The Kerala Story द केरल स्टोरी के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर, 5 मई को सुनवाई

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calendar30 Nov 2025 04:13 PM
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The Kerala Story: कोच्चि। विवादित हिंदी फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ के ‘टीजर’ व ‘ट्रेलर’ में दिए गए कुछ बयानों के खिलाफ केरल हाईकोर्ट में मंगलवार को एक जनहित याचिका दायर की गई। याचिका में यह मांग की गई कि अदालत सेंसर बोर्ड द्वारा फिल्म को सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए दिए गए प्रमाण पत्र को रद्द कर दे। उच्च न्यायालय ने संक्षिप्त दलीलें सुनने के बाद मामले को पांच मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया, जिस दिन फिल्म रिलीज होनी है।

न्यायमूर्ति एन. नागेश और न्यायमूर्ति सी.पी. मोहम्मद नियास की पीठ ने केंद्र और सेंसर बोर्ड की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल (डीएसजीआई) मनु एस. को भी याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख से पहले जनहित याचिका पर केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) का रुख प्राप्त करने के लिये समय दिया।

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याचिका एक वकील अनूप वीआर द्वारा दायर की गई है, जिन्होंने तर्क दिया है कि फिल्म में कुछ तथ्यों को “गलत तरीके से चित्रित” किया गया है जिसके परिणामस्वरूप केरल के लोगों का “अपमान” हुआ। उन्होंने फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग की।

याचिका में कहा गया है कि ‘द केरल स्टोरी’ सच्ची घटनाओं से प्रेरित होने का दावा करती है लेकिन फिल्म के ‘टीजर’ और ‘ट्रेलर’ में दिए गए बयान सच्चाई से कोसों दूर हैं।

याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका में अदालत से फिल्म के निर्देशक सुदीप्तो सेन, इसके निर्माता विपुल अमृतलाल शाह और प्रोडक्शन कंपनी सनशाइन पिक्चर्स को फिल्म के प्रदर्शन से पहले कुछ बयानों को संपादित करने या हटाने का निर्देश देने का आग्रह किया। याचिकाकर्ता ने वह अंश हटाने का आग्रह किया जिसमें कहा गया है कि यह फिल्म सच्ची कहानियों से प्रेरित है और केरल की 32,000 महिलाओं ने इस्लाम अपना लिया और इस्लामिक स्टेट (आईएस) में शामिल हो गईं।

याचिका का केंद्र और सीबीएफसी द्वारा विरोध किया गया। डीएसजीआई मनु एस. ने तर्क दिया कि उच्चतम न्यायालय ने माना है कि एक बार सेंसर बोर्ड द्वारा प्रमाणन दिए जाने के बाद, अदालतों द्वारा इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है।

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"The Kerala Story" पर हुए विवाद का असर, सेंसर बोर्ड ने हटाए 10 सीन

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 05:53 AM
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The Kerala Story: विपुल अमृतलाल शाह की फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ रिलीज से पहले ही विवादों में आ गई है। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) ने फिल्म से 10 सीन और दो डॉयलॉग को हटा दिए हैं। इतना ही नहीं सीबीएफसी ने फिल्म को ‘ए’ सर्टिफिकेट दिया है, यानी इस फिल्म को 18 साल के अधिक उम्र के लोग देख सकते हैं। दूसरी तरफ चुनाव आयोग ने फिल्म में दिखाये गये आंकड़ों के डॉक्यूमेंट्री प्रूफ भी पेश करने के लिए कहा है।

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आपको बता दें कि इस फिल्म में केरल की चार महिलाओं की कहानी को दिखाया गया है, जिन्हें आईएसआईएस में भर्ती होने के लिए इस्लाम में परिवर्तित किया जाता है। फिल्म में कहा गया है कि इस काम में अमेरिका भी पाकिस्तान के जरिये करता है। जिसे हटाया गया है। वहीं ‘कम्युनिस्ट पार्टी हिंदू रीति-रिवाजों की अनुमति नहीं देती है। इस डॉयलॉग को भी हटा दिया गया। सेंसर बोर्ड ने फिल्म से ‘भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी’ नाम से ‘भारतीय’ शब्द को हटाने के लिए भी कहा है। वहीं सीबीएफसी ने जिन सीन को हटाने के लिए कहा है उसमें सबसे बड़ा सीन केरल के एक पूर्व मुख्यमंत्री का इंटरव्यू शामिल है।

