COP-27 जलवायु समझौते का पहला मसौदा प्रकाशित, भारत को मिली निराशा

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calendar18 Nov 2022 10:16 PM
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COP-27: मिस्र में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन समझौते का पहला औपचारिक मसौदा शुक्रवार को प्रकाशित हुआ, जिसमें एक बार फिर सभी जीवाश्म ईंधनों का इस्तेमाल चरणबद्ध तरीके से बंद करने के भारत के आह्वान को छोड़ दिया गया और इसमें हानि एवं क्षतिपूर्ति वित्तपोषण से संबंधित कोई प्रस्ताव शामिल नहीं किया गया।

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इसमें इस बात की पुन: पुष्टि की गई कि वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए उत्सर्जन में त्वरित और गंभीर तौर पर कटौती की आवश्यकता है।

हानि एवं क्षतिपूर्ति के समाधान के लिए वित्तपोषण या एक नया कोष भारत सहित गरीब और विकासशील देशों की लंबे समय से लंबित मांग रही है-उदाहरण के लिए बाढ़ से विस्थापित लोगों को स्थानांतरित करने के लिए आवश्यक धन, लेकिन अमीर देशों ने एक दशक से अधिक समय से इस पर चर्चा से परहेज किया है।

विशेषज्ञों ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि अधिकतर विकासशील देशों और अमेरिका तथा यूरोपीय संघ सहित कुछ विकसित देशों के समर्थन के बावजूद सभी जीवाश्म ईंधनों का इस्तेमाल चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के आह्वान को मसौदा पाठ में जगह नहीं मिली।

सीओपी27 के व्यापक निर्णय पर मसौदा पाठ हानि एवं क्षतिपूर्ति के समाधान के लिए धन व्यवस्था पर एक "प्लेसहोल्डर" लगाता है, जिसका अर्थ है कि पक्षों को इस मामले पर आम सहमति तक पहुंचना बाकी है।

मसौदा "असंतुलित कोयला विद्युत को चरणबद्ध तरीके से कम करने की दिशा में उपायों में तेजी लाने और राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुरूप प्रभावहीन जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने तथा बदलाव के लिए समर्थन की आवश्यकता को पहचानने के निरंतर प्रयासों को प्रोत्साहित करता है"।

मसौदा फिर से पुष्टि करता है कि ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में त्वरित और निरंतर कटौती की आवश्यकता है, जिसमें 2010 के स्तर के सापेक्ष 2030 तक वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को 45 प्रतिशत तक कम करना और शताब्दी के मध्य के आसपास उत्सर्जन स्तर शून्य के स्तर पर पहुंचाना शामिल है।

West Bengal: केंद्र और राज्य के बीच सेतु की तरह काम करुंगा: बंगाल के नव नियुक्त राज्यपाल सी वी आनंद बोस

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West Bengal: केंद्र और राज्य के बीच सेतु की तरह काम करुंगा: बंगाल के नव नियुक्त राज्यपाल सी वी आनंद बोस

CV aanand boss
West Bengal News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 10:25 AM
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West Bengal: पश्चिम बंगाल के नव नियुक्त राज्यपाल सी वी आनंद बोस का मानना है कि राज्यपाल का कार्य प्रदेश में तृणमूल कांग्रेस नीत सरकार और राजभवन के बीच ‘सभी विवादों के समाधान’ के लिए सेतु की तरह काम करना है।

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बोस को बृहस्पतिवार को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया। उन्होंने कहा कि राजभवन और राज्य सरकार के बीच मतभेदों को विवाद की तरह नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि ‘विचारों में अंतर’ की तरह देखा जाना चाहिए क्योंकि दोनों एक-दूसरे की पूरक संस्थाएं हैं।

उन्होंने फोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये साक्षात्कार में कहा, ‘‘मैं विवादों के समाधान को तरजीह देता हूं क्योंकि हर समस्या का समाधान होता है और हमें सही समाधान पर पहुंचना चाहिए। हमें सभी को एकजुट रखना होगा। इसलिए, मैं वहीं कहूंगा जो संविधान हमसे अपेक्षा रखता है-राज्यपाल को रास्ता जानना होगा, दिखाना होगा और उस पर चलना होगा।’’

पूर्व राज्यपाल एवं वर्तमान उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का अनेक विषयों पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ गतिरोध रहता था।

