गोपाष्टमी पर विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय की चर्चा जरूरी

Cow
Gopasthami
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 08:28 AM
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Gopasthami : गोपाष्टमी का पावन पर्व 9 नवंबर 2024 (शनिवार) को मनाया जाएगा। गोपाष्टमी (Gopasthami ) के पर्व पर गऊशाला में जाकर गाय माता की सेवा करने की परम्परा है। ऐसे में हम आपको एक ऐसे अस्पताल के विषय में बता रहे हैं जहां इंसानों का नहीं बल्कि गाय माताओं का मुफ्त इलाज किया जाता है। भारत के राजस्थान प्रदेश में स्थित गाय का इलाज करने वाला यह विश्व स्तर का अस्पताल है। विश्व स्तर के गो-चिकित्सालय (Cow Hospital) की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस अस्पताल में गाय माता का इलाज इंसानों की तरह ही किया जाता है।

गोपाष्टमी पर जरूर जाएं गौ-माता के विश्व स्तरीय अस्पताल में

जी हां राजस्थान (Rajasthan) के नागौर (Nagaur) में विश्व स्तरीय गो-चिकित्सालय स्थापित है। गाय माता की सेवा करने का यह दुनिया का सबसे अनूठा स्थान है। यदि आप भी गऊ माता के भक्त हैं तथा गोपाष्टमी पर गऊ माता के दर्शन तथा गाय माता की सेवा करने की योजना बना रहे हैं तो आपको गोपाष्टमी के पर्व पर गायों के विश्व स्तरीय गो-चिकित्सालय में जाकर गाय माता की सेवा करनी चाहिए। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि गाय माता की सेवा के लिए दुनिया में इस अस्पताल से अनूठा कोई भी स्थल आपको नहीं मिलेगा।

हर मामले में अनूठा है विश्व स्तरीय गो-चिकित्सालय

आपको बता दें कि राजस्थान (Rajasthan) के नागौर (Nagaur) में विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय स्थापित है जहां बीमार गायों को निशुल्क उपचार दिया जाता है। दरअसल नागौर (Nagaur)  में 12 साल पहले बना यह गौ चिकित्सालय अब इतना बड़ा हो चुका है और इतना अनूठा है कि इसमें अब एक साथ 15 सौ बीमार गायों को रखा जा सकता है। यहां बीमार गाय जिसमें चाहे वह घायल हो या फिर उसका कोई अंग भंग हो उसका पूरा इलाज किया जाता है। अगर किसी गाय का इलाज होना संभव नहीं होता है तो तब तक इस गो चिकित्सालय में उसकी सेवा और इलाज किया जाता है। जब तक कि उसकी मृत्यु ना हो जाए। वहीं स्वस्थ हो जाने पर उसे वापस उसके मालिक को दे दिया जाता है।

Gopasthami :

अगर कोई व्यक्ति बीमार गाय लाकर इस गो चिकित्सालय में देता है तो उसे उसके बदले में स्वस्थ गाय दे दी जाती है. दुर्गेश गो चिकित्सालय में एक साथ 1800 बीमार गायों को रखने की क्षमता है और इन बीमारियों के उपचार भी पूरे आधुनिक तरीके से किया जाता है। बकायदा गायों के लिए ऑपरेशन थिएटर से लेकर आईसीयू तक बने हुए हैं। यहां पर लगी 18 एंबुलेंस हर समय बीमार गायों और जानवरों को लाती रहती है और 200 किलोमीटर तक भी यदि किसी व्यक्ति का फोन बीमार गाय को लेकर आता है तो वहां से भी यह एंबुलेंस बीमार गाय को लेकर आती है। इतना ही नहीं अगर कोई व्यक्ति बीमार गाय को अपने खर्च से इस गो चिकित्सालय में लेकर आता है तो उसका भुगतान भी उस व्यक्ति को किया जाता है। यहां ना केवल गाय बल्कि अन्य कोई जंगली जानवर भी बीमार होता है और इस गो चिकित्सालय में लाया जाता है तो उसका भी पूरा इलाज किया जाता है। खास बात यह है इन जानवरों में हिरण, बाज, कछुए, बंदर सभी जानवर शामिल है. जिन्हें उनकी आवश्यकता अनुसार उपयुक्त भोजन दिया जाता है। इस गौ चिकित्सालय का पूरा खर्च दानदाताओं के दान के आधार पर चलता है। रोजाना इस गौ चिकित्सालय पर करीब 5 से 6 लाख का खर्च आ रहा है। जो केवल दानदाताओं के हिसाब से ही हो रहा है। गो चिकित्सालय में बीते 12 साल में 800 डॉक्टर और कंपाउंडर प्रशिक्षित होकर अपने क्षेत्र में काम कर रहे हैं। गो चिकित्सालय का लक्ष्य है कि जल्द ही 5000 से प्रशिक्षित तैयार कर दिया जाए। अगर कोई चिकित्सक डॉ यहां रहकर गायों की सेवा करना चाहता है तो उसे इसका भी मौका दिया जाता है। अब आप समझ गए होंगे कि हम गोपाष्टमी के मौके पर विश्व स्तरीय गो-चिकित्सालय की चर्चा क्यों कर रहे हैं? यह भी समझ गए होंगे कि हम आपको गोपाष्टमी पर नागौर जाकर इस अनोखे अस्पताल को देखने की राय क्यों दे रहे हैं। एक बार फिर बोलें कि- "गाय हमारी माता है, जन्म-जन्म का नाता है।" Gopasthami :