केरल की छवि को नेगेटिव दिखाने का आरोप

‘द केरला स्टोरी’ का ट्रेलर और टीजर रिलीज होने के बाद जमकर राजनीति हो रही है। कांग्रेस पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जैसी पॉलिटिकल पार्टियों ने इसका विरोध किया है। राजनीतिक पार्टियों ने फिल्म के डिस्ट्रीब्यूशन को लेकर आपत्ति जतायी है। इन पार्टियों का कहना है कि इस फिल्म के जरिए केरल की छवि को नेगेटिव तरीके से दिखाया जा रहा है। अभी हाल ही में CPI-M और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने फिल्म को केरल में बैन करने की मांग की है।

कौन है कहानी के लेखक

फिर वर्ष 2006 से लेकर 2011 तक केरल के मुख्यमंत्री रहे वी एस अचुतानंदन इसमें कह रहे हैं, “पॉपुलर फ्रंट केरल को एक इस्लामी राज्य बनाने पर अमादा है। प्रतिबंधित संगठन एनडीएफ की तरह इनका उद्देश्य भी अगले 20 साल में केरल को मुस्लिम राज्य में परिवर्तित कर देना है।” टीजर में दिखाए गए आंकड़ों के मुताबिक, केरल में 32000 से ज्यादा महिलाओं की तस्करी की गई और उन्हें आतंकवादी संगठन आईएसआईएस को बेच दिया गया। ‘द केरला स्टोरी’ के लेखक सुदीप्ता सेन हैं और वही फिल्म का डायरेक्शन कर रहे हैं।

लेखन से पहले हुआ रिसर्च

डायरेक्टर सुदीप्तो सेन ने बताया कि हाल ही में एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया, वर्ष 2009 से केरल और मैंगलोर की लगभग 32000 लड़कियों को हिंदू और ईसाई से इस्लाम मजहब में कन्वर्ट किया गया है और उनमें से ज्यादातर सीरिया, अफगानिस्तान और अन्य ISIS व हक्कानी प्रभावशाली क्षेत्र में पहुंच जाती हैं। फिल्म बनाने से पहले सुदीप्तो ने इस विषय पर काफी रिसर्च की। इस दौरान उन्हें यह भी पता चला कि अपहरण और तस्करी के जरिए गायब हुईं कुछ लड़कियां अफगानिस्तान और सीरिया की जेल में पाई गई थीं। इनमें से ज्यादातर लड़कियों की शादी ISIS के आतंकवादियों से की गई थी और उन्हें ‘सेक्स स्लेव’ बनाया गया था।

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Defamation Case : हाईकोर्ट से राहुल को नहीं मिली राहत, अंतिम आदेश ग्रीष्मावकाश के बाद

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Defamation Case 
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 11:41 AM
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Defamation Case : अहमदाबाद। गुजरात हाईकोर्ट ने ‘मोदी उपनाम’ टिप्पणी से संबंधित आपराधिक मानहानि मामले में दोषसिद्धि के खिलाफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मंगलवार को अंतरिम राहत प्रदान करने से इनकार कर दिया और कहा कि वह ग्रीष्मावकाश के बाद अंतिम आदेश सुनाएगा।

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राहुल गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इस मामले में दोनों पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद ‘तत्कालिकता’ का हवाला देते हुए अदालत से अंतरिम या अंतिम आदेश जारी करने का अनुरोध किया। न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक ने, हालांकि, कहा कि इस चरण में अंतरिम संरक्षण नहीं दिया जा सकता। न्यायमूर्ति प्रच्छक ने कहा कि वह रिकॉर्ड और कार्यवाही की अधिकृत रपट पढ़ने के बाद ही अंतिम आदेश सुनाएंगे। इसके साथ ही उन्होंने ग्रीष्मावकाश के बाद फैसला सुनाने की बात कही। गुजरात उच्च न्यायालय में आठ मई से तीन जून तक ग्रीष्मावकाश है।

सूरत की अदालत ने सुनाई थी 2 साल की सजा

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के गुजरात के विधायक एवं मामले के मूल शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी की ओर से पेश अधिवक्ता निरुपम नानावती ने गांधी को अंतरिम राहत प्रदान करने के सिंघवी के अनुरोध का पुरजोर विरोध किया। इस मामले में सूरत की एक अदालत ने उन्हें दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें लोकसभा की सदस्यता के अयोग्य ठहरा दिया गया था। वह केरल की वायनाड संसदीय सीट से 2019 में निर्वाचित हुए थे। सत्र अदालत ने भी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की उनकी याचिका खारिज कर दी थी, जिसके खिलाफ गांधी ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।

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