राजभवन और तृणमूल कांग्रेस सरकार के बीच मतभेदों के समाधान के बारे में पूछे जाने पर बोस ने कहा कि राज्यपाल को केंद्र तथा राज्य के बीच सेतु के रूप में काम करना होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि उन्हें राज्य सरकार का सहयोग मिलेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘दोनों (राजभवन और राज्य सरकार) एक-दूसरे की पूरक संस्थाएं हैं। संविधान के निर्माता निश्चित रूप से कोई दायित्वहीन पद सृजित नहीं करना चाहते थे। निश्चित रूप से, एक उद्देश्य था। संविधान में राज्यपाल का उद्देश्य स्पष्ट रूप से परिभाषित है। राज्यपाल को राज्य तथा केंद्र के बीच सेतु की तरह काम करना होता है।’’

भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी बोस ने कहा, ‘‘राज्यपाल की भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि सरकार संविधान के दायरे के भीतर काम करे और लोगों को राहत पहुंचाने के लिए लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को सभी सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए।’’

गैर-भाजपा शासित राज्यों में सरकारों तथा राज्यपाल के बीच बढ़ते गतिरोध के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि ये ‘विचारों में अंतर’ हैं और इन्हें विवाद की तरह नहीं देखा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसे विवाद के रूप में नहीं, बल्कि विचारों के अंतर के रूप में देखता हूं। एक अलग दृष्टिकोण और विचारों में अंतर लोकतंत्र की बुनियाद है। मतभेद का मतलब लोकतंत्र की कमजोरी नहीं, बल्कि लोकतंत्र की ताकत है।’’

बोस ने कहा, ‘‘हमारे जैसे बहुलतावादी समाज में मुद्दों पर लोगों की जो भी राय हो, उस पर मुक्त अभिव्यक्ति होनी चाहिए। भारत में लोकतंत्र इतना शक्तिशाली है कि ऐसी कोई स्थिति नहीं है जिसे लोकतंत्र संभाल नहीं सकता। संविधान मौजूद है, यह कथित संघर्षों के सभी समाधान प्रदान करता है।’’

केंद्र में भाजपा के शासन के तहत राजभवन को 'भगवा खेमे का विस्तारित पार्टी कार्यालय' बनाने के विपक्षी दलों के आरोपों पर नव नियुक्त राज्यपाल ने कहा, ‘‘आरोप तो आरोप हैं, मैं तथ्यों पर भरोसा करता हूं।’’ केरल के कोट्टायम से ताल्लुक रखने वाले बोस ने अभी पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के तौर पर पदभार नहीं संभाला है।

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National News : ’विक्रम-एस’ का सफल परीक्षण भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण : प्रधानमंत्री

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Prime Minister Narendra Modi
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 05:25 PM
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New Delhi : नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के पहले निजी रॉकेट ‘विक्रम-एस’ के सफल परीक्षण को देश के लिए ऐतिहासिक क्षण बताया और शुक्रवार को कहा कि यह देश के निजी अंतरिक्ष उद्योग की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर इस उपलब्धि के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और निजी क्षेत्र की कंपनी ‘स्काईरूट एयरोस्पेस’ को बधाई दी।

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उन्होंने कहा कि स्काईरूट एयरोस्पेस द्वारा विकसित रॉकेट ‘विक्रम-एस’ का आज श्रीहरिकोटा से उड़ान भरना भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण है। यह भारत के निजी अंतरिक्ष उद्योग की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस उपलब्धि के लिए इसरो और स्काईरूट एयरोस्पेस को बधाई।

National News : आतंकवाद को किसी धर्म, राष्ट्रीयता या समूह से नहीं जोड़ा जाना चाहिए : शाह

भारत ने चार साल पुराने एक स्टार्टअप द्वारा विकसित रॉकेट के जरिए तीन उपग्रहों को कक्षा में शुक्रवार को सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया और इसी के साथ देश की अंतरिक्ष गतिविधियों में निजी क्षेत्र के प्रवेश का ‘प्रारंभ’ हो गया। अभी तक सरकारी संस्था इसरो का ही इस क्षेत्र पर आधिपत्य था।

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मोदी ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि यह उपलब्धि हमारे युवाओं की अपार प्रतिभा का प्रमाण है, जिन्होंने जून 2020 के ऐतिहासिक अंतरिक्ष क्षेत्र सुधारों का पूरा लाभ उठाया। स्काईरूट एयरोस्पेस द्वारा बनाए गए ‘विक्रम-एस’ का पहला मिशन सफल रहा। भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई को श्रद्धांजलि देते हुए इस रॉकेट का नाम ‘विक्रम-एस’ रखा गया है। नई शुरुआत के प्रतीक के रूप में इस मिशन को ‘प्रारंभ’ नाम दिया गया है। स्काईरूट एयरोस्पेस भारत की पहली निजी क्षेत्र की कंपनी बन गयी है जिसने 2020 में केंद्र सरकार द्वारा अंतरिक्ष उद्योग को निजी क्षेत्र के लिए खोले जाने के बाद भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में कदम रखा है।