ये डिग्रियां करके जिंदगी भर पछताएंगे, न बनेगा फ्यूचर, न मिलेगी नौकरी!

एक समय में था बड़ा क्रेज
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के लेबर इकोनॉमिस्ट डेविड जे. डेमिंग और कदीम नोरे की एक हालिया स्टडी के मुताबिक, कई ऐसी पारंपरिक डिग्रियां जिनका एक समय में बड़ा क्रेज था, आज की इंडस्ट्री में अपनी चमक खोती जा रही हैं। वजह है टेक्नोलॉजी में तेजी से बदलाव, ऑटोमेशन, और कौशल आधारित हायरिंग का चलन। इस बदलाव को 'डिग्री रीसेट' कहा जा रहा है यानी उन डिग्रियों की मांग में गिरावट जिनमें अपस्किलिंग की गुंजाइश कम होती है या जो सिर्फ थ्योरी आधारित होती हैं।ये हैं वो 10 डिग्रियां जिनकी वैल्यू धीरे-धीरे हो रही है कम
जनरल बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (General Business Administration)
कारण: जरूरत से ज्यादा ग्रेजुएट्स और कंपनियों की बदलती प्राथमिकताएं। अब टॉप MBA कॉलेज से डिग्री लेने के बावजूद हाई-पेइंग जॉब मिलना आसान नहीं।कंप्यूटर साइंस (Computer Science)
कारण: शुरुआती सैलरी अच्छी होती है लेकिन स्किल्स बहुत जल्दी आउटडेट हो जाते हैं। AI और ML जैसे नए फील्ड्स का प्रभाव बढ़ रहा है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग (Mechanical Engineering)
कारण: ऑटोमेशन और विदेशी मैन्युफैक्चरिंग ने इस फील्ड को कमजोर किया है। मशीनें इंसानों की जगह ले रही हैं।अकाउंटिंग (Accounting)
कारण: AI और ऑटोमेशन अब लेजर से लेकर ऑडिट तक खुद कर रहे हैं। मैनुअल काम की मांग घट रही है।बायोकेमिस्ट्री (Biochemistry)
कारण: पढ़ाई का दायरा सीमित। बिना एडवांस स्टडी (जैसे M.Sc. या PhD) के अच्छे जॉब विकल्प नहीं मिलते।साइकोलॉजी (UG लेवल)
कारण: केवल स्नातक लेवल की डिग्री से करियर विकल्प सीमित। अच्छी नौकरी के लिए मास्टर्स या रिसर्च जरूरी।इंग्लिश और ह्यूमैनिटीज (English and Humanities)
कारण: करियर की स्पष्टता नहीं और इंडस्ट्री में इनकी डायरेक्ट डिमांड कम है।सोशियोलॉजी और सोशल साइंस (Sociology and Social Science)
कारण: मार्केट से इनका सीधा तालमेल कमजोर है। नौकरी पाने में शुरुआती दिक्कतें आती हैं।हिस्ट्री (History)
कारण: मिड-लेवल करियर में भी इनकी सैलरी ग्रोथ अन्य क्षेत्रों की तुलना में कम देखी जाती है।फिलॉसफी (Philosophy)
कारण: थिंकिंग स्किल्स की वैल्यू है लेकिन ये स्किल्स मार्केट में सीधे बेचने लायक (marketable) नहीं होतीं।यह भी पढ़ें: छोटी बचत से कैसे बनाएं 40 लाख का बड़ा फंड, यहां देखें पूरी प्लानिंग
क्या करें स्टूडेंट्स?
