Democracy: यह कैसा लोकतंत्र है जहाँ भाषा की सारी मर्यादा भूल गए हैं नेता

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Nov 2025 08:39 PM
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Democracy : उदय प्रताप सिंह

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय आदित्यनाथ जी एक संत हैं,पढ़े लिखे भी हैं और भारत के सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री हैं। इतने विशेषणों के बावजूद उनकी भाषा ऐसी है कि जो न तो लोकतांत्रिक दिखती है, पढ़े लिखे आदमी की भी भाषा नहीं लगती है। संत की तो बिल्कुल नहीं लगती। योगी जी ने समाजवादी पार्टी को विध्वंसक बताया, गुंडों की पार्टी बताया, माफियाओं की पार्टी बताया। लेकिन उनकी अपनी भाषा जो वह सदन में चुनावी प्रचार सभाओं में बोलते किसी माफिया की भाषा से कम नहीं है।

यह सर्वविदित है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सीधी टक्कर सपा से है। यह भाषा कहीं भयभीत की भाषा नहीं है? लोकतंत्र मैं विपक्ष उतना ही सम्मानित महत्वपूर्ण और आवश्यक है जितना सत्तापक्ष होता है।

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अगर विपक्ष नहीं होगा या विपक्ष को इस तरह से अपमानित किया जाएगा और उसकी अवमानना की जाएगी तो वह लोकतंत्र के मूल भावना के विरुद्ध है। वैसे भी पढ़े लिखे एक संत को याद रखना चाहिए कि संतों ने भाषा के बारे में क्या कहा है?

तुलसीदास जी ने लिखा है... (तुलसी मीठे वचन से सुख उपजत चहुं ओर वशीकरण एक मंत्र है तज दे वचन कठोर)

वहीं कबीर ने लिखा है.. (कागा काको धन हरे कोयल काको देय मीठी वाणी बोल कर सबका मन हर लेय)

लज्जा स्पद है कि भारतीय लोकतंत्र विश्व सूचकांक में बराबर नीचे खिसक रहा है। जिसके अनेक कारण हैं उनमें तानाशाही की यह भाषा भी एक कारण है। क्षद्म देशप्रेम और संकीर्णतावादी हिन्दुत्व के अलमबरदार सबसे श्रेष्ठ धर्म और देश को जो हानि भाषा से पहुंचा रहे हैं उसे आने वालीं नस्लें निंदा सहित अस्वीकार करेंगी।

जिन देशों का नाम विश्व के लोकतांत्रिक सूचकांक में ऊपर है, उन देशों में नेता विपक्ष का सम्मान सत्ता पक्ष के नेता के बराबर होता है। पर यहाँ संविधान, लोकतांत्रिक व्यवस्था और गणतंत्र की मर्यादा की आए दिन, तरह-तरह से किश्तों मे हत्या की जा रही है। विडम्बना यह है कि इस जघन्य अपराध को करने वाले उसी संविधान की शपथ लेकर पदासीन हुए हैं।

सर्वोच्च न्यायालय के पिछले कुछ साल के वे सब फैसले जो उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार की कार्य शैली के विरुद्ध दिए हैं। देखा जाएं तो सरकार की अयोग्यता, मनमानी का प्रामाणिक दस्तावेज तैयार हो जाएगा।

(लेखक सुप्रसिद्ध कवि व शिक्षाविद हैं)

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Editorial : इस मामले में प्रथम होना नहीं चाहता था भारत , अब क्या करें

