कैप्टन अमरिंदर सिंह बनाएंगे पंजाब विकास पार्टी

Capt Amarinder Singh
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calendar01 Oct 2021 04:24 PM
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राष्ट्रीय ब्यूरो।पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब का विकास किया या नहीं इसका फैसला तो सूबे की जनता करेगी। लेकिन उनके नए राजनैतिक दल का नाम ‘पंजाब विकास पार्टी’ होगा। जिसके बैनर तले वे अगले साल होने जा रहे पंजाब विधानसभा चुनाव में  अपनी किस्मत आजमाएंगे।।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार,अमरिंदर जल्द ही अपनी नई पार्टी के नाम का ऐलान कर देंगे। इससे पहले वे अपने विश्वस्त राजनैतिक सहयोगियों के साथ सलाह मशविरा कर रहे हैँ। बताया जा रहा है पार्टी के रजिस्ट्रेशन की तैयारी शुरू हो चुकी है। बतादें कि पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कल सारी अटकलों पर विराम लगाते हुए साफ कर दिया था कि वे न तो भाजपा में शामिल होने जा रहे हैँ और न ही कांग्रेस पार्टी में रहेंगे। सिंह ने कहाकि 52 साल की उनकी निष्ठा पर जिस  तरह संदेह किया और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की तरफ से उन्हें अपमानित किया गया। इसके बाद उनका  कांग्रेस में बने रहने का कोई औचित्य ही नहीं है। फिलहाल वे भाजपा के साथ तालमेल करेंगे या नहीं यह भी अभी स्पष्ट नहीं है,लेकिन  नवजोत सिंह सिद्धू को हराने में कोई कोरकसर बाकी नहीं छोड़ेंगे। इसकी घोषणा वे खुद कर चुके हैँ। वे जल्द ही पंजाब के किसान नेताओं से भी बातचीत करेंगे। उनकी कोशिश होगी किसानों का समर्थन उन्हें हासिल हो सके। इसके लिए वे केंद्र सरकार व किसान संगठन के बीच सेतु बनने की भी कोशिश कर रहे हैं।

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एवलांच की चपेट में आया नौसेना का पर्वतारोही दल

Avalanche
locationभारत
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calendar26 Nov 2025 09:12 AM
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नई दिल्ली। कुमांऊ के बागेश्वर जनपद स्थित माउंट त्रिशूल का आरोहण करने गया नौसेना का एक पर्वतारोही दल एवलांच की चपेट में आ गया है। जानकारी के अनुसार इसमें पांच जवान और एक पोर्टर के लापता होने की सूचना मिल रही है। उत्‍तरकाशी स्थित नेहरू पर्वतरोहण संस्थान (निम) के रेस्क्यू टीम प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट के नेतृत्व में त्रिशूल चोटी के लिए रवाना हो गई है। इस संबंध में कर्नल अमित बिष्ट ने बताया कि उन्हें ये सूचना नेवी की एडवेंचर विंग से आज सुबह करीब 11 बजे मिली, जिसमें उन्होंने निम की सर्च एडं रेस्क्यू टीम से मदद मांगी थी। जानकारी के अनुसार नौसेना का दल करीब 15 दिन पहले 7120 मीटर ऊंची त्रिशूल चोटी के आरोहण के लिए गया था। त्रिशूल चोटी चमोली जनपद की सीमा पर स्थित कुमांऊ के बागेश्वर जनपद में स्थित है। इस चोटी के आरोहण के लिए चमोली जनपद के जोशीमठ और घाट के लिए पर्वतारोही टीमें जाती हैं। वायु सेना के पर्वतारोहियों की टीम भी घाट होते हुए त्रिशूल के लिए गई थी। तीन चोटियों का समूह होने के कारण इसे त्रिशूल कहते हैं।

बताया जा रहा है कि शुक्रवार सुबह दल चोटी के समिट के लिए आगे बढ़ा। इसी दौरान हिमस्खलन हुआ है। इसकी चपेट में नौसेना के पर्वतारोही आए हैं। बताया जा रहा है कि पांच जवान के साथ ही एक पोर्टर भी लापता है। उत्तरकाशी से हेली के जरिये निम की सर्च एंड रेस्क्यू टीम रवाना हुई है। इस संबंध