सिर्फ डिग्री नहीं, स्किल्स पर भी फोकस करें। टेक्नोलॉजी, डेटा, डिजाइन, एनालिटिक्स, साइबर सिक्योरिटी, एआई-एमएल जैसे स्किल्स सीखें।इंटरनशिप, प्रोजेक्ट्स और ऑन-ग्राउंड एक्सपीरियंस पर जोर दें। अपने कोर्स के साथ-साथ सर्टिफिकेशन और ऑनलाइन अपस्किलिंग करते रहें। आज की पढ़ाई में ‘कौन सी डिग्री कर रहे हैं’ से ज्यादा जरूरी है कि क्या सीख रहे हैं। करियर में आगे बढ़ने के लिए आपको बदलते समय के साथ खुद को अपडेट रखना होगा। क्योंकि आने वाले 3–4 साल में वही लोग टॉप पर होंगे जिनके पास रियल स्किल्स होंगी। Useless Degreesअगली खबर पढ़ें
एक समय में था बड़ा क्रेज
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के लेबर इकोनॉमिस्ट डेविड जे. डेमिंग और कदीम नोरे की एक हालिया स्टडी के मुताबिक, कई ऐसी पारंपरिक डिग्रियां जिनका एक समय में बड़ा क्रेज था, आज की इंडस्ट्री में अपनी चमक खोती जा रही हैं। वजह है टेक्नोलॉजी में तेजी से बदलाव, ऑटोमेशन, और कौशल आधारित हायरिंग का चलन। इस बदलाव को 'डिग्री रीसेट' कहा जा रहा है यानी उन डिग्रियों की मांग में गिरावट जिनमें अपस्किलिंग की गुंजाइश कम होती है या जो सिर्फ थ्योरी आधारित होती हैं।ये हैं वो 10 डिग्रियां जिनकी वैल्यू धीरे-धीरे हो रही है कम
जनरल बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (General Business Administration)
कारण: जरूरत से ज्यादा ग्रेजुएट्स और कंपनियों की बदलती प्राथमिकताएं। अब टॉप MBA कॉलेज से डिग्री लेने के बावजूद हाई-पेइंग जॉब मिलना आसान नहीं।कंप्यूटर साइंस (Computer Science)
कारण: शुरुआती सैलरी अच्छी होती है लेकिन स्किल्स बहुत जल्दी आउटडेट हो जाते हैं। AI और ML जैसे नए फील्ड्स का प्रभाव बढ़ रहा है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग (Mechanical Engineering)
कारण: ऑटोमेशन और विदेशी मैन्युफैक्चरिंग ने इस फील्ड को कमजोर किया है। मशीनें इंसानों की जगह ले रही हैं।अकाउंटिंग (Accounting)
कारण: AI और ऑटोमेशन अब लेजर से लेकर ऑडिट तक खुद कर रहे हैं। मैनुअल काम की मांग घट रही है।बायोकेमिस्ट्री (Biochemistry)
कारण: पढ़ाई का दायरा सीमित। बिना एडवांस स्टडी (जैसे M.Sc. या PhD) के अच्छे जॉब विकल्प नहीं मिलते।साइकोलॉजी (UG लेवल)
कारण: केवल स्नातक लेवल की डिग्री से करियर विकल्प सीमित। अच्छी नौकरी के लिए मास्टर्स या रिसर्च जरूरी।इंग्लिश और ह्यूमैनिटीज (English and Humanities)
कारण: करियर की स्पष्टता नहीं और इंडस्ट्री में इनकी डायरेक्ट डिमांड कम है।सोशियोलॉजी और सोशल साइंस (Sociology and Social Science)
कारण: मार्केट से इनका सीधा तालमेल कमजोर है। नौकरी पाने में शुरुआती दिक्कतें आती हैं।हिस्ट्री (History)
कारण: मिड-लेवल करियर में भी इनकी सैलरी ग्रोथ अन्य क्षेत्रों की तुलना में कम देखी जाती है।फिलॉसफी (Philosophy)
कारण: थिंकिंग स्किल्स की वैल्यू है लेकिन ये स्किल्स मार्केट में सीधे बेचने लायक (marketable) नहीं होतीं।यह भी पढ़ें: छोटी बचत से कैसे बनाएं 40 लाख का बड़ा फंड, यहां देखें पूरी प्लानिंग
क्या करें स्टूडेंट्स?
सिर्फ डिग्री नहीं, स्किल्स पर भी फोकस करें। टेक्नोलॉजी, डेटा, डिजाइन, एनालिटिक्स, साइबर सिक्योरिटी, एआई-एमएल जैसे स्किल्स सीखें।इंटरनशिप, प्रोजेक्ट्स और ऑन-ग्राउंड एक्सपीरियंस पर जोर दें। अपने कोर्स के साथ-साथ सर्टिफिकेशन और ऑनलाइन अपस्किलिंग करते रहें। आज की पढ़ाई में ‘कौन सी डिग्री कर रहे हैं’ से ज्यादा जरूरी है कि क्या सीख रहे हैं। करियर में आगे बढ़ने के लिए आपको बदलते समय के साथ खुद को अपडेट रखना होगा। क्योंकि आने वाले 3–4 साल में वही लोग टॉप पर होंगे जिनके पास रियल स्किल्स होंगी। Useless Degreesसंबंधित खबरें
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