UP Crime : पॉलिथीन में लपेटकर सूटकेस में रखा युवती का शव




Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश के उच्च प्राथमिक और अन्य विद्यालयों के बच्चों ने जलवायु परिवर्तन से संबंधित अपना मांगपत्र शुक्रवार को बेसिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव दीपक कुमार को सौंपा। इसमें जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने की दिशा में कदम उठाने समेत जलवायु परिवर्तन को स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की गई है।
एक विज्ञप्ति के मुताबिक ‘विश्व बाल दिवस’ के उपलक्ष्य में बेसिक शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश एवं यूनिसेफ के संयुक्त तत्वाधान में शुक्रवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में जलवायु परिवर्तन पर बाल सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें लखनऊ के 300 बच्चों ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम के विषय में जानकारी देते हुए यूनिसेफ, नई दिल्ली के शिक्षा विशेषज्ञ रामचंद्र राव बेगुर ने कहा, “जलवायु परिवर्तन के विषय में बच्चों को जागरूक करने के लिए 12-18 अक्टूबर के बीच उत्तर प्रदेश के 20 जिलों के 240 उच्च प्राथमिक एवं अन्य विद्यालयों में एक अभियान चलाया गया।
इस अभियान का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के प्रति बच्चों को जागरूक करना और इसके लिए सक्रिय भूमिका निभाने के लिए बच्चों को प्रेरित करना था। एक सप्ताह तक चले इस अभियान में लगभग 6000 बच्चों ने हिस्सा लिया।
बच्चों ने अपने गांव में बैठकों का आयोजन किया एवं साल-दर-साल होने वाले परिवर्तन को समझने के लिए किसानों, बड़े बुज़ुर्गों एवं संबंधित हितधारकों के साक्षात्कार भी लिये।
इन सब गतिविधियों के बाद बच्चों द्वारा एक मांगपत्र बनाया गया जिसमें सभी मुद्दों को शामिल किया गया। जलवायु परिवर्तन पर बच्चों की समझ की सराहना करते हुए प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा दीपक कुमार ने कहा, “जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक मुद्दा है। उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों के बच्चों को विषय की गहरी समझ है और वे इस समस्या के प्रति जागरूक हैं।’’
उन्होंने कहा कि बच्चों द्वारा बनाए गए मांगपत्र को देखकर यह ज्ञात होता है की उन्होने विषय को ठीक से समझा है और वे परिवर्तन लाना चाहते हैं। मांगपत्र में बच्चों ने जलवायु परिवर्तन के कारण स्वास्थ्य एवं पोषण पर पड़ रहे दुष्प्रभावों को कम करने के लिए सरकार से मांग की।
सभी स्कूलों में बच्चों के खेलने के लिए मैदान, स्वच्छ पेय जल एवं लड़के-लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय की मांगों को भी पत्र में शामिल किया गया।
बच्चों ने मांगपत्र में पौष्टिक मिड-डे मील, किचन गार्डन एवं जैविक भोजन के विषय में जागरूकता लाने की भी बात रखी। आपदा से बचने के लिए किसानों के बीच सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारी के प्रचार प्रसार की भी मांग बच्चों ने की।
Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश के उच्च प्राथमिक और अन्य विद्यालयों के बच्चों ने जलवायु परिवर्तन से संबंधित अपना मांगपत्र शुक्रवार को बेसिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव दीपक कुमार को सौंपा। इसमें जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने की दिशा में कदम उठाने समेत जलवायु परिवर्तन को स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की गई है।
एक विज्ञप्ति के मुताबिक ‘विश्व बाल दिवस’ के उपलक्ष्य में बेसिक शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश एवं यूनिसेफ के संयुक्त तत्वाधान में शुक्रवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में जलवायु परिवर्तन पर बाल सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें लखनऊ के 300 बच्चों ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम के विषय में जानकारी देते हुए यूनिसेफ, नई दिल्ली के शिक्षा विशेषज्ञ रामचंद्र राव बेगुर ने कहा, “जलवायु परिवर्तन के विषय में बच्चों को जागरूक करने के लिए 12-18 अक्टूबर के बीच उत्तर प्रदेश के 20 जिलों के 240 उच्च प्राथमिक एवं अन्य विद्यालयों में एक अभियान चलाया गया।
इस अभियान का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के प्रति बच्चों को जागरूक करना और इसके लिए सक्रिय भूमिका निभाने के लिए बच्चों को प्रेरित करना था। एक सप्ताह तक चले इस अभियान में लगभग 6000 बच्चों ने हिस्सा लिया।
बच्चों ने अपने गांव में बैठकों का आयोजन किया एवं साल-दर-साल होने वाले परिवर्तन को समझने के लिए किसानों, बड़े बुज़ुर्गों एवं संबंधित हितधारकों के साक्षात्कार भी लिये।
इन सब गतिविधियों के बाद बच्चों द्वारा एक मांगपत्र बनाया गया जिसमें सभी मुद्दों को शामिल किया गया। जलवायु परिवर्तन पर बच्चों की समझ की सराहना करते हुए प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा दीपक कुमार ने कहा, “जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक मुद्दा है। उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों के बच्चों को विषय की गहरी समझ है और वे इस समस्या के प्रति जागरूक हैं।’’