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Editorial : India did not want to be the first in this matter, what to do now
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 04:09 AM
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[caption id="attachment_86288" align="aligncenter" width="195"]Dr. Ajay Kumar Mishra Dr. Ajay Kumar Mishra[/caption] Editorial : किसी भी देश के लिए वहां की जनसँख्या आशीर्वाद है जब उनकी क्षमता का दोहन सही तरीके से किया जाय, इसके ठीक विपरीत वही जनसँख्या उनके लिए किसी बड़े अभिशाप से कम नहीं है यदि उपलब्ध संसाधनों के अनुपात में जनसँख्या अत्यधिक हो | हाल ही में यूनाइटेड नेशंस द्वारा जारी किये गए आकड़ों के अनुसार भारत की जनसँख्या 142.86 करोड़ हो गयी है | हमारी आबादी दुनियां में किसी भी देश की आबादी से सर्वाधिक है | हमारे पश्चात् चीन दुसरें क्रम पर है जिसकी आबादी 142.57 करोड़ है | हमसे पहले चीन की आबादी दुनियां में सर्वाधिक थी |

Editorial :

  यूनाइटेड नेशंस के आकड़े यह भी कहतें है की दुनियां में पांच ऐसे देश है जिनकी जनसँख्या घटते क्रम में है यानि की वृद्धि की रप्तार घटते क्रम में है ये देश है भारत, चीन, अमेरिका, इंडोनेशिया और पाकिस्तान | पर यह भारत के लिए राहत नहीं प्रदान करता | भारत की 25 प्रतिशत जनसँख्या 0-14 उम्र में है और 18 प्रतिशत जनसँख्या 10-19 प्रतिशत में है | 26 प्रतिशत जनसँख्या 10 से 24 उम्र की है यानि की सर्वाधिक युवा आबादी है | 68 प्रतिशत 15-64 उम्र में है | महज सात प्रतिशत आबादी 65 उम्र से अधिक है | यदि 25 वर्ष उम्र से कम की आबादी को देखा जाये तो इनकी संख्या 40 प्रतिशत है | विशेषज्ञों का कहना है की जहाँ एक तरफ केरल और पंजाब की आबादी बढ़ती उम्र की आबादी है वही उत्तर प्रदेश और बिहार की आबादी युवा है | कई अध्ययनों से यह भी पता चला है की जनसँख्या 165 करोड़ के चरम पर पहुचने से पहले भारत की आबादी लगभग तीन दशकों तक बढ़ने की उम्मीद है इसके पश्चात् जनसँख्या में गिरावट शुरू हो जाएगी | तो क्या भारत की जनसँख्या चिंता जनक है ? भारत की आबादी अधिक होने के पीछे हमें कारणों और उससे नुकशान को जानना जरुरी है – भारत की आबादी ऐतिहासिक रूप से अधिक रही है | हमारे यहाँ उच्च जन्म दर और प्रजनन दर है | हमारे यहाँ कम उम्र में विवाह होना और सार्वभौमिक विवाह प्रणाली का होना भी हमारी जनसँख्या में वृद्धि करता है | गरीबी और अशिक्षा भी जनसँख्या वृद्धि में अहम् भूमिका निभाते है | सदियों पुराना सांस्कृतिक आदर्श जहाँ सभी को बेटा ही चाहिए से भी जनसँख्या में वृद्धि हो रही है | अवैध प्रवास भी जनसँख्या वृद्धि में अहम् रोल अदा कर रहा है | इसके अतिरिक्त जागरूकता की कमी भी इसमें अहम् भूमिका निभा रही है | सर्वाधिक आबादी होने के कारण हम जन्म और प्रजनन दर के आदर्श मानक को प्राप्त नहीं कर पा रहे है | बेरोजगारी में बेतहाशा वृद्धि हो रही है | हमारे