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बत्ती गुल मोबाइल की फ्लैश लाइट चालू, राजस्थान में कुछ ऐसे हुआ मरीज का इलाज

Viral News
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locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Nov 2025 02:13 PM
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Viral News : सोशल मीडिया पर हर दिन देश दुनिया के वीडियोज वायरल होते रहते हैं। इनमें से कुछ वीडियोज ऐसे होते हैं जो सोशल मीडिया पर आग की तरह तेजी से फैल जाते हैं और लोगों के बीच तीखी बहस का कारण बनते हैं। हाल ही में वायरल हुआ राजस्थान का वीडियो भी कुछ ऐसा ही है। जिसने लोगों को ना सिर्फ हैरानी में डाल दिया है बल्कि डॉक्टर्स पर भी कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं।

राजस्थान में डॉक्टर्स की बड़ी लापरवाही

जानकारी के मुताबिक वायरल हो रहा वीडियो राजस्थान के चूरू जिले का बताया जा रहा है। जिसमें डॉक्टर्स की बड़ी लापरवाही देखने को मिली है। दरअसल चूरू जिले के अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में बिजली न होने के कारण मरीज का इलाज मोबाइल फोन की फ्लैश लाइट जलाकर किया गया। वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है कि वार्ड में अंधेरा है और वहां मौजूद लोग अपने मोबाइल फोन की फ्लैश लाइट का इस्तेमाल करके मरीज का इलाज कर रहे हैं।

वीडियो देख लोगों का घूमा सिर

सोशल मीडिया पर ये वीडियो वायरल होने के बाद लोगों ने कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं। इस वीडियो के कमेंट में लोग डॉक्टर्स की जमकर निंदा कर रहे हैं। वहीं ये वीडियो सोशल मीडिया पर अब तेजी से वायरल हो रहा है।

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आने वाला है बड़ा त्यौहार गोपाष्ठमी, जान लें गाय की पूजा का विधान

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Gopashtami
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 02:32 AM
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Gopashtami : गोपाष्ठमी-2024 का पर्व 9 नवंबर शनिवार को मनाया जाएगा। गोपाष्ठमी का त्यौहार दीपावली के बाद आने वाला सबसे बड़ा त्यौहार है। भारत में गोपाष्ठमी के पर्व का सदियों से बड़ा महत्व रहा है। इसी कारण गोपाष्ठमी को बड़ा त्यौहार माना जाता है। गोपाष्ठमी के त्यौहार के विधि-विधान तथा गोपाष्ठमी मनाने के कारण को हम यहां विस्तार से बता रहे हैं। गाय हमारी माता है गाय हमारी माता है, जन्म-जन्म का नाता है। भारत में हजारों साल से यही मान्यता रही है कि गाय हमारी माता है। गाय के साथ भारत का सैकड़ों जन्म का नाता है। गाय के पूजन के लिए ही भारत में गोपाष्ठमी का त्यौहार पूरे विधि-विधान के साथ मनाया जाता है।

गोपाष्ठमी का त्यौहार

गोपाष्टमी का त्योहार दिवाली के समय होने वाली गोवर्धन पूजा के सात दिन बाद मनाया जाता है। यह मान्यता है कि गोवर्धन पूजा के सात दिन बाद नंद बाबा ने श्रीकृष्ण और गऊ माता के लिए एक समारोह का आयोजन किया था। भगवान श्रीकृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम बाल्यावस्था में इसी दिन पहली बार गाय को चराने ले गए थे।

