Kajari Teej 2023 : कजरी तीज 2 सितंबर को, 4 शुभ मुहूर्त, जानें पूजा विधि और कथा

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 Kajari Teej 2023
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 03:02 PM
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 Kajari Teej 2023 : धर्म ग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज (Kajari Teej 2023) कहते हैं। इस दिन भगवान शिव के साथ देवी पार्वती की पूजा भी की जाती है। कुछ स्थानों पर इसे बूढ़ी तीज और सतुड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस बार ये व्रत 2 सितंबर, शनिवार को किया जाएगा। इस व्रत को करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है, वहीं कुंवारी लड़कियां ये व्रत मनचाहे जीवनसाथी के लिए करती हैं। आगे जानिए कजरी तीज का महत्व, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व अन्य खास बातें…

Kajari Teej 2023

कजरी तीज के शुभ योग और मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 1 सितंबर, शुक्रवार की रात 11:50 से 02 सितंबर, शनिवार की रात 08:49 तक रहेगी। चूंकि तृतीया तिथि का सूर्योदय 2 सितंबर को होगा, इसलिए इसी दिन कजरी तीज का व्रत किया जाएगा।

ये है पूजा के शुभ मुहूर्त - सुबह 07:46 से 09:19 तक - दोपहर 12:01 से 12:51 तक - दोपहर 12:26 से 02:00 तक - दोपहर 03:33 से 05:06 तक

इस विधि से करें कजरी तीज की पूजा-व्रत

- 2 सितंबर, शनिवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें और शुभ मुहूर्त में पूजा आरंभ करें।

- किसी साफ स्थान पर चौकी स्थापित करें इसके ऊपर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद पूजा शुरू करें।

- शुद्ध घी का दीपक लगाएं और फूलों की माला पहनाएं। इसके बाद शिवजी को दूध, बेलपत्र, भांग, धतूरा, फूल, फल, आदि चीजें अर्पित करें।

- माता पार्वती को लाल फूल, सिंदूर, कुमकुम, सिंदूर, महावर, मेहंदी, चूड़ी, चुनरी, साड़ी, फल आदि चीजें चढ़ाएं।

- इस प्रकार पूजा करने के बाद कजरी तीज की कथा पढ़ें या सुनें। सबसे अंति में आरती करें और प्रसाद भक्तों को बांट दें।

- इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं के घर-परिवार में खुशहाली बनी रहती हैं, वहीं कुंवारी कन्याओं को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।

 Kajari Teej 2023 - कजरी तीज की कथा

प्राचीन कथाओं के अनुसार, किसी गांव में एक निर्धन ब्राह्मण अपने परिवार के साथ रहता था। एक बार जब कजरी तीज का पर्व आया तो उसकी पत्नी ने पूजा के लिए सत्तू लाने को कहा। ब्राह्मण के पास पैसे नहीं थे तो उसने चोरी करने का मन बनाया और रात में दुकान में चुपचाप घुस गया। जब ब्राह्मण सत्तू चुरा रहा था तभी दुकानदार की नींद खुल गई और उसने ब्राह्मण को पकड़ लिया। चोरी पकड़े जाने पर ब्राह्मण ने दुकानदार को सारी बात सच-सच बता दी। ब्राह्मण की बात सुनकर दुकानदार का मन पिघल गया और वह खुद सत्तू लेकर ब्राह्मण के घर देने चला आया। ब्राह्मण की पत्नी को पतिव्रत धर्म को देखकर दुकानदार ने उसे अपनी बहन बना लिया और काफी सारा धन और वस्त्र उपहार में दिए। इस तरह कजरी तीज के व्रत के प्रभाव से दोनों पति-पत्नी सुखपूर्वक रहने लगे। Kajari Teej 2023

भूकंप से कांपे चंदा मामा, चंद्रयान ने इसरो को भेजी जानकारी, ISRO ने जारी किया अपडेट

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 Kajari Teej 2023 : धर्म ग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज (Kajari Teej 2023) कहते हैं। इस दिन भगवान शिव के साथ देवी पार्वती की पूजा भी की जाती है। कुछ स्थानों पर इसे बूढ़ी तीज और सतुड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस बार ये व्रत 2 सितंबर, शनिवार को किया जाएगा। इस व्रत को करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है, वहीं कुंवारी लड़कियां ये व्रत मनचाहे जीवनसाथी के लिए करती हैं। आगे जानिए कजरी तीज का महत्व, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व अन्य खास बातें…

Kajari Teej 2023

कजरी तीज के शुभ योग और मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 1 सितंबर, शुक्रवार की रात 11:50 से 02 सितंबर, शनिवार की रात 08:49 तक रहेगी। चूंकि तृतीया तिथि का सूर्योदय 2 सितंबर को होगा, इसलिए इसी दिन कजरी तीज का व्रत किया जाएगा।