विभिन्न इंफ्रास्ट्रक्चर पर भारी दबाव पड़ना शुरू हो गया है | हम उपलब्ध जनशक्ति का सही उपयोग देश के विकास में नहीं कर पा रहें है | जमीन और पानी की कमी की समस्या के अतिरक्त हम जंगलों का खात्मा करते चले जा रहे है | उत्पादों के उत्पादन में कमी आ रही है जबकि लागत में वृद्धि होती जा रही है, जिससे मुद्रास्फीति बढ़ रही है | लोगों की आय में भारी असमानता है और भारत की संसद में विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधित्व में भिन्नता भी बढ़ रही है | भारत के परिप्रेक्ष में बढ़ती जनसँख्या पर सभी के अलग – अलग मत है परन्तु जब वैश्विक और भारत में उपलब्ध संसाधनों से तुलना करेगे तो बढ़ती जनसँख्या विनाश की तरफ तेजी से जा रही है | हालाँकि कई विद्वान् देश में बढ़ती जनसँख्या के पक्ष में कहते है की यह एक सकारात्मक पहलू है जिससे उपभोक्ताओं का एक बड़ा समूह तैयार हो रहा है | जनसँख्या वृद्धि तकनीकी उन्नति से सम्बंधित है | भारत में जनसांख्यिकीय लाभांश भी है | हालाँकि भारत सरकार ने जनसँख्या नियंत्रण हेतु, पापुलेशन पालिसी कमिटी, सेंट्रल फॅमिली प्लानिंग बोर्ड, द न्यू पापुलेशन पालिसी 1977, द नेशनल पापुलेशन पालिसी 2000, मिशन परिवार विकास 2016, और रेजिंग द मैरिज ऐज ऑफ़ गर्ल्स समेत कई नियम लागू कर चुकी है |   वर्तमान में भारत के विकास और सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था बनाने के लिए जनसँख्या पर नियंत्रण अति आवश्यक है और इसके लिए जरुरी है कि - सामाजिक कुरीतियों को जड़ से ख़त्म करने के लिए बड़ा प्रयास किया जाय | विवाह हेतु वर्तमान में चल रहे न्यूनतन विवाह की उम्र में न केवल वृद्धि करनी चाहिए बल्कि इस नियम का शत-प्रतिशत पालन देश के कोने-कोने में होना चाहिए | महिलाओं की स्थिति को ऊपर उठाना जरुरी है, इसलिए महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक रूप से विकसित होने के अवसर प्रदान किया जाना चाहिए | महिलाओं को मुफ्त शिक्षा दी जानी चाहिए | शिक्षा का प्रचार और प्रसार तेजी से और प्रभावी तरीके से करने की जरूरत है | बच्चो को गोद लेने के नियमों में सरलता लाकर लोगों को प्रेरित करना चाहिए | ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के लिए अलग – अलग आर्थिक उपाय की जरूरत पर ध्यान देना चाहिए | शहरीकरण आबादी को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र में लोगों की आबादी वृद्धि दर शहरों की अपेक्षा अत्यधिक होती है | कठोर जन्म नियंत्रण कानून सरकार को अविलम्ब बनना चाहिए जो सामान रूप से सभी जाति धर्म और मजहब पर लागू हो | परिवार नियोजन के बारें में व्यापक जागरूकता के साथ –साथ नियोजन के संसाधनों की उपलब्धता हर घर हो | भारत के सम्बन्ध में वर्तमान जनसँख्या चिंता का विषय माना जा सकता है जरूरत है एक बड़े बदलाव की यदि बदलाव नहीं किये जाते है तो भविष्य में अनेकों ऐसी समस्याओं से सभी को दो चार होना पड़ेगा जिसका समाधान किसी के पास भी नहीं होगा |

