Uttrakhand : बजट आम आदमी के लिए खाली लिफाफा: हरीश रावत

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar03 Feb 2023 07:57 PM
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Uttrakhand News / नवीन बिष्ट अल्मोड़ा। केन्द्र सरकार का बजट आम जनता के लिए खाली लिफाफा है। सरकार की घोषणाएं कोरी कल्पनाओं के अतिरिक्त कुछ नहीं। यह बात उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत ने कही। रावत यहां पत्रकारों से मुखतिब थे। उन्होंने केन्द्र की भाजपा सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि भाजपा के पास नाम बनाने वालों की अच्छी टीम है जो नाम रखने में माहिर है। उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण का उल्लेख करते हुए बजट के सात आधार बताते हुए उन्हें सप्तऋषि नाम दिया, लेकिन सातों आधार सप्तऋषि तो नहीं ऋषियों के कंकाल निकले।

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आर्थिक पैकेज को अडानी युक्त इकानामी बताते हुए कहा कि यह ठगी का पुलिंदा है। जिसके कारण अन्न ही महंगा नहीं होगा बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, मनरेगा, सिंचाई आदि का बजट घटा दिया है। कुल मिलाकर यह बजट बेरोजगार व गरीब विरोधी है। उन्होंने कहा कि लोअर, मध्यम वर्ग के लिए केवल जगलरी की है। आयकर के लाभ की जहां तक बात है यह पूंजी पतियों के हितों को ही सार्थक किया है।

उत्तराखण्ड की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए हरीश रावत ने कहा कि अब तक छलावे के अलावा राज्य की जनता के साथ कुछ नहीं हुआ है। धरातली तौर पर विकास कार्य ठप पड़ गए हैं। सरकार का विकास का आइना यहां के सड़के दिखा रही हैं। यह समझ नहीं आ रहा कि सड़कों पर गड्ढे हुए कि गड्ढों की सड़के हैं। दूसरा आइना युवाओं की बेरोजगारी का है। जितने लोगों को रोजगार दिया, उससे ज्यादा निकाल दिए, जिसमें उपनल से लेकर विधानसभा कर्मी शामिल हैं। सरकार की नाकामियों पर प्रहार करते हुए कहा कि सरकार की छत ही लीक कर रही है, छत इतनी जगह चूने लगी है कि बचने की जगह ही बची नहीं है।

हरीश रावत ने लोक सेवा आयोग में गड़बड़ियों का जिक्र करते हुए कहा कि आयोग में गड़बड़ियां गंभीर हैं। गड़बड़ियों का आंकलन इस बात से ही किया जा सकता है कि गड़बड़ी नौकरी देने में ही नहीं बल्कि सुनोयोजित तरीके से बच्चों को नौकरी से वंचित किया गया है, हक मारा है। रावत ने कहा कि लोक सेवा आयोग सुगठित गिरोह है। राज्यों के अन्दर महिलाओं पर अत्याचार दलित महिलाओं पर अत्याचार की पराकाष्ठा हो गई है। जिसके कारण राज्य की छवि पर धब्बा लग गया है।

उन्होंने कहा कि राज्य की भाजपा सरकार सुश्री उमा भारती के कथन को सत्य कर रही है कि उत्तराखण्ड बालू, बजरी, शराब और लूटो काटो का केद्र बन गया है। यह माफियों का राज्य बन गया है। हरीश रावत ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा तपस्या थी, तो अब हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा राजनैतिक रूप से राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम है। पत्रकार वार्ता में पूर्व राज्य सभा सदस्य प्रदीप टम्टा, विधायक मनोज तिवारी, पूर्व विधान सभा अध्यक्ष गोविन्द सिंह कुजवाल, महेश वर्मा, राजेन्द्र बाराकोटी, तारू जोशी, गुड्डु भोज व राजेश बिष्ट सहित अनेक लोग मौजूद रहे।

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Joshimath Disaster: जोशीमठ से 296 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया: सरकार

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Joshimath Disaster
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 07:20 PM
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Joshimath Disaster: नई दिल्ली। पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा को बताया कि उत्तराखंड सरकार ने 296 परिवारों के 995 सदस्यों को धंसाव प्रभावित जोशीमठ से सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया है।

Joshimath Disaster Update

उच्च सदन में तीन अलग-अलग सवालों के लिखित जवाब में पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि जोशीमठ में हाल ही में जमीन धंसने के कारण 863 इमारतों में दरारें देखी गई हैं और कई संरचनाओं को मध्यम और बड़े नुकसान की सूचना मिली है।

उन्होंने कहा कि जमीन धंसने की घटनाओं के बाद उत्तराखंड सरकार ने तपोवन-विष्णुगढ़ बिजली परियोजना और हेलोंगमारवाड़ी बाईपास रोड सहित पूरे जोशीमठ क्षेत्र में सभी निर्माण गतिविधियों पर रोक लगा दी है।

उन्होंने कहा कि 30 जनवरी तक कुल 235 प्रभावित परिवारों को राहत सहायता के रूप में 3.50 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं।