ये है पूजा के शुभ मुहूर्त - सुबह 07:46 से 09:19 तक - दोपहर 12:01 से 12:51 तक - दोपहर 12:26 से 02:00 तक - दोपहर 03:33 से 05:06 तक

इस विधि से करें कजरी तीज की पूजा-व्रत

- 2 सितंबर, शनिवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें और शुभ मुहूर्त में पूजा आरंभ करें।

- किसी साफ स्थान पर चौकी स्थापित करें इसके ऊपर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद पूजा शुरू करें।

- शुद्ध घी का दीपक लगाएं और फूलों की माला पहनाएं। इसके बाद शिवजी को दूध, बेलपत्र, भांग, धतूरा, फूल, फल, आदि चीजें अर्पित करें।

- माता पार्वती को लाल फूल, सिंदूर, कुमकुम, सिंदूर, महावर, मेहंदी, चूड़ी, चुनरी, साड़ी, फल आदि चीजें चढ़ाएं।

- इस प्रकार पूजा करने के बाद कजरी तीज की कथा पढ़ें या सुनें। सबसे अंति में आरती करें और प्रसाद भक्तों को बांट दें।

- इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं के घर-परिवार में खुशहाली बनी रहती हैं, वहीं कुंवारी कन्याओं को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।

 Kajari Teej 2023 - कजरी तीज की कथा

प्राचीन कथाओं के अनुसार, किसी गांव में एक निर्धन ब्राह्मण अपने परिवार के साथ रहता था। एक बार जब कजरी तीज का पर्व आया तो उसकी पत्नी ने पूजा के लिए सत्तू लाने को कहा। ब्राह्मण के पास पैसे नहीं थे तो उसने चोरी करने का मन बनाया और रात में दुकान में चुपचाप घुस गया। जब ब्राह्मण सत्तू चुरा रहा था तभी दुकानदार की नींद खुल गई और उसने ब्राह्मण को पकड़ लिया। चोरी पकड़े जाने पर ब्राह्मण ने दुकानदार को सारी बात सच-सच बता दी। ब्राह्मण की बात सुनकर दुकानदार का मन पिघल गया और वह खुद सत्तू लेकर ब्राह्मण के घर देने चला आया। ब्राह्मण की पत्नी को पतिव्रत धर्म को देखकर दुकानदार ने उसे अपनी बहन बना लिया और काफी सारा धन और वस्त्र उपहार में दिए। इस तरह कजरी तीज के व्रत के प्रभाव से दोनों पति-पत्नी सुखपूर्वक रहने लगे। Kajari Teej 2023

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कौन है भद्रा ? जो बिगाड़ देती है हिन्दुओं के त्योहारों का मजा, नोएडा में कब होगा राखी पर्व

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Bhadra Kaun hai
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Aug 2023 02:17 PM
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Bhadra Kaun hai : जब भी हिन्दुओं के महत्वपूर्ण त्योहार आते हैं, जैसे रक्षा बंधन और होली तो अक्सर एक बात सुनने को मिलती है कि इस बार भद्रा का साया है, इसलिए त्योहार को बहुत ही सोच समझ कर मनाया जाए। अक्सर भद्रा जी (Bhadra 2023) रक्षा बंधन के पर्व पर पृथ्वी पर आकर मंडराने लगती है। इनके पृथ्वी पर आने से भाई बहन के पवित्र त्योहार रक्षा बंधन (Raksha Bandhan 2023) की अवधि या तो कम हो जाती है या फिर त्योहार को आगे पीछे करके मनाना पड़ता है। आज हम इस आर्टिकल में आपको बताते हैं कि भद्रा कौन है, यह कहां रहती है और यह कब आती है ?

Bhadra Kaun hai / Raksha Bandhan 2023

आपको बता दें कि 30 अगस्त 2023 को पूर्णिमा तिथि सुबह 10 बजकर 58 मिनट से शुरू होगी और 31 अगस्त की सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक रहेगी। सब जानते हैं कि सावन मास की समाप्ति पर आने वाले पूर्णिमा पर रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाता है, लेकिन इस साल भी कहा जा रहा है कि रक्षा बंधन पर्व पर भद्रा का साया रहेगा या यूं कहें कि भ्रदा काल रहेगा और इस काल में राखी बांधने जैसे शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।

कौन हैं भद्रा ? Bhadra Kaun hai

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, भद्रा का निवास पाताललोक में माना जाता है, लेकिन होलिका दहन और रक्षा बंधन पर्व के वक्त भद्रा पृथ्वी लोक में भ्रमण करने के लिए आ जाती है और कुछ समय के लिए पृथ्वी लोक पर निवास करके पुन: विचरण करती हुई पाताल लोक को चली जाती है। भद्रा भगवान सूर्य और छाया की पुत्री और शनिदेव की बहन है। अपने भाई शनिदेव की तरह ही भद्रा का स्‍वभाव भी बहुत कठोर माना जाता है।