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Noida News : नोएडा के पहले आवासीय सेक्टर-11 की दुर्दशा

Sector 1
Noida News : Ghumta Aaina
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 12:29 AM
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-अंजना भागी

Noida News : 'शहर में 'घूमता आईना' चेतना मंच का एक विशेष अभियान हैं। इस अभियान के तहत हम नोएडा शहर के प्रत्येक सेक्टर की समस्याओं को पाठकों के साथ ही साथ शासन व प्रशासन तक पहुंचाते हैं। इसी अभियान के तहत आज शहर में घूमता आईना पहुंचा है नोएडा के आवासीय सेक्टर-11 में। आप भी पढ़ें सेक्टर-11 की विशेषताओं व समस्याओं के विषय में ।

Noida Sector-11नोएडा का सेक्टर-11 सबसे पहला आवासीय सेक्टर है। यह नोएडा शहर के उत्तर पश्चिम में स्थित है। नोएडा क्षेत्र में कम घनत्व वाले आवासों के साथ सबसे छोटे आवासीय समूहों में से एक है। इस सेक्टर की जनसंख्या लगभग 5000 है। इस सैक्टर में 10 ब्लॉक हैं। जिसमें कुल मिलाकर 6 पार्क तथा 120 मीटर लंबी और 6 मीटर चौड़ी ग्रीन बेल्ट है। सेक्टर-11 में मुख्यत: नौकरीपेशा तथा व्यापारी निवास करते हैं। यह दिल्ली को छूता बहुत ही शांत, ग्रीन और साफ सुथरा सैक्टर होने के कारण नोएडा प्राधिकरण द्वारा सेक्टरों के किए गए वर्गीकरण में सी कैटेगरी में आता था। लेकिन नोएडा के युवा होने के साथ-साथ इसकी सही देखभाल न हो पाने के कारण आज यह सेक्टर चौथी कैटेगरी 'डी' में शुमार हो गया है।

Noida News :

सेक्टर-11 को नोएडा प्राधिकरण द्वारा पहले औद्योगिक रूप में विकसित किया गया था। बाद में प्राधिकरण ने इस सेक्टर को दो भागों में बांट दिया। औद्योगिक तथा रिहायशी इकाइयों में। रिहायशी इकाई में लगभग 550 प्लॉट हैं। नोएडा के रिहायशी सेक्टरों को प्राधिकरण ने प्राय: बड़े-बड़े पार्क दिये हैं। लेकिन सेक्टर-11 में ऐसा नही है। यहां एच ब्लॉक जिसमें लगभग 70 प्लॉट हैं। सभी घर मल्टीस्टोरी बने हुए हैं। इनके लिए एक मध्यम साइज का पार्क है। के- ब्लॉक जिसमें 80 प्लॉट हैं के बीच में भी एक मध्यम साइज पार्क है। एल और पी के दो-दो ब्लॉक हैं। दोनों में छोटे और मीडियम साइज़ के पार्क हैं।

बात समस्याओं की ! अन्य आवासीय सेक्टरों की तरह से ही सेक्टर-11 में भी ढ़ेर सारी समस्याएं हैं। यहां के नागरिकों का मत है कि सेक्टर की सबसे बड़ी समस्या सिंचाई विभाग का गंदा नाला है। इस नाले के कारण सैक्टर के एस, पी व टी ब्लॉकों में तो हवा के रुख के साथ बदबू ही फैली रहती है और हमेशा बीमारियां ही पनपती रहती हैं। सेक्टर की सुरक्षा व्यवस्था भी एक बड़ा मुद्दा है। इतना ही नहीं सेक्टर के बीच में खुला हुआ मेट्रो अस्पताल भी सेक्टरवासियों के जी का जंजाल बना हुआ है। पार्क छोटे, पब्लिक ज्यादा इसलिए इनका रख-रखाव भी एक बड़ी समस्या है तो कुछ नागरिकों के लिए आवारा कुत्ते समस्या बने हुए हैं। सेक्टर की समस्याएं पूछने पर श्रीमती अनीता फ्रेंकलिन कहती हैं कि उनके घर के सामने से बहने वाले नाले तथा बारात घर वाले नाले से पूरे पी ब्लॉक की सामने वाली लाइन में शाम को बदबू आती है। पी तथा आर ब्लॉक के निवासियों को यहां बने स्कूल में आने वाली गाडिय़ों से काफी परेशानी है। यहां पर लोग स्कूल और हॉस्पीटल की वजह से गाडिय़ां पार्क करके चले जाते हैं जिसके कारण सुबह और शाम सेक्टरवासियों को परेशानी होती है।

[caption id="attachment_86254" align="aligncenter" width="945"]Noida News : The plight of Noida's first residential Sector-11 Noida News : The plight of Noida's first residential Sector-11[/caption]

सेक्टर के निवासी अशोक रस्तोगी के मुताबिक मेट्रो हॉस्पीटल में आने वाले लोग अपनी गाडिय़ां इधर-उधर यहां तक कि लोगों के घरों के सामने भी खड़ी कर देते हैं जिससे कई बार स्थिति तनावपूर्ण हो जाती है।