में निम के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट ने बताया यह घटना शुक्रवार सुबह पांच बजे के करीब हुई है। आपको बता दें कि त्रिशूल हिमालय की तीन चोटियों के समूह का नाम है, जो पश्चिमी कुमाऊं में स्थित हैं। यह उत्तराखंड राज्य के मध्य में बागेश्वर के निकट हैं। ये नंदा देवी पर्वत से पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम दिशा में 15 किलोमीटर दूर नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान को घेरते हुए शिखरों के समूह का दक्षिण-पूर्वी भाग है। इन तीन शिखरों के कारण ही इनका नाम हिन्दू भगवान शिव के अस्त्र त्रिशूल का नाम दिया गया है। मुख्य शिखर त्रिशूल-1 की ऊंचाई लगभग 7000 मीटर है।

सतोपंथ के पास सेना के पर्वतारोही दल को मिला शव : चमोली जिले में संतोपंथ अभियान पर गए सेना के पर्वतारोही दल को वहां चोटी के पास बर्फ में दबा एक शव मिला है। दल में शामिल जवान शव को लेकर माणा आ गए हैं। आशंका जताई जा रही है कि यह शव वर्ष 2005 में सेना के पर्वतारोहण अभियान के दौरान लापता हुए जवान का है।

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नीति आयोग का दावा

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calendar01 Oct 2021 02:56 PM
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राष्ट्रीय ब्यूरो। कोरोनाकाल की दूसरी लहर में आई तबाही के दौरान देश के स्वास्थ्य ढांचे की पोल खुल गई थी। लोगों को अस्पतालों में बेड नहीं मिला तो तमाम लोग आक्सीजन की कमी के चलते मौत के मुंह में चले गए। अब नीति आयोग ने खुलासा किया है कि देश के जिला अस्पतालों में 1 लाख की आबादी पर औसतन 24 बेड ही उपलब्ध हैं। इसमें से 15 राज्य व केंद्रशासित प्रदेशों में तो यह आंकड़ा 22 बेड से भी कम है।जो कि स्वास्थ्य ढांचे के लिहाज से बेहद निराशाजनक तस्वीर है।

नीति आयोग की ओर से जो आंकड़ा जारी किया गया है,उसमें सबसे खराब स्थिति बिहार की है। जहां एक लाख की आबादी पर महज 6 बेड उपलब्ध हैँ। जबकि केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में 222 बेड उपलब्ध हैं।इसके अलावा झारखंड में प्रति एक लाख की आबादी की लिहाज से 9,तेलंगाना में 10,उत्तरप्रदेश में13,हरियाणा में 13,महाराष्ट्र में 14,जम्मू-कश्मीर में 17,असम में 18,आंध्रप्रदेश में 18,पंजाब में 18,गुजरात में 19,राजस्थान में 19,पश्चिम बंगाल में 19,छत्तीसगढ़ में 20, मध्यप्रदेश में  20 बेड,केरल व ओडिशा में 22,उत्तराखंड व मणिपुर में 24,त्रिपुरा में 30,गोवा में 32,कर्नाटक में 33,हिमांचलप्रदेश में 46,नागलैंड में 49,मेघालय में 52,चंडीगढ़ में 57,दिल्ली में 59,मिजोरम में 63,सिक्किम में 70,लक्षदीप में 78,दमन और दीव में 102,अरुणाचल प्रदेश में 102,लद्ददाख में 150 और अंडमान एवं निकाबार द्वीपसमूह में 200 बेड उपलब्ध हैं। 2012 में जारी इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टेंडर्ड की गाइडलाइन के मुताबिक,जिला अस्पतालों में प्रति 1 लाख की आबादी पर कम से कम 22 बेड तैयार रहने चाहिए। हालांकि यह आंकड़ा 2001 की जनगणना के आधार पर तय किया गया था। बावजूद 20 साल बाद भी देश के 15 राज्य व केंद्रशासित प्रदेश अभी भी ऐसे हैं,जहां एक लाख की आबादी पर बेड की संख्या 22 से भी कम है।