कैसे हुई भद्रा की उत्पत्ति

पौराणिक कथाओं के अनुसार दैत्यों को मारने के लिए भद्रा गर्दभ (गधा) के मुख और लंबे पूंछ और 3 पैरयुक्त उत्पन्न हुई। भद्रा काले वर्ण, लंबे बाल, बड़े बड़े दांत तथा भयंकर रूप वाली एक कन्या है। इसका स्वभाव भी शनि की तरह ही कड़क बताया गया है। जन्म लेते ही भद्रा यज्ञों में विघ्न-बाधा पहुंचाने लगी और शुभ कार्यों में विघ्न डालने लगी तथा सारे जगत को पीड़ा पहुंचाने लगी।

भद्रा दुष्ट स्वभाव को देखकर सूर्यदेव को उसके विवाह की चिंता होने लगी और वे सोचने लगे कि इस दुष्ट कुरूपा कन्या का विवाह कैसे होगा ? सभी ने सूर्यदेव के विवाह प्रस्ताव को ठुकरा दिया। तब सूर्यदेव ने ब्रह्माजी से उचित परामर्श मांगा। ब्रह्माजी ने तब विष्टि से कहा कि- 'भद्रे ! बव, बालव, कौलव आदि करणों के अंत में तुम निवास करो तथा जो व्यक्ति तुम्हारे समय में गृह प्रवेश तथा अन्य मांगलिक कार्य करे, तो तुम उन्हीं में विघ्न डालो। जो तुम्हारा आदर न करे, उनका कार्य तुम बिगाड़ देना।' इस प्रकार उपदेश देकर ब्रह्माजी अपने लोक चले गए। तब से भद्रा अपने समय में ही देव-दानव-मानव समस्त प्राणियों को कष्ट देती हुई घूमने लगी। इस प्रकार भद्रा की उत्पत्ति हुई।

भद्रा में क्‍यों नहीं बांधते राखी

भद्रा स्‍वभाव से बहुत ही कठोर और उद्दंडी थीं तो उनकी हरकतों से तंग आकर ब्रह्माजी ने उन्‍हें शाप दिया था कि जो भी भद्रा काल में कोई शुभ कार्य करेगा, उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा और उसे अशुभ परिणाम प्राप्‍त होंगे। यही कारण है कि भद्रा होने पर रक्षाबंधन नहीं मनाया जाता है।

कब कब पृथ्वी पर आती है भद्रा

ज्योतिष के अनुसार, जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होता है तब भद्रा का वास पृथ्वी पर होता है। चंद्रमा जब मेष, वृषभ, मिथुन या वृश्चिक में रहता है तब भद्रा का वास स्वर्गलोक में होता है। जब चन्द्रमा कन्या, तुला, धनु या मकर राशि में स्थित होता है तो भद्रा का वास पाताल लोक में होता है।

भद्रा जिस लोक में रहती हैं वहीं प्रभावी होती हैं। इसलिए रक्षांबधन के वक्‍त चंद्रमा के कुंभ राशि में होने की वजह से भद्रा रहेगी। इसलिए भद्रा के खत्‍म हो जाने पर ही राखी बांधना उचित होगा।

रक्षा बंधन मुहूर्त 2023

रक्षा बंधन के दिन राखी बाँधने का शुभ मुहूर्त अपराह्न काल और प्रदोष काल का समय होता है। यह ध्यान में रखना आवश्यक है कि इस समय में भद्रा, जिसे विष्टि भी कहते है, न पड़े। ग्रंथों में उल्लेख है कि जब ऐसी स्थिति बने तो अपराह्न (दोपहर बाद) काल और प्रदोष काल के बाद, जब भद्रा काल का अंत हो जाए, तब राखी बांधना शुभ रहता है। इस साल 2023 में, भारत के कई जगहों पर, अपराह्न काल और प्रदोष काल के शुभ अवसर में अशुभ विष्टि का छाया पद रहा है, जिस कारण राखी का मुहूर्त रात के 9 बजे के बाद होगा।

रक्षा बंधन मुहूर्त

नोएडा, दिल्ली एनसीआर - 30 अगस्त 09:02 PM - 31 अगस्त 07:05 AM मुंबई - 30 अगस्त 09:02 PM - 09:10 PM लखनऊ - 30 अगस्त 09:02 PM - 31 अगस्त 07:05 AM कोलकाता - 30 अगस्त 09:02 PM - 31 अगस्त 07:05 AM (Bhadra Kaun hai)

महेश कुमार शिवा, एस्ट्रोलॉजर एवं न्यूमरोलॉजिस्ट

Rashifal 30 August 2023- गणेश जी की कृपा से आज खुलेंगे इन राशियों के किस्मत के द्वार

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