सेक्टरवासी प्रवीण जयरथ के अनुसार अस्पताल ने पूरा एल ब्लॉक घेर रखा है। दिन-रात आने वाली एम्बुलेंस के बजते सायरन से यहां रहने वाले सीनियर सिटीजन को भारी परेशानी होती है।

हॉस्पीटल के ठीक पीछे रहने वाले बृजगोपाल शर्मा ने बताया कि एल, एम, जे व आई ब्लॉक में बने नाले हमेशा पानी से भरे रहते हैं। यहां मच्छर काफी संख्या में पनपते हैं। सेक्टर में रहने वाले चन्द्रेश शर्मा ने बताया कि कुछ दिन पहले एक व्यक्ति ने उनके घर के सामने अपनी गाड़ी पार्क कर दी। काफी मशक्कत के बाद वहां से गाड़ी हट पाई। सेक्टर में एल ब्लॉक तथा एच ब्लॉक मार्केट है जहां कई खाने-पीने के रेस्टोरेंट हैं।

एच ब्लॉक मार्केट में नोएडा प्राधिकरण ने दुकानें आवंटित की हैं, लेकिन शाम के समय माहौल बदल जाता है। सडक़ पर रेहड़ी पटरी वाले दुकान सजा लेते हैं और बाहर के सेक्टरों से आकर लोग यहां गाडिय़ां लगाकर खाने-पीने लगते हैं। कई बार असामाजिक तत्व भी अपनी गाड़ी खड़ी करके गाडिय़ों में ही शराब पीते हैं।

सेक्टरवासियों ने बताया कि यहां बने बारातघर के पीछे ग्रीन बेल्ट है। इस ग्रीन बेल्ट के आधे हिस्सों पर एक बाबा ने कब्जा कर  रखा है। ग्रीन बेल्ट के पेड़ गायब हैं औैर गाय बंधी हुर्ई है जहां  दूध बिकता है। यहां असामाजिक तत्व भी दीवार फांदकर कभी भी घुस आते हैं जिससे सेक्टर की सुरक्षा खतरे में रहती है।

बी.एस. शर्मा के अनुसार आर ब्लॉक इन दिनों बदहाल हैं। एक ओर इंडस्टी है दूसरी ओर स्कूल और तीसरी ओर डिस्पेंसरी। एस ब्लॉक में तो बच्चे और सीनियर सिटीजन सुबह-शाम हैवी ट्रैफिक के कारण सेक्टर में निकलने तक से डरते हैं क्योंकि दिल्ली का लगभग सारा ट्रैफिक इन्हीं के घरों के सामने से गुजरता है।

एच ब्लॉक में रहने वाली सुषमा नेब ने बताया कि आवारा कुत्तों की समस्या भी इस सेक्टर के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गयी है। सेक्टरवासी ऊषा बसंल, रेखा सिंह, बीना व स्नेहलता ने बताया कि अक्सर पार्कों में घूमने के दौरान आवारा कुत्ते लोगों को काट लेते हैं।

सेक्टर ग्यारह आरडब्लूए टीम के पदाधिकारी (अध्यक्ष) वी डी शर्मा, (महासचिव तथा वाईस प्रेसीडेंट) हीरा लाल गुप्ता। (सीनियर प्रेसीडेंट) प्रदीप अग्रवाल, (सह सचिव) विपुल शर्मा, अंजना भागी (कोषाध्यक्ष) एस सी अग्रवाल। रामचंदर, के पी शर्मा, प्रवीण कुमार, राजीव मल्होत्रा, अनिल शर्मा, गजेंद्र मोहन शर्मा, कुंवर सिंह, संजय वर्मा, सतीश कुमार और सुबह मिश्रा ने बताया कि सेक्टर में उक्त समस्याओं का समाधान हो जाए तो सेक्टरवासियों के लिए बड़ी राहत होगी।

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