उन्होंने कहा कि बच्चों द्वारा बनाए गए मांगपत्र को देखकर यह ज्ञात होता है की उन्होने विषय को ठीक से समझा है और वे परिवर्तन लाना चाहते हैं। मांगपत्र में बच्चों ने जलवायु परिवर्तन के कारण स्वास्थ्य एवं पोषण पर पड़ रहे दुष्प्रभावों को कम करने के लिए सरकार से मांग की।
सभी स्कूलों में बच्चों के खेलने के लिए मैदान, स्वच्छ पेय जल एवं लड़के-लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय की मांगों को भी पत्र में शामिल किया गया।
बच्चों ने मांगपत्र में पौष्टिक मिड-डे मील, किचन गार्डन एवं जैविक भोजन के विषय में जागरूकता लाने की भी बात रखी। आपदा से बचने के लिए किसानों के बीच सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारी के प्रचार प्रसार की भी मांग बच्चों ने की।

Uttar Pradesh: देश की राजधानी दिल्ली में श्रद्धा हत्याकांड के बाद धर्मांतरण और लव जिहाद को लेकर एक बार फिर यह मांग दोहराई जाने लगी है कि लव जिहाद और धर्मांतरण को लेकर बनाए गए कानूनों में और सख्ती की जाए। इसी के तहत उत्तर प्रदेश में लव जिहाद और धर्मांतरण के मामलों पर एक नजर डालते हैं। जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में अब तक कितने मामले दर्ज हुए हैं।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण के मामलों को लेकर मुख्य़मंत्री योगी आदित्यनाथ बेहद सख्त हैं। यूपी में अब तक 291 मामले दर्ज हुए हैं और 507 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। आंकड़ों के अनुसार 150 मामलों में पीड़ितों ने कोर्ट के सामने जबरदस्ती धर्म बदलवाने की बात कबूल की है, जबकि 59 मामले नाबालिगों के धर्मांतरण के दर्ज हो चुके हैं।
इस जिले में सबसे ज्यादा धर्मांतरण धर्मांतरण के मामलों की सबसे ज्यादा संख्या बरेली जनपद में रही है। उत्तर प्रदेश में एक ऐसे रैकेट का भी खुलासा हो चुका है जो दिव्यांग बच्चों का धर्मांतरण करता था।
धर्मांतरण के दोषी के लिए सजा आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में 27 नवंबर, 2020 से गैर कानूनी धार्मिक रूपांतरण निषेध कानून लागू हो चुका है। उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण कानून के तहत दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को अपराध की गंभीरता के आधार पर 10 साल तक की जेल और जुर्माने की राशि 15 हजार से 50 हजार तक तय की गई है।
जबरन सामूहिक धर्मांतरण के लिए जेल की सजा तीन से 10 साल और जुर्माना 50 हजार का जुर्माना तय किया गया है। इसके अलावा कानून के मुताबिक अगर विवाह का एकमात्र उद्देश्य महिला का धर्म परिवर्तन कराना था, तो ऐसी शादियों को अवैध करार दिया जाता है।
जिला मजिस्ट्रेट की अनुमति जरुरी सरकार ने तय किया है कि यदि अपनी इच्छा से अंतर धर्म विवाह करता है तो शादी करने से दो महीने पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचित करना होता है। एससी/एसटी समुदाय के नाबालिगों और महिलाओं के धर्मांतरण पर तीन से 10 साल की सजा का प्रावधान है।
Uttar Pradesh: देश की राजधानी दिल्ली में श्रद्धा हत्याकांड के बाद धर्मांतरण और लव जिहाद को लेकर एक बार फिर यह मांग दोहराई जाने लगी है कि लव जिहाद और धर्मांतरण को लेकर बनाए गए कानूनों में और सख्ती की जाए। इसी के तहत उत्तर प्रदेश में लव जिहाद और धर्मांतरण के मामलों पर एक नजर डालते हैं। जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में अब तक कितने मामले दर्ज हुए हैं।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण के मामलों को लेकर मुख्य़मंत्री योगी आदित्यनाथ बेहद सख्त हैं। यूपी में अब तक 291 मामले दर्ज हुए हैं और 507 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। आंकड़ों के अनुसार 150 मामलों में पीड़ितों ने कोर्ट के सामने जबरदस्ती धर्म बदलवाने की बात कबूल की है, जबकि 59 मामले नाबालिगों के धर्मांतरण के दर्ज हो चुके हैं।
इस जिले में सबसे ज्यादा धर्मांतरण धर्मांतरण के मामलों की सबसे ज्यादा संख्या बरेली जनपद में रही है। उत्तर प्रदेश में एक ऐसे रैकेट का भी खुलासा हो चुका है जो दिव्यांग बच्चों का धर्मांतरण करता था।
धर्मांतरण के दोषी के लिए सजा आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में 27 नवंबर, 2020 से गैर कानूनी धार्मिक रूपांतरण निषेध कानून लागू हो चुका है। उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण कानून के तहत दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को अपराध की गंभीरता के आधार पर 10 साल तक की जेल और जुर्माने की राशि 15 हजार से 50 हजार तक तय की गई है।
जबरन सामूहिक धर्मांतरण के लिए जेल की सजा तीन से 10 साल और जुर्माना 50 हजार का जुर्माना तय किया गया है। इसके अलावा कानून के मुताबिक अगर विवाह का एकमात्र उद्देश्य महिला का धर्म परिवर्तन कराना था, तो ऐसी शादियों को अवैध करार दिया जाता है।
जिला मजिस्ट्रेट की अनुमति जरुरी सरकार ने तय किया है कि यदि अपनी इच्छा से अंतर धर्म विवाह करता है तो शादी करने से दो महीने पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचित करना होता है। एससी/एसटी समुदाय के नाबालिगों और महिलाओं के धर्मांतरण पर तीन से 10 साल की सजा का प्रावधान है।