सिंह ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने पुनर्वास के लिए अग्रिम भुगतान के रूप में 1,00,000 रुपये और प्रत्येक प्रभावित परिवार को विस्थापन भत्ते के रूप में 50,000 रुपये का भुगतान करने के आदेश जारी किए हैं और इस उद्देश्य के लिए 45 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।

पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने कहा कि 1976 में गठित महेश चंद्र मिश्रा समिति ने सुझाव दिया था कि जोशीमठ में जमीन की स्थिति की भार वहन क्षमता की जांच करने के बाद ही भारी निर्माण की अनुमति दी जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि हिल स्टेशनों में आवासीय वाणिज्यिक निर्माण पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं है, लेकिन स्थानीय प्रशासन खतरे के जोखिमों के आधार पर प्रतिबंध लगाने पर निर्णय ले सकता है।

सिंह ने कहा कि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने पहाड़ी क्षेत्रों के लिए भूस्खलन संवेदनशीलता मानचित्र तैयार किए हैं, जिनमें से कई अस्थिर और गतिशील भू क्षेत्र हैं।

उन्होंने कहा कि विकास योजना में स्थानीय प्रशासन द्वारा इन मानचित्रों को ध्यान में रखा जाना है।

मंत्री ने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में किसी भी बड़ी निर्माण परियोजना को शुरू करने से पहले पर्यावरण मंजूरी अनिवार्य है।

सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रभावित परिवारों के लिए अस्थायी आवास की व्यवस्था की है, जिसके लिए प्रति दिन प्रति कमरा 950 रुपये और भोजन के लिए 450 रुपये प्रति व्यक्ति प्रदान किए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि जो लोग इन अस्थायी आवासों का लाभ नहीं उठा रहे हैं, उन प्रभावित परिवारों को छह महीने के लिए प्रति माह 5,000 रुपये का भत्ता प्रदान किया जा रहा है।

सिंह ने कहा कि राहत शिविरों में प्रभावित लोगों को मुफ्त चिकित्सा जांच और मुफ्त दवाएं भी प्रदान की गईं।

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Joshimath : जोशीमठ के बेहद करीब कोई जल विद्युत परियोजना नहीं : केंद्रीय मंत्री

Rk singh
No hydropower project very close to Joshimath: Union Minister
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 06:19 PM
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नई दिल्ली। सरकार ने बताया कि उत्तराखंड के जोशीमठ नगर के अति निकटवर्ती क्षेत्र में कोई जल विद्युत परियोजना नहीं है। तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना भी उस स्थान से काफी दूर है, जहां पिछले दिनों जमीन धंसने की घटना हुई थी।

Joshimath

लोकसभा में असदुद्दीन ओवैसी के प्रश्न के लिखित उत्तर में विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जोशीमठ क्षेत्र में जमीन धंसने की घटना से तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना अप्रभावित है। फिर भी जिला प्रशासन ने परियोजना स्थल पर निर्माण गतिविधियों को अगले आदेश तक स्थगित रखने के लिए पांच जनवरी 2023 को एक आदेश जारी किया है।

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मंत्री ने कहा कि वर्तमान में देश में विभिन्न राज्यों के हिमालयी क्षेत्र में कुल 11,137.50 मेगावाट की स्थापित क्षमता की 30 बड़ी जल विद्युत परियोजनाएं विकसित की जा रही हैं, जो 25 मेगावाट स्थापित क्षमता से अधिक हैं। इन परियोजनाओं में से कुल 10,381.50 मेगावाट की 23 जल विद्युत परियोजनाएं सक्रिय रूप से निर्माणाधीन हैं और कुल 756 मेगावाट की 7 जल विद्युत परियोजनाएं रुकी हुई हैं। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही देश में विभिन्न राज्यों के हिमालयी क्षेत्र में कुल 22,982 मेगावाट की स्थापित क्षमता वाली 87 जल विद्युत परियोजनाएं परिचालित हैं।

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सिंह ने कहा कि 25 मेगावाट से अधिक की कोई भी जल विद्युत परियोजना पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त करने से पूर्व आरंभ नहीं की जाती है। उन्होंने कहा कि इसे पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा किसी विशेष मूल्यांकन समिति द्वारा व्यापक जांच परख के बाद ही स्वीकृति प्रदान की जाती है। नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि परियोजना प्रस्ताव का केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) द्वारा सुरक्षा दृष्टिकोण से भी मूल्यांकन किया जाता है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, वैधानिक सहमति देने से पूर्व, भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण तथा केंद्रीय मृदा एवं सामग्री अनुसंधानशाला सहित अन्य मूल्यांकन एजेंसियों के साथ परियोजना प्रस्ताव की जांच करता है। उन्होंने बताया कि इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि जल विद्युत परियोजना का निर्माण आरंभ होने से पहले सभी आवश्यक स्वीकृतियां प्राप्त की जा चुकी हैं।

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गौरतलब है कि उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में कई मकानों में दरारें आने के बाद पिछले महीने अनेक परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था। वहां निर्माण कार्य पर रोक लगा दिया गया था। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।