं।
एक्सप्रेस न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन नाटो का भागीदार तो है, लेकिन यूक्रेन को नाटो का सदस्य नहीं बनाया गया है। यूक्रेन पिछले कई सालों से नाटो में शामिल होने की कोशिश कर रहा है, लेकिन नाटो के कई देश रूस की नाराजगी मोल लेना नहीं चाहते हैं और पिछले कुछ सालों में नाटो देशों के बीच भी काफी मनमुटाव रहा है। वहीं, अब तक यूक्रेन पर रूस ने हमला कर दिया है, तब लगातार मांग की जा रही है, कि यूक्रेन को नाटो का सदस्य बनाया जाए, लेकिन रूसी राष्ट्रपति पुतिन साफ कर चुके हैं, कि अगर बीच में कोई भी आने की कोशिश करता है, तो फिर ऐसी तबाही मचाई जाएगी, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है और अमेरिका भी इस बात से डरा है। लेकिन अमेरिका की तरफ से ये भी नहीं कहा जा रहा है, कि यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं किया जाएगा।
यूक्रेन में रूसी सेना जिस तरह से तबाही मचा रही है, उसे देखते हुए फिनलैंड और स्वीडन को नाटो गठबंधन में शामिल करने की मांग की जाने लगी है, जो अभी तक नाटो के सदस्य नहीं हैं। फिनलैंड और स्वीडन के राजनीतिक वर्ग अब नाटो में शामिल होने के लिए गंभीरता से विचार करने लगे हैं और इन दोनों देशों की जनता का एक बड़ा हिस्सा अब नाटो में शामिल होने का समर्थन करने लगा है। यूक्रेन युद्ध से पहले स्वीडन के लोगों का रूझान नाटो को लेकर ज्यादा नहीं था, लेकिन यूक्रेन की बर्बादी देखने के बाद अब स्वीडन के नाटो में शामिल होने की बात का बहुमत से समर्थन किया गया है।
पहली बार स्वीडन के अधिकांश लोगों ने नाटो सदस्यता का समर्थन करने के लिए सर्वे में वोट डाला है। आफ्टनब्लाडेट अखबार के एक सर्वेक्षण के अनुसार, स्वीडन की 51 प्रतिशत जनता ने नाटो में शामिल होने की बात पर मुहर लगाई है। वहीं, फिनलैंड में भी इसी हफ्ते एक सर्वेक्षण किया गया है, जिसमें 53 प्रतिशत लोगों ने फिनलैंड के नाटो गठबंधन में शामिल होने का समर्थन किया है और अगर दोनों देशों के सर्वे को इसमें शामिल कर लिया जाता है, तो यह संख्या बढ़कर 66 प्रतिशत हो जाती है। हालांकि, फिनलैंड और स्वीडन के लिए नाटो में शामिल होने का दरवाजा खुला हुआ है, लेकिन इन दोनों ही देशों के नेताओं ने अभी तक नाटो गठबंधन में शामिल होने की मांग नहीं की है।

Ukraine Russia War : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रूस-यूक्रेन युद्ध (Ukraine Russia War) के बीच उत्तर प्रदेश में वापस (Ukraine Russia War) लौटे 50 छात्रों से अपने लखनऊ स्थित आवास पर मुलाकात की। यूक्रेन में हजारों की संख्या में देशवासी फंस गए थे और इसमें प्रदेश के लोग भी शामिल थे।
वहीं यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई के साथ ही अन्य कोर्स करने वाले करीब 550 छात्र प्रदेश में वापस लौट आए हैं। इस दौरान सीएम योगी ने छात्रों से वहां के हालात के बारे में जानकारी ली। उन्होंने छात्रों को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया है।
इससे पहले राज्य की योगी सरकार ने यूक्रेन से राज्यवासियों की वापसी के लिए कंट्रोल रूम और हेल्प लाइन नंबर स्थापित किया था। वहां पर फंसे लोगों की जिला स्तर पर जानकारी जुटाने के बाद सूची विदेश मंत्रालय और दूतावास को भेजी गई थी। फिलहाल अभी तक राज्य में 550 से अधिक लोग वापस लौट चुके हैं और अन्य फंसे लोगों को वापस लाने की तैयारी है। राज्य सरकार का कहना है कि सरकार केन्द्र सरकार के संपर्क में है।
>> Ind vs Pak Womens World Cup 2022:भारत ने 245 रन का बनाया स्कोर, पाकिस्तान की शुरुआत में पारी लड़खड़ाईरूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है और भारत सरकार वहां फंसे लोगों को निकाल रही है। भारत सरकार का दावा है कि जब तक वहां पर एक भी भारतीय रहेगा, ऑपरेशन गंगा जारी रहेगा। केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार वहां पर फंसे लोगों भारत वापस लाने के लिए ऑपरेशन गंगा चला रही है और अब तक हजारों की संख्या में लोगों से भारत वापस ला चुकी हैं। वहां से वापस आने वालों में बड़ी संख्या में छात्र भी शामिल हैं। जिसमें उत्तर प्रदेश के भी कई निवासी है।
Ukraine Russia War : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रूस-यूक्रेन युद्ध (Ukraine Russia War) के बीच उत्तर प्रदेश में वापस (Ukraine Russia War) लौटे 50 छात्रों से अपने लखनऊ स्थित आवास पर मुलाकात की। यूक्रेन में हजारों की संख्या में देशवासी फंस गए थे और इसमें प्रदेश के लोग भी शामिल थे।
वहीं यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई के साथ ही अन्य कोर्स करने वाले करीब 550 छात्र प्रदेश में वापस लौट आए हैं। इस दौरान सीएम योगी ने छात्रों से वहां के हालात के बारे में जानकारी ली। उन्होंने छात्रों को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया है।
इससे पहले राज्य की योगी सरकार ने यूक्रेन से राज्यवासियों की वापसी के लिए कंट्रोल रूम और हेल्प लाइन नंबर स्थापित किया था। वहां पर फंसे लोगों की जिला स्तर पर जानकारी जुटाने के बाद सूची विदेश मंत्रालय और दूतावास को भेजी गई थी। फिलहाल अभी तक राज्य में 550 से अधिक लोग वापस लौट चुके हैं और अन्य फंसे लोगों को वापस लाने की तैयारी है। राज्य सरकार का कहना है कि सरकार केन्द्र सरकार के संपर्क में है।
>> Ind vs Pak Womens World Cup 2022:भारत ने 245 रन का बनाया स्कोर, पाकिस्तान की शुरुआत में पारी लड़खड़ाईरूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है और भारत सरकार वहां फंसे लोगों को निकाल रही है। भारत सरकार का दावा है कि जब तक वहां पर एक भी भारतीय रहेगा, ऑपरेशन गंगा जारी रहेगा। केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार वहां पर फंसे लोगों भारत वापस लाने के लिए ऑपरेशन गंगा चला रही है और अब तक हजारों की संख्या में लोगों से भारत वापस ला चुकी हैं। वहां से वापस आने वालों में बड़ी संख्या में छात्र भी शामिल हैं। जिसमें उत्तर प्रदेश के भी कई निवासी है।