Gopashtami :

गोपाष्टमी का त्योहार हम इसलिए मनाते हैं क्योंकि हम लोग अपने पालन के लिए गाय पर निर्भर हैं इसीलिए गाय हिंदू धर्म में पूज्यनीय है। गाय का दूध,गाय के दूध से निर्मित घी,दही व छाछ मनुष्य के लिए लाभदायक है। गाय का मूत्र भी मनुष्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। इसका प्रयोग कई बीमारियों के निवारण के लिए किया जाता है। गाय के दूध को तो अमृत के समान माना जाता है।

गोपाष्टमी मनाने के पीछे अलग-अलग तर्क

गोपाष्टमी मनाने के पीछे अलग-अलग पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण छ: वर्ष की आयु में माता यशोदा से जिद करने लगे कि वह अब बड़े हो गए हैं और बछड़े की जगह गाय को चराने ले जाएंगे। उनकी जिद को देखकर माता यशोदा ने उन्हें पिता नंद बाबा से इसकी अनुमति लेने भेज दिया। भगवान श्रीकृष्ण ने नंद बाबा से भी यही जिद की कि वह अब गाय चराएंगे। नंद बाबा गाय चराने के शुभ मुहूर्त के लिए शांडिल्य ऋषि के आश्रम पहुंचे। शांडिल्य ऋषि ने बड़े अचरज से कहा कि अभी इस समय के अलावा अगले साल तक कोई शुभ मुहूर्त नहीं है। वह दिन गोपा अष्टमी का दिन था। उस दिन माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को अच्छे से तैयार किया मोर मुकुट लगाया, पैरों में घुंघरु पहनाए व चरण पादुकाएं दी। लेकिन उन्होंने पादुकाएं पहनने से इंकार कर दिया,वे बोले कि वह पादुकाएं तभी पहनेंगे जब आप गाय को भी पादुकाएं पहनाएंगी। उस दिन भगवान श्रीकृष्ण बिना पादुकाओं के ही गाय चराने गए।

Gopashtami :

गाय चराने की वजह से ही श्रीकृष्ण का नाम गोविंद व गोपाल पड़ा। दूसरी कथा यह है कि बरसाने में देवराज इंद्र के प्रकोप के कारण लगातार बारिश हो रही थी, बरसाना वासियों को बारिश से बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था। उस दिन से गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया जाने लगा था। गोपा अष्टमी के दिन देवराज इंद्र ने अपनी हार स्वीकार की थी। तब श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उंगली से उतार कर नीचे रखा था। गोपाअष्टमी से जुड़ी एक और बात यह है कि एक बार राधा गाय चराने के लिए वन जाना चाहती थीं, लेकिन लडक़ी होने के कारण उनसे कोई गाय चराने को नहीं कहता था। लेकिन राधा गाय चराने के लिए ग्वाला का वेश धारण कर श्रीकृष्ण के साथ गाय चराने वन चली गई। उस दिन को गोपाष्टïमी के रूप में मनाया जाता है।

कैसे करें गोपाष्टमी पर गाय का पूजन

गोपाष्टïमी पर गाय और उसके बछड़े को नहला-धुलाकर उसका श्रंगार किया जाता है। उसके पैरों में घुंघरु बांधकर अन्य आभूषण पहनाए जाते हैं। सुबह जल्दी उठकर गौमाता के चरण स्पर्श किये जाते हैं व उनकी सींग पर चुनरी बांधी जाती है। गौमाता की परिक्रमा कर उन्हें चराने के लिए बाहर ले जाया जाता है। इस दिन ग्वालों को तिलक लगाया जाता है व उन्हें दान भी दिया जाता है। गाय शाम को चर कर जब घर लौटे तो फिर उनकी पूजा की जाती है। इस दिन अच्छा भोजन हरा चारा, गुड़ व हरा मटर खिलाया जाता है। जिन घरों में गाय नहीं होती है वो लोग गौशाला जाकर उनकी पूजा करते हैं, गंगाजल व फूल चढ़ाकर गुड़ भी खिलाते हैं। कुछ लोग इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं और श्री कृष्ण के भजन गाते हैं।

इस प्रकार दीपावली के बाद आने वाले गोपाष्टमी त्यौहार को आप पूरी तरह से समझ गए होंगे। आइए 9 नवंबर 2024 शनिवार को पूरे देश के साथ हम भी गोपाष्टमी 2024 का पर्व मनाते हैं। Gopashtami :

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